कहानी: ट्रेन में अनोखा रिश्ता

कामाख्या एक्सप्रेस में एक 23 साल की खूबसूरत लड़की खुशी अपने सफर का आनंद ले रही थी। उसके आसपास के लोग शांत और सज्जन थे, लेकिन अचानक एक व्यक्ति अपने दो छोटे बच्चों के साथ ट्रेन में चढ़ता है। उसकी बेटी चार साल की पारुल और दो साल का बेटा आशु, दोनों ही मासूमियत से भरे हुए थे। लेकिन जैसे ही वे अपनी सीट पर बैठते हैं, आशु जोर-जोर से रोने लगता है। उसकी रोने की आवाज से डिब्बे में हलचल मच जाती है।

सभी यात्री बच्चे को सहलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन आशु की रोने की आवाज से सभी परेशान हो जाते हैं। राजू, उनके पिता, helpless महसूस कर रहा था। उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं, और उसे देखकर खुशी का दिल पसीज जाता है। वह अपनी सीट से उठती है और आशु को अपनी गोद में लेकर उसे सीने से लगा लेती है। आशु अब चुप हो जाता है, लेकिन सभी के मन में सवाल था कि इन बच्चों की मां कहां है।

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राजू बताता है कि उसकी पत्नी मुंबई में है और वह बच्चों को वहां लेकर जा रहा है। लोग उसकी बातों पर संदेह करते हैं, लेकिन राजू अपनी बात पर अडिग रहता है। ट्रेन मुंबई की ओर बढ़ रही थी, और राजू अपने बच्चों के साथ अकेला महसूस कर रहा था। खुशी ने देखा कि पारुल उसके पास आ गई है और उसने उसे प्यार से बिस्किट दिया। धीरे-धीरे दोनों बच्चों के साथ उसका रिश्ता मजबूत होता गया।

रात का समय आता है, और सभी यात्री सोने की कोशिश करते हैं। लेकिन आशु फिर से रोने लगता है। खुशी एक बार फिर राजू के पास जाती है और कहती है कि वह बच्चे को संभाल लेगी। राजू उसे आशु देता है, और खुशी उसे प्यार से सीने से लगाकर चुप कराती है। सभी यात्री अब राहत की सांस लेते हैं और सोने लगते हैं।

सुबह जब लोग जागते हैं, तो देखते हैं कि आशु खेल रहा है और खुशी राजू के बच्चों का ध्यान रख रही है। राजू खुशी का आभार व्यक्त करता है, और दोनों के बीच एक गहरा रिश्ता बनता जाता है। खुशी बच्चों के प्रति अपने प्यार को महसूस करती है और सोचती है कि वह उनके साथ और समय बिताना चाहती है।

कुछ दिन बाद, खुशी राजू को फोन करती है। वह बच्चों के बारे में पूछती है और कहती है कि वह उन्हें फिर से देखना चाहती है। राजू उसे अपने घर आने के लिए आमंत्रित करता है। खुशी राजू के घर आती है, और राजू के माता-पिता उसका स्वागत करते हैं। पारुल और आशु खुशी के साथ खेलते हैं, और वह उनके साथ समय बिताकर खुश होती है।

लेकिन राजू की मां उसे बताती हैं कि उसकी बहू बच्चों को छोड़कर भाग गई है। यह सुनकर खुशी हैरान रह जाती है। वह सोचती है कि एक मां को अपने बच्चों को नहीं छोड़ना चाहिए था। खुशी राजू की मदद करने का निर्णय लेती है और उसके बच्चों की देखभाल करने लगती है।

दिन बीतते हैं, और खुशी राजू के बच्चों के साथ घुल-मिल जाती है। राजू और खुशी के बीच एक खास रिश्ता विकसित होता है। राजू की मां खुशी से कहती है कि वह राजू से शादी कर सकती है। खुशी इस प्रस्ताव पर सोचने लगती है। वह बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझती है और राजू से प्यार करने लगती है।

आखिरकार, राजू और खुशी की शादी धूमधाम से होती है। दोनों ने एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार को स्वीकार किया और बच्चों के लिए एक नया परिवार बनाया। खुशी अब बच्चों की मां बन गई थी, और राजू ने खुशी को अपना जीवनसाथी पाया।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी अनजान रिश्ते भी हमें एक नई दिशा दे सकते हैं। खुशी और राजू ने एक-दूसरे की मदद से न केवल अपने जीवन को बदल दिया, बल्कि बच्चों को भी एक नया घर और प्यार दिया।

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