एयरपोर्ट पर एक साधारण लड़के की असाधारण कहानी

मुंबई के सबसे अमीर व्यक्ति का बेटा, राघव, साधारण कपड़ों में, चिंता और पसीने के साथ एयरपोर्ट की ओर दौड़ता है। उसके कंधे पर पुराना बैग और हाथ में फ्लाइट टिकट है। जल्दी-जल्दी वह सिक्योरिटी गेट पर पहुंचता है, जहाँ लंबी लाइन लगी है। सब लोग अपने महंगे सूटकेस और परफ्यूम की खुशबू में मस्त हैं, लेकिन राघव भीड़ में अपनी जगह ढूंढता है।

अचानक एक अमीर आदमी उससे टकरा जाता है, उसकी घड़ी और कॉफी गिर जाती है। वह राघव पर चिल्लाता है, “देख कर नहीं चल सकते? तुम तो ट्रेन की जनरल बोगी के लायक हो!” भीड़ राघव को देखती है, वह हाथ जोड़कर विनम्रता से माफी मांगता है, “सॉरी सर, मुझे मुंबई पहुँचना बहुत जरूरी है।”

अमीर आदमी टिकट छीनकर उसका मजाक उड़ाता है, “बिजनेस क्लास! इतनी हिम्मत कहाँ से आई?” सिक्योरिटी गार्ड टिकट स्कैन करता है, स्क्रीन पर हरी लाइट जलती है – टिकट वैलिड है। अब सब हैरान हैं। अमीर आदमी टिकट के टुकड़े कर देता है, “अब नहीं जाओगे!”

राघव टुकड़े उठाता है, शांत स्वर में कहता है, “अमीर होना सिर्फ पैसे से नहीं होता। चाहूँ तो आपको दो मिनट में बर्बाद कर सकता हूँ।” गार्ड कहता है, “टिकट डैमेज है, काउंटर पर जाओ।” काउंटर पर लड़की रिया उसे देखती भी नहीं, नाम पूछती है, “राघव अरोड़ा।” सिस्टम में नाम नहीं दिखता, वह उसे फर्जी टिकट वाला समझकर किनारे कर देती है।

राघव अपनी कंफर्मेशन मेल दिखाने की कोशिश करता है, लेकिन कोई नहीं देखता। तभी अनाउंसमेंट होता है – “वीवीआईपी विमान उतरने वाला है, सभी फ्लाइट्स होल्ड पर।” लोग हैरान हैं, रिया और अमीर आदमी सोचते हैं, कौन है ये वीवीआईपी?

रिया फिर राघव का मजाक उड़ाती है, उसे धक्का देती है, सिक्योरिटी गार्ड उसे बाहर निकालने लगता है। राघव शांत रहता है, फिर ठंडे स्वर में कहता है, “तुम सोचती हो तुम किसी से ऊपर हो?” अमीर आदमी भी हँसता है, “यह हमारी दुनिया है, तुम जैसे टिक नहीं सकते।”

राघव फोन निकालता है, एयरपोर्ट कंट्रोल को कॉल करता है – “सारी सर्विसेज बंद कर दो।” कुछ ही देर में एयरपोर्ट रुक जाता है। लोग चौंक जाते हैं, जनरल मैनेजर आता है, “सर, हमें माफ कर दीजिए, हमें नहीं पता था आप खुद आए हैं। यह राघव सिंह चौहान हैं, एयरफोर्ड ग्रुप के मालिक।”

अब सबकी नजरें राघव पर हैं। वह अमीर आदमी के सामने जाता है, “अब बताओ, असली मालिक कौन है?” सिक्योरिटी गार्ड और रिया शर्मिंदा हैं। राघव कहता है, “गरीबी या सादगी को कमजोरी मत समझो। जो अपनी पहचान छिपाकर चलता है, वह दुनिया को असली चेहरा दिखाने की ताकत रखता है।”

रिया माफी मांगती है, राघव कहता है, “माफी तब कबूल होती है जब इंसान बदलने की कोशिश करे।” वह सभी सर्विसेज फिर चालू करने का आदेश देता है। एयरपोर्ट फिर से चहक उठता है, लेकिन अब माहौल में एक खामोशी है।

राघव मुस्कुराता है, “कभी-कभी जिंदगी हमें गिराती नहीं, बल्कि दिखाती है कि हमें कहाँ खड़ा होना है।” उसे खबर मिलती है कि उसके पिताजी अब ठीक हैं। वह राहत की साँस लेता है।