अमन और सान्या की कहानी: जब घमंड ने सिखाया जिंदगी का सबसे बड़ा सबक
12वीं कक्षा का आखिरी दिन था। स्कूल के गलियारों में हर तरफ हलचल थी। बच्चे अपने भविष्य की योजनाओं पर चर्चा कर रहे थे। कोई इंजीनियर बनने का सपना देख रहा था, तो कोई डॉक्टर बनने का। हर किसी की आंखों में उम्मीदें और बड़े-बड़े सपने चमक रहे थे।
इन्हीं बच्चों के बीच था अमन। एक साधारण सा लड़का, जो हमेशा अपनी घिसी हुई यूनिफार्म और टूटे हुए जूतों में नजर आता था। अमन गरीब था, लेकिन उसकी आंखों में सपनों की एक अलग सी चमक थी। वह कुछ बड़ा करना चाहता था। कुछ ऐसा, जिससे वह दुनिया को दिखा सके कि मेहनत से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।
उसी क्लास में थी सान्या। शहर के बड़े बिजनेसमैन की बेटी। वह हमेशा ब्रांडेड कपड़ों में सजी-धजी रहती थी। उसके हाथ में लेटेस्ट स्मार्टफोन होता और उसके चारों ओर सहेलियों का समूह। सान्या की आदत थी लोगों को उनकी हैसियत के आधार पर आंकना। वह दूसरों को नीचा दिखाने में मजा लेती थी।
उस दिन लंच टाइम में अमन क्लास के एक कोने में बैठा था। उसने अपने टिफिन से सूखी रोटी और आलू की साधारण सब्जी निकाली। तभी सान्या अपनी सहेलियों के साथ हंसते-हंसते उसके पास आई। उसने जोर से कहा, “अरे देखो, हमारा फ्यूचर सीईओ खाना खा रहा है!”
उसकी आवाज इतनी तेज थी कि पूरी क्लास ने सुन लिया। सब ठहाके लगाने लगे। सान्या ने फिर मजाक उड़ाते हुए कहा, “क्या अमन, तू बड़ा आदमी बनेगा? इन फटे-पुराने कपड़ों और इस खाने से?” उसकी सहेलियां फिर जोर-जोर से हंसने लगीं।
अमन ने नजरें झुकाए रखीं और चुपचाप अपनी रोटी तोड़ता रहा। लेकिन उसकी आंखों में जो चमक थी, वह किसी को नहीं दिखी। वह चमक थी कुछ कर दिखाने की। अमन ने धीरे से कहा, “हां, सान्या। क्योंकि सपनों की कीमत कपड़ों से नहीं, मेहनत से तय होती है।”
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सान्या ने उसकी बात पर जोर से हंसते हुए कहा, “तेरा सपना और मेरी कार में जमीन-आसमान का फर्क है। पहले अपनी चप्पल तो ठीक कर ले!” पूरी क्लास फिर से हंस पड़ी। लेकिन अमन ने कुछ नहीं कहा। उसकी चुप्पी में एक आग थी।
सात साल बाद
समय बीत गया। सात साल बाद सब कुछ बदल चुका था। सान्या की जिंदगी अब वैसी नहीं रही। उसके पिता का बिजनेस डूब गया था। घर की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी थी। मां की बीमारी ने हालात और बिगाड़ दिए। रिश्तेदारों ने उनसे मुंह मोड़ लिया। वही सान्या, जो कभी अपने रुतबे पर इतराती थी, अब नौकरी के लिए दर-दर भटक रही थी।
एक दिन उसने एक बड़ी कंपनी में इंटरव्यू के लिए आवेदन किया। कंपनी का नाम था “स्पर्श टेक सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड”। ऑफिस देखकर सान्या की आंखें चमक उठीं। चमचमाती कांच की दीवारें, रिसेप्शन पर स्मार्ट स्टाफ, चारों ओर फैली प्रोफेशनल एनर्जी।

सान्या ने अपने पुराने लेकिन साफ-सुथरे फॉर्मल कपड़े पहने थे। हाथ में एक फोल्डर था, जिसमें उसका रिज्यूमे था। उसकी आंखों में डर था, थोड़ा आत्मसम्मान था और बहुत सारी मजबूरी थी।
रिसेप्शन पर उसने कहा, “हेलो, मेरा नाम सान्या है। मेरा आज 11 बजे इंटरव्यू है।” रिसेप्शनिस्ट ने मुस्कुराते हुए कहा, “जी मैम, आज इंटरव्यू खुद एमडी सर ले रहे हैं। आप वेटिंग रूम में बैठिए।”
सान्या की धड़कनें तेज हो गईं। इतने बड़े आदमी का इंटरव्यू! यह सोचकर उसकी हथेलियां पसीने से भीग गईं।
अमन से सामना
थोड़ी देर बाद एक असिस्टेंट आई और बोली, “मैम, चलिए। सर आपको बुला रहे हैं।” सान्या ने कांपते कदमों से केबिन की ओर बढ़ना शुरू किया। जैसे ही दरवाजा खुला, उसने अंदर कदम रखा। सामने बैठे शख्स को देखकर उसका दिल एक पल के लिए रुक गया।
ब्लैक सूट में आत्मविश्वास से चमकता चेहरा। वह चेहरा जाना-पहचाना था। सान्या ने दोबारा देखा। वह कोई और नहीं, अमन था। वही अमन, जिसे उसने स्कूल में मजाक का पात्र बनाया था। वही अमन, जिसे वह गरीब और छोटा समझती थी।
आज वही अमन इस चमचमाते ऑफिस का मालिक था। और सान्या उसकी नौकरी की उम्मीदवार।
सान्या के पैर जैसे जमीन में गढ़ गए। उसने अमन को फिर से देखा। अब वह उस स्कूल के साधारण लड़के जैसा नहीं था। उसमें एक अलग सी चमक थी। वह आत्मविश्वास, जो सालों की मेहनत और संघर्ष से आता है।
“बैठिए।” अमन ने बिना मुस्कुराए शांत स्वर में कहा।
सान्या ने खुद को संभाला और धीरे-धीरे कुर्सी पर बैठ गई। उसके होंठ सूख चुके थे और गला भारी हो रहा था।
सबक और माफी
अमन ने उसके रिज्यूमे की ओर देखते हुए कहा, “आपकी क्वालिफिकेशन ठीक है। लेकिन आजकल मार्केट में बहुत कंपटीशन है।”
सान्या ने धीरे से कहा, “मुझे बस एक मौका चाहिए। मैं किसी भी प्रोफाइल में काम करने को तैयार हूं।”
अमन ने कुछ पल चुप रहकर उसकी ओर देखा। फिर पूछा, “सान्या, क्या तुम मुझे पहचानती हो?”
सान्या का गला भर आया। उसने धीमी आवाज में कहा, “हां, मैं जानती हूं। तुम वही अमन हो।”
अमन ने कहा, “उस दिन की बात मैं नहीं भूल पाया। जब तुमने पूरे क्लास के सामने मेरा मजाक उड़ाया था। उसी दिन मैंने ठान लिया था कि मुझे कुछ बनकर दिखाना है। लेकिन सिर्फ बदला लेने के लिए नहीं, बल्कि खुद को साबित करने के लिए।”
सान्या की आंखों से आंसू बहने लगे। उसने कहा, “मुझे माफ कर दो, अमन। मैंने तब सिर्फ तुम्हारे कपड़े और हालत देखी थी। तुम्हारी मेहनत और सपनों को नहीं देखा।”
अमन ने गहरी सांस ली और कहा, “जिंदगी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। और सबसे बड़ी सीख यही है कि जो लोग तुम्हें नीचे गिराते हैं, वही तुम्हें उड़ना सिखाते हैं।”
नई शुरुआत
अमन ने कहा, “तुम्हें नौकरी चाहिए और तुम मेहनत करने को तैयार हो। तुम यह जॉब डिजर्व करती हो। लेकिन याद रखना, यह किसी एहसान की वजह से नहीं, बल्कि तुम्हें अपने काम से खुद को साबित करना है।”
सान्या ने आंसू पोंछे और पहली बार दिल से मुस्कुराई। उस मुस्कान में पछतावा था और साथ ही कृतज्ञता भी।
अगले सोमवार से सान्या ने ज्वाइन कर लिया। वह अब स्पर्श टेक सॉल्यूशंस की जूनियर ऑपरेशंस एग्जीक्यूटिव थी। हर दिन वह अपने अतीत की शर्मिंदगी और पछतावे को पीछे छोड़ने की कोशिश करती।
सीख
यह कहानी हमें सिखाती है कि जिंदगी में कभी किसी को छोटा मत समझो। मेहनत और आत्मविश्वास से हर इंसान अपनी पहचान बना सकता है। और सबसे बड़ी बात, माफी मांगने और देने की ताकत ही इंसान को सच्चा बनाती है।
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