धर्मेंद्र का अंतिम संस्कार: एक सुपरस्टार की विदाई और परिवार के बीच का तनाव

परिचय
24 नवंबर 2025 की तारीख भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक स्याह अध्याय के रूप में दर्ज की जाएगी। इस दिन, बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का निधन हुआ, जिसने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे फिल्म उद्योग को हिला कर रख दिया। धर्मेंद्र, जिन्हें “ही मैन” के नाम से जाना जाता है, ने अपने करियर में 60 वर्षों तक दर्शकों का मनोरंजन किया। लेकिन उनके अंतिम संस्कार ने कई सवाल खड़े कर दिए, जैसे कि क्या यह जल्दबाजी में किया गया, ताकि परिवार के बीच का तनाव दुनिया के सामने न आए?
इस लेख में हम धर्मेंद्र के अंतिम संस्कार की पूरी कहानी, परिवार के बीच के जटिल रिश्तों, और उस दिन के घटनाक्रम पर चर्चा करेंगे, जो कैमरों की फ्लैशलाइट में तो कैद हुआ, लेकिन खबरों की हेडलाइंस से गायब रहा।
धर्मेंद्र की तबीयत और अंतिम समय
धर्मेंद्र की तबीयत पिछले कुछ समय से खराब चल रही थी। कई बार उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन 24 नवंबर को जब एंबुलेंस का सायरन उनके घर के बाहर गूंजा, तो यह संकेत था कि अब कुछ गंभीर हो गया है। अस्पताल में भर्ती होने के बाद, खबर आई कि 89 वर्षीय अभिनेता ने अपनी आखिरी सांस ली।
जब यह खबर फैली, तो परिवार ने एक रहस्यमयी चुप्पी साध ली। आमतौर पर, इतने बड़े सितारे के निधन पर अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को एक दिन के लिए रखा जाता है, ताकि फैंस और इंडस्ट्री के लोग आ सकें। लेकिन इस बार सब कुछ इतनी हड़बड़ी में हुआ कि किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला।
अंतिम संस्कार की तैयारी
धर्मेंद्र का अंतिम संस्कार पवन हंस श्मशान घाट पर हुआ। वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई थी, और यह स्पष्ट था कि परिवार मीडिया का जमावड़ा नहीं चाहता था। क्या उन्हें डर था कि दो परिवारों का आमना-सामना किसी नई कंट्रोवर्सी को जन्म दे सकता है? जब हेमा मालिनी और ईशा देओल अंतिम संस्कार में शामिल हुईं, तो माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया।
हेमा मालिनी, जो धर्मेंद्र की दूसरी पत्नी हैं, ने 45 वर्षों तक इस रिश्ते को निभाया। जब वह अपनी बेटी ईशा के साथ श्मशान घाट पहुंचीं, तो वहां का माहौल बेहद गंभीर था। रिपोर्ट्स के अनुसार, भीड़ इतनी बेकाबू हो गई थी कि पुलिस को श्मशान घाट का गेट बंद करना पड़ा।
दो परिवारों का आमना-सामना
धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर और दूसरी पत्नी हेमा मालिनी का आमना-सामना एक ऐसा क्षण था, जिसने सभी को चौंका दिया। प्रकाश कौर, जिन्होंने अपने पति की दूसरी शादी को सहन किया, और हेमा, जिन्होंने धर्मेंद्र के लिए अपना धर्म बदल लिया, दोनों महिलाएं एक ही स्थान पर थीं।
इस दृश्य ने दर्शाया कि कैसे एक ही पुरुष के लिए दो महिलाओं के बीच एक गहरी खाई बनी हुई है। प्रकाश कौर ने अपने पति को हमेशा समर्थन दिया, जबकि हेमा मालिनी ने अपने प्यार के लिए कई बलिदान दिए।
अंतिम विदाई का दृश्य
जब पंडित जी ने अंतिम संस्कार की रस्में शुरू कीं, तो सनी देओल और बॉबी देओल अपने पिता की देह के पास खड़े थे। उनकी आंखों में गहरा दर्द था। लेकिन हेमा मालिनी और उनके बेटियों ने एक गरिमापूर्ण दूरी बनाए रखी। यह दूरी उस समय की थी जब पंडित जी ने मुखाग्नि देने के लिए सनी को आगे बढ़ने के लिए कहा।
हेमा मालिनी ने वहां कुछ देर रुकी, अपनी श्रद्धांजलि दी, और फिर ईशा का हाथ थामे वहां से निकल गईं। उनका इतनी जल्दी चले जाना कई सवाल खड़े कर गया। क्या उन्हें वहां अनवांटेड फील कराया गया? या फिर उन्होंने खुद ही यह फैसला लिया ताकि सनी और बॉबी को अपने पिता के साथ वो आखिरी पल सुकून से बिताने का मौका मिल सके?
प्रकाश कौर की स्थिति
प्रकाश कौर, जो धर्मेंद्र की पहली पत्नी हैं, ने भी इस दिन को बहुत कठिनाई से सहन किया। उन्होंने धर्मेंद्र के साथ बिताए गए वर्षों को याद किया और उस दर्द को महसूस किया जब उन्होंने अपने पति को दूसरी पत्नी के साथ बंटते हुए देखा।
जब अंतिम संस्कार का समय आया, तो प्रकाश कौर वहां मौजूद थीं, लेकिन मीडिया की चकाचौंध से दूर। देओल परिवार का एक सख्त नियम रहा है कि घर की महिलाएँ पब्लिक स्पेक्टिकल नहीं बनेंगी। लेकिन इस दिन, प्रकाश कौर का चेहरा बहुत कुछ कह रहा था।
धर्मेंद्र का परिवार: एक जटिल कहानी
धर्मेंद्र का परिवार हमेशा से जटिल रहा है। उनके चार बच्चे सनी, बॉबी, ईशा, और अहाना हैं। सनी और बॉबी ने अपने पिता के साथ संबंध बनाए रखा, लेकिन हेमा और उनकी बेटियों के साथ संबंधों में हमेशा तनाव रहा।
धर्मेंद्र की शादी के बाद, सनी और बॉबी ने अपने पिता के साथ संबंधों को लेकर कई बार अपनी नाराजगी व्यक्त की। हालांकि, अंतिम संस्कार के दिन, यह स्पष्ट था कि परिवार के भीतर अभी भी बहुत कुछ अनकहा रह गया है।
मीडिया की भूमिका
मीडिया ने इस पूरे घटनाक्रम को कवर किया, लेकिन कई सवाल अनुत्तरित रहे। क्या धर्मेंद्र के परिवार को एक हो जाना चाहिए? क्या हेमा मालिनी को अंतिम संस्कार में वह जगह मिली जो एक पत्नी को मिलनी चाहिए थी?
मीडिया ने इस बात को भी उठाया कि धर्मेंद्र की संपत्ति और वसीयत को लेकर क्या विवाद होगा। उनकी संपत्ति लगभग 1000 करोड़ रुपये से अधिक थी, और अब जब वह नहीं रहे, तो यह देखना होगा कि परिवार इसे कैसे संभालता है।
निष्कर्ष
धर्मेंद्र का निधन केवल एक अभिनेता की मौत नहीं थी, बल्कि यह एक युग का अंत था। उनका जीवन, जो प्यार, त्याग, और संघर्ष से भरा हुआ था, अब एक नई दिशा में बढ़ रहा है।
उनकी अंतिम विदाई ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जो शायद कभी हल नहीं होंगे। परिवार के बीच का तनाव, पुरानी दुश्मनियाँ, और रिश्तों की जटिलता ने इस विदाई को और भी कठिन बना दिया।
धर्मेंद्र ने अपने जीवन में कई रिश्ते बनाए, लेकिन शायद उन्हें सुलझा नहीं पाए। उनके जाने के बाद, यह देखना होगा कि क्या देओल परिवार बिखरता है या फिर एकजुट होकर अपने पिता की यादों को संजोए रखता है।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि स्टारडम चाहे कितना भी बड़ा हो, मौत के सामने सब बराबर हो जाते हैं। अंत में, इंसान के साथ सिर्फ उसके कर्म और उसके द्वारा बनाए गए रिश्ते ही जाते हैं।
धर्मेंद्र जी की यादें हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी। उनकी फिल्मों के साथ-साथ उनकी जीवन की कहानी भी हमें प्रेरित करती रहेगी।
आपकी राय
इस पूरे घटनाक्रम पर आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि परिवार को एक हो जाना चाहिए? कृपया अपने विचार कमेंट में साझा करें।
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