दोनों पत्नियों में से किसको मिलेगा 500 करोड़ का हक || सलमान दिलाएंगे हेमा को इंसाफ

धर्मेंद्र देओल के निधन के बाद परिवार में घमासान, प्रॉपर्टी और अंतिम संस्कार पर सवालों की बौछार

मुंबई।
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र देओल के निधन ने न सिर्फ उनके फैंस बल्कि पूरे फिल्म जगत को झकझोर दिया है। 24 नवंबर 2025 को पंचतत्व में विलीन होने के बाद उनके परिवार में प्रॉपर्टी, अंतिम संस्कार और रिश्तों को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं।

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एक साधारण शुरुआत, अनोखा सफर

धर्मेंद्र कभी साइकिल पर नौकरी करने जाते थे, फिल्मी पोस्टर्स में अपनी झलक देखते थे और रातों को जागकर दिलीप कुमार बनने का सपना देखा करते थे।
“मैं दिलीप कुमार बन सकता हूं क्या?”
उनकी जिंदगी वाकई दिलचस्प एक दास्तान रही, जो पलों में बीत गई।

बड़ों की नसीहत और जीवन के फलसफे

धर्मेंद्र हमेशा कहते थे—
“तवक्को ना करो, उदासियां और बढ़ेंगी। खुद ही से जियो, जिंदगी सवर जाएगी।”
वो मानते थे कि उम्मीदें कम रखें, मेहनत करें, और अपनी तकदीर खुद लिखें।
“देख मुझे अपना ही कातबे तकदीर, मेरा मालिक भी मेरे साथ हो गया।”

दोनों पत्नियों के बीच जंग, सोशल मीडिया पर बहस

धर्मेंद्र के जाने के बाद उनकी 500 करोड़ की प्रॉपर्टी को लेकर सोशल मीडिया पर जंग छिड़ी है।

कुछ लोग हेमा मालिनी के साथ हैं
कुछ लोग प्रकाश कौर के साथ
सवाल यह है, किसका हक ज्यादा है?

कथित वसीयत भी सामने आई, लेकिन उसकी सच्चाई पर भी सवाल हैं। परिवार में शोक सभाएं दो जगह रखी गईं—

हेमा मालिनी के घर
प्रकाश कौर के जूहू रेजिडेंस में

धर्मेंद्र की आखिरी ख्वाहिश अधूरी रह गई

धर्मेंद्र चाहते थे कि उनका परिवार एकजुट रहे। लेकिन आज, छह बच्चों और दो पत्नियों के बीच शांत घमासान चल रहा है।
45 साल से हेमा मालिनी और प्रकाश कौर ने कभी एक-दूसरे से बात नहीं की। धर्मेंद्र ने दोनों के साथ पिता और पति का धर्म निभाया, लेकिन अब परिवार बिखर गया है।

अंतिम विदाई और अस्थियों का विवाद

धर्मेंद्र की अस्थियों को लेकर भी दोनों परिवारों में मतभेद है—

हेमा मालिनी अपने तरीके से विसर्जन करना चाहती हैं
सनी देओल और प्रकाश कौर पंजाबी रीति-रिवाजों से अंतिम विदाई देना चाहते हैं

फैंस का सवाल: क्या धर्मेंद्र की आत्मा को शांति मिलेगी?

क्या परिवार को धर्मेंद्र की 13वीं एक साथ मनानी चाहिए थी? क्या किसी एक को झुक जाना चाहिए? क्या बॉलीवुड के बड़े स्टार्स को परिवार को समझाना चाहिए?
धर्मेंद्र का सपना था कि पूरा परिवार इकट्ठा रहे, लेकिन वह सपना अधूरा रह गया।

आखिर धर्मेंद्र की प्रॉपर्टी किसे मिलेगी?

प्रश्न है—

500 करोड़ की प्रॉपर्टी का असली हकदार कौन?
क्या सभी बच्चों को बराबर हिस्सा मिलेगा?
क्या परिवार कभी एकजुट हो पाएगा?

आपकी राय क्या है?

क्या आपको लगता है कि धर्मेंद्र के जाने के बाद परिवार को एकजुट होकर उनकी आत्मा की शांति के लिए एक साथ पूजा करनी चाहिए थी?
कमेंट सेक्शन में अपनी राय जरूर साझा करें।

नोट:
यह जानकारी सोशल मीडिया और विभिन्न सूत्रों से प्राप्त की गई है। इसकी पुष्टि हमारा चैनल नहीं करता है और ना ही अफवाहों को फैलाना उद्देश्य है।

जिंदगी मेरी दिलचस्प एक दास्तान,
जो बनके बुजारत पलों में बीत गई।
खामोशी को मेरी बदजाजी ना समझना,
चाहत सबसे बदस्तूर बरकरार है दोस्तों।