गरीब ऑटो ड्राइवर की ईमानदारी ने बदल दी अमीर लड़की की जिंदगी
कभी-कभी किस्मत हमें ऐसे मोड़ पर ले आती है, जहां एक छोटी सी ईमानदारी किसी की पूरी जिंदगी बदल देती है। ऐसी ही एक कहानी है कोलकाता के अर्जुन की, जो एक साधारण लेकिन बेहद ईमानदार ऑटो ड्राइवर था।
अर्जुन की जिंदगी संघर्षों से भरी थी। पिता के गुजर जाने के बाद मां की दवाइयों, बहन की पढ़ाई और घर का किराया सब उसी के कंधों पर आ गया था। रोज की तरह वह अपनी पुरानी ऑटो लेकर सवारियों की तलाश में निकला था। जेब में मुश्किल से कुछ सिक्के थे लेकिन आंखों में ढेर सारे सपने। अर्जुन उन लाखों गरीब लड़कों जैसा नहीं था जो हालात से हार मान लेते हैं, बल्कि उसके अंदर मेहनत और ईमानदारी का जज्बा था।
दोपहर की गर्मी में एक प्यारी सी लड़की ने उसे हाथ दिखाकर ऑटो रोका। उसके पास एक बड़ी सी थैली थी, जो शायद उसके लिए बेहद कीमती थी। लड़की ने लोकल मार्केट तक चलने को कहा और अर्जुन ने मुस्कुराते हुए ऑटो बढ़ा दी। लड़की का मासूम चेहरा अर्जुन के दिल को छू गया। मार्केट पहुंचकर लड़की ने किराया दिया और भीड़ में कहीं गुम हो गई।
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कुछ देर बाद महिला कॉलेज के बाहर कुछ लड़कियों ने ऑटो रुकवाया। उनमें से एक ने आगे सीट के नीचे पड़ी थैली की ओर इशारा किया। अर्जुन ने देखा, वही थैली जिसे पिछली लड़की भूल गई थी। उसने थैली को संभाल लिया और लड़कियों को हॉस्टल छोड़कर बेचैन हो गया। जब ऑटो खाली हुआ, अर्जुन ने हिम्मत करके थैली खोली। अंदर चमचमाते सोने के गहनों का ढेर था। उसकी आंखें फटी रह गईं। यह सब उसकी सोच से भी कहीं ज्यादा कीमती था। अगर वह चाहता तो अपनी बहन की फीस, मां का इलाज और घर का किराया आराम से चुका सकता था।
लेकिन अर्जुन ने अपने पिता की कही बात याद की—”ईमानदारी से बड़ा कोई धन नहीं होता।” उसने खुद से वादा किया कि वह यह अमानत लौटाएगा। अर्जुन उसी बाजार में लड़की की तलाश करने लगा। कई दिन तक वह उसी इलाके में घूमता रहा, हर चेहरे को गौर से देखता रहा, लेकिन लड़की नहीं मिली। पैसे खत्म होने लगे, ऑटो का पेट्रोल भी लगभग खत्म हो गया, मगर अर्जुन का हौसला नहीं टूटा।
बारह दिन बाद एक शाम, अर्जुन की नजर एक रेस्टोरेंट के बाहर खड़ी चमचमाती कार पर पड़ी। उसमें से वही लड़की उतरी, लेकिन इस बार अमीरी की चमक में लिपटी हुई थी। अर्जुन ने हिम्मत जुटाकर उससे बात की। उसने बताया कि उसकी थैली अर्जुन के पास है। लड़की की आंखों में आंसू आ गए। उसने कहा, “उसमें मेरे पापा का दिया हुआ लॉकेट था, जिसमें मेरी मां की आखिरी तस्वीर थी।”
अर्जुन ने थैली लौटा दी। लड़की ने भावुक होकर कहा, “पापा हमेशा कहते थे कि गरीब लोग बेईमान होते हैं, लेकिन आज तुमने साबित कर दिया कि दिल की दौलत सबसे बड़ी होती है।” उसने अर्जुन को इनाम देना चाहा, लेकिन अर्जुन ने विनम्रता से मना कर दिया।
धीरे-धीरे दोनों के बीच एक अनकहा रिश्ता बन गया। लड़की, जिसका नाम राधिका था, अब अर्जुन के संघर्ष और उसकी ईमानदारी को समझने लगी थी। वह अक्सर अर्जुन को कॉल करती और उसके ऑटो में सफर करती। अर्जुन के दिल में राधिका के लिए खास जगह बनती गई, लेकिन वह अपनी हैसियत जानता था।
राधिका के जन्मदिन पर उसने अपने पिता से अर्जुन से शादी की इच्छा जताई। पहले तो पिता नाराज हुए, लेकिन राधिका की जिद और अर्जुन की ईमानदारी देखकर उन्होंने अपनी सोच बदल दी। उन्होंने अर्जुन को एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी दिलवाई। कुछ महीनों बाद सादगी भरे समारोह में राधिका और अर्जुन की शादी हो गई।
अब अर्जुन का छोटा सा किराए का घर ही राधिका का घर बन गया। वहां प्यार, सम्मान और ईमानदारी का अनमोल खजाना था। अर्जुन को एहसास हुआ कि ईमानदारी का रास्ता मुश्किल जरूर है, लेकिन उसका फल हमेशा मीठा होता है।
दोस्तों, अगर आपके सामने भी ऐसी परीक्षा आए तो आप क्या चुनेंगे—ईमानदारी या फायदा? कमेंट में जरूर बताइए।
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