रिक्शावाले ने अमीर सेठ को पहुँचाया हॉस्पिटल, जब सेठ ने किराया पूछा तो उसने जो माँगा सुनकर होश उड़ गए!
नेकी का सौदा – हरी और सेठ दामोदर दास की कहानी
कभी-कभी जिंदगी की सबसे अंधेरी रातों में किसी अजनबी की इंसानियत एक ऐसी रोशनी बन जाती है, जो न सिर्फ राह दिखाती है बल्कि मंजिल ही बदल देती है। यह कहानी है एक ऐसे ही रिक्शा चालक, “हरी” की, जिसके हाथ मेहनत से कठोर और दिल मोम से भी नरम था; और एक दौलतमंद सेठ की, जिसे माल, जमीन, गहने – सब कुछ हासिल था, सिवाय सच्चे सुख के।
शहर, जीवन और अधूरी ख्वाहिशें
लखनऊ की तंग गलियों में हरी की रिक्शा रोज़िंदगी ढोते-ढोते बूढ़ी हो चली थी, मगर उसके हौसले जवान थे। वह और उसकी पत्नी शांति गोमती किनारे एक छोटे से कच्चे मकान में रहते। उनकी दुनिया खुश थी… मगर, सालों पहले उनके इकलौते बेटे, मोहन, की बीमारी और उचित इलाज न मिल पाने की वजह से हुई मौत ने उनकी रूह में हमेशा के लिए एक खाली जगह छोड़ दी थी। मोहन की याद में, हरी ने अपना ग़म सेवा में बदल डाला – रोज अपनी कमाई में से एक हिस्सा बस्ती के गरीब बच्चों के लिए किताबों, दवा, खाना में खर्च करता। उसका सपना था – “मोहन का दवाखाना” – एक छोटा अस्पताल, जहां किसी गरीब बच्चे की जान सिर्फ पैसों के अभाव में न जाए।
दस साल में, अंगुलियों के बराबर गिनती चली – दवा के डिब्बे में चिल्लर गिनी जाती, मगर सपना जिंदा रखा। उसी सर्द, तूफानी और बरसात भरी रात की शुरुआत भी, हरी के लिए रोज जैसी थी…
तूफान, रिक्शा और एक अजूबा सफर
तेज़ बारिश में लोग घरों में दुबक गए। हरी अपने रिक्शे और खुद को बचाता, थका-हारा लौट रहा था। तभी हजरतगंज के पास उसकी नजर सड़क किनारे पड़े एक बूढ़े पर गई – कीमती कपड़े, हाथ कलेजे पे, सांस परेशान, मगर हर गाड़ी आगे बढ़ जाती, भीगी-सर्द रात में कोई नहीं रुकता। हरी ने रिक्शा रोका, अपना गमछा दिया, बोला – “सेठ जी, चिंता मत करो, मैं जान दे दूंगा पर आपको कुछ नहीं होने दूंगा!” उसे अपने मोहन की वो आखिरी रात याद आई – वह चाहकर भी बेटे को अस्पताल नहीं पहुंचा पाया था, आज वक्त जैसे उसके सामने एक बार फिर ठहर गया।
रिक्शे में बिठाकर, हरी खुद पानी में भीगता, छाती फूलती, कंधे झुकते, मगर हिम्मत ना हारता – रास्ते भर बूढ़े सेठ को बातों में लगाए रखा: “आंखें मत बंद कीजिए सेठ जी। याद करो अपने बच्चों की मुस्कान… देखो, होस्पिटल बस आ गया!”
आधे घंटे की इस जद्दोजहद के बाद, अस्पताल के दरवाजे पर पहुंचा। हरी ने सबको चिल्लाकर बुलाया – और डॉक्टरों ने जल्दी इमरजेंसी में ले जाकर जान बचा ली। डॉक्टर बोले, “एक मिनट की भी देरी होती तो जान नहीं बचती।”
नेकी का इनाम – “क्या लोगे बदले में?”
हरी कुछ सोए, कुछ जागे दिल से, चुपचाप वापस घर चला गया – नाम, पता, पैसा कुछ न बताया। दूसरे दिन सेठ के होश में आने पर, उसने अपने मैनेजर को बोला – “उस फरिश्ते रिक्शे वाले को ढूंढ़ा जाए। मैं उसकी नेकी का कर्ज उतारना चाहता हूँ।” मगर हरी कहाँ मिलता? कई चक्कर कटे, एक हफ्ते बाद वो फिर उसी अस्पताल के बाहर सवारी ढूंढ़ता मिलता है। सेठ के मेनेजर ने उसे पहचाना, और अपने मालिक के पास ले गया।
सेठ दामोदर दास – शहर का प्रसिद्द उद्योगपति, आज कमजोर शरीर और नम आँखें लिए, पूरे भरे-पूरे दिल से हरी को सामने बैठा कर पूछते हैं – “मांगो, क्या चाहिए? पैसा, घर, दुकान, बीवी के गहने, बच्चों की फीस, जितना चाहो, मैं सीट्ठी भर के दे सकता हूँ!”
हरी ने चुपचाप उनके हाथों में चिठ्ठी थमा दी और बोला – “सेठजी, मेरे लिए आपका धन एक धुंआ है, जिसका कोई काम नहीं। पर अगर मेरी एक गुजारिश सुन लें, तो मेरा दिल हमेशा के लिए आपका हो जाएगा।”
नेकी का सौदा – “मोहन का दवाखाना”
हरी ने वो सपना खोला, मोहन की कहानी सुनाई, रिक्शे में पड़े डिब्बे की जुटाई, और कहा – “मेरे बेटे को तो दुनिया की सारी दौलत भी लौटा नहीं सकती, पर अगर आप चाहें तो मेरी बस्ती के बच्चों के लिए एक अस्पताल खुलवा दें, जहां कोई मोहन पैसों के कारण न मरे… यही मेरी मेहनत का सबसे बड़ा इनाम होगा, सेठजी!”
सेठ दामोदर दास सुन्न पड़े सुनते रहे। उनके चेहरे पर सैकड़ों कर्जदारों का हिसाब-किताब, बिजनेस डील, गाड़ी-बंगला के गुरुरीत की जगह आज एक खालीपन था। धीमे से बोले – “हरी, तू मुझसे अमीर है। मैंने अपने पोते को किडनी की बीमारी से खोया, करोड़ों इलाज में झोंक दिए, पर ईश्वर ने मेरी दौलत खरीद नहीं पाई… अब हम दोनों मिलकर हजारों बच्चों के पिता बनेंगे। मैं तुझे वादा करता हूँ कि मोहन के नाम पर लखनऊ का सबसे बड़ा चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल बनेगा, जिसमें पैसे-पता-जात किसी की रोक नहीं होगी। और इस अस्पताल का मुख्य ट्रस्टी तू होगा, क्योंकि डॉक्टर और मैनेजर तो मिल जाते हैं… इंसान और दर्दमंद दिल नहीं।”
इस शहर ने देखा – इंसानियत की जीत
कुछ महीनों में ही—गोमती के घाट पर, शानदार अस्पताल की नींव पड़ी। सेठजी ने आधी जायदाद दान कर दी, हरी ने दिन-रात बस्ती के बच्चों के लिए भाग-दौड़ की, छाया, सफाई, पढ़ाई, दवा सब मुफ्त।
अस्पताल की पहली सालगिरह पर, हरी और सेठ दोनों सबसे आगे, किसी बच्चे का सिर सहलाते, किसी के लिए खिलौने लाते, तो किसी मां की दुआओं में शामिल हो जाते।
अब हरी के रिक्शे की जगह उसकी मुस्कान, बस्ती के हर बच्चे की हँसी में चमकती थी – और सेठ दामोदर दास की आँखों का आंसू, इस अस्पताल की सफलता में हर दिन नम होता रहा।
वे दोनों अब किसी एक बेटे के नहीं, हजारों गरीब बच्चों के अभिभावक बन गए। जो सुख लाखों की दौलत नहीं दे सकती थी, वह उन्हें इन मुस्कुराते चेहरों में मिलती रही।
कहानी का संदेश
नेकी और इंसानियत का कोई दाम नहीं होता। जिंदगी की असली दौलत – किसी जरूरतमंद की मुस्कान, किसी टूटे सपने को फिर से जोड़ना, और अपने दर्द को सबकी राहत बना देना है।
शायद आप हरी और सेठ दामोदर दास जैसे नहीं बन पाएं, लेकिन किसी रोज एक भूखे का पेट भर सकें, किसी मरीज के लिए सहयोग दे सकें, या किसी अजनबी को सहारा दे पाएं – तो समझिए आपकी दौलत सचमुच अमूल्य है।
अगर यह कहानी आपके दिल में जगह बना गई हो, जरूर शेयर करें; यह समाज को बदल सकती है… क्योंकि जब दो दिल इंसानियत के लिए साथ खड़े हो जाएं – इतिहास बनता है।
धन्यवाद।
News
Shefali Jariwala Husband Opens NGO in the name of his wife Shefali Zariwala Rise Foundation
A Legacy of Empowerment: Parag Tyagi Transforms Grief into Action with the Shefali Jariwala Rise Foundation Some tragedies change a…
Midnight Drama, Headlights & Viral Videos: INDIA Bloc’s ‘Vote Adhikar Yatra’ Kicks Off in Bihar Amid Hurdles”
Midnight Drama, Headlights & Viral Videos: INDIA Bloc’s ‘Vote Adhikar Yatra’ Kicks Off in Bihar Amid Hurdles” The much-anticipated INDIA…
Communal Tensions Rise in Rewa: Vandalism and Flag Incident at Century-old Mazaar Sparks Outrage”
Communal Tensions Rise in Rewa: Vandalism and Flag Incident at Century-old Mazaar Sparks Outrage” Incident Overview A disturbing incident in…
DSP’s Viral Reels, a B//urning Body, and Demands for CBI Probe: Unanswered Questions in the Sur Hasda Encounter
DSP’s Viral Reels, a B//urning Body, and Demands for CBI Probe: Unanswered Questions in the Sur Hasda Encounter A recent…
डॉक्टर ने गरीब का किया मुफ्त इलाज, 5 साल बाद जब मरीज मंत्री बनकर लौटा तो अस्पताल में सब कुछ बदल दिया
डॉक्टर ने गरीब का किया मुफ्त इलाज, 5 साल बाद जब मरीज मंत्री बनकर लौटा तो अस्पताल में सब कुछ…
KBC में जीते 1 करोड़, पैसा मिलते ही पत्नी भाग गयी, 1 साल बाद जब वो मिली तो उसकी हालत देखकर होश उड़ गए!
KBC में जीते 1 करोड़, पैसा मिलते ही पत्नी भाग गयी, 1 साल बाद जब वो मिली तो उसकी हालत…
End of content
No more pages to load