“ पत्नी ,पति, को गरीब ड्राइवर समझा,, जब असली सच्चाई पता चली, तो होश उड़ गए,, फिर!

 छुपा हुआ हीरो

हर सुबह वही ताने, वही अपमान। “ड्राइवर हूं, मेरी जिंदगी खराब कर दी।” आदित्य चुपचाप सब सहता रहा। उसकी सास शकुंतला और पत्नी आरुषि, दोनों उसे नौकर समझती थीं। लेकिन आदित्य के दिल में एक राज था, एक इंतजार था उस वक्त का जब सारा सच सामने आएगा।

दिल्ली की सड़कों पर गाड़ियों की आवाजें गूंज रही थीं। एक साधारण कॉलोनी में आदित्य अपनी पत्नी आरुषि को ऑफिस छोड़ने के लिए तैयार हो रहा था। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे कोई तूफान छिपा हो। उसने अपनी पुरानी घिसी हुई चप्पलें पहनीं। तभी सास शकुंतला की तीखी आवाज गूंजी, “अरे निठल्ले, मेरी बेटी के टुकड़ों पर पल रहा है। कुछ काम करता नहीं।” हर सुबह यही तमाशा होता था। आदित्य चुप रहता, सिर झुकाकर बिना जवाब दिए अपने काम में लग जाता।

आरुषि राणा इंडस्ट्रीज की मालकिन थी – सशक्त, खूबसूरत और शहर में मशहूर बिजनेस वूमन। दो साल पहले उसके दादा जी ने मरने से पहले उसकी शादी आदित्य से करवा दी थी। लेकिन आरुषि को यह शादी बोझ लगती थी। वह अक्सर आदित्य को “मेरा ड्राइवर” या “घर का नौकर” कहकर ताने मारती। उसका मानना था कि आदित्य सिर्फ एक साधारण इंसान है।

उस सुबह आरुषि ने ठंडे लहजे में कहा, “मुझे 9 बजे मीटिंग के लिए जाना है, गाड़ी तैयार करो।”
“जी, अभी करता हूं,” आदित्य ने नरम स्वर में जवाब दिया।
वह गाड़ी की चाबी लेने गया, तभी शकुंतला रसोई से चिल्लाई, “पहले मेरे लिए चाय बना, गाड़ी बाद में।”
आदित्य ने चुपचाप चाय बनाई, लेकिन शकुंतला ने फिर तंज कसा, “चीनी कम है, कोई काम ढंग से नहीं कर सकता।”

आदित्य ने बिना जवाब दिए चाय का कप रखा और गाड़ी निकालने चला गया। उसका दिल चुभ रहा था, लेकिन वह चुप रहा। उसकी आंखों में चिंगारी थी, जैसे वह अपने अपमान का जवाब देने की तैयारी कर रहा हो।

रास्ते में आरुषि अपने फोन में बिजनेस मेल्स पढ़ती रही। उसने एक बार भी आदित्य की तरफ नहीं देखा। ऑफिस पहुंचते ही सिक्योरिटी गार्ड ने आदित्य को रोक लिया, “ड्राइवर है ना? बाहर इंतजार कर।”
आदित्य ने शांत स्वर में कहा, “मैं आरुषि मैम का पति हूं, मुझे अंदर जाना है।”
गार्ड ने हंसते हुए ठहाका लगाया, “पति? तू तो सस्ती चप्पलें पहनता है, बाहर जा।”

तभी आरुषि बाहर आई और गार्ड से बोली, “यह मेरा ड्राइवर है, इसे अंदर मत आने दो।”
आदित्य ने आरुषि का टिफिन थामे बाहर इंतजार किया। उसका दिल चुभ रहा था, लेकिन उसकी आंखों में चिंगारी और तेज हो गई। वह चुपचाप गाड़ी के पास खड़ा रहा, लेकिन मन ही मन कुछ बड़ा करने की ठान चुका था।

शाम को जब आदित्य घर लौटा, शकुंतला ने फिर ताने शुरू किए। “कहां घूम रहा था निठल्ले? दिनभर कुछ काम करता नहीं।”
आदित्य ने बिना जवाब दिए झाड़ू उठाई और फर्श साफ करने लगा। तभी आरुषि की दोस्त मीरा घर आई। उसने हंसते हुए कहा, “तेरा ड्राइवर तो बड़ा टैलेंटेड है, झाड़ू-पोछा करने में मास्टर है।”
आरुषि ने भी तंज कसा, “हां, यह मेरा नौकर है, बस यही काम करता है।”
आदित्य ने सिर झुकाए काम जारी रखा, लेकिन उसकी आंखों में चिंगारी अब और तेज हो गई थी। उसका मन अब और अपमान सहने को तैयार नहीं था।

उसी रात आदित्य को एक फोन आया। वह चुपके से बालकनी में गया और धीमी आवाज में बोला, “हां जोरावर, काम हो गया? ठीक है, कल ताजमहल पैलेस होटल में मिलते हैं।” उसकी आवाज में अनोखी ताकत थी।
आरुषि ने दरवाजे के पीछे से यह बात सुनी। उसके मन में सवाल उठा – जोरावर कौन था? आदित्य क्या छिपा रहा था?

अगली सुबह आदित्य ने आरुषि से कहा, “मुझे एक जरूरी काम से जाना है।”
“कहां?”
“बस जल्दी लौटूंगा।”
वह दिल्ली के शानदार ताजमहल पैलेस होटल के सामने खड़ा था। उसकी फटी शर्ट और घिसी चप्पलें देखकर गार्ड्स ने उसे भिखारी समझ लिया।
“यहां का पानी भी तेरा घर बेच देगा, निकल!”
“मुझे जोरावर साहब से मिलना है।”
“तुझ जैसे से जोरावर साहब बाथरूम साफ करवाएंगे?” गार्ड्स हंसे।

तभी आदित्य की पूर्व प्रेमिका वेदांती अपने बॉयफ्रेंड राजू के साथ वहां आई।
“इसे कुछ खाना दे दो, बेचारा भूखा लग रहा है।”
राजू ने हंसते हुए कहा, “हां, यह भिखारी है।”
आदित्य का दिल चुभा, लेकिन वह चुप रहा।

तभी एक आलीशान कार रुकी और उसमें से होटल का मालिक जोरावर उतरा। गार्ड्स ने आदित्य को धक्का दिया। लेकिन जोरावर की नजर आदित्य की अंगूठी पर पड़ी – एक चमकदार अंगूठी जिस पर ताज का निशान था।
“छोड़ो इसे!” जोरावर चिल्लाया और आदित्य के पैरों में गिर पड़ा, “टाइगर, मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हें पहचाना नहीं।”
सभी हैरान थे। वेदांती और राजू की आंखें फटी रह गईं। जोरावर दिल्ली का सबसे बड़ा होटल मालिक आदित्य के सामने क्यों झुका?

आदित्य ने शांत स्वर में कहा, “जोरावर, मुझे राजू के बारे में सब चाहिए। अभी।”
जोरावर ने सिर हिलाया, “जो आप कहेंगे, टाइगर।”

उसी शाम आरुषि एक हाई प्रोफाइल बिजनेस पार्टी में थी। पार्टी राणा इंडस्ट्रीज के लिए अहम थी। मीरा भी वहां थी।
मीरा ने हंसी, “तेरा ड्राइवर यहां क्या कर रहा है?”
“मैं आरुषि का पति हूं,” आदित्य ने कहा।
मीरा ने ठहाका लगाया, “तुम इसका पति? तुम तो ड्राइवर हो।”
आरुषि ने भी तंज कसा, “यह मेरा नौकर है, इसे बाहर इंतजार करने बोलो।”
आदित्य चुपचाप बाहर चला गया। उसकी आंखों में चिंगारी अब एक ज्वाला बन चुकी थी।

पार्टी में एक चालाक लड़का विनय, आरुषि का वीडियो बना रहा था। उसने आरुषि को शराब का गिलास ऑफर किया जिसे आरुषि ने ठुकरा दिया। फिर भी विनय ने चुपके से एक वीडियो बनाया जिसमें आरुषि नशे में दिख रही थी।

अगली सुबह वह वीडियो वायरल हो गया। “आरुषि राणा स्कैंडल” सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। ऑफिस के कर्मचारियों ने फुसफुसाना शुरू किया, “यह आरुषि मैम का ड्राइवर तो हर समय यहां घूमता है, शायद उसी ने वीडियो बनाया।”

आदित्य जो टिफिन लेकर आया था, यह सुनकर चुप रहा। उसका दिल टूट रहा था। लेकिन वह कुछ नहीं बोला।

आरुषि टूट चुकी थी। उसने अपने दादाजी की बनाई कंपनी को संभालने के लिए दिन-रात मेहनत की थी। लेकिन अब सब बर्बाद होता दिख रहा था।

तभी आदित्य कॉन्फ्रेंस रूम में दाखिल हुआ। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी।
“आरुषि, मुझे 5 मिनट दो, मैं सब ठीक कर दूंगा।”
सौरभ ने तंज कसा, “यह नाकारा क्या करेगा?”
आरुषि ने सौरभ को चुप कराया, “बोलो आदित्य।”

आदित्य ने फोन निकाला और एक नंबर डायल किया, “मिस्टर जोरावर, पूरे देश का इंटरनेट 2 घंटे के लिए बंद करवाइए। वो वीडियो हर प्लेटफार्म से हटाइए। विनय को मेरे सामने लाइए अभी।”
आरुषि ने हैरानी से पूछा, “आदित्य, यह क्या कह रहे हो? देश का इंटरनेट बंद करना?”
सौरभ ने हंसते हुए कहा, “यह पागल हो गया है।”

कुछ ही मिनटों बाद सभी के फोन की स्क्रीन काली हो गई। टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज़ चली – भारत में इंटरनेट ठप, साइबर विशेषज्ञ हैरान। सोशल मीडिया बंद हो गया। लोग अपने फोन चेक कर रहे थे, लेकिन कुछ काम नहीं कर रहा था। न्यूज़ चैनलों पर हंगामा मच गया।

2 घंटे बाद इंटरनेट चालू हुआ, लेकिन वह वीडियो गायब था। Facebook, Twitter, Instagram हर प्लेटफार्म से वह हट चुका था। न्यूज़ चैनलों पर खबरें चली, “वायरल वीडियो रहस्यमय तरीके से हटा।”

आरुषि ने आदित्य की ओर देखा, “आदित्य, तुमने यह कैसे किया?”
आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा, “अभी तो शुरुआत है।”

तभी सिक्योरिटी गार्ड्स विनय को अंदर लाए। वह कांप रहा था, “मुझे माफ कर दो सर, मैंने वह वीडियो राजू के कहने पर बनाया।”
“राजू कौन है?”
“राजू एक गुंडा है, उसका बॉस विक्रांत है। एक अंतरराष्ट्रीय माफिया। वह राणा इंडस्ट्रीज को बर्बाद करना चाहता है। उसने कहा कि अगर आरुषि की साख गिर जाएगी तो कंपनी के शेयर गिर जाएंगे और वह इसे सस्ते में खरीद लेगा।”

आरुषि के होश उड़ गए। “तो यह सब मेरी कंपनी के खिलाफ साजिश थी!”

आदित्य ने विनय से कहा, “राजू को फोन करो अभी।”
विनय ने कांपते हाथों से राजू को कॉल किया। स्पीकर पर राजू की घमंडी आवाज गूंजी, “विनय, वीडियो वायरल हुआ? आरुषि की इज्जत मिट्टी में मिल गई।”

आदित्य ने फोन छीन लिया, “राजू, मैं आदित्य बोल रहा हूं। तुम्हारे सारे काले कारनामे मेरे पास हैं – ड्रग स्मगलिंग, मनी लॉन्ड्रिंग, विक्रांत के साथ तुम्हारी डील। अभी आरुषि के सामने माफी मांगो वरना तुम्हारी जिंदगी बर्बाद कर दूंगा।”

राजू हंसा, “तू मुझे धमकी दे रहा है नाकारा? जा अपनी सास के पैर दबा।”
आदित्य ने ठंडे लहजे में दोहराया, “माफी मांगो।”
राजू की हंसी रुक गई। उसकी आवाज में डर झलकने लगा, “आरुषि मैम, मुझे माफ कर दीजिए, मैंने गलत किया।”
लेकिन आदित्य ने फोन काट दिया, “माफी से काम नहीं चलेगा, राजू। तुमने जो किया उसकी सजा तुम्हें मिलेगी।”

24 घंटों में राजू की जिंदगी तहस-नहस हो गई। दिल्ली का कुख्यात गुंडा राजू गिरफ्तार। ड्रग्स और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप, उसके बैंक अकाउंट फ्रीज हो गए। उसकी कंपनी बंद हो गई और पुलिस ने उसे जेल भेज दिया।

आदित्य ने एक और फोन किया, “मंत्री जी, विक्रांत के सारे काले कारनामों का डोजियर चाहिए और अहो कॉरपोरेशन के सारे शेयर खरीद लें।”

कॉन्फ्रेंस रूम में सन्नाटा छा गया। सौरभ जो हमेशा आदित्य का मजाक उड़ाता था अब चुप था।
आरुषि की आंखें आश्चर्य और सवालों से भरी थीं, “आदित्य, यह सब तुमने कैसे किया? इतने बड़े लोग तुम्हारे एक इशारे पर नाचते हैं, नेता तुम्हारे कॉल का इंतजार करते हैं, तुम कौन हो?”

आदित्य ने गहरी सांस ली। उसकी आंखों में उदासी थी, लेकिन चेहरे पर मुस्कान।
“आरुषि, मैं भारत का सबसे बड़ा बिजनेसमैन हूं। मेरे पास वो ताकत है जो इस देश की अर्थव्यवस्था को हिला सकती है। लेकिन मैंने अपनी पहचान छिपाई। तुम्हारे दादाजी मेरे पिता के सबसे करीबी दोस्त थे। उन्होंने मुझसे वादा लिया था कि मैं तुमसे शादी करूंगा और तुम्हारी रक्षा करूंगा। मैंने अपनी असली पहचान इसलिए छुपाई क्योंकि मैं चाहता था कि तुम मुझे मेरे प्यार से जानो ना कि मेरे पैसे और ताकत से।”

आरुषि की आंखें नम हो गईं, “तो तुमने इतने साल मेरी मां के ताने, मेरे दोस्तों के अपमान, गार्ड्स की हंसी, मेरे शब्दों का दर्द सब कुछ चुपचाप सहा, सिर्फ मेरे लिए?”

आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम मेरी जिंदगी हो आरुषि। तुम्हारे लिए मैं कुछ भी सह सकता हूं। तुम्हारी एक मुस्कान मेरे हर दर्द को मिटा देती है।”

शकुंतला जो चुपके से दरवाजे के पीछे सारी बात सुन रही थी, आगे आई, उसकी आंखें आंसुओं से भरी थीं, “आदित्य मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हें नाकारा समझा, ताने मारे, अपमानित किया। लेकिन तुमने मेरी बेटी और उसकी कंपनी को बचा लिया। मैंने तुम्हें कभी बेटा नहीं समझा, लेकिन आज मैं तुम्हें अपने बेटे से भी ज्यादा प्यार करती हूं।”

आदित्य ने शकुंतला के कंधे पर हाथ रखा, “सासू मां, आपने जो किया वो एक मां का प्यार था। मैं आपसे कोई शिकायत नहीं रखता।”

सौरभ भी आगे आया, “आदित्य, मैंने तुम्हें गलत समझा। मैंने सोचा तुम नाकारा हो, लेकिन तुमने तो हम सबको बचा लिया। मुझे माफ कर दो।”

मीरा भी आगे आई, “आदित्य, मैंने तुम्हारा मजाक उड़ाया, तुम्हें ड्राइवर समझा, लेकिन तुम तो एक तूफान हो। मुझे माफ कर दो।”

आदित्य ने कहा, “सौरभ, मीरा, जो बीत गया उसे भूल जाओ। अब हमें आरुषि की कंपनी को और ऊंचाइयों पर ले जाना है।”

आरुषि ने आदित्य को गले लगाया। उसकी आंखों में प्यार और सम्मान था, “तुम मेरे हीरो हो, आदित्य। मैंने तुम्हें गलत समझा, ड्राइवर और नौकर कहा, लेकिन तुम मेरे लिए सब कुछ हो। मैं तुमसे प्यार करती हूं।”

आदित्य की आंखें भी नम हो गईं। उसने आरुषि के माथे पर हल्का सा चुंबन दिया, “तुम मेरी दुनिया हो, आरुषि। मैंने हर अपमान सिर्फ इसलिए सहा क्योंकि मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता था।”

कॉन्फ्रेंस रूम में मौजूद सभी लोग तालियां बजाने लगे। बाहर न्यूज चैनलों पर खबरें चल रही थीं – राणा इंडस्ट्रीज की साख फिर से आसमान पर, अहो कॉरपोरेशन के शेयर रहस्यमय तरीके से खरीदे गए।

उस रात जब आदित्य और आरुषि घर लौटे, आरुषि ने पहली बार आदित्य का हाथ थामकर कहा, “मैंने तुम्हें कभी समझा ही नहीं। तुमने मेरे लिए अपनी ताकत, अपनी पहचान सब कुछ छिपाया, लेकिन अब मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगी।”

आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं बस तुम्हारा पति हूं, मेरे लिए यही काफी है।”

उस रात दिल्ली के चांदनी आसमान तले आदित्य और आरुषि ने एक दूसरे को गले लगाया। उनके प्यार ने हर ताने, हर अपमान को मात दे दी थी। आदित्य की छिपी ताकत ने ना सिर्फ आरुषि की कंपनी को बचाया बल्कि उनके रिश्ते को भी एक नई ऊंचाई दी। जैसे ही चांद की रोशनी उनके चेहरों पर पड़ी, आरुषि ने आदित्य की आंखों में देखकर कहा,
“तुम मेरे लिए वो सितारा हो, जो हमेशा मेरे अंधेरों को रोशन करेगा।”

समाप्त