जिस हॉस्पिटल में पति डॉक्टर था, उसी में तलाकशुदा प्रेग्नेंट पत्नी भर्ती थी… फिर पति ने जो किया…
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यहाँ आपके द्वारा दी गई कहानी को 1500 शब्दों में विस्तार से, भावनात्मक और मर्मस्पर्शी शैली में हिंदी में प्रस्तुत किया गया है।
एक अस्पताल, एक डॉक्टर और उसकी तलाकशुदा पत्नी की कहानी
उत्तराखंड के एक छोटे से शहर में, अर्जुन सिंह नामक व्यक्ति रहते थे। सरकारी विभाग में कर्मचारी अर्जुन सिंह की एक ही संतान थी—उनकी बेटी सोनम। सोनम बचपन से ही बहुत लाड़-प्यार में पली-बढ़ी थी। अर्जुन सिंह ने अपनी बेटी को कभी किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दी। सोनम के शौक बड़े थे—महंगी गाड़ियाँ, महंगे कपड़े, बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में खाना खाना, दोस्तों के साथ पार्टी करना। अर्जुन सिंह हमेशा उसकी हर इच्छा पूरी करते थे।
समय बीतता गया। सोनम ने इंटर पास किया, फिर ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू की। जब उसकी पढ़ाई पूरी हुई, अर्जुन सिंह ने सोचा कि अब बेटी की शादी कर देनी चाहिए। उन्होंने सोनम से बात की—“बेटी, अब तुम बड़ी हो गई हो, तुम्हारी शादी करवा देना चाहते हैं।” सोनम ने पहले मना किया, “पापा, मैं आगे पढ़ना चाहती हूँ, कामयाब इंसान बनना चाहती हूँ।” लेकिन अर्जुन सिंह ने समझाया कि ससुराल में भी पढ़ाई जारी रख सकती है, और वे ऐसा लड़का ढूंढेंगे जो उसकी पढ़ाई को सपोर्ट करे।
आखिरकार, सोनम मान गई। अर्जुन सिंह ने अपने मित्र बलवंत सिंह के बेटे राहुल से सोनम की शादी तय कर दी। बलवंत सिंह किसान थे, लेकिन राहुल मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था और उसका सपना था कि वह डॉक्टर बने। शादी धूमधाम से हुई। सोनम ससुराल पहुंची, लेकिन उसके शौक नहीं बदले। वह महंगे कपड़े पहनती, बाहर खाना खाने जाती, दोस्तों के साथ घूमती। राहुल और उसके माता-पिता को यह सब पसंद नहीं था। वे अक्सर सोनम को समझाते, “हम मिडिल क्लास लोग हैं, इतने बड़े शौक पूरे नहीं कर सकते।”
सोनम को यह सब सुनना अच्छा नहीं लगता। वह कहती, “अगर आप लोग मुझे इस घर में रखना चाहते हैं तो मेरी हर इच्छा पूरी करिए।” घर में कलह बढ़ने लगी। छह महीने बीते, राहुल दूसरे शहर में रहकर पढ़ाई करता था, सोनम घर पर थी। दोनों के बीच लड़ाई-झगड़े बढ़ते गए। सोनम को राहुल के परिवार का रहन-सहन पसंद नहीं था। वह अपने पापा को फोन करके शिकायत करती, “पापा, आप किन लोगों के यहाँ मेरी शादी कर दिए हैं? ये लोग मेरी इच्छाओं को नहीं समझते।”
अर्जुन सिंह अपनी बेटी को मायके बुला लेते हैं। सोनम मायके में भी अपनी पुरानी आदतें नहीं छोड़ती। दोस्तों के साथ घूमना, पार्टी करना जारी रहता है। इसी बीच सोनम को पता चलता है कि वह प्रेग्नेंट है। लेकिन वह अकेली पड़ने लगती है, क्योंकि उसके दोस्त भी अब उससे दूरी बनाने लगते हैं। सोनम को महसूस होता है कि उसके दोस्त हमेशा उसका साथ नहीं देंगे।
इधर, राहुल अपनी पढ़ाई पूरी करता है और डॉक्टर बन जाता है। उसकी उत्तराखंड के ही एक अच्छे अस्पताल में नियुक्ति हो जाती है। सोनम ने कोर्ट में तलाक का कागज पेश कर दिया था, और दोनों का तलाक हो गया। अर्जुन सिंह ने बहुत समझाया, लेकिन सोनम नहीं मानी। राहुल भी अपनी नई जिंदगी में व्यस्त हो गया।
समय बीतता गया। सोनम का डिलीवरी का समय नजदीक आ गया। उसके पिताजी ने उसे अस्पताल में भर्ती करवाया। सोनम दर्द से तड़प रही थी, जोर-जोर से चिल्ला रही थी। अस्पताल के स्टाफ दौड़कर उसके पास पहुंचे। राहुल भी वहां मौजूद था, और जब उसने सोनम को देखा, तो चौंक गया। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। सोनम उसकी तलाकशुदा पत्नी थी।
राहुल ने तुरंत अस्पताल के स्टाफ से कहा, “जल्दी से डिलीवरी वार्ड तैयार करिए।” सोनम को महिला डॉक्टर के हवाले कर दिया। डॉक्टर ने जांच की तो पता चला कि सोनम के शरीर में खून बहुत कम है। अगर एक घंटे के अंदर ब्लड की व्यवस्था नहीं हुई तो सोनम और उसके बच्चे की जान खतरे में पड़ सकती है।
अर्जुन सिंह ब्लड बैंक गए, लेकिन सोनम का ब्लड ग्रुप वहां नहीं मिला। राहुल ने डॉक्टर से कहा, “मेरा ब्लड ओ पॉजिटिव है, आप मेरा खून ले लीजिए और सोनम को चढ़ा दीजिए।” डॉक्टर ने तुरंत राहुल का खून सोनम को चढ़ाया। डिलीवरी सफल रही, सोनम ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया।
कुछ घंटों बाद सोनम को होश आया। उसने अपने बच्चे को देखा, बहुत खुश हुई। महिला डॉक्टर ने बताया कि उसकी जान राहुल की वजह से बची है। सोनम ने राहुल से मिलने की इच्छा जताई। जब राहुल डिलीवरी वार्ड में आया, सोनम चौंक गई—“ये तो मेरे तलाकशुदा पति हैं!” डॉक्टर ने बताया, “इन्हीं ने तुम्हें ब्लड डोनेट किया है।”
सोनम की आंखों से आंसू बहने लगे। उसे एहसास हुआ कि उसने राहुल के साथ कितना गलत व्यवहार किया था। उसने राहुल के पैरों में गिरकर माफी मांगी। राहुल ने कहा, “तुम्हारे मां-बाप ने जैसा तुम्हें पाला, तुम वैसी ही बनी। इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। अब तुम्हारा बच्चा सुरक्षित है, तुम चिंता मत करो।”
सोनम फिर से रोने लगी। उसने राहुल से कहा, “अब मैं इस बच्चे को लेकर कहां जाऊंगी? मेरा कोई ठिकाना नहीं है। मुझे माफ कर दो, अपने साथ घर ले चलो।” राहुल ने कहा, “मैं तुम्हारे शौक पूरे नहीं कर सकता, तुम्हारे पापा हैं तुम्हारा ख्याल रखने के लिए।”
अर्जुन सिंह भी बहुत शर्मिंदा हुए। उन्होंने राहुल से विनती की, “बेटा, मेरी बेटी नादान है, लेकिन यह बच्चा तुम्हारा है। उसके खातिर मेरी बेटी को फिर से अपना लो।” राहुल सोच में पड़ गया, लेकिन आखिरकार समझदारी दिखाते हुए सोनम को अपने साथ रखने के लिए तैयार हो गया।
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद सोनम अपने पति के साथ घर चली आई। राहुल के माता-पिता भी खुश हुए। सोनम ने अपनी पुरानी आदतें छोड़ दीं और एक नई जिंदगी की शुरुआत की। अब वह अपने पति, बच्चे और सास-ससुर के साथ हंसी-खुशी रहने लगी।
कहानी से सीख
इस कहानी का मकसद किसी को दुख पहुंचाना नहीं है, बल्कि यह एक सीख है। आजकल कई महिलाएँ पैसे के घमंड में अपने पति का सम्मान नहीं करतीं, उनकी इच्छाओं को नहीं समझतीं। इस कहानी से सीख मिलती है कि परिवार में खुश रहने के लिए सबको समझदारी दिखानी चाहिए, ज्यादा डिमांड नहीं करनी चाहिए, सब कुछ मैनेज करना सीखना चाहिए। तभी परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
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