What Happened to their SON was Beyond Imagination | Nishchit | Bengaluru | Wronged
.\
.
.
ग़ायब हो जाना: एक डरावनी शुरुआत
उस दिन सबकुछ सामान्य था। स्कूल की छुट्टी के बाद वह घर आया, आराम किया और शाम 5 बजे ट्यूशन के लिए निकल गया। रोज़ की तरह उसने अपनी साइकिल उठाई और चल पड़ा। उसका दादा हमेशा ध्यान रखते थे कि बच्चा समय पर लौटे। आमतौर पर 7:30 बजे तक वह घर पहुँच जाता। लेकिन उस दिन 8 बज गए और दरवाज़ा अब भी बंद रहा।
दादा जी पहले हल्का-सा मुस्कुराए, सोचा कि शायद दोस्तों के साथ खेल रहा होगा। लेकिन मन में एक डर धीरे-धीरे दस्तक देने लगा। वह खुद ट्यूशन सेंटर पहुँचे। टीचर ने बताया – “हाँ, वह आया था… लेकिन क्लास ख़त्म होते ही चला गया।”
यह सुनकर दादाजी की धड़कन तेज़ हो गई। रास्ते-रास्ते खोजते, गली-मोहल्लों में झांकते, वह लौट रहे थे कि उनकी नज़र पड़ी — Promly Family Park के पास खड़ी साइकिल पर। वही साइकिल, वही निशान, लेकिन… निश्चित कहीं नहीं था।
घर लौटते ही पूरे परिवार में कोहराम मच गया। रिश्तेदार, पड़ोसी, सब मिलकर उसे खोजने लगे। लेकिन किसी के पास कोई जवाब नहीं था।
रात की पहली सिहरन: फिरौती का फ़ोन
जब सारी उम्मीदें टूटने लगीं, तब रात 10:30 बजे उसके पिता ने पुलिस स्टेशन में मिसिंग रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने तुरंत सीसीटीवी खंगाले और वहाँ एक तस्वीर सामने आई—निश्चित एक बाइक पर बैठा था। हेलमेट पहने आदमी के साथ। चेहरा ढका हुआ।
परिवार का दिल डूब गया। किसी ने उसे जबरदस्ती नहीं बिठाया था। साफ़ था—वह आदमी उसका कोई जानकार था।
लेकिन असली डर तब शुरू हुआ, जब रात 1 बजे निश्चित की माँ के फोन पर WhatsApp कॉल आई। दूसरी तरफ से ठंडी, निर्दयी आवाज़—
“पाँच लाख रुपए दो। पुलिस को खबर की, तो अपने बेटे का मरा चेहरा देखोगी।”
उस पल, माँ का कलेजा चीख उठा। आँसुओं में भीगी आवाज़ में उसने रहम की भीख माँगी—“पैसे ले लो… बस मेरा बच्चा लौटा दो।”
पिता ने हिम्मत दिखाई। वह जानते थे, पुलिस को शामिल करना ज़रूरी है। क्योंकि कौन गारंटी दे सकता है कि पैसे लेकर किडनैपर बेटा लौटा देगा?
बिलकुल बेमतलब का इंतज़ार
किडनैपर ने लोकेशन दी—यलाचरा हल्ली मेट्रो स्टेशन। पिता नोटों से भरा बैग लेकर पहुँचे। पुलिस सादी वर्दी में पीछे-पीछे थी। लेकिन घंटों बीत गए, कोई नहीं आया।
फिर मैसेज आया—“वेगा सिटी मॉल के बाहर डस्टबिन में पैसे डाल दो।”
इस बार पिता ने पुलिस को बताए बिना खुद पैसे डाल दिए। दूर खड़े होकर अपने बेटे का इंतज़ार करते रहे। लेकिन न बेटा आया, न कोई किडनैपर। कॉल करने पर फोन स्विच्ड ऑफ।
वह वहीं खड़े-खड़े टूट गए।
डरावना सच: लाश की बरामदगी
अगले दिन शाम को, कगालीपुरा रोड के पास बकरियाँ चराने वाले एक ग्रामीण ने पुलिस को खबर दी। वहाँ झाड़ियों में झुलसी हुई लाश पड़ी थी।
चेहरा पूरी तरह जल चुका था। कपड़े राख में बदल चुके थे। लेकिन पुलिस और परिवार ने जैसे-तैसे पहचान कर ली। कमर पर बंधी सिल्वर थ्रेड ने सबकुछ साफ़ कर दिया—
यह लाश निश्चित की थी।
माँ वहीं ढह गईं। पिता निःशब्द खड़े रहे। दादा की आँखें पत्थर की तरह जम गईं। घर का एकमात्र चिराग बुझ चुका था।
हैरान कर देने वाला खुलासा
पुलिस ने 24 घंटे के भीतर हत्यारों को पकड़ लिया। और जब परिवार ने उन्हें देखा, तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
क्योंकि यह कोई अजनबी नहीं, उनका अपना ड्राइवर—गुरुमूर्ति था।
हाँ, वही इंसान जिसे उन्होंने अपने घर में जगह दी, जिस पर सबसे ज़्यादा भरोसा किया।
गुरुमूर्ति, उम्र 27। बाहर से शांत, अंदर से दरिंदे जैसा। पहले भी उस पर POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज हो चुका था, लेकिन गवाहों के पलटने से छूट गया था। परिवार को यह सब पता नहीं था।
वह धीरे-धीरे सबका विश्वास जीत चुका था। स्कूल, ऑफिस, आउटिंग्स—हर जगह साथ। उसने परिवार की आर्थिक हालत पर नज़र रखी। वह जान चुका था—इकलौते बेटे के लिए माँ-बाप कुछ भी करेंगे।
उसने अपने दोस्त गोपी को साथ मिलाया। प्लान बनाया। WhatsApp कॉल्स किए। नंबर “आउट ऑफ कंट्री” दिखाने के लिए इंटरनेट कॉलिंग का इस्तेमाल किया। हिंदी में मैसेज भेजे ताकि लगे कि किडनैपर नॉर्थ इंडिया से हैं।
लेकिन हक़ीक़त यह थी—उनका अपना ड्राइवर, उनके घर का आदमी ही कातिल निकला।
मौत का वह डरावना पल
30 जुलाई की शाम, गुरुमूर्ति ने निश्चित को चाट खिलाने के बहाने बुलाया। बच्चा बिना शक किए बाइक पर बैठ गया। उसे “सरप्राइज़” का लालच दिया गया। और फिर…
पहले उसे बुरी तरह पीटा। उसके हाथ बाँधे। और आख़िर में, उसका गला काट दिया।
फिर पेट्रोल डालकर लाश को आग लगा दी।
सोचिए—13 साल का मासूम, जो अभी कल तक हँसते हुए गेंद खेल रहा था, उसने मरते वक्त किस भय को महसूस किया होगा?
समाज के लिए आईना
यह सिर्फ़ एक परिवार की त्रासदी नहीं, यह पूरे समाज के लिए आईना है। हम दीवारें ऊँची बनाते हैं, ताले मज़बूत लगाते हैं। लेकिन खतरा कभी-कभी बाहर से नहीं, अंदर से आता है।
जिस पर सबसे ज़्यादा भरोसा करते हैं, वही कभी-कभी सबसे बड़ा धोखा देता है।
आज बच्चों की सुरक्षा सिर्फ़ स्कूल से घर तक पहुँचने का मामला नहीं रह गई है। यह हर उस इंसान का सवाल है जिसे हम अपने घर में जगह देते हैं, अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाते हैं।
सबक और सवाल
क्या हर ड्राइवर, हेल्पर, ट्यूटर का पुलिस वेरिफिकेशन होना ज़रूरी नहीं है?
क्या पैसे की भूख इंसानियत से इतनी बड़ी हो चुकी है?
क्या अब भरोसा करना भी एक अपराध जैसा लगने लगेगा?
निष्कर्ष
निश्चित की हत्या ने सिर्फ़ एक परिवार को उजाड़ा नहीं, बल्कि पूरे शहर को हिला दिया। उसकी मासूम मुस्कान अब सिर्फ़ तस्वीरों में रह गई।
यह कहानी याद दिलाती है—
खतरा अब बाहर से नहीं, भीतर से भी आ सकता है। भरोसे को हथियार बनाकर।
और यही इस केस का सबसे बड़ा डर है।
News
Inspector Ne Aam Ladki Samajh Kar Sadak par chheda Fir Ladki Ne Inspector Ke sath Jo Kiya
Inspector Ne Aam Ladki Samajh Kar Sadak par chheda Fir Ladki Ne Inspector Ke sath Jo Kiya . . ….
मरा हुआ बेटा 25 साल बाद SP बनकर घर लौटा, मां बाप ने धक्के देकर भगाया फिर जो हुआ #hearttuchingstory
मरा हुआ बेटा 25 साल बाद SP बनकर घर लौटा, मां बाप ने धक्के देकर भगाया फिर जो हुआ #hearttuchingstory ….
पति दो साल बाद विदेश से लौटा तो पत्नी ट्रेन में भीख माँग रही थी… पति को देख रोने लगी फिर जो हुआ…
पति विदेश से लौटा… तो पत्नी और माँ-बाप रेलवे स्टेशन पर भीख माँगते मिले… आगे जो हुआ उसने सबका दिल…
Bank Ne Nikala Gareeb Samajh Kar | Asal Mein Crorepati Baap Ka Beta Tha | Real Hindi Story
Bank Ne Nikala Gareeb Samajh Kar | Asal Mein Crorepati Baap Ka Beta Tha | Real Hindi Story . ….
गलती से गलत ट्रेन में बैठ गया लड़का, टीटी ने जब उसे उतारा तो स्टेशन पर जो मिला, उसने पलट दी किस्मत!
गलती से गलत ट्रेन में बैठ गया लड़का, टीटी ने जब उसे उतारा तो स्टेशन पर जो मिला, उसने पलट…
IPS officer aur Sabzi Bechny Wali Larki ki Dilchasp Kahani | Islamic Story in Hindi Urdu| Sabaq Amoz
IPS officer aur Sabzi Bechny Wali Larki ki Dilchasp Kahani | Islamic Story in Hindi Urdu| Sabaq Amoz . ….
End of content
No more pages to load