सड़क पर पड़ा हुआ मिला पति,उसकी तलाकशुदा पत्नी ने बचाई जान.. फिर जो हुआ .
.
.
टूटे रिश्तों की नई शुरुआत – सरिता और विकास की कहानी
दिल्ली के राजौरी गार्डन में एक शाम हल्की बारिश हो रही थी। सरिता शर्मा अपने कंप्यूटर इंस्टिट्यूट में बैठी थी, जहां वह 50 से ज्यादा बच्चों को कंप्यूटर सिखाती थी। कभी जो औरत घर में रहकर खाना बनाती थी, आज वही अपने दम पर बिजनेस चला रही थी। जिंदगी ने उसे बहुत कुछ सिखाया था – खासकर अकेले रहना, खुद पर भरोसा करना और आगे बढ़ना।
उस शाम सरिता अपने स्टूडेंट्स के रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही थी, तभी बाहर से शोर सुनाई दिया – “मैडम, जल्दी आइए! सड़क पर एक्सीडेंट हो गया है!” सरिता भागती हुई बाहर आई। सामने की सड़क पर भीड़ थी। एक स्कूटर पेड़ से टकराया था, और उसके पास एक आदमी बेहोश पड़ा था। उसके सिर से खून बह रहा था। जैसे ही सरिता ने उस आदमी का चेहरा देखा, उसकी सांसें थम गईं। वो चेहरा – जिसे वह भुलाना चाहती थी, लेकिन कभी भूल नहीं पाई – वही था, विकास शर्मा, उसका तलाकशुदा पति।
सरिता के हाथ कांप गए, आंखों में आंसू आ गए, लेकिन उसने खुद को संभाला। यह वक्त भावनाओं का नहीं, फैसले का था। उसने तुरंत 108 नंबर पर एंबुलेंस बुलवाई, भीड़ में किसी ने पूछा, “कोई इसका परिवार है?” सरिता चुप रही। वह क्या बताती कि यह वही आदमी है जिसने उसे छोड़ दिया था, जिससे उसे सबसे बड़ा धोखा मिला था। एंबुलेंस आई, विकास को अस्पताल ले गई। सरिता भी अपने इंस्टिट्यूट बंद करके अस्पताल पहुंच गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वहां जाना सही है या गलत, लेकिन कुछ रिश्ते टूटने के बाद भी पूरी तरह खत्म नहीं होते।
अस्पताल में डॉक्टर ने बताया कि विकास के सिर में चोट है, लेकिन जान को खतरा नहीं। दो-तीन दिन में होश आ जाएगा। सरिता ने सोचा था कि वह बस यह सुनकर चली जाएगी, लेकिन कुछ था जो उसे रोक रहा था। शायद अभी भी उसके दिल में कहीं विकास के लिए भावनाएं छुपी थीं।
तीन दिन बाद विकास को होश आया। उसकी नजर सरिता पर पड़ी तो वह हैरान रह गया – “सरिता, तुम यहां?” सरिता ने बिना कुछ कहे पानी का गिलास आगे बढ़ाया – “पी लो, डॉक्टर ने कहा है बहुत पानी पीना है।” विकास ने पानी पिया और पूछा, “मैं यहां कैसे?” सरिता ने बताया, “एक्सीडेंट हुआ था, मेरी इंस्टिट्यूट के सामने। मैंने एंबुलेंस बुलवाई।” विकास की आंखें भर आईं – “तुमने मेरी मदद की?” सरिता चुप रही। वह क्या कहती – कि वह अब भी परवाह करती है या सिर्फ इंसानियत के नाते मदद कर रही थी।
डॉक्टर ने कहा, दो दिन और रुकना पड़ेगा। “तुम्हारा कोई है जिसे बुलाना हो?” सरिता ने पूछा। विकास का चेहरा उदास हो गया – “कोई नहीं है, मैं अकेला हूं।” उस रात सरिता घर जाकर बहुत सोचती रही। पांच साल हो गए थे विकास को छोड़े हुए। इन सालों में उसने खुद को इतना मजबूत बना लिया था कि अब वह अकेले ही जिंदगी जी रही थी। लेकिन आज विकास को इस हालत में देखकर सारी यादें लौट आईं – शादी के पहले दो साल कितने खुशी के थे, लेकिन फिर विकास की शराब की लत, गलत संगति, घर में मारपीट, और आखिरकार एक दिन उसने कहा था – “मुझे फ्रीडम चाहिए, मैंने किसी और से शादी कर ली है, तुम यहां से चली जाओ।”
सरिता की दुनिया उस दिन बिखर गई थी। लेकिन वह टूटी नहीं। उसने हिम्मत जुटाई, घर छोड़ दिया, भाई के घर रहकर कंप्यूटर कोर्स किया, फिर अपना इंस्टिट्यूट खोला। आज पांच साल बाद वह फिर विकास के सामने थी – लेकिन अब वह कमजोर नहीं, एक मजबूत औरत थी।
अगले दिन सरिता फिर अस्पताल गई। विकास के चेहरे पर शर्म और पछतावा था। “सरिता, मैं जानता हूं तुम्हारे साथ जो किया वो गलत था। माफी मांगना चाहता हूं।” सरिता ने उसकी आंखों में देखा – “माफी से क्या होगा, विकास? जो हो गया, सो हो गया। अब मैं आगे बढ़ चुकी हूं।” “लेकिन मैं बदल चुका हूं। शराब छोड़ दी है, फैक्ट्री में काम करता हूं, अकेला रहता हूं। हर दिन तुम्हारे बारे में सोचता हूं कि मैंने कितनी गलती की थी।”
सरिता ने गहरी सांस ली – “ये बातें उस वक्त करनी चाहिए थीं जब हमारा रिश्ता था। अब बहुत देर हो चुकी है।” “प्लीज, मुझे एक मौका दे दो। मैं साबित कर दूंगा कि मैं बदल चुका हूं।” सरिता का मन उलझा हुआ था – क्या सच में कोई इंसान इतना बदल सकता है? वह बिना कुछ कहे अस्पताल से चली गई।
सुबह अस्पताल से फोन आया – “विकास डिस्चार्ज होने वाला है, लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं।” सरिता ने सोचा, फिर अस्पताल पहुंची, बिल भर दिया। नर्स ने उसे विकास की वाइफ समझकर डिस्चार्ज पेपर्स दिए। “थैंक यू, सरिता। मैं पैसे वापस कर दूंगा।” “कोई जरूरत नहीं। चलो बाहर चलते हैं।” “तुम कहां रहते हो?” “करोल बाग में किराए का कमरा, फैक्ट्री भी पास में है।” “घर कैसे जाओगे?” “पैदल चला जाऊंगा।” सरिता ने ₹200 दिए – “ऑटो से घर चले जाओ, सिर में अभी भी दर्द होगा।”
विकास की आंखें भर आईं – “तुम इतना अच्छा व्यवहार क्यों कर रही हो? मैंने तुम्हारे साथ इतना बुरा किया था।” “मैं सिर्फ एक इंसान के नाते दूसरे इंसान की मदद कर रही हूं।” अगले हफ्ते विकास इंस्टिट्यूट के सामने आया – पैसे लौटाने। “रख लो, मुझे इसकी जरूरत नहीं।” “नहीं, सरिता, अब किसी का एहसान नहीं रखना चाहता।” सरिता ने पैसे ले लिए। “तबीयत कैसी है?” “बहुत बेहतर, डॉक्टर ने कहा है भारी काम मत करना।” “फैक्ट्री में क्या काम करते हो?” “पैकिंग का काम, कपड़े पैक करता हूं, दिन भर खड़ा रहना पड़ता है।” सरिता को लगा जैसे विकास सच में बदल गया है। पहले वह कभी मेहनत का काम नहीं करता था।
अगले दिन विकास फिर आया। इस बार उसके हाथ में एक छोटा सा गिफ्ट था – रसगुल्ले। “तुम्हारी जान बचाई थी, तुम्हारी पसंदीदा मिठाई लाया हूं।” “इसकी जरूरत नहीं थी।” “क्या मैं कभी-कभी आकर तुमसे बात कर सकता हूं? बहुत अकेला महसूस करता हूं।” “ठीक है, लेकिन सिर्फ दोस्त बनकर, कोई गलत उम्मीद मत पालना।”
इसके बाद विकास हफ्ते में एक बार आने लगा। वह सरिता को अपनी नई जिंदगी के बारे में बताता – कैसे उसने शराब छोड़ दी, कैसे वह हर सुबह मंदिर जाता है, पुराने दोस्तों से दूरी बना ली है। सरिता भी धीरे-धीरे बात करने लगी, उसे लगने लगा कि विकास सच में बदल चुका है। एक दिन विकास ने बताया कि उसकी दूसरी शादी भी टूट गई – “वो लड़की भी छोड़ गई, कहा कि मैं बेकार इंसान हूं। तब मुझे एहसास हुआ कि असली गलती मेरी ही थी। तुम्हारे साथ जो किया, वह मेरी सबसे बड़ी भूल थी।”
दिवाली आई। इंस्टिट्यूट में बच्चों के साथ सेलिब्रेशन था। विकास भी आया – बच्चों के लिए मिठाई लाया। बच्चे उससे हिलमिल गए – “अंकल, आप रोज आया करो।” “अगर मैडम इजाजत दे तो।” “तुम चाहो तो यहां कुछ काम कर सकते हो – बच्चों को गेम सिखाना, देखभाल करना। लेकिन यह सैलरी जॉब नहीं है।” विकास खुशी से रो पड़ा – “तुम मुझे इंसान बनने का मौका दे रही हो।”
अब विकास रोज शाम को इंस्टिट्यूट आने लगा। दिन में फैक्ट्री में काम करता, शाम को बच्चों को पढ़ाता। सरिता ने देखा कि वह बच्चों के साथ बहुत अच्छा व्यवहार करता है। धीरे-धीरे उसका दिल पिघलने लगा। वह विकास में वही आदमी देखने लगी, जिससे उसने कभी प्यार किया था। लेकिन मन में डर था।
एक दिन विकास ने कहा – “सरिता, क्या हम फिर से एक साथ रह सकते हैं?” “मुझे वक्त दो, विकास। यह फैसला आसान नहीं है।” “मैं इंतजार करूंगा।” महीने बीत गए, विकास हर दिन आता, बच्चों के साथ समय बिताता, लेकिन कभी सरिता पर दबाव नहीं डालता।
एक शाम जब इंस्टिट्यूट में सिर्फ सरिता और विकास थे, सरिता ने पूछा – “तुमने वाकई शराब छोड़ दी है?” “पिछले आठ महीने से एक बूंद नहीं पी। चाहे तो मकान मालिक से पूछ सकती हो।” “और वो दूसरी शादी?” “छह महीने में ही छोड़ गई थी, कहा कि मैं नालायक हूं। तब समझ आया कि तुमने कितना सहा होगा।”
“क्यों इतना बदल गए?” “जब तुम्हें छोड़ा था, लगा था खुश हो जाऊंगा, लेकिन दिन-रात गुम रहता था। जितना भागता था, उतनी ही तुम्हारी याद आती थी। दूसरी शादी भी टूटी, तब समझा कि गलती मेरी थी। अब अकेले रहकर अच्छा इंसान बनना चाहता हूं।”
“तो अब क्यों वापस आना चाहते हो?” “क्योंकि असली खुशी सिर्फ तुम्हारे साथ मिली थी। अगर तुम नहीं चाहती तो कोई बात नहीं, बस तुम्हारी दोस्ती काफी है।”
इसी समय एक छोटी बच्ची अनु किताब लेने आई – “आप दोनों हमेशा साथ क्यों नहीं रहते?” अगले दिन सरिता ने अपनी सहेली मीरा से बात की – “जिसने एक बार धोखा दिया हो, वो दोबारा भी कर सकता है।” लेकिन सरिता का दिल कुछ और कह रहा था। उसने महीनों से विकास को देखा था – उसका व्यवहार, बच्चों के साथ प्यार, सब सच्चा लग रहा था।
होली आई। इंस्टिट्यूट में रंगों का कार्यक्रम था। विकास भी था। एक बच्चे के पापा ने पूछा – “मैडम, यह विकास जी कौन है?” “यह बच्चों की देखभाल करते हैं।” शाम को विकास ने पूछा – “तुमने मुझे पति क्यों नहीं बताया?” “क्योंकि तुम अब मेरे पति नहीं हो। लेकिन क्या हो सकते हो?” “तुम्हें लगता है हम फिर से खुश रह सकते हैं?” “मैं पूरी कोशिश करूंगा, बस एक मौका चाहिए।”
उस रात सरिता ने अंतिम फैसला कर लिया। अगली सुबह उसने विकास को बुलाया – “मैं तुम्हें एक मौका देने को तैयार हूं, लेकिन शर्तों के साथ।” “कोई भी शर्त मंजूर है।” “पहली शर्त – अगर दोबारा शराब छुई तो हमेशा के लिए चले जाना। दूसरी – मेरे काम में दखल नहीं देना। तीसरी – मुझ पर चिल्लाया या हाथ उठाया तो सीधे पुलिस में केस कर दूंगी। और आखिरी – हमारी नई शुरुआत होगी, पुराने दुख-दर्द की बात नहीं करेंगे।”
एक महीने बाद सरिता और विकास ने कोर्ट मैरिज की। इंस्टिट्यूट के बच्चे बहुत खुश थे। विकास ने फैक्ट्री की नौकरी छोड़ दी, इंस्टिट्यूट में फुल टाइम काम करने लगा। दोनों मिलकर बिजनेस को आगे बढ़ाने लगे। छह महीने बाद उनके इंस्टिट्यूट में 150 बच्चे पढ़ रहे थे। विकास ने स्पोर्ट्स की क्लासेस शुरू की।
आज दो साल बाद सरिता और विकास एक खुशहाल जोड़ा हैं। उनका इंस्टिट्यूट पूरे इलाके में प्रसिद्ध है। विकास ने शराब दोबारा नहीं छुई, हर सुबह योग करता है और मंदिर जाता है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर कोई इंसान सच्चे दिल से बदलना चाहे तो बदल सकता है। लेकिन दूसरा मौका देना भी बहुत हिम्मत का काम है।
आप क्या सोचते हैं? क्या आप किसी को दूसरा मौका देंगे?
अगर कहानी अच्छी लगी तो लाइक और शेयर जरूर करें।
मिलते हैं अगली कहानी के साथ।
.
play video:
News
Shilpa Shetty Arrested & Dragged by Mumbai Police for fraud with Raj Kundra worth Rs 60 crore!
Shilpa Shetty Arrested & Dragged by Mumbai Police for fraud with Raj Kundra worth Rs 60 crore! Shilpa Shetty, once…
Copying Farah Khan? Govinda’s Wife Sunita Ahuja Launches YouTube Vlog Channel With Her Servent
Copying Farah Khan? Govinda’s Wife Sunita Ahuja Launches YouTube Vlog Channel With Her Servent In a surprising turn of events,…
Aishwarya Rai’s Shocking statement after Jaya Bachchan Pushed a Man Trying To Take Selfie with Her!
Aishwarya Rai’s Shocking statement after Jaya Bachchan Pushed a Man Trying To Take Selfie with Her! Veteran actress and Member…
Hansika Motwani Crying and revealed shocking Truth of her Divorce💔with Sohael Khaturiya !
Hansika Motwani Crying and revealed shocking Truth of her Divorce💔with Sohael Khaturiya ! In a world where celebrity relationships often…
Best Answer: Shilpa Shetty’s Husband Raj Kundra Offers To Donate His Kidney To Premanand Maharaj
Best Answer: Shilpa Shetty’s Husband Raj Kundra Offers To Donate His Kidney To Premanand Maharaj In the serene town of…
“SP ऑफिस में आया एक थका-हारा बुज़ुर्ग…जैसे ही उसने नाम बताया, ऑफिसर की रगें काँप उठीं!”
“SP ऑफिस में आया एक थका-हारा बुज़ुर्ग…जैसे ही उसने नाम बताया, ऑफिसर की रगें काँप उठीं!” . . . एसपी…
End of content
No more pages to load