तलाकशुदा पत्नी चौराहे पर भीख मांग रही थी… फार्च्यूनर कार से जा रहे पति ने जब देखा… फिर जो हुआ…

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कहानी: रिश्तों की असली कीमत

एक चौराहे पर, एक चमचमाती Fortuner कार जैसे ही निकलने वाली होती है, तभी अचानक जाम लग जाता है। कार में बैठे व्यक्ति, अशोक शर्मा, अपने ड्राइवर से कहते हैं, “भाई साहब, थोड़ी देर रुक जाओ। इतनी भी क्या जल्दी है? बहुत सारे लोग सामने खड़े हुए हैं। मुझे लग रहा है कि जाम काफी दूर तक लगा हुआ है। इसलिए जल्दबाजी ना करो। आराम से चलते हैं।” ड्राइवर उनकी बात मानकर गाड़ी को उसी भरे चौराहे पर रोक देता है, जब तक जाम खाली नहीं हो जाता।

यह कहानी वाकई झजकोर देने वाली और सीख देने वाली है। अगर आपने अभी तक हमारे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है, तो प्लीज चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए और लाइक कर दीजिए। चलिए, आज की सच्ची कहानी शुरू करते हैं।

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में बालकृष्ण चौराहा पर जाम लगा हुआ था। अशोक शर्मा, जो Fortuner के मालिक थे, किसी विशेष काम से दिल्ली जा रहे थे। जैसे ही उनकी कार रुकती है, वह देखते हैं कि उनकी गाड़ी के आसपास तीन-चार महिलाएं हैं, जो गंदे कपड़े पहने हुए हैं। यह देखकर उन्हें लगता है कि ये लोग भीख मांगने वाले हैं।

अशोक शर्मा का ड्राइवर शीशा नीचे करता है। अशोक अपने जेब में हाथ डालते हैं और पर्स से कुछ रुपयों की गड्डी निकालते हैं। वह तीन-चार महिलाओं को ₹1000 देते हैं। इसके बाद, जब जाम खुलता है, तो वह ड्राइवर से कहते हैं, “अब गाड़ी आगे बढ़ाओ।”

जैसे ही गाड़ी आगे बढ़ने लगती है, अशोक शर्मा देखते हैं कि एक महिला खड़ी है, जो लगातार खिड़की पर हाथ मार रही है और कह रही है, “बाबूजी, हमें तो आपने कुछ दिया ही नहीं।” अशोक शर्मा जब शीशे के अंदर से उसे देखते हैं, तो उन्हें ऐसा लगता है कि वह इस महिला को पहचानते हैं।

अशोक शर्मा शीशा नीचे करते हैं और महिला उनके पास आती है। वह अपना सिर कार के अंदर डाल देती है और कहती है, “बाबूजी, आपने तो मुझे कुछ दिया ही नहीं।” अशोक शर्मा उसे पहचानते हैं और कहते हैं, “अरे तुम, तुम यहां क्या कर रही हो?” वह महिला कहती है, “आप अशोक हैं?”

अशोक कहते हैं, “हां, मैं अशोक हूं। लेकिन तुम यहां क्या कर रही हो?” दरअसल, यह कोई और नहीं बल्कि अशोक शर्मा की तलाकशुदा पत्नी, पूनम थी। दोनों का तलाक लगभग तीन साल पहले हो चुका था।

अशोक शर्मा पूनम से पूछते हैं, “पूनम, तुम तो एक अच्छे खासे घराने की लड़की थी। जब तलाक का कोर्ट में केस हुआ था, तो तुमने मेरे नाम ₹40 लाख का जुर्माना भी लगाया था, और मैंने वह भी दिया था। तुमको तुम्हारा क्या हो गया? तुम ऐसी स्थिति में क्यों आ गई कि आज तुम दर-दर की ठोकरें खा रही हो और एक रोड पर भीख मांग रही हो?”

पूनम कहती है, “मैं आपको सब कुछ बताऊंगी। मुझे थोड़ा सा टाइम दीजिए।” अशोक शर्मा अब पूनम से कहते हैं, “तुम मेरी कार में सवार हो जाओ। तुम मेरी पिछली सीट पर बैठ जाओ।”

अशोक शर्मा अपने ड्राइवर से कहते हैं, “भाई साहब, पीछे वाला दरवाजा खोल दीजिए।” ड्राइवर दरवाजा खोल देता है और पूनम कार में सवार हो जाती है। जैसे ही वह कार में बैठती है, वहां के कुछ दुकानदारों को शक होता है कि कोई बड़ा आदमी एक गरीब महिला को किडनैप कर रहा है।

लोगों की भीड़ लग जाती है। पूरी बाजार इकट्ठा हो जाती है। यह जानने के लिए कि आखिर एक Fortuner वाला बड़ा अमीर आदमी एक गरीब भिखारी को क्यों लेकर जा रहा है? जब वह महिला गाड़ी में सवार हो रही थी, तो उसके साथ तीन-चार और महिलाएं थीं, जिन्हें शक हो गया था।

उन महिलाओं ने आपस में बातें करना शुरू किया और यह सारी बातें धीरे-धीरे पूरे बाजार में फैल गईं। जैसे ही पूरे बाजार वाले इकट्ठा होते हैं, उस महिला से पूछते हैं, “यह कौन हैं?” पूनम कहती है, “यह मेरे तलाकशुदा पति हैं, अशोक शर्मा। मुझे यह जबरदस्ती नहीं लेकर जा रहे हैं, बल्कि मैं इनके साथ खुद जाने के लिए तैयार हूं।”

अशोक शर्मा पूनम को अपने साथ लेकर जाते हैं। एक होटल पर बैठाते हैं और वहां वह अपने ड्राइवर को कुछ पैसे देते हैं और कहते हैं, “जाओ मार्केट से इनके लिए एक अच्छी सी साड़ी खरीद कर ले आओ।” ड्राइवर तुरंत मार्केट से कपड़े लेकर आता है।

अशोक शर्मा पूनम से कहते हैं, “पूनम, तुम होटल के अंदर जाओ और स्नान करके आओ।” पूनम स्नान करके आती है और अशोक शर्मा उसे नया कपड़ा पहनाते हैं। वह नया कपड़ा पहनने के बाद नई नवेली दुल्हन की तरह लगने लगती है।

अशोक शर्मा जब उसे देखते हैं, तो उन्हें यह सोचकर आश्चर्य होता है कि उसकी परिस्थिति भले ही कैसी हो, लेकिन उसकी चाल-चलन और चेहरा-मोहरा कुछ नहीं बदला। वह सिर्फ हालात की मारी है। अशोक शर्मा उससे कहते हैं, “मैं दिल्ली जा रहा हूं। अगर तुम मुझे थोड़ा सा टाइम दो, तो मैं तुमसे कल मिलूंगा। तुम अपना पता लिख दो।”

पूनम कहती है, “ठीक है,” और अपने कमरे पर चली जाती है। अशोक शर्मा दिल्ली चले जाते हैं और वहां अपना काम निपटाते हैं। रात में जब वह होटल में सोने जाते हैं, तो अशोक शर्मा की रात कट नहीं रही थी और ना ही पूनम की, जो चौराहे पर भीख मांग रही थी।

दोनों ने पूरी रात करवट बदलते हुए बिताई। अगले दिन अशोक शर्मा दिल्ली से लौटते हैं और पूनम द्वारा बताए गए पते पर पहुंचते हैं, तो पता चलता है कि पूनम वहां नहीं है। वह फिर उसी चौराहे पर आते हैं, जहां पूनम उन्हें पिछले दिन मिली थी।

पूनम को फिर से अपनी गाड़ी पर बैठाते हैं और गाड़ी पर बैठने के बाद पूनम उन्हें अपने रूम पर ले जाती है। वह एक किराए के छोटे से कमरे में रहती थी। जब वह उस कमरे में जाते हैं, तो देखते हैं कि एक बेड पड़ा हुआ है और बेड के ऊपर अशोक शर्मा और पूनम की एक फोटो टंगी हुई है।

जैसे ही अशोक शर्मा की नजर उस फोटो पर पड़ती है, वह पूनम से पूछते हैं, “पूनम, हमारा तलाक तो दो-तीन साल पहले हो चुका है। हमारा एकदम अलग-अलग रास्ते हो गए थे। सब कुछ बंटवारा हो चुका था। तुमने मेरे ऊपर ₹40 लाख का जुर्माना लगाया था। वह भी मैंने तुम्हें दे दिए थे। तो यह तस्वीर क्यों लगी है?”

पूनम फूट-फूट कर रोने लगती है और कहती है, “मैंने आपको तलाक भले ही दे दिया था, लेकिन उस तलाक के पीछे मेरी रजामंदी नहीं थी। मैं आपको कभी तलाक देना नहीं चाहती थी। मैं आज भी आपको उतना ही प्यार करती हूं, जितना शादी के बाद किया करती थी।”

अशोक शर्मा कहते हैं, “फिर तुमने तलाक मुझे क्यों दे दिया?” तब पूनम पूरी कहानी बताती है। वह कहती है, “मेरे जीजा, पिता और भाई ने मुझे बहकाया। जब मेरी शादी हुई थी, तो सब कुछ ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे मेरे जीजा और परिवार के अन्य लोग मुझे चिढ़ाने लगे। मैंने अपने परिवार के दबाव में आकर तलाक के लिए केस किया।”

पूनम के जीजा को और परिवार वालों को पता था कि अशोक शर्मा के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। उन्होंने सोचा कि अगर मैं उन पर जुर्माना लगाऊं, तो वह आसानी से पैसे दे देंगे। पूनम को इस सब की भनक नहीं थी। तलाक के बाद, पूनम ने अपने परिवार के कहने पर ₹40 लाख का जुर्माना ठोक दिया।

अशोक शर्मा ने वह पैसे देने के बाद अपने जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश की, लेकिन पूनम की यादें हमेशा उसके साथ रहीं। पूनम ने अपने परिवार के कहने पर पैसे खो दिए और धीरे-धीरे उसकी स्थिति बिगड़ने लगी।

जब पूनम का पैसा खत्म हो गया, तो उसका भाई और माता-पिता उसे घर से निकाल देते हैं। पूनम अपने जीजा के पास जाती है, लेकिन वहां भी उसे कोई सहारा नहीं मिलता। मजबूर होकर, वह सड़क पर भीख मांगने वाली महिलाओं के साथ रहने लगती है।

जब पूनम ने अपनी पूरी कहानी अशोक शर्मा को सुनाई, तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। पूनम ने पूछा, “मां तो मुझे बहुत मानती थी। उनका क्या हाल है?” अशोक शर्मा कहते हैं, “मां आज भी वैसी ही हैं। वह तुम्हें याद करती हैं।”

पूनम कहती है, “अगर दिल सच्चा हो, मोहब्बत सच्ची हो और इरादे नेक हों, तो हम अभी भी एक हो सकते हैं।” अशोक शर्मा कहते हैं, “नहीं, कानूनी और धार्मिक तौर पर हम अलग हो चुके हैं।”

इतना कहकर वह कुछ पैसे निकालते हैं और कहते हैं, “यह पैसे रखो, हर महीने का खर्चा मैं देता रहूंगा। लेकिन मैं तुम्हें अपने साथ नहीं ले जा सकता।” पूनम उसके पांव पकड़कर रोने लगती है।

अशोक शर्मा का दिल पिघल जाता है। वह कहते हैं, “एक बार मुझे अपनी सासू मां से बात करा दो।” अशोक शर्मा अपनी मां को कॉल करते हैं और कहते हैं, “मां, पूनम मिल गई। पूनम से बात करना है।”

जैसे ही उसकी मां यह सुनती हैं, वह तुरंत बोलती हैं, “बेटा, बात कराओ।” अशोक अपने फोन को पूनम को पकड़ाते हैं। सास और बहू दोनों एक दूसरे से बात करती हैं। अशोक की मां कहती हैं, “ऐसा करो, तुम बहू को घर वापस लेकर आओ।”

अशोक अपनी मां की बातों को टाल नहीं सकता था। वह पूनम को लेकर अपने घर पहुंचता है। जैसे ही वह घर पहुंचता है, उसकी मां आरती की थाल सजाए अपनी बहू का इंतजार कर रही होती हैं। वह अपनी बहू की आरती करती हैं।

दोनों एक दूसरे के गले मिलते हैं। अशोक कहता है, “मां, यह वही पूनम है जिसने कोर्ट में मुझसे ₹40 लाख का जुर्माना लिया था।” अशोक की मां कहती हैं, “बेटा, अगर सुबह का भोला शाम को घर वापस आ जाए, तो उसे भूला नहीं कहते हैं। यह भी इंसान है और गलतियां हमेशा इंसानों से होती हैं।”

अशोक अब अपनी तलाकशुदा पत्नी पूनम को माफ कर देता है। दोनों एक बार फिर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं और बड़े प्यार से रहने लगते हैं।

दोस्तों, कहानी के बारे में आपके जो भी विचार हों, हमें बताएं। नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें जरूर बताएं। आप इस वीडियो को देश या दुनिया के किस कोने से देख रहे हैं, यह भी हमें बताना मत भूलिए।

जब हम आपके कमेंट पढ़ते हैं, तो हमें अगली कहानियों के लिए और भी ज्यादा प्रेरणा मिलती है। फिर मिलते हैं एक और दिलचस्प कहानी के साथ। तब तक के लिए आप सभी का दिल से धन्यवाद। जय हिंद, जय भारत।

दोस्तों, रिश्तों की असली कीमत पैसे और शान-शौकत से कभी नहीं आकी जा सकती। अशोक और पूनम की जिंदगी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उनका रिश्ता टूट गया क्योंकि पूनम अपने परिवार के बहकावे में आ गई। परिवार के लालच और गलत सलाह ने उसे इतना अंधा कर दिया कि उसने अपने ही हाथों से अपना घर बर्बाद कर लिया।

लेकिन जब वक्त ने करवट बदली और सच्चाई सामने आई, तो उसे समझ में आया कि पैसा चाहे कितना भी क्यों न हो, वह दो दिलों के बीच विश्वास और प्यार को कभी नहीं जोड़ सकता। असली रिश्ते हमेशा भरोसे और अपनापन पर टिके रहते हैं।

हालात इंसान को तोड़ सकते हैं, लेकिन इंसानियत को नहीं। पूनम पहले एक सम्रांत घराने की बहू थी, जिसके पास सब कुछ था, संपन्नता, सम्मान और एक प्यारा परिवार। लेकिन हालात के थपेड़ों ने उसे सड़क पर ला खड़ा किया। मजबूरी ने उसे भिखारिन बना दिया।

जब अशोक शर्मा ने उसे सड़क पर भीख मांगते हुए देखा, तो उन्होंने उसके अतीत को नहीं बल्कि उसके इंसान होने के अस्तित्व को पहचाना। उन्होंने बिना किसी भेदभाव के उसे सम्मान लौटाया और उसकी मदद की। इससे हमें यह सीख मिलती है कि मजबूरियां चाहे कितनी भी क्यों न हों, इंसान की इज्जत कभी कम नहीं हो सकती।

जो इंसानियत को पहचानता है, वही असली महान होता है। कहानी का एक और पहलू है लालच। पूनम के जीजा और परिवार ने लालच के कारण उसकी पूरी जिंदगी तबाह कर दी। पैसों के लालच में उन्होंने अपनी ही बेटी, बहन और बहू का घर उजाड़ दिया। ₹40 लाख हड़प लिए और जब सब कुछ उनके हाथ से चला गया, तो पूनम को अकेला छोड़ दिया।

लालच ने न केवल पूनम का घर छीना, बल्कि उसके जीवन से इज्जत और सुरक्षा भी छीन ली। अंत में वही लालच उनके लिए भी निरर्थक साबित हुआ। क्योंकि पैसे की चमक कुछ दिन रहती है, लेकिन रिश्ते टूटने के बाद जीवन भर का सोनेपन रह जाता है।

इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि लालच इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है, जो अंततः उसे बर्बादी की ओर ही ले जाता है। लेकिन इस पूरी कहानी का सबसे सुंदर मोड़ आता है माफी और दूसरा मौका। जब पूनम की सास ने कहा, “अगर सुबह का भूला शाम को घर लौट आए, तो उसे भूला नहीं कहते।”

यह केवल एक वाक्य नहीं था, बल्कि रिश्तों को जोड़ने की ताकत थी। इंसान से गलती होना स्वाभाविक है, लेकिन अगर वह अपनी गलती पर पछताकर वापस लौट आए, तो हमें उसे गले लगाना चाहिए। जीवन में माफी देना और दूसरा मौका देना ही असली रिश्तेदारी है।

यही वह बंधन है जो रिश्तों को फिर से हराभरा कर देता है। दोस्तों, इस कहानी से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि असली अमीरी धन दौलत नहीं, बल्कि दिल की होती है। अशोक शर्मा करोड़पति थे। उनके पास दौलत की कोई कमी नहीं थी।

लेकिन उनकी असली पहचान उनके दयालु और बड़े दिल में थी। उन्होंने अपनी तलाकशुदा पत्नी को अपनाकर यह साबित किया कि अमीरी का मतलब केवल पैसों का ढेर नहीं है, बल्कि एक ऐसा दिल है जो दूसरों को माफ कर सके, उनकी मदद कर सके और टूटे रिश्तों को जोड़ सके।

अंत में इस पूरी घटना से सबसे बड़ी सीख यही है कि रिश्तों को कभी भी पैसों और लालच की बलि मत चढ़ाइए। हालात चाहे जैसे भी हों, इंसानियत और माफी ही सबसे बड़ी ताकत है। अगर दिल से मोहब्बत सच्ची हो और इरादे नेक हों, तो टूटे हुए रिश्ते भी फिर से जुड़ सकते हैं।

समाप्त