पुलिसवालों ने आम लड़की समझ कर लड़की को घसीटा, छेड़खानी की सच्चाई जानकर पैरों तारे जमीन खिसक गई
यह कहानी एक साधारण महिला, प्रिया वर्मा की है, जो एक तेजतर्रार और ईमानदार अधिकारी हैं। प्रिया ने एक सामान्य दिन अपनी सहेली की शादी में जाने का फैसला किया। उन्होंने कोई सरकारी वर्दी नहीं पहनी थी, न ही उनके पास कोई सुरक्षा घेरा था। वह बस एक साधारण जींस और टी-शर्ट में थीं, जो किसी भी आम लड़की की तरह दिख रही थी। उनकी मोटरसाइकिल हवा से बातें कर रही थी और वह शादी में पहुंचने की जल्दी में थीं। लेकिन यह सामान्यता ही उनके लिए एक खतरनाक खेल बन गई।
जैसे ही प्रिया किशनगढ़ शहर के पास पहुंची, उनकी नजर सामने सड़क पर लगे एक पुलिस चेक पोस्ट पर पड़ी। वहां तीन-चार पुलिसकर्मी खड़े थे और उनके बीच इंस्पेक्टर अर्जुन सिंह अपनी वर्दी में पूरी अकड़ के साथ खड़ा था। उसकी नजर प्रिया पर पड़ी और उसने तुरंत हाथ में लाठी उठाकर उन्हें रोकने का इशारा किया। प्रिया ने बिना किसी बहस के अपनी मोटरसाइकिल सड़क के किनारे लगा दी और शांत खड़ी हो गई।
अर्जुन ने एक रबदार और सख्त आवाज में पूछा, “कहां जा रही हो?” प्रिया ने बहुत ही शांत और मधुर स्वर में जवाब दिया, “एक सहेली की शादी है। वहीं जा रही हूं।” अर्जुन ने उन्हें सिर से पांव तक घूरा। वह 28 साल की एक खूबसूरत महिला थी। अर्जुन हंसते हुए बोला, “अच्छा सहेली की शादी में खाना खाने जा रही हो। लेकिन हेलमेट क्या तुम्हारे बाप ने पहनना था? क्यों नहीं पहना? और यह बाइक भी बहुत तेज चला रही थी। चलो अब चालान कटेगा।”
यह सुनकर प्रिया समझ गई कि उसकी नियत ठीक नहीं है और यह सब एक बहाना है। उन्होंने कहा, “सर, मैंने कोई कानून नहीं तोड़ा है।” अर्जुन झल्ला कर बोला, “ओ मैडम, हमें कानून मत सिखाओ।” उसने पास खड़े एक कांस्टेबल की तरफ देखा और फिर प्रिया की ओर मुड़कर कहा, “इसे सबक सिखाना होगा।”
अचानक अर्जुन ने अपना हाथ उठाया और प्रिया के गाल पर जोर से एक थप्पड़ मारा। “बहुत सवाल कर रही है। जब पुलिस कुछ कहे तो चुपचाप मान लेना चाहिए,” वह गुस्से में बोला। प्रिया का सिर एक पल के लिए घूम गया। लेकिन उन्होंने तुरंत खुद को संभाल लिया। उनकी आंखों में गुस्सा साफ झलक रहा था। अर्जुन हंसते हुए बोला, “अभी भी इसकी आंखों में घमंड है। ऐसे कितनों को ठीक कर चुका हूं। इसे अच्छी तरह से सबक सिखाना होगा।”
एक कांस्टेबल आगे आया और बोला, “सर, इसे थाने ले चलते हैं। वहीं इसका इलाज होगा। तब समझेगी कि पुलिस से कैसे बात की जाती है।” फिर एक और कांस्टेबल ने प्रिया का हाथ पकड़ कर खींचते हुए कहा, “चलो, गाड़ी में बैठो।” प्रिया ने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और गुस्से में बोली, “हाथ लगाने की कोशिश मत करना वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा।”
इंस्पेक्टर अर्जुन और भड़क गया। उसने एक और कांस्टेबल से कहा, “देखो इसका घमंड।” कांस्टेबल आगे बढ़ा और प्रिया के बाल पकड़ कर खींचने लगा। प्रिया दर्द से करा उठी। फिर भी उन्होंने अब तक अपनी असली पहचान नहीं बताई थी। वह देखना चाहती थी कि यह लोग कितनी नीचता तक जा सकते हैं।
इसी बीच एक पुलिसकर्मी ने गुस्से में उनकी बाइक पर लाठी मार दी और ऊंची आवाज में बोला, “बड़ी आई साधु बनने वाली, अब तुझे खिलौना बनाकर खेलेंगे।” प्रिया वर्मा अब अच्छे से समझ चुकी थी कि उनके साथ क्या होने वाला है। इंस्पेक्टर की आंखों में गुस्सा भरा था। वह जोर से चिल्लाया, “तेरे जैसे कई होशियार देखे हैं। पुलिस से पंगा लेगी। आज मजा चखाएंगे। चलो, इसे थाने ले चलते हैं। वहां समझ में आ जाएगा।”
इस समय भी प्रिया वर्मा चुप थी। वह अब भी अपनी पहचान उजागर करने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी। वह देखना चाहती थी कि यह लोग प्रशासन की कितनी बदनामी कर सकते हैं और एक आम नागरिक पर किस हद तक जुल्म ढा सकते हैं। थाने में घुसते ही इंस्पेक्टर अर्जुन जोर से चिल्लाया, “ओए, कहां गए सब? चाय पानी लगाओ जल्दी। आज एक खास माल आया है।” प्रिया वर्मा अब भी कुछ नहीं बोली। बस थाने की दीवारों को देखती रही।
वह देख रही थी कि यह लोग उन निरीह लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं जो कभी आवाज नहीं उठाते। तभी एक कांस्टेबल इंस्पेक्टर अर्जुन की ओर झुक कर फुसफुसाया, “क्या केस है सर?” इंस्पेक्टर ने हंसते हुए कहा, “अरे, कुछ भी नहीं। स्पीड ब्रेक करो या हेलमेट का बहाना मारो। जो मन हो लिख दो। बस अनवर करना है और इसका घमंड तोड़ना है। ज्यादा सवाल मत कर।”
प्रिया सब कुछ सुन रही थी, लेकिन उनकी आंखें अब भी चुप थीं। मानो वह चाहती थीं कि पुलिस की यह गिरावट खुद उनके ही मुंह से उजागर हो। इंस्पेक्टर कुर्सी पर बैठा हाथ में पेन लिया और टेबल पर घुमाने लगा। फिर प्रिया की ओर देखकर पूछा, “नाम क्या है? कहां रहती है? किसकी बेटी है?” प्रिया चुप रही। फिर इंस्पेक्टर बोला, “सुनाई नहीं देता। नाम क्या है तेरा?”
लेकिन प्रिया की चुप्पी अब भी पत्थर की दीवार जैसी अडिग थी। तभी इंस्पेक्टर ने जोर से मेज पर हाथ मारा। इतनी जोर से कि आवाज पूरे थाने में गूंज उठी। फिर गुस्से से चिल्लाया, “सुनाई नहीं देता, नाम बता जल्दी।” प्रिया ने मुंह घुमाकर शांत स्वर में उत्तर दिया, “जी, राखी शर्मा।”
इंस्पेक्टर उसके चेहरे की ओर देखकर हंसते हुए बोला, “ओ, बड़ी चालाक लड़की है तू। झूठ बोलने में तुझे खासा तजुर्बा है। लेकिन याद रख, ज्यादा होशियारी महंगी पड़ती है। एक भी गलती की तो पछताने का मौका तक नहीं मिलेगा।” फिर प्रिया वर्मा को जबरदस्ती उस सड़ी हुई हवालात में डाल दिया गया, जहां पहले से दो कैदी मौजूद थे। उनमें से एक कैदी ने प्रिया की ओर देखते हुए पूछा, “बहन, तूने क्या गुनाह किया है?”
प्रिया ने हल्की सी मुस्कान दी, लेकिन कुछ नहीं बोली। अब वह बस देख रही थी कि यह पूरा सिस्टम कितना सड़ चुका है। अगर एक अधिकारी को बिना वजह अंदर किया जा सकता है, तो आम आदमी की हालत तो सोच पाना भी मुश्किल है। उधर इंस्पेक्टर अर्जुन सिंह एक झूठी रिपोर्ट बना रहा था। उसने आदेश दिया, “इसके ऊपर चोरी और ब्लैकमेलिंग का केस ठोक दो।”
और फाइल पर हाथ मारते हुए बोला, “चलो जल्दी।” एक कांस्टेबल ने हिचकते हुए पूछा, “लेकिन सर, बिना सबूत?” अर्जुन हंसते हुए बोला, “इस थाने में सबूत लाए नहीं जाते, बनाए जाते हैं।”
कुछ देर बाद एक कांस्टेबल कोठरी में आया और प्रिया के कंधे पर जोर से हाथ मारा। तभी इंस्पेक्टर अर्जुन सिंह ने भी हाथ उठाया ही था कि तभी दरवाजे पर एक भारी कड़क आवाज गूंजी। “रुको।” सभी लोग घूमकर दरवाजे की ओर देखने लगे। वहां सीनियर इंस्पेक्टर राजेश वर्मा खड़ा था। उसकी छवि बाकी अफसरों से कुछ बेहतर मानी जाती थी।
उसने अंदर झांका और महिला की हालत देखकर उसके माथे पर बल पड़ गया। उसने सख्त स्वर में पूछा, “यह सब क्या हो रहा है?” अर्जुन हंसते हुए बोला, “सर, एक सड़क की औरत ज्यादा अकड़ दिखा रही थी। सबक सिखा रहा हूं।”
राजेश ने प्रिया को ध्यान से देखा। उनका व्यवहार किसी आम महिला जैसा नहीं लग रहा था। उसने पूछा, “इसका अपराध क्या है?” अर्जुन थोड़ा घबरा गया और बोला, “अब सर, चेकिंग में बदतमीजी कर रही थी।” अब राजेश को शक होने लगा। उसने प्रिया से सीधे पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?”
प्रिया फिर भी चुप रही। अर्जुन हंसते हुए बोला, “देखिए सर, नाम भी नहीं बता रही है।” अब राजेश पूरी तरह सतर्क हो गया। उसने सख्त आदेश दिया, “इसे अलग कोठरी में रखो अकेले।” अर्जुन चौंक गया। लेकिन सर, राजेश ने कठोरता से कहा, “मैं खुद इसके पास रहूंगा।”
उसके आदेश पर प्रिया को एक और अलग कोठरी में ले जाकर बंद किया गया। वह कोठरी पहले वाली से भी ज्यादा बदबूदार और अंधेरी थी। प्रिया ने चारों ओर नजर दौड़ाई। अब वह इस सड़े गले सिस्टम का असली चेहरा और भी करीब से देख रही थी।
इसी बीच एक कांस्टेबल दौड़ते हुए आया और बोला, “सर, बाहर एक बड़ी गाड़ी खड़ी है।” अर्जुन चौंक गया। पूछा, “कौन सी गाड़ी?” कांस्टेबल घबराते हुए बोला, “सर, सरकारी गाड़ी?” अर्जुन तुरंत बाहर गया। गाड़ी के अंदर झांकते ही उसके होश उड़ गए। वो भागकर वापस आया और धीमी आवाज में बोला, “सर, कमिश्नर साहब आए हैं।”
अर्जुन का चेहरा पीला पड़ गया। राजेश वर्मा भी सतर्क हो गया। अब मामला सीधे ऊपर तक पहुंच चुका था। कमिश्नर साहब थाने में दाखिल हुए। उनकी आंखों में गुस्सा साफ झलक रहा था। उन्होंने अर्जुन की ओर देखकर सख्त स्वर में पूछा, “इंस्पेक्टर अर्जुन, यह क्या तमाशा चल रहा है यहां?”
अर्जुन घबरा गया और बोला, “कुछ नहीं सर, एक छोटा सा केस है बस।” कमिश्नर साहब ने टेबल से फाइल उठाई और ध्यान से पढ़ने लगे। उनके माथे पर शिकन आ गई। फिर वह कोठरी की तरफ झांके और बोले, “यह कौन है?”
अर्जुन तुरंत बोला, “सर, इस महिला पर 420 और धोखाधड़ी का केस है।” कमिश्नर ने सीधा सवाल किया, “तुम्हारे पास सबूत है?” फिर दोबारा बोले, “कोई भी सबूत है तुम्हारे पास?” अब अर्जुन पूरी तरह फंस चुका था।
कमिश्नर साहब ने सीधे महिला की ओर देखा और पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” और तभी पहली बार प्रिया वर्मा ने हल्की सी मुस्कान दी और कहा, “अधिकारी प्रिया वर्मा।” थाने में एकदम सन्नाटा छा गया। हर चेहरा पीला पड़ गया। अर्जुन के हाथपांव कांपने लगे। बाकी सभी कांस्टेबल हैरान होकर एक दूसरे की ओर देखने लगे।
अर्जुन के पैरों तले जमीन खिसक गई। जिस महिला को वह एक मामूली अपराधी समझ रहा था, वह थी वही अधिकारी जो पूरे जिले की प्रशासनिक व्यवस्था संभालती थी। वह कोई आम औरत नहीं थी। वह थी स्वयं अधिकारी प्रिया वर्मा। जब यह सच्चाई सबके सामने आई, पूरे थाने में हड़कंप मच गया।
कमिश्नर साहब ने तेज गुस्से से भरी नजर से इंस्पेक्टर अर्जुन की ओर देखा और गरजते हुए बोले, “अर्जुन, तुझ में इतनी हिम्मत आई कैसे कि तू एक सीनियर ऑफिसर पर झूठा आरोप लगाने की जुर्रत कर बैठा?” अर्जुन कुछ बोलने की कोशिश कर ही रहा था कि तभी पास में खड़े सीनियर इंस्पेक्टर राजेश वर्मा जोर से बोले, “सर, मैंने पहले ही कहा था कि यहां कुछ ना कुछ गड़बड़ है।”
अब अर्जुन पूरी तरह अकेला पड़ चुका था। तभी पहली बार प्रिया वर्मा ने अपनी शांत लेकिन दृढ़ आवाज में सीधा फैसला सुना दिया, “अर्जुन, अब तेरी नौकरी गई। तेरा सस्पेंशन पक्का और तेरे खिलाफ अब केस भी चलेगा।” यह सुनते ही अर्जुन का चेहरा जैसे सफेद पड़ गया।
राजेश वर्मा ने तुरंत आदेश दिया, “हवलदार साहब, इसे पकड़ो और लॉकअप में डालो।” लेकिन तभी अर्जुन ने अपनी जेब से एक मुड़ा हुआ कागज निकाला और मुस्कुराते हुए बोला, “रुको मैडम, यह पहले देख लो फिर जो करना हो कर लेना।” उसने कागज आगे बढ़ाया।
कमिश्नर और प्रिया दोनों की नजरें एक साथ उसकी ओर गईं। अर्जुन बोला, “ये लो, मेरा ट्रांसफर ऑर्डर। तीन दिन पहले ही मेरा तबादला हो चुका है। अब चाहे तुम जितना भी गुस्सा करो, मुझे नौकरी से नहीं निकाल सकती।” पूरे थाने में फिर एक बार सन्नाटा छा गया।
प्रिया ने वह कागज हाथ में लिया और ध्यान से पढ़ा। कमिश्नर ने राजेश वर्मा की ओर तीखी नजर डालते हुए कहा, “जाओ, देखो यह कागज असली है या सिर्फ दिखावा।” राजेश ने कंप्यूटर रिकॉर्ड खंगाला और फिर सिर उठाकर बोला, “सर, यह असली है लेकिन अब तक इसने नए इंस्पेक्टर को चार्ज नहीं सौंपा है यानी अभी तक यहां का आधिकारिक इंस्पेक्टर यही है और सारे कुकर्म इसी के कार्यकाल में हुए हैं। अब इसे कोई नहीं बचा सकता।”
प्रिया वर्मा ने अर्जुन की आंखों में आंखें डालकर कहा, “अब तेरा नया ठिकाना वहीं होगा जहां तू दूसरों को डाला करता था।” कमिश्नर ने भी सिर हिलाकर उनकी बात पर अपनी मोहर लगा दी। जैसे ही दो कांस्टेबल उसे पकड़ने आगे बढ़े, अर्जुन फिर से चाल चल गया और जोर से बोला, “रुको मैडम, मैं अकेला नहीं हूं। क्या आपको लगता है कि सारा दोष सिर्फ मेरा है?”
फिर वह थाने के बाकी पुलिस वालों की ओर इशारा करते हुए बोला, “यह सब मेरे साथ थे। ऊपर तक सब शामिल हैं।” इतना कहते ही कुछ पुलिसकर्मियों के चेहरों का रंग उड़ गया। राजेश वर्मा हालात को भांप कर एक-एक करके सभी की ओर शक की नजरों से देखने लगे।
प्रिया वर्मा ने शांत लेकिन दृढ़ स्वर में कमिश्नर की ओर देखते हुए कहा, “अब इस पूरे थाने को साफ करना होगा। कोई नहीं बचेगा।” कमिश्नर ने भी सिर हिलाते हुए कहा, “जो हुकुम मैडम, अब एक-एक करके सबका हिसाब लिया जाएगा।” यह बात मुंह से निकलते ही थाने के भीतर बिजली सी गिर गई।
थाने के बाहर कुछ पत्रकार पहले से खड़े थे। उन्हें पहले से ही शक था कि थाने के अंदर कोई बड़ा घोटाला चल रहा है। जैसे ही उन्हें खबर मिली कि पूरा थाना लाइन हाजिर किया गया है, उन्होंने तुरंत मोबाइल से ब्रेकिंग न्यूज़ वायरल करना शुरू कर दिया।
उसी वक्त एक चमचमाती गाड़ी थाने के सामने आकर रुकी। दरवाजा खुला और स्वयं एसएसपी साहब बाहर आए। चारों ओर नजर दौड़ाई। हर चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं। थाने के सारे अफसर एक तरफ चुपचाप खड़े थे। एसएसपी साहब ने तीखे स्वर में पूछा, “यहां कब से तमाशा चल रहा है?” लेकिन कमिश्नर और थाना इंचार्ज दोनों एकदम चुप थे।
तभी प्रिया वर्मा ने सीधे एसएसपी की आंखों में आंखें डालकर कहा, “क्या तुम्हें लगता है कि तुम बच जाओगे?” राजेश वर्मा तुरंत एक फाइल निकालकर प्रिया वर्मा के हाथ में थमा दी। यह वही फाइल थी जिसमें एसएसपी साहब के सारे काले कारनामों का पर्दाफाश था।
प्रिया ने वह फाइल एसपी साहब की ओर बढ़ाते हुए कहा, “लो, देखो इसमें तुम्हारे हर गुनाह का हिसाब लिखा है।” एसएसपी साहब के माथे से पसीना बहने लगा। कमिश्नर ने बिना एक पल गवांए तेज आवाज में आदेश दिया, “पकड़ो इसे तुरंत गिरफ्तार करो।” पूरा थाना स्तब्ध रह गया।
इतने बड़े अफसर को किसी ने पहली बार खुलेआम इस तरह चुनौती दी थी। एसपी की गिरफ्तारी के साथ ही पूरे जिले में तूफान आ गया। मामला दिल्ली तक पहुंच गया। मुख्यमंत्री तक खबर पहुंच चुकी थी और वहां से सीधे आदेश आया कि जिले में जितने भी अफसर मिलकर गड़बड़ कर रहे थे, सबको गिरफ्तार करो।
अगले दो ही दिनों में पूरे जिले से 40 से ज्यादा पुलिस अफसर, 10 से ज्यादा बड़े अधिकारी और कुछ राजनीतिक नेता भी गिरफ्तार कर लिए गए। किशनगढ़ जिले की हवा ही बदल गई। अब चारों तरफ सिर्फ एक ही नाम था: अधिकारी प्रिया वर्मा। उनकी ईमानदारी और साहस की चर्चा हर जुबान पर थी।
वह महिला जिन्होंने पूरे सड़े गले सिस्टम को हिला कर रख दिया था। अब प्रशासन में एक नई गति, एक नई सोच और सबसे अहम, एक नया डर आ गया था। अब कोई भी यह नहीं कह सकता था, “मुझे कुछ नहीं होगा।” प्रिया वर्मा का काम पूरा हो चुका था। उन्होंने साबित कर दिया था कि अगर मन साफ हो, नियत सच्ची हो, तो पूरा देश भी सुधारा जा सकता है।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी भी किसी को कमतर नहीं समझना चाहिए। एक साधारण दिखने वाली महिला ने अपने साहस और ईमानदारी से एक सड़े गले सिस्टम को चुनौती दी और साबित किया कि सच्चाई और न्याय की हमेशा जीत होती है।
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