ज़रूर, यहाँ धर्मेंद्र के निधन और उनकी मौत की ख़बर छिपाने के पीछे परिवार के संघर्ष पर आधारित लगभग 1800-2000 शब्दों की एक नाटकीय और भावनात्मक कहानी दी गई है:


🤫 मौत का राज़ और ख़ामोश विदाई: धर्मेंद्र की मृत्यु की ख़बर क्यों छिपाई गई? असली वजह परिवार की बीमारी नहीं, ‘परिवार’ था!

 

मुंबई, सन्नाटा: हिंदी सिनेमा का वो चेहरा, जिसने करोड़ों दिलों को हँसना सिखाया, आज चुपचाप, ख़ामोशी से विदा हो गया। दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र देओल अब इस दुनिया में नहीं रहे।

लेकिन उनकी विदाई की यह ख़ामोशी बॉलीवुड के गलियारों में सबसे बड़ा सवाल बनकर गूँज रही है: धर्मेंद्र जी की मौत की ख़बर मीडिया में इतनी देर से क्यों आई?

तीन दिनों तक मीडिया को बताया जा रहा था कि ही-मैन ‘ठीक हैं’, ‘रिकवर हो रहे हैं’। जबकि हक़ीक़त यह थी कि उनका इलाज नहीं, बल्कि उनकी अंतिम विदाई की तैयारियाँ चल रही थीं। जब सारे रिचुअल्स (रस्में) पूरे हो गए, तब जाकर मीडिया में यह ख़बर वायरल हुई कि धर्मेंद्र जी अब नहीं रहे।

इसके पीछे का असली कारण क्या था? क्यों एक मेगास्टार को ‘चाँदनी रात के सन्नाटों’ में चुपचाप विदा किया गया, और क्यों परिवार ने उनकी मौत की ख़बर को छिपाए रखा?

बीमारी नहीं, परिवार था असली समस्या

 

धर्मेंद्र जी का परिवार हमेशा से दो हिस्सों में बँटा रहा। पहली पत्नी प्रकाश कौर और उनके बच्चे (सनी, बॉबी, आदि) और दूसरी पत्नी हेमा मालिनी और उनकी बेटियाँ (ईशा, अहाना)।

पर्दे के पीछे, बॉलीवुड जानता था कि इन दोनों ‘दुनियाओं’ के बीच सालों से ज़बरदस्त फाइट चल रही है। हालाँकि मीडिया में हमेशा यही दिखाया गया कि सब कुछ ठीक है, लेकिन हकीकत यह थी कि धर्मेंद्र जी के अंतिम दिनों में समस्या बीमारी नहीं थी, समस्या परिवार था!

जब धर्मेंद्र जी अस्पताल में क्रिटिकल थे, तब तक हेमा मालिनी और उनकी बेटियाँ उनके साथ थीं। लेकिन जैसे ही उन्हें घर ले जाया गया, हेमा मालिनी उनसे मिलने उनके घर नहीं गईं। परिवार के बीच एक बहुत बड़ी दरार थी।

एक तरफ़ पहली पत्नी प्रकाश कौर थीं, जो दशकों से उनके घर पर थीं, वहीं दूसरी तरफ़ हेमा मालिनी थीं, जिनका रिश्ता हमेशा विवादों में रहा। हेमा मालिनी अपने पति को आख़िरी बार मिलना चाहती थीं, लेकिन प्रकाश कौर और उनके परिवार के साथ चल रहे विवाद की वजह से वह घर नहीं जा पाईं।

चुपचाप विदाई का मास्टरप्लान

धर्मेंद्र के परिवार (पहली पत्नी के बच्चों) को यह बात साफ़ पता थी कि अगर दोनों परिवार—हेमा मालिनी का परिवार और प्रकाश कौर का परिवार—आमने-सामने आएँगे, तो सालों पुरानी कड़वाहट और दुश्मनी भड़क उठेगी

बड़े घरों में ऐसी लड़ाइयाँ मीडिया में फैलते देर नहीं लगती, और देओल परिवार इस बात को जानता था।

सनी देओल और बॉबी देओल को यह लग रहा था कि अगर ऐसा हुआ, तो मीडिया को उनके परिवार की पूरी ‘असली कहानी’ मिल जाएगी, और सब कुछ टूट जाएगा। वे नहीं चाहते थे कि उनके पिता की अंतिम विदाई एक मीडिया सर्कस या पारिवारिक झगड़े का मंच बने।

इसीलिए, परिवार ने एक बड़ा फ़ैसला किया:

    ख़बर को छिपाओ: धर्मेंद्र जी की मौत की ख़बर को तब तक मीडिया में न आने दिया जाए, जब तक अंतिम संस्कार की सारी तैयारियाँ पूरी न हो जाएँ।

    चुपचाप रस्में: अंतिम संस्कार को बेहद चुपचाप और गोपनीय तरीक़े से किया जाए।

    आमने-सामने आने से बचो: अंतिम संस्कार ऐसी जगह किया जाए जहाँ दोनों परिवार एक ही समय पर मौजूद रहें, लेकिन घर में कोई टकराव न हो।

परिवार ने सोचा कि समझदारी इसी में है कि इस मामले को मीडिया में फैलने से रोका जाए। इसलिए, दुनिया के महान अभिनेता को चाँदनी रात के सन्नाटों में चुपचाप विदाई देने का फ़ैसला किया गया।

अंतिम इच्छा और अधूरी मुलाक़ात

 

सबसे दुखद बात यह थी कि एक तरफ़ वह अभिनेता थे, जो अंतिम समय में सिर्फ़ एक मुलाक़ात चाहता था—शायद दोनों परिवारों को एक साथ देखना चाहता था। लेकिन दूसरी तरफ़, दो दुनियाएँ थीं जो कभी एक न हो सकीं।

धर्मेंद्र जी ने हमेशा कोशिश की थी कि दोनों परिवारों के बीच दरार न आए, लेकिन उनके जीवनकाल में यह नहीं हो पाया। उनके जाने के बाद, उनके बच्चे भी यह कड़वाहट नहीं मिटा पाए।

इसीलिए, अंतिम संस्कार में भी हेमा मालिनी और उनकी बेटियाँ पहुँचीं तो ज़रूर, लेकिन उन्हें वहाँ से जल्दी जाना पड़ा, क्योंकि परिवार का बैर हावी था।

यह चुपचाप विदाई का फ़ैसला, दरअसल, टूटते हुए परिवार की इज़्ज़त बचाने का फ़ैसला था। परिवार नहीं चाहता था कि पूरी दुनिया को पता चले कि धर्मेंद्र जी के गुज़रने के बाद भी, उनके दोनों परिवार एक-दूसरे का सुख-दुख नहीं बाँट पाए।

इंडस्ट्री को सबसे बड़ा नुक़सान

 

धर्मेंद्र जी, अपनी उम्र के सबसे ज़्यादा एक्टिव सितारों में से थे। बिग बॉस में नज़र आते थे, अपने फ़ार्महाउस में ख़ुश रहते थे, और हमेशा सकारात्मक रहते थे। उनकी अचानक तबीयत ख़राब हुई और आज उनकी मौत हो चुकी है।

धर्मेंद्र जी के जाने से इंडस्ट्री को सबसे बड़ा नुक़सान हुआ है। वह एक ऐसे स्तंभ थे, जो अपने व्यक्तिगत जीवन की चुनौतियों के बावजूद, हमेशा काम के प्रति समर्पित रहे।

लेकिन उनकी विदाई की यह कहानी हमेशा याद दिलाई जाएगी कि कैसे एक परिवार के भीतर का सालों पुराना झगड़ा इतना बड़ा हो गया कि उसने एक महान अभिनेता को भी चुपचाप और ख़ामोश विदाई लेने पर मजबूर कर दिया।

(दोस्तों, आप इस पर क्या कहेंगे? क्या परिवार का यह फ़ैसला सही था? क्या उन्हें धर्मेंद्र जी की मौत की ख़बर छिपानी चाहिए थी? कमेंट के थ्रू आप हमें यह बात ज़रूर बताएँ। और ज़्यादा अपडेट्स के लिए, क्विक टीवी न्यूज़ को सब्सक्राइब करना न भूलें।)