हादसे के बाद पत्नी ने विकलांग पति को छोड़ दिया, भगवान ने ऐसा चमत्कार किया कि सब हैरान रह गए
रवि और पूजा की शादी को पाँच साल हो चुके थे। दोनों ने प्यार से शादी की थी और ज़िंदगी की छोटी-बड़ी खुशियों का आनंद ले रहे थे। रवि एक निजी कंपनी में इंजीनियर था और पूजा एक स्कूल में शिक्षिका। दोनों के सपने बड़े थे, और उनकी दुनिया छोटी-सी थी लेकिन बहुत प्यारी।
एक दिन रवि ऑफिस से घर लौट रहा था कि अचानक एक भीषण सड़क हादसा हो गया। उसकी कार एक ट्रक से टकरा गई। कई घंटों तक उसे अस्पताल पहुँचाने में देर हो गई। जब रवि को होश आया, उसने पाया कि उसके दोनों पैर अब साथ नहीं देंगे। डॉक्टरों ने बताया कि वह अब चल नहीं सकता। उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए व्हीलचेयर तक सीमित हो गई थी।
रवि का संसार एक ही पल में बदल गया। उसके सपने, उसकी आज़ादी, सब छिन गया। उसने खुद को टूटता हुआ महसूस किया। पूजा ने शुरुआत में उसका बहुत ध्यान रखा, लेकिन धीरे-धीरे उसकी देखभाल में थकावट और झुंझलाहट आ गई। रवि की हालत ने पूजा की ज़िंदगी को भी बदल दिया था। अब उसे हर चीज़ में समझौता करना पड़ रहा था।
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समाज ने भी रवि को अलग नज़र से देखना शुरू कर दिया। पड़ोसी, रिश्तेदार—सबने रवि को बेबस मान लिया। पूजा पर भी दबाव बढ़ने लगा। एक दिन, पूजा ने रवि से कहा, “मुझे लगता है कि मैं अब और नहीं कर सकती। मेरी ज़िंदगी भी तो है।” रवि चुप रहा, उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन वह पूजा को रोक नहीं सका। अगले ही दिन पूजा ने घर छोड़ दिया और अपने मायके चली गई।
रवि अकेला रह गया। घर में सन्नाटा था, दिल में दर्द। वह सोचता रहता—क्या यही प्यार था? क्या यही रिश्ता था? कई दिन तक रवि ने खुद को कमरे में बंद रखा। खाना-पीना छोड़ दिया, बस आँसू बहाए। उसकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती गई।

एक दिन, रवि की हालत बहुत खराब हो गई। पड़ोसी ने देखा कि घर में कोई हलचल नहीं है। उन्होंने दरवाजा तोड़ा और रवि को अस्पताल पहुँचाया। डॉक्टरों ने कहा कि रवि की इच्छाशक्ति टूट गई है, अगर ऐसे ही रहा तो उसकी जान भी जा सकती है।
अस्पताल में रवि की मुलाकात एक बुज़ुर्ग व्यक्ति से हुई—नाम था मिश्रा जी। वे अपने पोते की देखभाल के लिए आए थे। मिश्रा जी ने रवि की आँखों में दर्द देख लिया। उन्होंने रवि से बात करना शुरू किया। धीरे-धीरे रवि ने अपना दर्द मिश्रा जी से बाँटना शुरू किया। मिश्रा जी ने कहा, “बेटा, भगवान कभी किसी को पूरी तरह अकेला नहीं छोड़ता। हर अंधेरे के बाद उजाला जरूर आता है।”
रवि ने कहा, “मेरे लिए तो सब खत्म हो गया है। पूजा भी मुझे छोड़ गई, मैं चल नहीं सकता, अब किसके लिए जियूँ?”
मिश्रा जी मुस्कराए और बोले, “तुम्हारे अंदर अभी भी ज़िंदगी बाकी है। भगवान ने तुम्हें एक मौका दिया है—अपने आप को फिर से खोजने का।”
मिश्रा जी ने रवि को प्रेरित करना शुरू किया। उन्होंने उसे किताबें दीं, मोटिवेशनल वीडियो दिखाए, और रोज़ बातें कीं। धीरे-धीरे रवि की सोच बदलने लगी। उसने महसूस किया कि ज़िंदगी व्हीलचेयर पर भी जी जा सकती है, अगर हौसला और जज़्बा हो।
रवि ने इंटरनेट पर विकलांग लोगों की कहानियाँ पढ़ीं। उसने जाना कि कई लोग अपनी सीमाओं के बावजूद बड़े-बड़े काम कर रहे हैं। उसने खुद को फिर से जीने का फैसला किया। अस्पताल से निकलते ही उसने एक कंप्यूटर खरीदा, और घर पर बैठकर फ्रीलांसिंग का काम शुरू किया। धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास लौटने लगा।
रवि ने सोशल मीडिया पर अपनी कहानी साझा की। लोगों ने उसकी हिम्मत की सराहना की। कई विकलांग लोग उससे जुड़ने लगे। रवि ने एक ऑनलाइन ग्रुप बनाया, जहाँ वह लोगों को प्रेरित करता और उनकी समस्याएँ सुनता। उसकी ज़िंदगी में एक नया मकसद आ गया था।
एक दिन, रवि को एक ईमेल मिला। एक बड़ी कंपनी ने उसकी मेहनत और प्रेरणा को देखकर उसे एक खास प्रोजेक्ट पर काम करने का ऑफर दिया। रवि ने खुशी-खुशी काम शुरू किया। उसके काम की सराहना पूरे देश में होने लगी। टीवी चैनल्स ने उसकी कहानी दिखाई, अखबारों में लेख छपे। रवि अब विकलांगों के लिए एक मिसाल बन गया।
रवि की माँ ने उसकी सफलता देखकर आँसू बहाए। उन्होंने कहा, “मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरा बेटा इतनी बड़ी मिसाल बन जाएगा।” रवि ने मुस्कराकर कहा, “माँ, भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। उसने मुझे नया जीवन दिया।”
पूजा को भी रवि की कहानी सुनाई दी। एक दिन उसने रवि को फोन किया। वह रो रही थी, बोली, “मुझे माफ कर दो, मैंने तुम्हें छोड़कर बहुत बड़ी गलती की।” रवि ने शांति से जवाब दिया, “पूजा, तुम्हारा फैसला तुम्हारा था। मैंने भी अपनी ज़िंदगी को नया रूप दिया है। अब मैं किसी से शिकायत नहीं करता।”
पूजा ने मिलने की इच्छा जताई, लेकिन रवि ने विनम्रता से कहा, “अब मेरी ज़िंदगी का मकसद बदल गया है। मैं उन लोगों के लिए जीना चाहता हूँ, जिन्हें समाज ने छोड़ दिया है।”
रवि ने अपने ऑनलाइन ग्रुप को एक संस्था का रूप दिया। अब वह विकलांगों के लिए रोजगार, शिक्षा और मानसिक सहयोग उपलब्ध करवाता था। उसकी संस्था में सैकड़ों लोग जुड़े थे। सरकार ने भी उसकी संस्था को सम्मानित किया।
एक दिन रवि को राष्ट्रपति भवन से बुलावा आया। उसे “राष्ट्रीय प्रेरणा पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। मंच पर खड़े होकर रवि ने कहा, “मैंने अपनी ज़िंदगी में बहुत दर्द देखा, लेकिन भगवान ने मुझे चमत्कार दिखाया। अगर आप हार मान लें, तो सब खत्म हो जाता है। लेकिन अगर आप हिम्मत रखें, तो भगवान भी आपकी मदद करता है।”
पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। रवि की आँखों में आँसू थे, लेकिन इस बार ये आँसू खुशी के थे। उसने अपने जीवन का नया अर्थ खोज लिया था।
रवि की कहानी पूरे देश में फैल गई। लोग उसकी मिसाल देने लगे। विकलांग लोग अब खुद को कमजोर नहीं समझते थे। रवि ने सबको सिखाया कि ज़िंदगी में मुश्किलें आएँगी, लेकिन अगर हिम्मत और विश्वास हो, तो भगवान जरूर चमत्कार करता है।
रवि अब रोज़ अपने व्हीलचेयर पर बैठकर ऑफिस जाता था। उसकी संस्था देशभर में फैल गई थी। हर दिन सैकड़ों लोग उससे जुड़ते थे। रवि ने अपने दर्द को अपनी ताकत बना लिया था।
कई साल बाद, पूजा ने फिर एक बार रवि से मिलने की कोशिश की। वह अब भी पछतावे में थी। रवि ने उससे मुलाकात की, और कहा, “ज़िंदगी में आगे बढ़ना जरूरी है। मैंने तुम्हें माफ कर दिया है, लेकिन अब मेरा रास्ता अलग है।”
पूजा ने रवि को गले लगाया और कहा, “तुम सच में महान हो। भगवान ने तुम्हारे साथ चमत्कार किया है।”
रवि ने मुस्कराकर कहा, “भगवान हर किसी के साथ चमत्कार करता है, बस हमें अपने अंदर की शक्ति पहचाननी होती है।”
रवि की कहानी ने सबको सिखाया कि ज़िंदगी में चाहे जितनी भी मुश्किलें आएँ, अगर इंसान हिम्मत न छोड़े, तो भगवान जरूर उसकी मदद करता है। कभी-कभी जो लोग हमें छोड़ देते हैं, वही हमारी ताकत बन जाते हैं। भगवान के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं।
कभी-कभी ज़िंदगी हमें तोड़ देती है, लेकिन वही टूटन हमें नया रूप देती है। रवि की कहानी यही सिखाती है कि अगर हिम्मत और विश्वास हो, तो भगवान हर हाल में चमत्कार करता है।
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