पुलिसवालों ने IPS मैडम को आम लड़की समझकर घसीटा..सच्चाई सामने आते ही दरोगा के पैरों तले जमीन खिसक गई

एक छोटे से शहर शांतिनगर में एक मासूम लड़की काजल रहती थी। उसके जीवन में एक नया मोड़ तब आया जब विधायक राजेश्वर सिंह का बिगड़ा हुआ बेटा विक्रांत उसके जीवन को नरक बनाने पर तुला हुआ था। विक्रांत काजल को लगातार परेशान करता, उसके रास्ते में खड़ा हो जाता, और अश्लील बातें करता। काजल और उसकी माँ दुर्गा देवी ने कई बार पुलिस में शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन उनकी एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई।

उस समय शांतिनगर की पुलिस व्यवस्था पर भ्रष्टाचार का बोलबाला था। इंस्पेक्टर प्रताप वर्मा ने विक्रांत को थाने का मालिक बना दिया था। ऐसे में काजल और उसकी माँ के लिए न्याय पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था।

लेकिन इसी बीच शांतिनगर में एक नए आईपीएस अधिकारी अवनी चौधरी की एंट्री हुई। अवनी अपनी ईमानदारी और न्यायप्रियता के लिए जानी जाती थीं। जब काजल और उसकी माँ ने अवनी के सामने अपनी व्यथा सुनाई, तो अवनी ने उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें न्याय मिलेगा।

अवनी ने मामले की तह तक जाने के लिए एक योजना बनाई। वह बिना किसी को बताए इस मामले की जांच करना चाहती थीं। अगले दिन अवनी ने साधारण वेश में दुर्गा देवी और काजल के साथ शांतिनगर थाने का दौरा किया। थाने में घुसते ही अवनी ने देखा कि वहां का माहौल बेहद लापरवाह था। उन्होंने इंस्पेक्टर प्रताप वर्मा के सामने अपनी पहचान जाहिर की और उन्हें सस्पेंड कर दिया।

अवनी के इस कदम से पूरे थाने में हड़कंप मच गया। मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से दिखाया और आम जनता में रोष फैल गया। सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिला संगठनों ने न्याय की मांग में आवाज उठाई।

अवनी ने अपनी टीम के साथ मिलकर विक्रांत को गिरफ्तार कर लिया। विक्रांत ने अपनी राजनैतिक पहुंच का इस्तेमाल कर गिरफ्तारी से बचने की कोशिश की, लेकिन अवनी ने उसे चेतावनी दी कि कानून की नजर में सब बराबर हैं।

विक्रांत पर उत्पीड़न, बदसलूकी और जान से मारने की धमकी का मामला दर्ज किया गया। मामला जिला एवं सत्र न्यायालय में गया, जहां अवनी ने एक मजबूत चार्ज शीट तैयार की और विक्रांत के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश किए।

अंततः न्यायालय ने विक्रांत को दोषी ठहराया और उसे कई साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला शांतिनगर ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गया। अवनी चौधरी ने ना केवल एक लड़की को न्याय दिलाया बल्कि पुलिस विभाग में एक बड़ा बदलाव भी लाया। शांतिनगर अब एक अधिक सुरक्षित और न्यायपूर्ण स्थान बन गया था जहां हर नागरिक जानता था कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और उन्हें न्याय मिलेगा।
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