कभी-कभी जिंदगी हमें वह सब देती है जो हम चाहते हैं, लेकिन हम उसे पहचान नहीं पाते। यही कहानी है पटना की रिया शर्मा और अर्जुन वर्मा की, जिसमें अहंकार, सादगी और असली अमीरी का पाठ छुपा है।
पटना की गुलमोहर कॉलोनी में रिया शर्मा का जीवन किसी राजकुमारी से कम नहीं था। उसके पिता प्रमोद शर्मा सरकारी विभाग में ऊंचे पद पर थे। रिया को कभी किसी चीज़ की कमी नहीं देखनी पड़ी—महंगे कपड़े, आलीशान पार्टीज, नई कारें, यही उसकी दुनिया थी। वह सोचती थी कि शादी के बाद भी उसकी जिंदगी किसी फिल्म की हीरोइन जैसी ही रहेगी।
एक दिन उसके पापा ने बताया, “रिया, तुम्हारे लिए बहुत अच्छा रिश्ता आया है। लड़का शरीफ, ईमानदार और सादा स्वभाव का है—नाम है अर्जुन वर्मा।” रिया ने मुस्कुराकर हामी भर दी, लेकिन मन ही मन सोचा, क्या यह सादा आदमी मेरी लाइफस्टाइल समझ पाएगा?
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शादी धूमधाम से हुई। विदाई के बाद जब अर्जुन उसे अपने घर लेकर गया, तो सामने एक छोटा सा, साफ-सुथरा मगर बेहद साधारण मकान था। ना मार्बल, ना बड़ी खिड़कियां, ना महंगे शोपीस। रिया के चेहरे की मुस्कान अचानक गायब हो गई। अर्जुन ने प्यार से कहा, “रिया, यही मेरा घर है। मैं चाहता हूं कि हमारी जिंदगी भी ऐसी ही सरल और सच्ची हो।” रिया ने सिर हिला दिया, लेकिन भीतर कसक थी—यह तो उसके सपनों जैसा नहीं था।
अर्जुन हर कोशिश करता कि रिया खुश रहे। सुबह चाय बनाता, नाश्ता तैयार करता, घर के काम करता। लेकिन रिया को यह सब अर्जुन की कमजोरी लगती। धीरे-धीरे उसने घर के सारे काम अर्जुन से करवाने शुरू कर दिए। सहेलियों के सामने वह अर्जुन का मजाक उड़ाती, “मेरा पति तो नौकर की तरह सारे काम करता है।”
यह बातें अर्जुन तक पहुंचने लगीं। वह बाहर से मुस्कुराता, लेकिन अंदर से टूटने लगा। एक शाम जब अर्जुन ने रिया को अपनी सहेली सोनिया से कहते सुना, “काश मैंने अर्जुन से शादी नहीं की होती,” तो उसका दिल बिखर गया।
कुछ दिनों बाद सोनिया फिर रिया के घर आई। उसने चारों तरफ देखा और बोली, “रिया, यह कैसा घर है? और तेरे पति तो नौकरों जैसे लगते हैं। तू मेरे साथ चल, बड़ी कंपनी में जॉब दिलवा दूंगी।” रिया ने बिना सोचे सामान पैक किया और सोनिया के साथ चली गई। अर्जुन बस उसे जाते हुए देखता रहा—आंखों में आंसू नहीं, बस एक खामोश टूटन थी।

रिया ने नई नौकरी शुरू की। ऑफिस की चमक-दमक देखकर उसे लगा, अब उसकी जिंदगी पटरी पर आ गई है। लेकिन वह नहीं जानती थी कि जिस कंपनी में वह काम करती है, उसी के मालिक अर्जुन हैं। एक दिन कंपनी के हेड ऑफिस में मीटिंग थी। रिया आत्मविश्वास से भरी हुई थी, लेकिन गलियारे में उसकी टक्कर अर्जुन से हो गई। रिया ने ताना मारा, “तुम यहां भी पहुंच गए? अब क्या बड़ी कंपनी में भी झाड़ू पोछा कर रहे हो?”
मीटिंग हॉल में जब अर्जुन सीईओ के रूप में दाखिल हुआ, तो रिया की सांसें थम गईं। वही आदमी, जिसे वह साधारण समझती थी, पूरे ऑफिस का मालिक निकला। अर्जुन ने मीटिंग की, लेकिन रिया की तरफ एक बार भी नहीं देखा। मीटिंग के बाद रिया ने रोते हुए माफी मांगी, “अर्जुन, मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हारी सादगी का मजाक उड़ाया।”
अर्जुन ने शांत स्वर में कहा, “गलती तुम्हारी नहीं, उस सोच की है जो समझती है कि बड़ा इंसान वो है जिसके पास पैसा हो। असली बड़ा इंसान वो है जिसके पास दिल हो।” रिया ने एक मौका मांगा, लेकिन अर्जुन बोला, “टूटे रिश्ते जोड़ सकते हैं, पर दरारें हमेशा दिखती हैं। मैं तुम्हारे लिए सिर्फ दुआ कर सकता हूं कि तुम दिल से अमीर बनो।”
रिया की जिंदगी रुक गई। उसने खुद को आईने में देखा, पहली बार महसूस किया कि वह बाहर से खूबसूरत, लेकिन अंदर से खोखली है। उसने अर्जुन के टेबल पर एक पत्र रखा—”अर्जुन, मैं तुम्हारी नहीं रही, लेकिन तुम्हारा सम्मान मेरी आत्मा में बस गया है। आज समझ आया कि अमीरी पैसों से नहीं इंसानियत से होती है।”
रिया ने नौकरी छोड़ दी और एक एनजीओ में काम शुरू किया, जहां वह गरीब बच्चों को पढ़ाने लगी। हर दिन जब वह किसी बच्चे की आंखों में उम्मीद देखती, अर्जुन की बात याद आती—”असली अमीरी दिल की होती है।”
कई महीने बाद कंपनी के एक कार्यक्रम में समाज सेवा में योगदान देने वालों को सम्मानित किया जा रहा था। अर्जुन मंच पर आया, भीड़ ने तालियां बजाई। उसने कहा, “कभी किसी की सादगी को उसकी कमजोरी मत समझो, सादगी में जो ताकत है, वह दिखावे में नहीं होती।” रिया की आंखों से आंसू बह निकले, लेकिन इस बार उसके दिल में कोई जलन नहीं थी—सिर्फ सच्चा सम्मान था।
कार्यक्रम के बाद अर्जुन और रिया की नजरें मिलीं। कोई शिकायत नहीं थी, बस एक शांति थी। जैसे दोनों समझ चुके हों कि माफ करना ही सबसे बड़ी जीत है। रिया ने सिर झुकाकर मुस्कुराया, अर्जुन ने सिर हिलाया। दोनों के बीच कोई शब्द नहीं बोले गए, लेकिन हर बात कह दी गई थी।
रिया ने आसमान की ओर देखा—सूरज ढल रहा था, लेकिन उसके अंदर एक नया सवेरा उग चुका था। अब उसे पता था कि जिंदगी का असली सौंदर्य महंगे घर या कपड़ों में नहीं, बल्कि उस दिल में है जो बिना शर्त प्यार करना जानता है।
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