एक आईपीएस अफसर की अनोखी कहानी

शहर की सड़क पर शाम का धुंधलका तेजी से फैल रहा था। आसमान में बादल छाए हुए थे और हल्की फुहारें गिर रही थीं। सड़क पर इक्का-दुक्का गाड़ियां गुजर रही थीं, और कुछ लोग चाय के ठेलों पर खड़े होकर बातें कर रहे थे। इसी बीच, एक भिखारी फटे पुराने कपड़ों में, धूल और पसीने से सने चेहरे के साथ, राहगीरों की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा था। यह भिखारी किसी और का नहीं, बल्कि एक आईपीएस अफसर की खोई हुई पहचान का प्रतीक था।

इसी समय, एक लाल बत्ती वाली सरकारी गाड़ी तेजी से आई। गाड़ी के अंदर एक महिला बैठी थी, जो इस जिले की आईपीएस अफसर थी। अचानक, भिखारी लड़खड़ाते हुए गाड़ी के सामने आ गया। ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारा और गाड़ी रुक गई। महिला अफसर ने गुस्से में कहा, “यह बीच सड़क में कौन आ गया?” लेकिन जैसे ही उसकी नजर भिखारी पर पड़ी, उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। सामने जो आदमी भीख मांग रहा था, वह उसका पति था।

महिला अफसर को याद आया कि उसने अपने पति के साथ कितने सपने देखे थे। शादी के कुछ साल बाद, जब उसके पति का व्यवसाय डूबने लगा, तब वह अचानक गायब हो गया। महीनों तक उसकी खोजबीन की गई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। समाज ने उसे मरा हुआ मान लिया, लेकिन उसने हमेशा अपने पति की वापसी की उम्मीद रखी।

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अब, वह भिखारी उसके सामने था, लेकिन उसकी हालत देखकर उसका दिल टूट गया। अफसर ने ड्राइवर को रोकने का इशारा किया और धीरे-धीरे भिखारी की ओर बढ़ी। भिखारी की आंखों में पहचान की एक किरण चमकी, लेकिन वह कुछ बोल नहीं सका। महिला अफसर ने उससे पूछा, “तुम यहां इस हालत में क्या कर रहे हो?” उसकी आवाज भर्रा गई। भिखारी ने कहा, “मैं तुम्हें बताना चाहता था, लेकिन…” और फिर वह चुप हो गया।

महिला अफसर ने उसे गाड़ी में बैठाने का आदेश दिया। वह थकान और भूख से लाचार था, लेकिन उसने गाड़ी में बैठने से हिचकिचाया। गाड़ी में बैठते ही बदबू फैल गई, लेकिन महिला अफसर को इससे ज्यादा अपने दिल का दर्द चुभ रहा था।

गाड़ी सरकारी गेस्ट हाउस पहुंची, जहां महिला अफसर ने अपने पति को एक कमरे में ले जाकर साफ कपड़े और खाना देने का आदेश दिया। पति ने नहा धोकर नए कपड़े पहने और थोड़ी बहुत पहचान में आने लगा। लेकिन महिला अफसर के मन में सवालों का सैलाब उमड़ रहा था। उसने पूछा, “तुम इतने साल कहां थे? तुमने लौटकर मुझे क्यों नहीं बताया?”

भिखारी ने कहा, “मैं फंस गया था। मुझे किडनैप कर लिया गया था।” यह सुनकर महिला अफसर सन्न रह गई। उसने सोचा नहीं था कि कहानी इतनी उलझी होगी। भिखारी ने बताया कि उसने कई सालों तक उन अपराधियों के साथ रहकर नशे की लत में फंस गया था।

महिला अफसर ने गहरी सांस ली और कहा, “तुम्हें पता है मैंने क्या-क्या झेला है? सब ने मुझे दोषी ठहराया।” भिखारी ने सिर झुका लिया और कहा, “मैं जानता हूं, मैं दोषी हूं, लेकिन मैंने मजबूरी में गलतियां कीं।”

महिला अफसर ने तय किया कि वह अपने पति की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। उसने अपने गार्ड को आदेश दिया कि उसकी सुरक्षा पक्की रखी जाए। कुछ दिनों बाद, महिला अफसर को पता चला कि एक खतरनाक गिरोह फिर से सक्रिय हो गया है। उसने अपने पति से कहा, “अगर मैं उस गिरोह के खिलाफ एक्शन लूं तो तुम साथ दोगे?” पति ने डरते हुए कहा, “वे मुझे मार देंगे।”

महिला अफसर ने कहा, “मैं कानून हूं। अगर कोई मुझे धमकी देगा, तो मैं उसे मिटा दूंगी।” पति ने कहा, “तुम नहीं जानते वे कितने खतरनाक हैं।”

महिला अफसर ने तय किया कि वह खुद इस गिरोह का सच पता करेगी। उसने ऑपरेशन की योजना बनाई। ऑपरेशन सफल रहा और गिरोह खत्म हो गया। लेकिन अब उसे अपने पति का सामना करना था।

महिला अफसर ने कहा, “तुमने उन सालों में अपराध किया। लेकिन मैं तुम्हें माफ नहीं कर सकती।” पति ने कहा, “मैं जानता हूं, मैं दोषी हूं, लेकिन मैंने मजबूरी में गलतियां कीं।”

महिला अफसर के दिल में संघर्ष चल रहा था। क्या वह अपने पति को माफ कर सकती है या उसे कानून के कटघरे में खड़ा करना पड़ेगा? उसने गहरी सांस ली और कहा, “तुम्हें अपनी गलती का सामना करना होगा।”

आखिरकार, पति ने अदालत में गवाही दी और अपने अपराधों के बारे में बताया। उसे कुछ साल की सजा हुई, लेकिन महिला अफसर ने उसे अपने पति के रूप में स्वीकार किया।

इस तरह, उनकी कहानी एक नई शुरुआत की ओर बढ़ी। महिला अफसर ने अपने पति को फिर से अपनाया, लेकिन अब दोनों के बीच एक मजबूत रिश्ता था। उन्होंने मिलकर एक नई जिंदगी शुरू की, जहां प्यार, विश्वास और सच्चाई की नींव थी।

इस कहानी ने साबित कर दिया कि जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन सच्चे प्यार और मेहनत से हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है।