संसद में ‘महा-संग्राम’: प्रियंका गांधी का तीखा प्रहार— “नेहरू ने जेल काटी, संस्थाएं बनाईं, और आप सिर्फ बेच रहे हैं!”

नई दिल्ली: लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर, भारतीय संसद में आज एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने राजनीति के गलियारों में भूचाल ला दिया। एक तरफ सत्ता पक्ष की आक्रामकता थी, तो दूसरी तरफ विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा ने कमान संभालते हुए इतिहास, विकास और वर्तमान राजनीति पर वो तीर छोड़े, जिससे सदन का तापमान बढ़ गया। यह बहस केवल दो नेताओं के बीच नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं के बीच की ‘जुबानी जंग’ बन गई।

“चरित्र और मर्यादा”: बहस की शुरुआत

सदन की कार्यवाही के दौरान जब मर्यादा और चरित्र पर सवाल उठे, तो प्रियंका गांधी ने बेहद सधे हुए अंदाज में मोर्चा संभाला। उन्होंने सत्ता पक्ष को संबोधित करते हुए कहा कि चाहे आप ईवीएम (EVM) की बात करें या कागज (बैलेट) की, असली सवाल जनता के विश्वास और राजनेताओं की मर्यादा का है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सदन में निजी हमलों के बजाय तथ्यों पर बात होनी चाहिए। प्रियंका ने कहा, “मैं यहाँ जनता की प्रतिनिधि के रूप में खड़ी हूँ, किसी कलाकार के रूप में नहीं।” यह बयान सीधा कंगना रनौत जैसे प्रतिद्वंद्वियों की ओर एक बड़ा इशारा माना जा रहा है।

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इतिहास का पाठ: ‘वंदे मातरम’ और नेहरू की विरासत

प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के पिछले भाषणों का हवाला देते हुए इतिहास की परतों को खोलना शुरू किया। उन्होंने 1896 के उस ऐतिहासिक अधिवेशन का जिक्र किया जिसमें गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार ‘वंदे मातरम’ गाया था। प्रियंका ने सवाल उठाया:

“प्रधानमंत्री जी ने यह तो बताया कि गीत गाया गया, लेकिन वह यह बताने से क्यों कतरा गए कि वह कांग्रेस का अधिवेशन था? क्या यह सच स्वीकार करने में आपको डर लगता है?”

इसके बाद उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू के योगदान पर भावुक और तार्किक पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि आज आलोचना करना आसान है, लेकिन यह याद रखना चाहिए कि देश के प्रधानमंत्री ने जितने साल सत्ता संभाली, लगभग उतने ही साल (12 साल) उन्होंने देश की आजादी के लिए जेल की सलाखों के पीछे बिताए।

“अगर नेहरू ने ISRO नहीं बनाया होता, तो आज मंगलयान नहीं होता”

प्रियंका गांधी ने आधुनिक भारत की नींव रखने वाली संस्थाओं की एक लंबी सूची सदन के सामने रखी। उन्होंने एक-एक कर उन उपलब्धियों को गिनाया जिन्हें आज की सरकार अपना बताकर गर्व करती है:

ISRO और DRDO: उन्होंने कहा कि अगर नेहरू जी ने इसरो और डीआरडीओ की नींव नहीं रखी होती, तो आज ‘तेजस’ विमान और ‘मंगलयान’ का सपना सच नहीं होता।

IIT और IIM: उन्होंने तर्क दिया कि भारत आज जो आईटी (IT) सेक्टर में विश्व गुरु बना हुआ है, वह नेहरू द्वारा स्थापित शिक्षा के मंदिरों की वजह से है।

AIIMS: कोरोना काल की चुनौतियों का जिक्र करते हुए प्रियंका ने कहा कि अगर एम्स जैसे संस्थान नहीं होते, तो देश इस महामारी का सामना कैसे करता?

PSU की रक्षा: भेल (BHEL), गेल (GAIL), सेल (SAIL) और भाखड़ा नंगल बांध जैसे “आधुनिक भारत के मंदिरों” का जिक्र करते हुए उन्होंने सरकार पर कटाक्ष किया— “जो संस्थाएं नेहरू ने बनाईं, आप उन्हें एक-एक कर बेच रहे हैं।”

प्रधानमंत्री को एक अनोखी सलाह: “अपमान की सूची बना लीजिए”

सदन में चुटकी लेते हुए और तीखा हमला करते हुए प्रियंका ने प्रधानमंत्री को एक सलाह दी। उन्होंने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री ने अपने ’99 अपमानों’ की सूची निकाली थी, उसी तरह वे नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी के प्रति अपनी शिकायतों और गालियों की भी एक सूची बना लें।

“999 अपमान या 9999 गालियां… जितनी भी शिकायतें हैं, उनकी एक सूची बना दीजिए। फिर हम अध्यक्ष महोदय से समय मांगेंगे— 10 घंटे, 20 घंटे या 40 घंटे। एक ही बार में नेहरू और गांधी परिवार को कोस लीजिए, चैप्टर क्लोज कर लीजिए (Once and for all, close the chapter)।”

प्रियंका का तर्क था कि एक बार यह “इतिहास की लड़ाई” खत्म हो जाए, तो सदन का कीमती समय देश की असली समस्याओं जैसे बेरोजगारी, महंगाई, पीएमओ (PMO) के भीतर के विवाद और सट्टेबाजी (Betting Apps) जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए इस्तेमाल किया जा सके।

निष्कर्ष: विकसित भारत बनाम ऐतिहासिक सच

प्रियंका गांधी का यह भाषण सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से वायरल हो रहा है। उन्होंने सत्ता पक्ष को यह आईना दिखाने की कोशिश की कि ‘विकसित भारत’ का रास्ता इतिहास को मिटाकर नहीं, बल्कि उस नींव का सम्मान करके बनता है जो पिछले 70 सालों में रखी गई है।

संसद में हुई यह बहस यह साफ करती है कि आने वाले समय में विपक्ष अब रक्षात्मक (Defensive) नहीं रहेगा। प्रियंका गांधी ने यह साबित कर दिया कि वे न केवल गांधी परिवार की विरासत को संभाल रही हैं, बल्कि वे वर्तमान सरकार के हर हमले का जवाब तथ्यों और तर्क के साथ देने के लिए तैयार हैं।

यह बहस खत्म नहीं हुई है, यह तो बस एक नई राजनीतिक लड़ाई की शुरुआत है!