मंदिर में भंडारा और भीख मांगती तलाकशुदा पत्नी: जिंदगी की सबसे बड़ी भूल

शहर के सबसे बड़े मंदिर में आज भव्य भंडारा था। हर तरफ खुशियां थीं, लोग दान कर रहे थे, प्रसाद खा रहे थे और “जय श्री राम” के नारे गूंज रहे थे। इसी भीड़ में एक शख्स था, जिसकी आंखों में सुकून और चेहरे पर गर्व साफ झलक रहा था। उसका नाम था राघव। उसने अपनी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा लगाकर यह भंडारा करवाया था। लोगों की दुआएं सुनकर उसे लग रहा था कि आज उसने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती को सुधार दिया है।

लेकिन तभी अचानक एक धीमी, कांपती आवाज उसके कानों में पड़ी, “बाबूजी, कुछ दे दो… दो दिन से कुछ नहीं खाया।” राघव ने देखा, एक औरत फटे हुए कपड़ों में, कमजोर और बेबस, कटोरा लिए उसके पास खड़ी थी। उसकी नजर कटोरे से होते हुए उस औरत के चेहरे पर गई और उसकी दुनिया एक पल के लिए ठहर गई। वह चेहरा… वह दर्द… क्या यह वही है? उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। यह कोई और नहीं, उसकी तलाकशुदा पत्नी प्रिया थी। वह प्रिया, जो कभी उसके घर की रानी थी, आज भीख मांग रही थी।

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राघव के मन में हजारों सवाल उठने लगे। प्रिया ने कभी उससे झगड़ा किया था, उसे छोड़कर चली गई थी। आज इतनी लाचार क्यों थी? राघव को लगा जैसे किसी ने उसके सीने में बर्फ का टुकड़ा रख दिया हो। उसने खुद को संभाला और धीरे से उस औरत के पास गया। प्रिया ने उसे नहीं पहचाना। उसके लिए राघव बस एक अनजान शख्स था जो भंडारा करवा रहा था।

“तुम्हारी यह हालत कैसे हुई, प्रिया?” राघव की आवाज में दर्द था।

प्रिया ने सिर उठाकर देखा। उसकी आंखें नम थीं। “आप… आप कौन हैं?”

राघव ने अपने आप को काबू किया। “मैं वही हूं जिसने तुमसे शादी की थी, जिसे तुम हर छोटी बात पर छोड़ने की धमकी देती थी।” यह सुनते ही प्रिया के हाथ से कटोरा छूट गया। उसकी आंखें चौड़ी हो गईं। “राघव…?”

“हां, मैं ही हूं।” राघव ने नम आंखों से कहा।

“तुम… तुम तो मुझे छोड़कर चले गए थे।” प्रिया ने कांपते हुए कहा।

“नहीं प्रिया, तुम मुझे छोड़कर गई थी। हर छोटी बात पर तुम झगड़ती थी, रिश्ते को तोड़ने की धमकी देती थी, और एक दिन तुमने वही किया। तुम चली गई यह कहकर कि तुम्हारी जिंदगी में खुशियों की कमी है।”

प्रिया की आंखें भर आईं। “हां, मैं गई थी उस शख्स के पास जिसने मुझे झूठे सपने दिखाए थे। उसने कहा था कि वह मुझे महल में रखेगा, सारी खुशियां देगा। और फिर… फिर क्या हुआ? उसने मुझे छोड़ दिया। जब मैंने उसे बताया कि मैं गर्भवती हूं, तो उसने मेरा साथ छोड़ दिया। मेरे माता-पिता ने भी मुझे ठुकरा दिया। मैं अकेली हो गई… और… बच्चा…”

प्रिया रोने लगी, उसकी सिसकियां राघव के दिल को छलनी कर गईं। राघव ने उसे उठाया और कहा, “चलो मेरे साथ।”

“कहां?” प्रिया ने कांपते स्वर में पूछा।

“घर, जहां तुम हमेशा से थी। मैंने तुम्हारी हर गलती को माफ कर दिया है। आज तुम्हारा पति तुम्हें वापस ले जा रहा है।”

प्रिया हैरान होकर उसे देखती रही। “तुम मुझे माफ कर दोगे?”

“हां, प्रिया। क्योंकि मैंने एक बात समझ ली है। आज मैं यहां भंडारा करवाकर लोगों को खाना खिला रहा हूं। लेकिन अगर मैं अपनी बीवी और बच्चे को भूखा छोड़ दूं तो यह भंडारा किसी काम का नहीं।”

यह सुनकर प्रिया ने राघव का हाथ पकड़ लिया। राघव ने उसे अपने घर ले जाकर गले लगाया और कहा, “माफ कर दो प्रिया, मुझे माफ कर दो कि मैं तुम्हें इतनी जल्दी छोड़कर चला गया। मैंने अपनी सबसे बड़ी गलती सुधारी है।”

प्रिया के चेहरे पर मुस्कान थी। उसे आज भी यकीन नहीं हो रहा था कि राघव ने उसे माफ कर दिया है। राघव ने अपनी पत्नी को एक नई जिंदगी दी। उसने उसे गले लगाया और कहा, “आज से तुम मेरी पत्नी हो, मेरी दोस्त हो, मेरी जिंदगी हो।”

दोस्तों, यह कहानी हमें सिखाती है कि जिंदगी में रिश्ते ही सबसे बड़ी दौलत होते हैं। कभी-कभी गुस्सा और अहंकार हमें ऐसे रास्ते पर ले जाते हैं, जहां हम अपनों को खो देते हैं। लेकिन सच्चा प्यार और सच्चा रिश्ता वही होता है जो हर गलती को माफ कर दे और एक नया मौका दे।

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