💔 धर्मेंद्र की मौत और 10 मिनट का दर्द: हेमा मालिनी ने रात के अंधेरे में क्यों माँगी सलमान खान से मदद?

 

मुंबई: बॉलीवुड के ‘ही-मैन’ और लीजेंड्री एक्टर धर्मेंद्र देओल अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके निधन से पूरी इंडस्ट्री सदमे में थी, लेकिन उनके परिवार के भीतर का बरसों पुराना बँटवारा एक बार फिर सतह पर आ गया।

धर्मेंद्र जी का अंतिम संस्कार आनन-फ़ानन में कर दिया गया। अंतिम दर्शन के लिए लाखों लोग उमड़े, और इस भीड़ के बीच, धर्मेंद्र की दूसरी पत्नी हेमा मालिनी अपनी बेटी ईशा देओल के साथ पहुँचीं।

मगर वहाँ जो हुआ, उसने सबको चौंका दिया। हेमा मालिनी और ईशा देओल सिर्फ़ 10 मिनट ही अंतिम संस्कार में रुक पाईं। 10 मिनट… और फिर उन्हें वहाँ से आनन-फानन में जाना पड़ा।

सभी के मन में सवाल था: अपनी ज़िंदगी के सबसे आख़िरी पलों में भी, आख़िर क्यों एक पत्नी और बेटी को अपने पति/पिता के अंतिम संस्कार से इतनी जल्दी लौटना पड़ा?

10 मिनट का अपमान और बरसों का बैर

 

जवाब साफ़ था: सनी देओल और बॉबी देओल

देओल परिवार का बरसों पुराना बैर एक बार फिर सामने आया। सनी और बॉबी बिल्कुल नहीं चाहते थे कि उनकी सौतेली माँ हेमा मालिनी, और उनकी दोनों बेटियाँ (ईशा और अहाना), उनके पिता के अंतिम संस्कार के वक्त वहाँ मौजूद रहें।

हेमा मालिनी, जो क़ानूनी तौर पर धर्मेंद्र जी की पत्नी थीं, उनका हक छीना गया। उन्हें न सिर्फ़ अंतिम संस्कार के दौरान शामिल नहीं किया गया, बल्कि उन्हें वहाँ से निकलने पर मजबूर कर दिया गया। परिवार—यानी सनी और बॉबी—बिल्कुल नहीं चाहते थे कि हेमा और उनकी बेटियों का साया भी उनके पिता के ऊपर पड़े।

सनी और बॉबी के दिल में हेमा और उनकी बेटियों के प्रति प्यार की जगह बरसों से नाराज़गी और दर्द भरा था। उन्हें हमेशा लगा कि उनकी माँ, प्रकाश कौर, के साथ ग़लत हुआ है। उनकी माँ ने जीवन भर धर्मेंद्र जी से प्यार किया, और जब उनके पिता किसी और के साथ ‘प्यार लुटा रहे’ थे, तो बॉबी और सनी को गुस्सा आना स्वाभाविक था। यह गुस्सा 40 साल से उनके दिल में जमा था, और इस दुख की घड़ी में वह बैर एक बार फिर हावी हो गया।

हेमा मालिनी ने चुपचाप यह अपमान सहा। उन्हें पता था कि वह इस बैर की वजह बनी हैं, इसलिए उन्होंने कोई हंगामा नहीं किया और ईशा के साथ चुपचाप वहाँ से चली गईं। लेकिन उन्हें अपनी बेटियों का अपमान बर्दाश्त नहीं था।

आधी रात को सलमान खान के घर का सफ़र

 

अंतिम संस्कार के बाद, जब सारी दुनिया सो रही थी, तब हेमा मालिनी ने एक बड़ा क़दम उठाया। रात के अंधेरे में, वह सीधे सुपरस्टार सलमान खान के घर पहुँचीं।

सवाल था: धर्मेंद्र के गुज़रने के बाद, हेमा मालिनी क्यों गईं सलमान के पास?

इसका जवाब रिश्तों की गहराई में छिपा है। सलमान खान, धर्मेंद्र जी के भी बहुत क़रीब थे, और सनी-बॉबी-करण देओल के भी अच्छे दोस्त रहे हैं। धर्मेंद्र जी सलमान खान को अपने बेटे जैसा मानते थे, और सलमान का मुक़ाम इंडस्ट्री में इतना ऊँचा था कि उनकी बात का वजन देओल परिवार में भी था।

हेमा मालिनी भी सलमान को बरसों से जानती थीं। उनके लिए सलमान एक ऐसा पुल थे, जो उन्हें देओल परिवार के ‘पुरुषों’ से जोड़ सकता था।

आधी रात को सलमान के घर पहुँचकर, हेमा जी ने अपने दिल का दर्द खोलकर रख दिया। उन्होंने सलमान से रिक्वेस्ट किया कि उनकी बेटियों—ईशा और अहाना—का हक छीना जा रहा है। उनकी बेइज्जती की गई, और उन्हें अपने पिता के अंतिम दर्शन ठीक से नहीं करने दिए गए।

हेमा जी की आँखें नम थीं। उन्होंने सलमान से कहा: “सलमान, मेरी बेटियाँ अपने पापा से बहुत प्यार करती थीं। अगर उनके पापा आज ज़िंदा होते, तो वह कभी अपनी बेटियों को इस तरह टूटने नहीं देते। मैं आपसे गुज़ारिश करती हूँ कि आगे आने वाले जो भी रस्में (रिचुअल्स) हैं, उनके लिए आप सनी और बॉबी से बात करें। हमें आने की अनुमति दिलवाएँ।”

हेमा जी जानती थीं कि इस समय केवल सलमान ही हैं, जो सनी और बॉबी के दिल को छू सकते हैं। उन्हें पूरा विश्वास था कि सलमान इस मुश्किल घड़ी में उनकी मदद ज़रूर करेंगे।

सलमान खान ने हेमा जी की बात को बहुत ध्यान से सुना। वह समझ गए थे कि हेमा जी किस दर्द से गुज़र रही हैं—एक पत्नी और माँ के दर्द से।

सलमान ने तुरंत इस पर अपना फ़ैसला सुनाया: “हेमा जी, मैं आपकी मदद ज़रूर करूँगा। यह सही नहीं हुआ है।”

यह बात निकलकर सामने आई कि सलमान ने अगले ही दिन सनी और बॉबी से इस बारे में बात करने का फ़ैसला किया, ताकि आगामी रस्मों में हेमा मालिनी और उनकी दोनों बेटियाँ शामिल हो सकें।

दुश्मनी और दर्द के पीछे का सच

 

इस पूरी घटना के पीछे न तो सनी देओल पूरी तरह ग़लत थे, और न ही हेमा मालिनी।

हेमा मालिनी का पक्ष: हेमा जी से ग़लती ज़रूर हुई (शादी करना), लेकिन उन्होंने धर्मेंद्र जी की पहली पत्नी और उनके परिवार का हमेशा मान रखा। उन्होंने कभी भी प्रकाश कौर के प्राइवेट स्पेस में दखलअंदाज़ी नहीं की और न ही कोई डिस्टर्बेंस पैदा किया। वह पूरे समय धर्मेंद्र जी की पहली पत्नी के परिवार का सम्मान करती रहीं। उन्हें केवल अपनी बेटियों का हक चाहिए था—अपने पिता को अंतिम विदाई देने का हक।

सनी और बॉबी का पक्ष: उनके मन में केवल एक ही दर्द था: उनकी माँ (प्रकाश कौर) के साथ ग़लत हुआ है। उन्होंने अपनी माँ को जीवन भर धर्मेंद्र जी से दूर रहने का दर्द सहते हुए देखा है। उन्हें लगा कि अगर उनके पिता किसी और के साथ ‘प्यार बाँट रहे’ हैं, तो यह उनकी माँ के प्रति अन्याय है। इस दर्द को देखकर ही सनी और बॉबी ने इतने सालों तक दूरी बनाए रखी और अंतिम संस्कार के वक्त भी उनका गुस्सा फूट पड़ा।

टूटे रिश्ते और एक पुल की ज़रूरत

 

सलमान खान अब इस टूटे हुए पुल पर खड़े थे। उनका फ़ैसला बहुत अहम था। क्या वह अपने दोस्त सनी और बॉबी को समझा पाएँगे कि इस दुख की घड़ी में, पिता की याद में, सभी बच्चों का अपने पिता को अंतिम विदाई देना ज़रूरी है? क्या वह उन्हें यह याद दिला पाएँगे कि बरसों पुराना बैर अब ख़त्म कर देना चाहिए?

हेमा मालिनी ने सही इंसान के पास जाकर एक बहुत बड़ा दाँव खेला था। अब पूरी उम्मीद सलमान पर टिकी थी कि वह देओल परिवार के पुरुषों के मन में सहानुभूति और रिश्ते की अहमियत जगाएँ।

अगर सलमान कामयाब होते हैं, तो हेमा मालिनी और उनकी बेटियाँ आने वाले रिचुअल्स में नज़र आ सकती हैं। उनकी दोनों बेटियाँ अपने पिता से बहुत प्यार करती थीं, और उन्हें अपने पिता के गुज़रने के बाद भी उनसे जुड़े रहने का हक मिलना चाहिए।

यह कहानी केवल धर्मेंद्र के निधन की नहीं थी, बल्कि उस भावनात्मक संघर्ष की थी जो दशकों से बॉलीवुड के एक सबसे बड़े परिवार के भीतर चल रहा था। यह संघर्ष था—प्यार, सम्मान, और बरसों पुराने दर्द के बीच का।

(दोस्तों, आप इस बारे में क्या कहेंगे? सलमान ने जो फ़ैसला किया कि वह सनी और बॉबी से बात करेंगे, इस पर आपकी क्या राय है? कमेंट के थ्रू आप हमें यह बात ज़रूर बताएँ। और ज़्यादा अपडेट्स के लिए, क्विक टीवी न्यूज़ को सब्सक्राइब करना न भूलें।)