सच्चे प्यार की कहानी: रोहन और नेहा

यह कहानी है एक छोटे से शहर लखीमपुर के लड़के रोहन की, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए जी जान से मेहनत कर रहा था। रोहन का चेहरा हमेशा एक मासूम सी मुस्कान से भरा रहता था और उसकी आंखों में बड़े-बड़े सपने पलते थे। उसके माता-पिता सरकारी नौकरी में थे, इसलिए उनके घर में पैसों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन रोहन की चाहत कुछ बड़ा करने की थी, कुछ ऐसा जो उसकी जिंदगी को यादगार बना दे।

जब रोहन ने 12वीं कक्षा पास की, तो उसके माता-पिता ने उसे एक बड़े प्राइवेट कॉलेज में दाखिला दिलवाया। रोहन कॉलेज की जिंदगी को लेकर उत्साहित था। उसे नए दोस्त बनाने, नई चीजें सीखने और जिंदगी का असली मजा लेने की उम्मीद थी। लेकिन कॉलेज का पहला दिन उसकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदलने वाला था।

कॉलेज में दाखिल होते ही, उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी जिसका नाम था नेहा। नेहा की खूबसूरती ने रोहन का दिल जीत लिया। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें और मासूमियत ने रोहन को उसकी ओर खींच लिया। पहले दिन से ही, रोहन का ध्यान पढ़ाई से ज्यादा नेहा की ओर जाने लगा। वह हर वक्त उसे देखता और उसके बारे में सोचता रहता।

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धीरे-धीरे, रोहन ने अपने दिल की बात नेहा से कहने का फैसला किया। एक दिन, कैंटीन में नेहा अकेली खड़ी थी। रोहन ने अपनी सारी हिम्मत जुटाकर कहा, “नेहा, मैं तुमसे प्यार करता हूं।” यह सुनकर नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे भी तुमसे प्यार हो गया है।” उस दिन से उनकी जिंदगी में प्यार की बहार छा गई।

समय बीतता गया और दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया कि वे ग्रेजुएशन के बाद एक साथ अपनी जिंदगी बिताएंगे। लेकिन जैसे ही ग्रेजुएशन खत्म हुआ, रोहन के माता-पिता ने उसे दिल्ली में कोचिंग के लिए भेज दिया। नेहा ने लखीमपुर में ही रहकर पढ़ाई करने का फैसला किया।

दिल्ली में रोहन ने अपनी पढ़ाई में पूरी मेहनत की और अंततः वह एसडीएम बन गया। लेकिन नेहा की जिंदगी में मुश्किलें आ गईं। नेहा के पिता की तबीयत अचानक खराब हो गई और इलाज के लिए परिवार को लखनऊ जाना पड़ा। नेहा ने अपने पापा की देखभाल की और घर की जिम्मेदारी संभाली।

रोहन ने नेहा से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन नेहा ने उससे बात करना बंद कर दिया। रोहन परेशान था, लेकिन उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी। जब वह अयोध्या में पोस्टिंग पर गया, तो उसने सोचा कि भगवान राम के मंदिर में जाकर प्रार्थना करेगा।

एक दिन, मंदिर में रोहन ने एक लड़की को फूल बेचते देखा। उसने उसका चेहरा छुपा रखा था, लेकिन उसकी आंखें उसे जानी-पहचानी लगीं। जैसे ही उसने दुपट्टा हटाया, रोहन की सांसें थम गईं। वह नेहा थी।

रोहन ने नेहा से मिलने के बाद पूछा, “तुमने मुझसे बात क्यों बंद की?” नेहा ने कहा, “मैंने सोचा कि तुम बड़े आदमी बन गए हो, तुम मुझे भूल जाओगे।” यह सुनकर रोहन भावुक हो गया और बोला, “मैं तुम्हें कभी नहीं भूल सकता।”

नेहा ने अपनी कहानी सुनाई, जिसमें बताया कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी और उसे अपने छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी उठानी पड़ी। रोहन ने नेहा को गले लगाया और कहा, “अब तुम अकेली नहीं हो। मैं तुम्हारा ख्याल रखूंगा।”

रोहन ने नेहा से शादी करने का प्रस्ताव रखा। नेहा पहले मना करती रही, लेकिन रोहन ने कहा, “मुझे दुनिया की परवाह नहीं। मुझे बस तुम चाहिए।”

उनकी शादी धूमधाम से हुई। रोहन ने नेहा से कहा, “अब तुम पढ़ाई करो, अफसर बनो।” नेहा ने मेहनत की और पीसीएस पास कर लिया। आज वे एक खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं, उनके पास एक बेटा है जिसका नाम पार्थ है।

यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा प्यार कभी हार नहीं मानता, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं। क्या आपने कभी अपने प्यार के लिए इतना इंतजार किया है? आपकी कहानी भी किसी को प्रेरणा दे सकती है।