💔 अंतिम विदाई में सबसे बड़ी नाइंसाफ़ी: हेमा मालिनी और ईशा देओल सिर्फ़ 2 मिनट में क्यों निकल गईं?

 

मुंबई, 89 साल की उम्र: बॉलीवुड के ‘ही-मैन’ धर्मेंद्र देओल ने अंतिम साँस ली। उनके जाने से पूरा देश शोकाकुल था, लेकिन उनके अंतिम संस्कार के ग्राउंड में जो हुआ, वह हैरान कर देने वाला और दिल तोड़ देने वाला था।

धर्मेंद्र की दूसरी पत्नी हेमा मालिनी जब अपनी बेटी ईशा देओल के साथ अंतिम दर्शन के लिए पहुँचीं, तो वहाँ उनके साथ एक ऐसी नाइंसाफ़ी हुई जिसके बाद वह और ईशा 2 मिनट भी नहीं रुक पाईं। जिस ग्राउंड में धर्मेंद्र जी की अंतिम विदाई हो रही थी, वहाँ से दोनों चुपचाप अपनी गाड़ी में बैठीं और सीधे चली गईं।

सवाल यह था: आख़िर किसने की यह नाइंसाफ़ी, और क्यों एक पत्नी अपने पति के अंतिम संस्कार के दौरान वहाँ मौजूद नहीं रह पाई?

पत्नी का धर्म और पहली पत्नी का हक़

 

धर्मेंद्र जी की मौत के बाद, अंतिम संस्कार के सारे महत्वपूर्ण रस्मों को उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर ने अपने पूरे परिवार के साथ निभाया। प्रकाश कौर, जो धर्मेंद्र की पहली साथी थीं, उन्होंने पत्नी होने का धर्म पूरी शिद्दत से निभाया।

हेमा मालिनी ने 1980 में धर्मेंद्र से शादी की थी। यह वह शादी थी जो पूरी दुनिया के ख़िलाफ़ जाकर की गई थी। हेमा जी ने उस वक्त यह कसम खाई थी कि वह कभी भी प्रकाश कौर का सामना नहीं करेंगी।

लेकिन आज, धर्मेंद्र जी के गुज़रने के बाद, उन्हें प्रकाश कौर का सामना करना पड़ा। प्रकाश कौर अपने पूरे परिवार—सनी, बॉबी, और उनकी बहनों—के साथ उसी ग्राउंड में मौजूद थीं।

हेमा मालिनी, धर्मेंद्र जी को आख़िरी बार देखने के लिए रोती हुई आगे बढ़ रही थीं, लेकिन उन्हें रोक दिया गया।

रिचुअल्स के नाम पर अपमान

 

ग्राउंड में पंडित जी पूरे रीति-रिवाजों और मंत्रोच्चार के साथ धर्मेंद्र जी की अंतिम विदाई दे रहे थे। यह पूरी विदाई पंजाबी स्टाइल में, एक ‘हीरो’ के माफ़िक दी जा रही थी।

जब पंडित जी ने रस्में कराने के लिए पत्नी को बुलाया, तो देओल परिवार ने बिना किसी देरी के प्रकाश कौर को आगे कर दिया।

दूर खड़ी हेमा मालिनी यह सब देखती रहीं। उनके पास भी नहीं जाया गया, और उन्हें सिर्फ़ दूर से धर्मेंद्र जी का चेहरा दिखाया गया। उन्हें धर्मेंद्र जी के पास, एक पत्नी के तौर पर, अंतिम वक्त में रहने नहीं दिया गया।

हेमा मालिनी यह सब देखकर फूट-फूट कर रोने लगीं। उनकी आँखों में दर्द, अपमान और टूटे हुए रिश्ते का सारा बोझ साफ़ झलक रहा था।

यह सब देखकर वहाँ मौजूद बॉलीवुड के छोटे-बड़े हर स्टार सन्न रह गया। सभी को लगा कि एक पत्नी के साथ यह सबसे बड़ी नाइंसाफ़ी थी, क्योंकि वह चाहती थीं कि अंतिम बार वह अपनी पत्नी होने का धर्म निभा जाएँ।

ईशा का दर्द और हेमा का फ़ैसला

 

धर्मेंद्र जी को दूसरी शादी से दो बेटियाँ हैं: ईशा देओल और अहाना देओल

ईशा देओल अपनी माँ के साथ वहाँ मौजूद थीं। अपनी माँ के साथ यह अपमान होता देखकर ईशा भी बहुत दुखी हुईं। वह अपने पिता को अंतिम विदाई देना चाहती थीं, लेकिन परिवार के बैर के सामने वह बेबस थीं।

इतनी बड़ी बेइज्जती और नाइंसाफ़ी हेमा मालिनी से बर्दाश्त नहीं हुई। जैसे ही अंतिम संस्कार की विदाई शुरू होने वाली थी, हेमा मालिनी ने तुरंत वहाँ से निकलने का फ़ैसला किया।

वह सीधे अपनी कार की तरफ़ बढ़ीं। वहाँ मौजूद सारे मीडिया कैमरे और लोगों की निगाहें उन पर टिकी थीं। हेमा मालिनी ने अपने सिर पर दुपट्टा ओढ़ रखा था और वह फूट-फूट कर रो रही थीं। वह कार में बैठीं और ईशा देओल के साथ सीधे वहाँ से निकल गईं।

सिर्फ़ दो मिनट का सामना… और फिर हमेशा के लिए दूर।

माफ़ी और बैर की दीवार

 

यह बात तो कही जाती है कि प्रकाश कौर ने धर्मेंद्र जी को माफ़ कर दिया था। लेकिन, धर्मेंद्र जी का बाक़ी पूरा परिवार—सनी और बॉबी—ने कभी भी हेमा मालिनी को माफ़ नहीं किया।

सनी और बॉबी के मन में यह बात हमेशा रही कि हेमा मालिनी की वजह से उनकी माँ (प्रकाश कौर) को जीवन भर दुख और अकेलापन सहना पड़ा। उनका गुस्सा जायज़ था, क्योंकि एक बेटा अपनी माँ के दर्द को नहीं देख सकता।

हेमा मालिनी भी यह बात अच्छी तरह जानती थीं। वह जानती थीं कि वहाँ उनका कोई सम्मान नहीं होगा, और वह कहीं न कहीं यह भी समझती थीं कि उन्होंने प्रकाश कौर के साथ ग़लत किया है। यही वजह थी कि वह 40 साल तक प्रकाश कौर से मिलने और उनके सामने जाने से बचती रहीं।

हेमा मालिनी ने उस वक्त भी प्रकाश कौर के प्राइवेट स्पेस पर दख़ल नहीं दिया था, और आज अंतिम संस्कार में भी, परिवार के क्लैश के डर से, उन्हें वहाँ से जाना पड़ा।

धर्मेंद्र जी की अंतिम विदाई में यह नाइंसाफ़ी एक बार फिर साबित कर गई कि बरसों पुराना बैर और बँटवारा, प्यार और सम्मान की भावना पर भारी पड़ गया। एक पत्नी, एक माँ, को अपने पति और पिता को अंतिम विदाई देने का हक़ भी नहीं मिला।

(दोस्तों, आप इस पर क्या कहेंगे? क्या हेमा मालिनी के साथ यह नाइंसाफ़ी सही थी? क्या उन्हें पत्नी होने के नाते अंतिम रस्में निभाने का हक़ मिलना चाहिए था? कमेंट के थ्रू आप हमें यह बात ज़रूर बताएँ। और ज़्यादा अपडेट्स के लिए, चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें।)