अनन्या की कहानी: जब साड़ी और सादगी ने बदल दी सोच

एक छोटे से शहर की रहने वाली अनन्या, लाल साड़ी में सजी हुई, शहर की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट इमारत के सामने खड़ी थी। उसके हाथ में एक फाइल थी, जिसमें उसके सपने और मेहनत के सालों का निचोड़ था। उसने गहरी सांस ली, पल्लू ठीक किया और आत्मविश्वास के साथ इमारत के अंदर कदम रखा।

रिसेप्शन पर बैठी दो लड़कियों ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा। एक ने दूसरी कोहनी मारते हुए मजाक में कहा, “लगता है किसी क्लाइंट की मम्मी आ गई हैं।” दूसरी ने हंसते हुए कहा, “या फिर टिफिन डिलीवरी लेकर आई हैं।”

अनन्या ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया। वह जानती थी कि उसकी सादगी और साड़ी को देखकर लोग उसे जज करेंगे। रिसेप्शनिस्ट ने बिना मुस्कुराए पूछा, “आप किससे मिलने आई हैं?” अनन्या ने शांत स्वर में जवाब दिया, “मैं इंटरव्यू के लिए आई हूं।” रिसेप्शनिस्ट ने उसे एक फॉर्म थमाते हुए कहा, “बैठिए, एचआर आपको बुलाएगा। लेकिन अगली बार थोड़ा प्रोफेशनल कपड़े पहनकर आइएगा।”

अनन्या वहां बैठ गई। उसके सामने दीवार पर सीईओ की तस्वीर लगी थी। सूट में सजे-धजे, आत्मविश्वास से भरे हुए। वह जानती थी कि यह दुनिया उसकी नहीं थी, लेकिन वह इसे बदलने का सपना लेकर आई थी।

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इंटरव्यू रूम में अपमान

थोड़ी देर बाद उसे अंदर बुलाया गया। कांच के दरवाजे के पार एक बड़ा कमरा था, जिसमें पांच लोग बैठे थे। उनके चेहरों पर गंभीरता से ज्यादा अविश्वास झलक रहा था।

एचआर हेड, जो एक सख्त चेहरे वाली महिला थी, ने अनन्या की फाइल उठाई और कहा, “क्या आपने मैनेजर की पोस्ट के लिए आवेदन किया है?” उसकी आवाज में सवाल कम और तंज ज्यादा था।

अनन्या ने शांत स्वर में कहा, “जी, मैंने ही आवेदन किया है।”

महिला ने फाइल बिना देखे टेबल पर पटक दी। एक पुरुष अधिकारी ने तंज भरे लहजे में कहा, “यह पोस्ट क्लाइंट्स के सामने जाने वाली है। आपको इसकी जानकारी है?”

अनन्या ने आत्मविश्वास से कहा, “जी, मैंने पहले भी ऐसे प्रोजेक्ट संभाले हैं।” लेकिन उसकी बात को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया।

एक अन्य अधिकारी ने फाइल खोली और मजाक में कहा, “पूरा विवरण हिंदी में? आजकल तो बच्चे भी स्कूल प्रोजेक्ट्स अंग्रेजी में बनाते हैं।” कमरे में हंसी की लहर दौड़ गई।

अनन्या ने यह सब सुना, लेकिन उसकी गर्दन सीधी रही। उसने अपनी फाइल आगे बढ़ाई, जिसमें उसके प्रोजेक्ट्स का विवरण था। लेकिन किसी ने उसे पढ़ने की कोशिश भी नहीं की।

एचआर हेड ने हंसते हुए कहा, “हे भगवान! यह सब तो हाथ से लिखा हुआ है।”

एक अन्य सदस्य ने चुटकी लेते हुए कहा, “अगर विदेशी क्लाइंट से बात करनी पड़े तो क्या आप दुभाषिया लाएंगी?”

हंसी फिर से गूंज उठी। अनन्या ने पल भर के लिए आंखें बंद कीं। उसने महसूस किया कि उसे देखा तो जा रहा है, लेकिन उसकी काबिलियत को कोई नहीं देख रहा।

तिरस्कार और ठान

इंटरव्यू खत्म होने से पहले एचआर हेड ने कहा, “धन्यवाद, अनन्या। हम आपको सूचित करेंगे। लेकिन अगली बार कृपया प्रोफेशनल कपड़े पहनकर और बेहतर तैयारी के साथ आइएगा।”

अनन्या ने फाइल वापस ली। उसमें उसके सपने थे, लेकिन अब वह चुप्पी ज्यादा बोल रही थी। उसने सिर झुकाया, कुछ नहीं कहा, और दरवाजे की ओर बढ़ गई।

पीछे से एचआर हेड की आवाज आई, “आप जैसे कैंडिडेट्स की वजह से सीरियस लोगों का समय बर्बाद होता है। साड़ी में प्रोफेशनलिज्म नहीं दिखता।”

अनन्या रुक गई। उसने मुड़कर उनकी ओर देखा, लेकिन कुछ नहीं कहा। वह बाहर निकल गई।

बाहर निकलते समय उसने खुद से कहा, “इन्हें लगता है कि मैं हार कर जा रही हूं। इन्हें नहीं पता कि मैं अभी शुरू हुई हूं।”

सात दिन बाद: बदले की नहीं, बदलाव की शुरुआत

सात दिन बाद वही कांच की इमारत, वही सिक्योरिटी गार्ड, वही बड़ी-बड़ी गाड़ियां। लेकिन इस बार माहौल अलग था।

कंपनी के सभी विभागों को एक मेल मिला था। “आज 11 बजे बोर्ड मीटिंग है। सभी की उपस्थिति अनिवार्य है।”

ऑफिस में खलबली मच गई। दसवीं मंजिल के ऑडिटोरियम में हर कोई जमा हो गया।

तभी दरवाजा खुला। लाल बनारसी साड़ी में अनन्या अंदर दाखिल हुई। उसके साथ एक बुजुर्ग पुरुष थे, जिनका नाम था राजनाथ सूर्यवंशी। वह देश के सबसे बड़े निवेशकों में से एक थे।

ऑडिटोरियम में सन्नाटा छा गया। सभी हैरान थे।

अनन्या ने मंच पर कदम रखा। उसने माइक उठाया और कहा, “आप सब सोच रहे होंगे कि मैं यहां क्यों हूं। मैं आपको याद दिलाना चाहती हूं कि एक हफ्ते पहले मैं इसी ऑफिस में इंटरव्यू देने आई थी। लेकिन मुझे मेरी काबिलियत से नहीं, मेरे कपड़ों और भाषा से जज किया गया।”

उसने आगे कहा, “आज मैं यहां बदला लेने नहीं, बदलाव लाने आई हूं। ताकि कोई और लड़की यहां से सिर झुकाकर बाहर न जाए।”

राजनाथ सूर्यवंशी खड़े हुए और कहा, “आज से यह कंपनी नई सोच के साथ काम करेगी। हम लोगों को उनके कपड़ों, भाषा या बैकग्राउंड से नहीं, उनकी काबिलियत से परखेंगे।”

अनन्या की जीत

उस दिन अनन्या ने न सिर्फ एक कंपनी, बल्कि एक सोच को बदल दिया। उसने सिखाया कि सच्चाई और मेहनत की आवाज को कोई दबा नहीं सकता।

यह कहानी हर उस इंसान की है, जिसे कभी उसकी सादगी, भाषा या कपड़ों के कारण कम आंका गया। अनन्या ने साबित कर दिया कि सपनों को सच करने के लिए आत्मविश्वास और मेहनत ही सबसे बड़ा हथियार है।