🚨पुलिसवालों ने आर्मी ऑफिसर की बहन के साथ की दरिंदगी, फिर जो हुआ उसने पूरे शहर को हिला दिया!
लखनऊ के पास एक छोटा-सा कस्बा था। रात का समय था, सड़कें सुनसान थीं, और आसमान में सिर्फ चाँद की हल्की-सी रौशनी थी।
उसी सड़क पर एक लड़की — प्रिया — अस्पताल में अपनी ड्यूटी खत्म कर घर लौट रही थी। प्रिया एक आर्मी ऑफिसर अर्जुन सिंह की बहन थी, जो इस समय बॉर्डर पर देश की रक्षा कर रहा था।
लेकिन उस रात किस्मत ने कुछ और ही लिख रखा था।
रास्ते में पुलिस की एक वैन ने उसे रोक लिया।
“कहाँ जा रही हो इतनी रात को?” एक सिपाही ने बदतमीज़ी से पूछा।
प्रिया ने शांत स्वर में जवाब दिया — “ड्यूटी से लौट रही हूँ, मैं डॉक्टर हूँ।”
लेकिन शराब के नशे में चूर वो पुलिसवाले उसकी बात सुनने को तैयार नहीं थे।
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धीरे-धीरे सवालों की जगह गंदी बातें आने लगीं।
एक सिपाही ने जबरदस्ती उसका हाथ पकड़ लिया।
प्रिया ने चिल्लाकर कहा — “छोड़िए मुझे! क्या यही कानून है आपका?”
पर चारों ओर सन्नाटा था। न कोई सुनने वाला, न कोई बचाने वाला।
उसी समय पास की किराने की दुकान पर बैठे रमेश ने प्रिया की चीख सुनी।
वो भागता हुआ वहाँ पहुँचा और पुलिसवालों से कहा — “ये क्या कर रहे हो तुम लोग?”
लेकिन जवाब में उसे धक्का देकर गिरा दिया गया और कहा गया — “अपना काम कर, वरना अंदर कर देंगे!”

रमेश डर गया, पर चुप नहीं रहा।
उसने अपने फोन से एक वीडियो रिकॉर्ड किया और तुरंत स्थानीय मीडिया व आर्मी कैंप में कॉल कर दी।
कुछ ही देर में खबर अर्जुन तक पहुँच गई।
बॉर्डर पर तैनात अर्जुन का खून खौल उठा।
वो तुरंत छुट्टी लेकर अपने साथियों के साथ थाने पहुँचा।
थाने के बाहर भीड़ जमा हो चुकी थी।
पुलिसकर्मी जो कभी लोगों की रक्षा करने की शपथ लेते हैं, आज वही कानून के सबसे बड़े अपराधी बन चुके थे।
अर्जुन ने स्टेशन इंचार्ज के सामने दहाड़ लगाई —
“तुम लोग वर्दी पहनते हो देश की सेवा के लिए, किसी की इज़्ज़त लूटने के लिए नहीं!”
थाने में सन्नाटा छा गया।
सीनियर अफ़सरों को बुलाया गया, और कुछ ही मिनटों में उन सभी पुलिसवालों को निलंबित कर दिया गया।
मामले की जांच तुरंत शुरू हुई।
प्रिया काँपती हुई बाहर आई, मगर उसकी आँखों में डर नहीं, आग थी।
उसने धीमी आवाज़ में कहा —
“इंसाफ़ डर से नहीं मिलता, तब मिलता है जब अच्छे लोग चुप रहना छोड़ देते हैं।”
अगले दिन यह खबर पूरे शहर में फैल गई।
लोगों ने पहली बार देखा कि एक आम लड़की और उसके भाई ने कैसे भ्रष्ट सिस्टम को झुका दिया।
सोशल मीडिया पर #JusticeForPriya ट्रेंड करने लगा।
और इसी के साथ एक संदेश गूंज उठा —
“वर्दी में हैवानियत नहीं, इंसानियत होनी चाहिए।”
क्योंकि जब तक अर्जुन जैसे भाई और प्रिया जैसी बहनें इस देश में हैं,
सच की आवाज़ कभी नहीं दबाई जा सकती।
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