सऊदी अरब के रेगिस्तान में भारतीय लड़के को मिलीं 5 अरबी लड़कियां – फिर हुआ कुछ ऐसा कि सब हैरान रह गए!

राजू – निकम्मे से नायक बनने की कहानी

गांव का एक लड़का, राजू, जिसे सब निकम्मा समझते थे। मां-बाप रोज समझाते, “बेटा, मेहनत करो, पढ़ाई करो, कुछ बनो!” लेकिन राजू को न दोस्तों की महफिल छोड़नी थी, न गलियों की आवारगी। स्कूल के नाम पर पैसे लेता, लेकिन खर्च करता था चाय-सिगरेट और मस्ती पर। मां-बाप समझते रहे कि बेटा पढ़ रहा है, लेकिन सच तो कुछ और ही था।

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एक दिन, राजू का झूठ उसके बाप के सामने खुल गया। बाप का दिल टूट गया, आंखों में आंसू आ गए। उस रात राजू ने पहली बार महसूस किया कि उसने मां-बाप को कितना दर्द दिया है। उसी रात उसने फैसला किया – अब कुछ बनकर दिखाऊंगा!

राजू ने मजदूरी शुरू की, घर चलाने लगा, लेकिन मां-बाप चाहते थे कि बेटा अफसर बने। आखिरकार, उन्होंने राजू को परदेस भेजने का निर्णय लिया। बाप ने अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर राजू का वीजा और टिकट बनवाया। राजू पहुंच गया सऊदी अरब, जहां उसे एक सुनसान रेगिस्तान के फार्म में काम मिला। चारों तरफ सिर्फ रेत, ऊंट और बकरियां। कोई इंसान नहीं, कोई साथी नहीं।

एक तूफानी रात पांच अरबी लड़कियां रास्ता भटककर राजू के फार्म पर पहुंच गईं। डर से कांप रही थीं, मदद मांग रही थीं। राजू ने उन्हें पनाह दी, खाना खिलाया, तसल्ली दी। लड़कियां उसकी सादगी और ईमानदारी से प्रभावित हो गईं। अगले दिन जब उनकी गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई, तो वो राजू के साथ फार्म पर रुक गईं।

पांच दिन राजू ने उनका ख्याल रखा। लड़कियों ने उसकी कहानी सुनी – गरीबी, मां-बाप की कुर्बानी, उसकी मेहनत। सबका दिल पसीज गया। जब उनके घरवालों को राजू की ईमानदारी का पता चला, तो उन्होंने उसे अपने साथ काम करने का ऑफर दिया। दोगुनी तनख्वाह, इज्जत, आराम – सब कुछ मिला।

अब राजू उनका ड्राइवर, दोस्त, और साथी बन गया। वक्त के साथ लड़कियों के दिल में राजू के लिए खास जगह बन गई। पांचों उसे चाहने लगीं, लेकिन राजू सिर्फ एक से सच्चा प्यार करता था – सबसे खामोश, सबसे समझदार लड़की से। उसने अपने दिल की बात कही, लड़की ने भी हामी भर दी, लेकिन एक शर्त रखी – “अगर तुम मेरे लिए अपना मज़हब बदल सकते हो, तो मैं तुम्हारे साथ इंडिया चलने को तैयार हूं।”

राजू ने सच्चे दिल से इस्लाम कबूल किया, दोनों ने निकाह किया और इंडिया लौट आए। मां-बाप ने बहू को गले लगाया, खुशी से घर भर गया। गांव वाले हैरान थे – वही राजू, जो कभी निकम्मा था, आज इज्जतदार, खुशहाल और सबका हीरो बन गया था।

यह कहानी हमें सिखाती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, मेहनत, ईमानदारी और बदलाव की चाह इंसान को ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है।

अगर आप चाहें तो इस कहानी का दूसरा पार्ट भी लिखा जा सकता है, जिसमें राजू और उसकी अरबी पत्नी की नई जिंदगी, चुनौतियां और खुशियां बताई जाएं।
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