“अगर आप मुझे खाना देंगे… मैं आपकी मदद कर सकता हूँ!” – भूखे बच्चे की सच्चाई ने सबको रुला दिया 😭
भीषण गर्मी का दिन था। सड़क पर ट्रैफिक जाम लगा हुआ था और एक सफेद लग्जरी कार बीच सड़क पर बंद पड़ी थी। हॉर्न की आवाजें चारों ओर गूंज रही थीं। कार के अंदर बैठी रिया मल्होत्रा, एक बड़ी बिजनेस वूमन, गुस्से में फटी जा रही थी। उसने घड़ी देखी। ऑफिस की मीटिंग के लिए वह पहले ही देर कर चुकी थी। “क्या बेकार की गाड़ी है यह?” रिया ने झल्लाते हुए कहा।
गाड़ी की समस्या
उसका ड्राइवर श्याम बार-बार चाबी घुमा रहा था, लेकिन इंजन ने जैसे जवाब दे दिया था। “मैडम, शायद वायरिंग में दिक्कत है,” श्याम बोला। रिया ने चिढ़ते हुए कहा, “तुम्हें हर बार यही दिक्कत लगती है लेकिन गाड़ी फिर भी नहीं चलती।” आसपास लोग रुक कर देखने लगे। कुछ हंस रहे थे, कुछ ताने मार रहे थे। “अरे, मैडम जी की बड़ी गाड़ी बीच रोड पर खड़ी है।”
अर्जुन का आगमन
रिया ने खिड़की बंद की और माथा पकड़ लिया। तभी उसकी नजर सामने खड़े एक पतले दुबले लड़के पर पड़ी। उम्र ज्यादा से ज्यादा 12 साल, फटे कपड़े, पैरों में चप्पल तक नहीं, चेहरा धूल से भरा। लेकिन उसकी आंखों में एक अलग चमक थी। वह धीरे-धीरे कार के पास आया और बोला, “मैडम, अगर आप मुझे खाना देंगे तो मैं आपकी गाड़ी ठीक कर सकता हूं।”
रिया का गुस्सा
रिया ने भौंहें चढ़ाईं, “क्या कहा? तुम ठीक करोगे मेरी कार? तुम्हें पता है यह कितने की है?” लड़का घबराया नहीं, बस उतना ही बोला, “मुझे पता नहीं कितने की है मैडम, लेकिन मुझे बहुत भूख लगी है। अगर खाना मिल जाए तो कोशिश कर सकता हूं।” रिया को गुस्सा आ गया। “मजाक कर रहे हो क्या? हटो यहां से। मेरे पास टाइम नहीं है तुम्हारे ड्रामे के लिए।”
बुजुर्ग की सलाह
लड़का चुप रहा लेकिन नजरें कार के इंजन पर टिकी रही। आसपास के लोग देखने लगे। एक बुजुर्ग आदमी बोला, “मैडम, बच्चा कुछ कह रहा है। कोशिश करने दीजिए। क्या पता ठीक ही कर दे।” रिया ने दमतमाई नजरों से देखा। फिर थक कर बोली, “ठीक है। अगर तोड़ दिया तो पुलिस बुला लूंगी।” लड़के ने हल्की मुस्कान दी। “टूटेगा नहीं मैडम।”
बच्चे की मेहनत
वह धीरे से बोनट के पास गया। अपने गंदे हाथों से इंजन को छुआ। थोड़ी देर तक ध्यान से सुना, जैसे किसी डॉक्टर की तरह मशीन की धड़कन पकड़ने की कोशिश कर रहा हो। फिर उसने एक छोटी सी तार निकाली और उसे अपनी जेब से निकले पतले तार से जोड़ दिया। “अब स्टार्ट कीजिए,” उसने कहा। श्याम ने चाबी घुमाई और इंजन गरज उठा। सड़क पर खड़े लोगों ने ताली बजा दी।
रिया का आश्चर्य
रिया हक्का बक्का रह गई। “कैसे किया तुमने यह?” लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरे पापा भी मैकेनिक थे। मैडम, मैं बस उनके साथ बैठकर देखता था।” रिया कुछ पल चुप रही। वह लड़के की आंखों में झांक रही थी। वहां डर नहीं था, बस भूख और सच्चाई थी। “तुम्हारा नाम क्या है?” “अर्जुन,” उसने जवाब दिया।
रिया की दया
रिया ने पर्स से कुछ नोट निकाले। “ये लो, कुछ पैसे रखो।” अर्जुन ने पैसे देखे लेकिन सिर हिलाया। “मैडम, मैंने कहा था मुझे पैसे नहीं चाहिए, बस खाना चाहिए।” रिया ठिटक गई। इतने सालों में किसी ने उससे पैसे ठुकराए नहीं थे। उसने गहरी सांस ली और बोली, “चलो पास वाले ढाबे में चलते हैं। तुम्हें खाना खिलाती हूं।”
ढाबे का अनुभव
अर्जुन ने सिर झुका दिया, लेकिन होठों पर एक हल्की मुस्कान थी। शायद बहुत दिनों बाद किसी ने उसे इज्जत दी थी। रिया कार से उतरी और पहली बार बिना ड्राइवर के किसी गरीब बच्चे के साथ पैदल चलने लगी। उसके अंदर कुछ बदल रहा था। शायद वह खुद नहीं समझ पा रही थी क्या। सिर्फ इतना महसूस कर रही थी कि उस लड़के ने उसकी गाड़ी ही नहीं, उसका दिल भी ठीक कर दिया था।
खाना खाने की खुशी
ढाबे की बेंच पर बैठते ही अर्जुन की आंखों में जैसे एक अजीब सी चमक लौट आई। सामने थाली में गरमागरम दाल, चावल और दो रोटियां रखी गईं। रिया ने कहा, “खा लो अर्जुन, अब किसी चीज की चिंता मत करो।” अर्जुन ने थाली को देखा। फिर रिया को शायद उसे भरोसा नहीं हो रहा था कि कोई इतनी आसानी से उसे खाना दे रहा है। धीरे से उसने रोटी का टुकड़ा तोड़ा और दाल में डुबोया।
भूख का एहसास
पहले कौर में ही उसकी आंखें भर आईं। इतने दिनों की भूख शायद आज पहली बार थमी थी। रिया चुपचाप देखती रही। उसके भीतर कुछ टूट रहा था। वो जो हमेशा अपने कॉफी की ब्रांड और मीटिंग के समय पर झगड़ती थी, आज पहली बार किसी अनजान बच्चे को खाते हुए देखकर सुकून महसूस कर रही थी। “अर्जुन,” उसने धीरे से पूछा, “तुम्हारे घर पर कौन-कौन है?”
अर्जुन की कहानी
अर्जुन ने जवाब देने से पहले थोड़ा पानी पिया। “मां है लेकिन बीमार रहती हैं। पापा पहले गैराज में काम करते थे। इंजन फट गया था। उसी में उनका हाथ जल गया।” और फिर उसकी आवाज धीमी हो गई। रिया ने धीरे से कहा, “वो अब नहीं है।” अर्जुन ने सिर हिलाया। “नहीं मैडम। तब से मैं छोटे-मोटे काम करता हूं। कोई साइकिल ठीक करवा दे तो दो वक्त का खाना मिल जाता है। कभी नहीं मिलता तो मां से झूठ बोलता हूं कि खा लिया।”
दर्द भरी मुस्कान
रिया के गले में शब्द अटक गए। सामने बैठा बच्चा मुस्कुरा रहा था लेकिन उसकी मुस्कान में दर्द था। “तुम पढ़ते नहीं?” उसने पूछा। अर्जुन ने हंसने की कोशिश की। “पढ़ाई छोड़ दी। पापा कहते थे, इंजन समझ लोगे तो जिंदगी भी चल जाएगी। अब इंजन ठीक करना ही जिंदगी है।”

रिया का आत्मनिरीक्षण
रिया को याद आया कि जब वह छोटी थी, उसके पापा ने उसे कहा था, “तुम बिजनेस संभालना, लोगों की जिंदगी आसान बनाना।” और उसने तो अपनी दुनिया सिर्फ पैसों और डील्स में सीमित कर दी थी। वह बोली, “अगर तुम्हें मौका मिले तो पढ़ोगे?” अर्जुन ने झट से कहा, “पढ़ाई से पेट नहीं भरता। मैडम, पहले मां को दवा चाहिए।”
अर्जुन की जिम्मेदारी
कुछ देर तक उसकी बात सोचती रही। सामने बैठा एक बच्चा जो भूख में भी दूसरों के बारे में सोचता था। “तुम्हारी मां कहां रहती हैं?” उसने पूछा। “बस यहीं, पीछे की बस्ती में। मैं चाहूं तो दिखा सकता हूं।” रिया ने सिर हिलाया। “चलो, दिखाओ।” दोनों ढाबे से उठे। रिया के हाई हील्स की आवाज और अर्जुन के नंगे पैरों की चाल एक अजीब मेल बना रही थी।
झुग्गियों का दृश्य
थोड़ी देर में वह झुग्गियों के बीच पहुंचे। चारों ओर टपकती छतें, कीचड़ और बच्चे खेलते हुए। एक छोटे से झोपड़े के अंदर अर्जुन की मां लेटी थी। कमजोर सांस लेते हुए तकलीफ महसूस हो रही थी। रिया के कदम ठिठक गए। उसने अपने पर्स से पानी की बोतल निकाली और उन्हें दी। “अर्जुन, दवा दिलाते हो?” अर्जुन बोला, “कभी-कभी जब काम मिलता है तो। डॉक्टर ने कहा था सांस की बीमारी है।”
रिया का संकल्प
रिया झुक कर बोली, “मैं डॉक्टर भेजूंगी। ठीक है।” अर्जुन घबरा कर बोला, “नहीं मैडम, हम पैसे नहीं दे पाएंगे।” रिया मुस्कुराई, “पैसे मैं दूंगी। तुम बस अपनी मां को संभालो।” उसकी मां की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने धीमी आवाज में कहा, “बेटा, यह कौन है?” अर्जुन ने कहा, “मैडम है, मेरी कार ठीक करवाई थी मैंने।”
इंसानियत का एहसास
रिया को उस वक्त एहसास हुआ कि जिन पैसों से वह पार्टी करती थी, वही किसी की जिंदगी बदल सकते थे। उसने अर्जुन के सिर पर हाथ रखा और बोली, “अब से तुम्हारी मां मेरी जिम्मेदारी है।” अर्जुन कुछ कह नहीं पाया। बस आंखें झुका ली। उसके होंठ कांपे। “मैडम, आज आप मेरी गाड़ी नहीं, मेरी दुनिया चला दी।” रिया की आंखें भी भर आईं।
बदलाव का सफर
उसे लगा इस छोटे से लड़के ने उसे वह सिखाया है जो करोड़ों की मीटिंग्स ने कभी नहीं सिखाया। इंसानियत की कीमत।
नया प्रोजेक्ट
छह महीने बाद मुंबई के एक छोटे से स्कूल के बाहर भीड़ लगी थी। वहां एक नया प्रोजेक्ट लॉन्च होने वाला था। “स्ट्रीट इंजीनियर्स इंडिया” जो सड़क के बच्चों को फ्री टेक्निकल ट्रेनिंग देने के लिए बनाया गया था। बैनर पर बड़े अक्षरों में लिखा था, “फाउंडेड बाय रिया मल्होत्रा।”
मंच पर रिया
रिया मंच पर खड़ी थी। लेकिन आज उसकी आंखों में वह ठंडापन नहीं था जो पहले हुआ करता था। उसके चेहरे पर एक अलग चमक थी। जैसे जिंदगी का मतलब अब उसे समझ में आ गया हो। पास ही खड़ा था वही छोटा लड़का अर्जुन, साफ कपड़ों में। बाल ठीक से बने हुए। गले में आईडी कार्ड लटक रहा था जिस पर लिखा था “जूनियर इंस्ट्रक्टर।”
मीडिया का सवाल
रिबन काटने के बाद जब मीडिया वाले सवाल पूछने लगे, एक रिपोर्टर ने पूछा, “मैडम, आपको यह प्रोजेक्ट शुरू करने का आईडिया कैसे आया?” रिया मुस्कुराई और भीड़ की तरफ देखकर बोली, “एक दिन मेरी कार सड़क पर बंद हो गई थी और एक भूखे बच्चे ने सिर्फ एक प्लेट खाना मांगकर मेरी जिंदगी बदल दी।”
अर्जुन का संदेश
उसने मुझे दिखाया कि टैलेंट, हिम्मत और ईमानदारी गरीबी में भी जिंदा रहती है। बस किसी को उसे पहचानने की जरूरत होती है। भीड़ में तालियां गूंज उठीं। अर्जुन झेपते हुए नीचे देख रहा था लेकिन उसकी आंखों में गर्व झलक रहा था। रिया ने माइक उसकी तरफ बढ़ाया। “अर्जुन, अब तुम कुछ कहना चाहोगे?”
अर्जुन की भावनाएं
अर्जुन ने धीरे से माइक पकड़ा। उसका गला भर आया। पर वह बोला, “मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि अगर किसी दिन आपको कोई भूखा दिखे तो उसे मत भगाइए। कभी-कभी वही भूखा इंसान आपकी दुनिया बदल देता है।” तालियों की गूंज इतनी तेज थी कि कुछ देर के लिए सब कुछ रुक सा गया।
मां का आशीर्वाद
पीछे की पंक्ति में अर्जुन की मां बैठी थी। अब स्वस्थ और मुस्कुराती हुई। रिया ने जाकर उनके पांव छुए तो वह बोली, “बेटी, भगवान ने तुम्हें हमारे लिए भेजा है।” रिया ने कहा, “नहीं आंटी, भगवान ने तो अर्जुन को भेजा था मुझे इंसान बनाना सिखाने के लिए।”
अंत में
वो पल रिया के लिए किसी जीत से कम नहीं था। उसकी कंपनी अब पहले से भी बड़ी थी लेकिन उसके दिल की दुनिया अब पहले से ज्यादा भरी हुई थी। अर्जुन मंच से नीचे उतर कर बोला, “मैडम, अब गाड़ी नहीं रुकेगी। मैं हूं ना।” रिया मुस्कुराई और बोली, “हां अर्जुन, अब कभी कोई जिंदगी नहीं रुकेगी।”
निष्कर्ष
और इसी तरह एक भूखे बच्चे की सच्चाई ने एक अमीर औरत का दिल हमेशा के लिए बदल दिया। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि इंसानियत और दया का कोई मूल्य नहीं होता, और कभी-कभी एक छोटा सा कार्य किसी की जिंदगी को पूरी तरह बदल सकता है।
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