अनुराधा हत्याकांड: ममता का कत्ल और रिश्तों की दरिंदगी; शक की आग में झुलसी एक मासूम की रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तां

गोंडा/बस्ती, उत्तर प्रदेश। “रिश्ते जब रक्षक से भक्षक बन जाएं, तो समाज की नींव हिल जाती है।” उत्तर प्रदेश के गोंडा और बस्ती जिलों के बीच उलझी अनुराधा हत्याकांड की यह फाइल जब खुली, तो न केवल पुलिस के होश उड़ गए, बल्कि मानवता भी शर्मसार हो गई। यह कहानी एक ऐसी 22 साल की छात्रा की है, जिसे किसी बाहरी दुश्मन ने नहीं, बल्कि उसकी अपनी सगी माँ और भाई ने महज़ एक ‘मोबाइल फोन’ और ‘शक’ की खातिर मौत के घाट उतार दिया।

17 नवंबर की वो मनहूस सुबह: एक ‘ब्लाइंड’ मर्डर केस

17 नवंबर 2025 की सुबह, गोंडा जिले के तरबगंज थाना क्षेत्र में पीड़ी बंधा के सुनसान रास्ते पर ग्रामीणों को एक युवती की क्षत-विक्षत लाश मिली। लाश की हालत देखकर ऐसा लग रहा था कि किसी अज्ञात वाहन ने उसे बेरहमी से कुचल दिया है।

शुरुआत में पुलिस ने इसे एक साधारण ‘हिट एंड रन’ का मामला मानकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। युवती की पहचान के लिए गोंडा पुलिस ने सोशल मीडिया और आसपास के जिलों में फोटो साझा किए, लेकिन 12 दिनों तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा। मामला पूरी तरह ‘ब्लाइंड’ था।

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट: हादसे के पीछे की क्रूर हकीकत

जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, तो जांच की दिशा ही बदल गई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मौत केवल वाहन से कुचलने से नहीं हुई थी, बल्कि युवती को मरने से पहले बुरी तरह पीटा गया था। उसके शरीर और निजी अंगों पर चोटों के निशान थे। रिपोर्ट में मौत का कारण ‘हेमोरेजिक शॉक’ (अत्यधिक रक्तस्राव) बताया गया।

गोंडा के पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने इसे गंभीरता से लेते हुए पांच टीमें गठित कीं। तकनीक और मुखबिरों के जाल ने आखिरकार पुलिस को बस्ती जिले के परसा जागीर गांव तक पहुँचाया, जहाँ से अनुराधा नाम की लड़की 12 दिनों से गायब थी, लेकिन उसके परिवार ने पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई थी।

बोरी में बंद चीखें और चलती कार से ‘मौत का धक्का’

जब पुलिस अनुराधा के घर पहुँची, तो उसके भाई मनीष और माँ निर्मला के बयानों में विरोधाभास मिला। कड़ाई से पूछताछ करने पर जो सच निकला, उसने पुलिसकर्मियों की भी रूह कंपा दी।

वारदात की पूरी कड़ी:

    शक की चिंगारी: अनुराधा स्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। माँ निर्मला को शक था कि अनुराधा चोरी-छिपे किसी लड़के से फोन पर बात करती है। इसी बात को लेकर घर में अक्सर कलेश रहता था।

    हैवानियत की हद: उस रात बहस इतनी बढ़ी कि भाई मनीष ने अनुराधा को बेतहाशा पीटा। जब मन नहीं भरा, तो उसने अनुराधा के हाथ-पैर बांधे और उसे एक बोरे में भरकर रस्सी से कस दिया

    ममता की खामोशी: सबसे दर्दनाक यह था कि माँ निर्मला सब कुछ चुपचाप देख रही थी। उसने अपनी बेटी को बचाने के बजाय मनीष का साथ दिया।

    सफ़र-ए-मौत: मनीष ने बोरे में बंद अनुराधा (जो उस वक्त जिंदा थी) को अपनी कार की डिक्की में डाला। वह उसे अकबरपुर के ईंट-भट्ठों में फेंकना चाहता था, लेकिन रास्ता बंद होने के कारण वह गोंडा के तरबगंज इलाके की ओर निकल पड़ा।

साजिश का अंतिम प्रहार: बैक गियर और कुचली गई सांसें

रात के सन्नाटे में तरबगंज के सुनसान मार्ग पर पहुँचकर मनीष और उसके मामा के लड़के मुस्कान ने कार रोकी। उन्होंने बोरे का मुंह ढीला किया और चलती कार से अनुराधा को नीचे फेंक दिया। अनुराधा सड़क पर तड़प रही थी, उसकी साँसें चल रही थीं। लेकिन दरिंदगी यहीं नहीं रुकी। मनीष ने गाड़ी रोकी, उसे बैक गियर में डाला और तड़पती हुई अपनी ही बहन के ऊपर गाड़ी चढ़ाकर उसे हमेशा के लिए शांत कर दिया।

समाज के लिए एक आईना: कहाँ जा रहे हैं हम?

पुलिस ने अनुराधा की माँ निर्मला, भाई मनीष और चचेरे भाई मुस्कान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। गोंडा पुलिस की इस सूझबूझ के लिए उन्हें ₹25,000 का पुरस्कार भी दिया गया।

लेकिन यह केस केवल एक आपराधिक घटना नहीं है, यह हमारे समाज की विकृत मानसिकता का परिचायक है:

झूठी शान (Honor Killing): क्या एक मोबाइल फोन और बातचीत का शक इतना बड़ा अपराध है कि उसकी सजा मौत हो?

ग्रामीण मानसिकता: आज भी ग्रामीण इलाकों में बेटियों की स्वतंत्रता को शक की निगाह से देखा जाता है और ‘इज्जत’ के नाम पर उन्हें कुर्बान कर दिया जाता है।

नैतिक पतन: एक माँ का अपनी ही बेटी के कत्ल में शामिल होना रिश्तों के अंत की पराकाष्ठा है।

निष्कर्ष: अनुराधा आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी मौत हमारे सिस्टम और समाज से सवाल पूछ रही है। अगर हम अपनी बेटियों को घर के भीतर सुरक्षा नहीं दे सकते, तो बाहर की सुरक्षा का दावा खोखला है। अनुराधा को न्याय तभी मिलेगा जब समाज ऐसी संकुचित सोच को त्याग कर बेटियों को विश्वास का वातावरण देगा।

मैं आपके लिए आगे क्या कर सकता हूँ? क्या आप इस मामले के कानूनी पहलुओं या महिला अधिकारों और घरेलू हिंसा के खिलाफ सुरक्षा कानूनों पर विस्तृत जानकारी चाहते हैं?