🕊️ संबंधों का पुल: सलमान खान की मध्यस्थता और देओल परिवार की नई सुबह

 

प्रकरण 6: आधी रात के बाद की सुबह

 

हेमा मालिनी के जाने के बाद, सुपरस्टार सलमान खान रात भर सो नहीं पाए। हेमा जी की आँखों में उन्होंने सिर्फ़ एक पत्नी का अपमान ही नहीं, बल्कि एक माँ की बेबसी देखी थी। वह जानते थे कि यह मामला केवल परिवार के निजी दुख तक सीमित नहीं था, बल्कि यह दशकों से जमी हुई कड़वाहट को तोड़ने का आख़िरी मौक़ा था।

सुबह होते ही, सलमान ने सबसे पहले सनी देओल को फ़ोन किया।

“सनी पाजी, क्या मैं आपसे मिल सकता हूँ? मुझे पापा (धर्मेंद्र जी) से जुड़ी कुछ बहुत ज़रूरी बात करनी है।”

सनी देओल, जो पहले ही पिता के जाने के गम और अंतिम संस्कार में हुए विवाद से टूटे हुए थे, वह सलमान की बात को टाल नहीं सके। सलमान न सिर्फ़ उनके दोस्त थे, बल्कि वह उन्हें छोटा भाई मानते थे, जिसे धर्मेंद्र जी ने भी बेटे का दर्ज़ा दिया था।

मुंबई के एक शांत और निजी फ़ार्महाउस पर सनी और सलमान की मुलाक़ात हुई। हवा में तनाव नहीं, बल्कि एक अजीब सी उदासी थी।

प्रकरण 7: सलमान का तर्क और पिता की इच्छा

 

सलमान ने सीधे मुद्दे पर बात शुरू नहीं की। उन्होंने पहले धर्मेंद्र जी के साथ अपने रिश्ते को याद किया, उनके जीवन की सादगी और उनके अंतिम दिनों के विचारों को साझा किया।

फिर उन्होंने भारी मन से कहा:

“सनी पाजी, मैं जानता हूँ कि आप अपनी माँ के लिए जो भी करते हैं, वह सही है। प्रकाश आंटी ने जो सहा है, उस दर्द को कोई नहीं बाँट सकता। और आप दोनों बेटों का गुस्सा जायज़ है। मैंने और बॉबी ने भी उन्हें हमेशा माँ का दर्जा दिया है।”

“पर एक बात सोचो। पापा (धर्मेंद्र जी) ने अपनी पूरी ज़िंदगी दो परिवारों के बीच संतुलन बनाए रखने में गुज़ार दी। उन्होंने वसीयत में भी जायदाद को बराबर बाँटा ताकि कोई विवाद न हो। उनके दिल की आख़िरी इच्छा क्या थी? वो चाहते थे कि उनका परिवार एकजुट रहे।

सनी देओल का चेहरा पत्थर जैसा था, लेकिन उनकी आँखें बोल रही थीं।

सलमान ने आगे कहा:

“पापा चले गए हैं, और अंतिम संस्कार में जो हुआ, वह बहुत दुखद था। हेमा जी और ईशा को 10 मिनट में वापस जाना पड़ा। सनी पाजी, सोचिए—क्या यह फ़ैसला आपके पिता की आत्मा को शांति देगा? ईशा और अहाना अपनी जान से ज़्यादा प्यार करती थीं पापा को। उन्हें अपने पिता को आख़िरी बार सम्मान देने का पूरा हक है।”

“आप बड़े हैं। आप इस परिवार की नींव हैं। अगर आप अब हाथ नहीं बढ़ाएँगे, तो पापा की आख़िरी इच्छा कभी पूरी नहीं होगी। यह दुश्मनी अब ख़त्म कर दीजिए, पाजी। यह आख़िरी मौका है जब आप दोनों परिवार मिलकर अपने पिता को विदाई दे सकते हैं।”

सलमान के शब्दों में कोई आरोप नहीं था, केवल एक सच्चे दोस्त और छोटे भाई की गुज़ारिश थी।

प्रकरण 8: भाई का दिल पिघला

 

कुछ देर की खामोशी के बाद, सनी देओल ने ज़ोर से साँस ली। उनके चेहरे पर बरसों की लड़ाई और दुःख का मिला-जुला भाव था।

“तुम सही कह रहे हो, सलमान,” सनी ने धीमी, भारी आवाज़ में कहा। “दर्द बहुत है, पर पिताजी की इच्छा… वह सबसे ऊपर है। उन्होंने हमेशा कहा था कि ईशा और अहाना मेरी ही बेटियाँ हैं।”

सनी ने तुरंत बॉबी देओल को फ़ोन किया और उन्हें पूरी बात समझाई। बॉबी, जो अपने पिता के जाने से सबसे ज़्यादा भावुक थे, वह भी भाई की बात से सहमत हो गए। बॉबी का दिल हमेशा से नरम रहा था।

“हमारा गुस्सा सही है, लेकिन अगर पापा ने चाहा है कि परिवार एक हो, तो हमें उनकी बात माननी होगी,” बॉबी ने कहा।

दोनों भाइयों ने मिलकर फ़ैसला लिया कि आने वाले सभी रीति-रिवाजों (रिचुअल्स) में हेमा मालिनी और उनकी बेटियों का स्वागत किया जाएगा। उन्होंने इस फ़ैसले को सम्मान के साथ स्वीकार करने का वादा किया।

सलमान खान की आँखें नम हो गईं। उन्होंने एक टूटे हुए परिवार के बीच एक पुल बना दिया था।

प्रकरण 9: हेमा मालिनी की प्रतिक्रिया और परिवार का मिलन

 

अगले दिन शाम को, सलमान खान ने हेमा मालिनी को फ़ोन किया और उन्हें सनी और बॉबी के फ़ैसले के बारे में बताया।

खबर सुनकर हेमा मालिनी स्तब्ध रह गईं। उनकी आवाज़ काँप रही थी।

“सलमान! तुमने वो कर दिया जो मैं जीवन भर नहीं कर पाई। तुमने मेरे पति की आत्मा को शांति दी है। उनका सपना पूरा कर दिया। यह मेरा नहीं, धर्मेंद्र जी का अंतिम विजय है।”

हेमा मालिनी ने तुरंत अपनी बेटियों ईशा और अहाना को यह ख़बर दी। दोनों बेटियाँ ख़ुशी और राहत के आँसू बहाने लगीं। उन्हें अब अपने पिता से आख़िरी बार जुड़ने का मौक़ा मिलने वाला था।

ईशा देओल ने तुरंत एक स्टेटमेंट जारी किया: “हम अपने बड़े भाइयों, सनी पाजी और बॉबी पाजी के इस फ़ैसले का तहे दिल से सम्मान करते हैं। यह पापा की इच्छा थी, और हम सब मिलकर इसे पूरा करेंगे।”

प्रकरण 10: पिता की याद में एकांत

 

धर्मेंद्र जी के ‘तेरहवीं’ (अंतिम रस्म) के लिए देओल परिवार एक बार फिर एकजुट हुआ।

इस बार, वहाँ कोई तनाव नहीं था। हेमा मालिनी, ईशा और अहाना सम्मान के साथ उस रस्म में शामिल हुईं।

ईशा और अहाना ने अपने बड़े भाइयों सनी और बॉबी को देखकर हल्के से सिर झुकाया। सनी ने जवाब में एक धीमी, गंभीर मुस्कान दी। बॉबी की आँखों में भी नरमी थी। यह 40 साल की कड़वाहट के बाद पहला, मौन स्वीकार था।

इस पल, किसी ने कोई लंबी बातचीत नहीं की, कोई औपचारिक माफ़ी नहीं माँगी गई। लेकिन सम्मान ने बरसों पुराने बैर की दीवार को गिरा दिया था।

सबसे भावुक पल तब आया, जब ईशा देओल ने अपने हाथों से अपने पिता की पसंदीदा चीज़ों का प्रसाद सनी देओल को दिया—बाजरे की रोटी और सरसों का साग। यह वो प्रसाद था जो उनकी माँ प्रकाश कौर अक्सर धर्मेंद्र जी के लिए बनाती थीं, और जो अहाना ने अपने हाथों से बनाया था।

सनी देओल ने चुपचाप वह प्रसाद लिया। यह खाने का एक टुकड़ा नहीं था; यह दोनों परिवारों के बीच प्यार और यादों को साझा करने का प्रतीक था।

हेमा मालिनी ने दूर से यह सब देखा। उनके चेहरे पर दुख और शांति का मिला-जुला भाव था। उन्हें पता था कि उनके पति, धर्मेंद्र, ने अपने जीवनकाल में जो संतुलन बनाने की कोशिश की थी, वह उनके जाने के बाद सलमान खान की मध्यस्थता और सनी देओल के बड़प्पन से पूरा हो गया था।

यह कहानी केवल एक फ़िल्मी परिवार के विभाजन की नहीं थी, बल्कि उस सच्चाई की थी कि प्यार और सम्मान हमेशा नफ़रत और दर्द पर विजय पाते हैं। धर्मेंद्र जी का परिवार आख़िरकार उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार एकजुट हो गया।