कहानी: रामलाल की तन्हाई और धोखा

रामलाल, 62 साल का एक वृद्ध व्यक्ति, अपनी जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर था। उसकी पत्नी कई साल पहले ही इस दुनिया को छोड़ चुकी थी, और वह अकेलेपन की जिंदगी जी रहा था। उसका एक ही बेटा, आर्यन, सऊदी अरब में काम करता था और साल में एक बार ही घर आता था। घर में सिर्फ रामलाल और उसकी बहू पूजा रहते थे। पूजा भी अक्सर अकेलापन महसूस करती थी, लेकिन वह अपने ससुर का ख्याल रखती थी।

एक दिन, रामलाल ने पूजा से कहा, “बेटी, मैं अकेला रह-रह कर थक गया हूं। अब मैं दोबारा शादी करने का सोच रहा हूं।” पूजा हैरान रह गई और बोली, “ससुर जी, इस उम्र में आपसे कौन शादी करेगा? मैं आपके साथ हूं।” लेकिन रामलाल की तन्हाई उसे बहुत कचोटती थी। उसने पूजा से कहा, “तुम मेरे साथ हो, लेकिन दिल को खुश करने वाला कोई नहीं है।”

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पूजा ने रामलाल को आश्वासन दिया कि वह हमेशा उसके साथ रहेगी, लेकिन रामलाल की तन्हाई कम नहीं हुई। एक दिन, पूजा ने रामलाल को एक खास चाय दी, जिसमें उसने एक दवा मिलाई थी। रामलाल ने चाय पीते ही खुद को हल्का और खुश महसूस किया। उसे लगा जैसे उसकी जवानी वापस लौट आई हो।

कुछ दिन बाद, आर्यन ने फोन किया और कहा कि वह दो-तीन दिन में घर आ रहा है। यह सुनकर रामलाल खुश हो गया, लेकिन उसे यह भी डर था कि आर्यन उसकी शादी की योजना के बारे में क्या सोचेगा। जब आर्यन घर आया, तो रामलाल ने उसे अपनी नई योजनाओं के बारे में बताया। आर्यन ने गुस्से में कहा, “आप इस उम्र में शादी की बात कर रहे हैं? यह सब क्या है?”

रामलाल ने सख्त लहजे में उत्तर दिया, “यह मेरी जिंदगी है, मेरी मर्जी है।” आर्यन ने चुपचाप सुन लिया, लेकिन वह चिंतित था। रामलाल ने अपनी नई पत्नी रिया से शादी कर ली और उसे घर ले आया। आर्यन और पूजा ने एक-दूसरे को देखा और हैरान रह गए।

कुछ दिन बाद, रिया ने रामलाल को होटल में खाने के लिए ले जाने की योजना बनाई। वह हर दिन नए नखरे करती, और रामलाल उसे खुश रखने के लिए पैसे खर्च करता रहा। आर्यन ने अपनी पत्नी पूजा से कहा, “यह लड़की पिताजी को बर्बाद कर देगी।” पूजा ने सहमति जताई, लेकिन रामलाल ने उनकी बातों को नजरअंदाज किया।

एक दिन, रिया ने रामलाल को चाय में बेहोशी की दवा मिलाकर उसे बेहोश कर दिया। जब रामलाल की आंखें खुलीं, तो उसने देखा कि रिया और उसका सारा पैसा गायब था। उसने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन इंस्पेक्टर ने उसे समझाया कि यह सब एक धोखा था।

रामलाल को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अपने बेटे आर्यन को फोन किया और कहा, “बेटा, मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हारे साथ नाइंसाफी की।” लेकिन आर्यन ने कहा, “पिताजी, अब हमें आपकी किसी नई शादी या धोखे की कहानी से कोई मतलब नहीं।”

रामलाल ने सोचा कि उसने अपनी जवानी के लालच में अपने बेटे और बहू को खो दिया। वह अकेला रह गया और दिल में पछतावा लिए बैठा रहा। उसे समझ में आया कि असली सहारा अपने परिवार का होता है, न कि किसी बाहरी व्यक्ति का।

इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि रिश्तों की अहमियत को समझना चाहिए। दौलत और जवानी का लालच कभी-कभी हमें अंधा कर देता है, और हम अपने प्रियजनों को भूल जाते हैं। रामलाल की कहानी यह बताती है कि असली खुशी अपने परिवार में होती है, और जो अपने रिश्तों को छोड़ देता है, वह अंत में अकेला रह जाता है।