DM बनने के बाद झोपडी मे पहुँची पत्नी ; तलाक के बाद भी पत्नी होने का फर्ज निभाया फिर आगे ….

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव की संकरी गलियों में पले-बढ़े राजवीर की ज़िंदगी बेहद साधारण थी। वह पढ़ाई में ठीक-ठाक था, पर अपनी मेहनत और लगन के बल पर उसने सरकारी नौकरी हासिल कर ली थी। गाँव में लोग उसे गर्व से देखते और कहते – “राजवीर तो अब बाबूजी बन गया है।” परिवार को भी उससे बहुत उम्मीदें थीं।

इसी बीच, उसकी शादी शहर की पढ़ी-लिखी लड़की प्रिया से कर दी गई। प्रिया खूबसूरत ही नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर और महत्वाकांक्षी भी थी। उसने मास्टर्स किया था और आगे UPSC की तैयारी करने का सपना संजोए बैठी थी। लेकिन शादी होते ही हालात बदल गए।

ससुराल वालों को लगा कि अब उसकी सारी ज़िम्मेदारियाँ घर तक सीमित रहनी चाहिए। जब भी वह किताबें खोलती, कोई न कोई ताना कसता – “इतनी पढ़ाई लिखाई से क्या होगा? अब तो घर संभालो।” कभी सास कहती – “बहू, किताबों से ज़्यादा ज़रूरी है रोटियाँ बेलना।” कभी ननद कह देती – “IAS बनने का शौक है तो शादी क्यों की?”

राजवीर दिल से बुरा नहीं था, लेकिन वह भी अपने परिवार के दबाव में आकर पत्नी को खुलकर सपोर्ट नहीं कर पाया। कभी चुप रहता, कभी प्रिया से ही कह देता – “समय आने पर देखेंगे, अभी सबको नाराज़ मत करो।”

धीरे-धीरे हालात बिगड़ते गए। प्रिया के सपनों और उसके ससुराल की उम्मीदों के बीच की खाई इतनी चौड़ी हो गई कि रिश्ता टूटने की कगार पर पहुँच गया। आखिरकार, भारी मन से प्रिया ने तलाक़ लेने का फ़ैसला कर लिया।

💔 तलाक़ का दर्द

प्रिया अपने मायके लौट आई। यह उसके लिए आसान नहीं था – समाज की बातें, रिश्तेदारों के ताने, औरत के माथे पर तलाक़ का कलंक – सब कुछ उस पर भारी था। लेकिन उसने ठान लिया था कि वह अपने सपनों को नहीं मारेगी।

दिन-रात पढ़ाई, नोट्स बनाना, किताबों के बीच खो जाना – यही उसकी दुनिया बन गई। कठिनाइयाँ बहुत थीं, लेकिन उसकी मेहनत रंग लाई। तीन साल बाद, जब नतीजे आए तो उसका नाम चयनित उम्मीदवारों में था। प्रिया अब IAS अधिकारी बन चुकी थी।

किस्मत का खेल

कुछ वर्षों बाद, किस्मत ने अजीब मोड़ लिया। प्रिया को जिस ज़िले में कलेक्टर बनाकर भेजा गया, वहीं राजवीर एक छोटे से सरकारी दफ़्तर में क्लर्क के पद पर काम करता था।

पहली बार दोनों का सामना तब हुआ जब प्रिया औचक निरीक्षण पर पहुँची। राजवीर ने जब दरवाज़ा खोला और सामने प्रिया को देखा, तो उसका गला सूख गया। वहीं प्रिया भी कुछ पल के लिए जड़ हो गई।

वक़्त थम सा गया था।

राजवीर के मन में पछतावे का सैलाब उमड़ पड़ा – “काश! उस समय मैं प्रिया का साथ देता, उसका सपना पूरा करने में मदद करता।”

वहीं प्रिया के मन में भी भावनाओं का तूफ़ान था। वह चाहती तो राजवीर को नज़रअंदाज़ कर सकती थी, लेकिन उसके चेहरे की उदासी ने उसका दिल पिघला दिया।

🌿 दिल की बात

कुछ मुलाकातों के बाद, दोनों ने एक-दूसरे से दिल की बात की। राजवीर ने आँसू भरी आँखों से कहा –
“प्रिया, गलती मेरी थी। मैं तुम्हारा साथी होते हुए भी तुम्हारा साथ नहीं दे पाया। अगर उस वक़्त मैं तुम्हारे सपनों के साथ खड़ा होता, तो शायद आज कहानी कुछ और होती।”

प्रिया की आँखें भी नम थीं। उसने धीमे स्वर में कहा –
“मैंने कभी तलाक़ के कागज़ों पर दिल से हस्ताक्षर नहीं किए थे, राजवीर। मजबूरी थी, हालात ऐसे बने कि अलग होना पड़ा। लेकिन सच कहूँ, मैंने कभी तुम्हें दिल से छोड़ा ही नहीं।”

उस क्षण, दोनों के बीच की दीवारें गिर गईं।

💍 फिर से मिलन

कुछ समय बाद, परिवार और समाज की परवाह किए बिना दोनों ने दोबारा शादी कर ली। इस बार प्रिया IAS अधिकारी थी और राजवीर एक साधारण क्लर्क, लेकिन उनके रिश्ते की नींव अब समझ और बराबरी पर टिकी थी।

यह कहानी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई। लोग कहते – “देखो, पढ़ाई-लिखाई और समझदारी रिश्तों को फिर से जोड़ सकती है।”

🌟 संदेश

यह सिर्फ़ राजवीर और प्रिया की प्रेम-कहानी नहीं है। यह उन तमाम औरतों की आवाज़ है, जिनके सपनों को शादी और समाज की ज़ंजीरों में बाँध दिया जाता है। यह कहानी बताती है कि –

शिक्षा कभी रुकनी नहीं चाहिए।

रिश्ते तभी मजबूत होते हैं जब सपनों को सम्मान मिले।

औरत सिर्फ़ घर तक सीमित नहीं, वह भी उड़ान भर सकती है।

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