कहानी: संगीता और शिवम की प्रेम कहानी
कर्नाटक के एक छोटे से गाँव में दीनाना नामक एक आदमी अपनी नाव चलाकर अपने परिवार का पेट पालता था। उसकी एक बेटी, संगीता, हमेशा उसके लिए दोपहर का खाना लेकर आती थी। संगीता की उम्र 17-18 साल थी और वह बहुत खूबसूरत और भोली भाली थी। उसे नाव चलाना बहुत पसंद था और जब भी कोई यात्री आता, वह खुशी-खुशी उन्हें पार ले जाती।
एक दिन, संगीता के जीवन में एक नया मोड़ आता है। एक युवक, शिवम, जो 23-24 साल का था, उस पार जाने के लिए आया। शिवम ने संगीता की सादगी और खूबसूरती को देखकर उसकी तारीफ की। संगीता थोड़ी शर्माई, लेकिन धीरे-धीरे वह भी शिवम के प्रति आकर्षित होने लगी। दोनों के बीच बातचीत होने लगी और संगीता को शिवम की बातें अच्छी लगने लगीं।
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शिवम ने संगीता से कहा कि उसे नाव चलाना सीखना है। संगीता हंसते हुए कहती है कि पहले तुम्हें तैरना आना चाहिए। दोनों के बीच यह मजेदार बातचीत होती रही। शिवम ने संगीता को ₹100 देने की कोशिश की, लेकिन उसने केवल ₹20 लेने की बात कही। यह उनकी पहली मुलाकात थी, लेकिन शिवम के मन में संगीता के लिए एक खास जगह बन गई थी।
अगले दिन, शिवम फिर से संगीता से मिलने आया। उसने संगीता से कहा कि उसे उसकी याद आती है। संगीता भी उसे पसंद करने लगी थी, लेकिन वह नहीं जानती थी कि प्यार क्या होता है। दोनों ने एक-दूसरे के प्रति अपने भावनाओं को व्यक्त किया, और शिवम ने संगीता से कहा कि वह उससे शादी करना चाहता है। संगीता ने कहा कि यह संभव नहीं है, फिर भी वह उसे प्यार करती है।

कुछ समय बाद, संगीता की छोटी बहन की शादी हुई। शादी के बाद, शिवम और संगीता ने एक दूसरे के परिवारों को जानने का फैसला किया। लेकिन शिवम के माता-पिता ने संगीता को स्वीकार करने से मना कर दिया। शिवम ने कहा कि वह संगीता से शादी करेगा, लेकिन उसके माता-पिता को यह मंजूर नहीं था। शिवम ने अपनी बात पर अडिग रहते हुए कहा कि वह संगीता के बिना नहीं रह सकता।
धीरे-धीरे, शिवम और संगीता की शादी हो गई। शादी के बाद, शिवम ने संगीता को बहुत प्यार दिया, लेकिन उसके माता-पिता ने उसे ताने मारने शुरू कर दिए। संगीता ने सब सहन किया क्योंकि वह जानती थी कि शिवम उसे प्यार करता है। लेकिन जब शिवम काम पर जाता, तब संगीता को अकेलापन महसूस होता था।
एक दिन, शिवम की मां ने संगीता के सामने अपशब्द कहे, जिससे शिवम का धैर्य टूट गया। उसने नदी में छलांग लगा दी। संगीता उसे बचाने के लिए कूद गई। दोनों पानी में फंस गए और संगीता ने शिवम को पकड़ रखा था। वह जानती थी कि वह तैर नहीं पाएगी, फिर भी उसने शिवम को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की।
दो घंटे बाद, कुछ लोग उन्हें बचाने आए। संगीता बेहोश हो गई, और शिवम को भी गंभीर चोट आई। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन संगीता का बच्चा खो गया। इस कठिन समय में, शिवम के माता-पिता ने अपनी गलतियों को समझा और संगीता से माफी मांगी।
कुछ समय बाद, दोनों ठीक हो गए और घर लौट आए। अब उनके पास दो बच्चे हैं और वे एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं। आज भी, जब वे उस घाट पर जाते हैं, तो अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हैं। उन्होंने अपने प्यार को साबित किया और अब उनके परिवार वाले भी उन्हें समर्थन करते हैं।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चा प्यार हर मुश्किल को पार कर सकता है। संगीता और शिवम की कहानी एक प्रेरणा है कि जब प्यार सच्चा हो, तो हर बाधा को पार किया जा सकता है।
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