आखिरी घंटे खूब तड़पे धर्मेंद्र, सनी ने हेमा मालिनी को क्यों भगाया! Dharmendra Latest News !

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धर्मेंद्र के अंतिम सफर में परिवार की दरारें: एक सुपरस्टार की अधूरी कहानी

भूमिका

24 नवंबर 2025 की तारीख बॉलीवुड के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई। उस दिन सिर्फ एक महान अभिनेता नहीं गया, बल्कि भारतीय सिनेमा की सबसे चर्चित और जटिल पारिवारिक कहानियों का आखिरी अध्याय भी लिखा गया। धर्मेंद्र के निधन के बाद जिस तरह उनके अंतिम संस्कार में परिवार के सदस्य बंटे रहे, वह न सिर्फ उनके रिश्तों की उलझन को उजागर करता है, बल्कि स्टारडम और निजी जीवन की जटिलता को भी सामने लाता है।

अंतिम घंटे की बेचैनी

धर्मेंद्र पिछले एक महीने से अस्वस्थ थे। कभी उनकी तबीयत ठीक बताई जाती, तो कभी अस्पताल में भर्ती होने की खबरें आतीं। परिवार ने हमेशा मीडिया से दूरी बनाए रखी, जिससे कयासों का बाजार गर्म रहा। लेकिन 24 नवंबर की सुबह जब जूहू स्थित उनके बंगले पर एंबुलेंस पहुंची, तो सब समझ गए कि बॉलीवुड का ‘ही-मैन’ अब इस दुनिया में नहीं रहा।

अंतिम संस्कार की जल्दबाजी और सवाल

धर्मेंद्र के निधन के बाद आमतौर पर जिस तरह बड़े कलाकारों के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाता है, वैसा कुछ नहीं हुआ। परिवार ने जल्दीबाजी में अंतिम संस्कार की रस्में पूरी कीं। कई लोगों को लगा कि यह सब परिवार के झगड़े को छुपाने के लिए किया गया। कहीं मीडिया या फैंस को ऐसे किसी विवाद का गवाह न बनना पड़े, जो वर्षों से दोनों परिवारों के बीच चला आ रहा है।

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हेमा मालिनी और प्रकाश कौर: दो परिवारों की दीवारें

धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर ने 71 साल तक अपने धर्म का पालन किया, अपने परिवार को जोड़े रखा। दूसरी ओर हेमा मालिनी ने 45 साल तक ‘दूसरी औरत’ का टैग सहा, समाज के ताने सुने, अपना धर्म बदला, लेकिन कभी खुलकर परिवार का हिस्सा नहीं बन पाईं। अंतिम संस्कार के दिन जब दोनों आमने-सामने आईं, तो वह पल बेहद भारी था। कैमरों ने उस खामोशी को कैद किया, जिसमें दशकों का दर्द और दूरी छुपी थी।

अंतिम यात्रा का दृश्य

मुंबई के विले पार्ले श्मशान घाट पर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। हेमा मालिनी अपनी बेटियों ईशा और अहाना के साथ सफेद कपड़ों में, आंखों पर काला चश्मा लगाए पहुंचीं। माहौल तनावपूर्ण था। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गेट बंद कर दिया। अफवाहें फैल गईं कि हेमा को गेट पर रोका गया, जबकि असल में यह सुरक्षा कारणों से था। हेमा के चेहरे की बेबसी साफ दिख रही थी, वह वही अभिनेत्री थीं जिन्होंने 45 साल तक अपने पति के लिए सब कुछ सहा, लेकिन अंतिम सफर में भी उन्हें किनारे खड़ा रहना पड़ा।

बेटों का अधिकार और बेटियों की दूरी

हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार का अधिकार बेटों और पहली पत्नी को मिलता है। सनी देओल और बॉबी देओल अपने पिता के पार्थिव शरीर के पास खड़े थे, आंखों में गहरा दर्द लिए। हेमा, ईशा और अहाना एक दूरी बनाए खड़ी थीं। यह वही दूरी थी, जो सालों से दोनों परिवारों के बीच खिंची हुई थी। पंडित जी ने रस्में शुरू कीं, सनी आगे बढ़े, और सबकी नजरें हेमा पर थीं—वह कैसा महसूस कर रही होंगी?

बॉलीवुड के सितारे और परिवार का बंटवारा

अमिताभ बच्चन, सलमान खान, अभय देओल समेत कई बड़े कलाकार वहां मौजूद थे। सबने उस बारीक लकीर को महसूस किया, जो देओल परिवार और हेमा मालिनी के परिवार के बीच थी। हेमा कुछ देर बाद वहां से चली गईं। उनका जल्दी चले जाना और भी सवाल खड़ा कर गया—क्या उन्हें वहां असहज महसूस कराया गया या उन्होंने खुद यह फैसला लिया कि सनी और बॉबी अपने पिता को सुकून से विदा दे सकें?

प्रकाश कौर का दर्द

धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर, जिन्होंने 1954 में शादी की थी, हमेशा परिवार को जोड़े रखा। जब धर्मेंद्र ने हेमा मालिनी से शादी की, तब भी प्रकाश कौर दीवार बनकर खड़ी रहीं। अंतिम संस्कार वाले दिन परिवार ने उन्हें भीड़ और कैमरों से बचाकर अंदर रखा, लेकिन अंदर की खबरें बता रही थीं कि वह पूरी तरह टूट चुकी थीं। सनी देओल अपनी मां के लिए बेहद प्रोटेक्टिव नजर आ रहे थे।

परिवारों की दरारें और भावनाओं का टकराव

अहाना देओल की मौजूदगी भी उस दिन चर्चा का विषय रही। आम दिनों में वह कम ही नजर आती हैं, लेकिन उस दिन अपनी मां और बहन के साथ थीं। एक तरफ हेमा, ईशा, अहाना और दूसरी तरफ पूरा देओल खानदान—प्रकाश कौर, सनी, बॉबी, अभय और बाकी लोग। यह सिर्फ श्मशान घाट का बंटवारा नहीं था, बल्कि विरासत और रिश्तों के भविष्य की झलक भी थी।

जायदाद और भविष्य के सवाल

धर्मेंद्र की संपत्ति करोड़ों में है। लोग पहले ही सवाल पूछ रहे हैं कि आगे क्या होगा? जिस तरह हेमा और उनकी बेटियां अलग-थलग दिखीं, उससे साफ था कि भविष्य में भी हालात आसान नहीं होंगे। अंतिम संस्कार के दिन भी बॉलीवुड के बड़े कलाकार सनी और बॉबी के साथ खड़े थे, पर हेमा की तरफ शायद ही कोई गया हो। उनके चेहरे का दर्द किसी ने समझा हो या नहीं, लेकिन उनकी आंखों में अकेलापन साफ दिख रहा था।

अधूरी प्रेम कहानी

यह सिर्फ एक अंतिम संस्कार की कहानी नहीं थी, बल्कि एक अधूरी प्रेम कहानी का आखिरी अध्याय था। हेमा मालिनी ने धर्मेंद्र के लिए सब कुछ सहा, हर दर्द, हर ताना, अपना धर्म तक बदल दिया। लेकिन आखिरी सफर में भी वह पूरी तरह उनके साथ नहीं रह पाईं। उनकी आंखें बार-बार श्मशान घाट की तरफ उठती रहीं, जहां उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा अध्याय खत्म हो रहा था।

सनी देओल का दर्द

सनी देओल कभी-कभी अपनी मां प्रकाश कौर की तरफ देखकर उन्हें संभालने की कोशिश कर रहे थे। हेमा मालिनी को देखना भी उनके लिए मुश्किल हो रहा था। बचपन में वह अपने पिता को किसी और के साथ देखना पसंद नहीं करते थे। शायद उस दिन भी वही जज्बात उनके भीतर लौट आए थे। पर उनके चेहरे पर सिर्फ एक बेटे का दुख नजर आ रहा था।

रिश्तों की उलझन और विरासत

धर्मेंद्र के जाने के बाद दोनों परिवारों के बीच का रिश्ता और उलझ सकता है। सनी और बॉबी अपनी मां को लेकर हमेशा प्रोटेक्टिव रहे हैं, वहीं हेमा और उनकी बेटियां हमेशा दूर से जुड़े रिश्ते में ही रही हैं। हेमा जब वापस जा रही थीं, तो किसी ने भी उन्हें रोक कर गले नहीं लगाया। ऐसा लग रहा था जैसे हर कोई अपनी-अपनी दुनिया में उलझा हुआ है।

अंतिम विदाई: एक अधूरी तस्वीर

जब हेमा अपनी कार में बैठीं, तो उन्होंने अपना चेहरा दुपट्टे से ढक लिया। लोग कह रहे थे कि वह भीड़ से बचना चाहती थीं, पर असल में वह अपने जज्बातों को छुपा रही थीं। उन्होंने उस आदमी को खो दिया, जिसे उन्होंने हमेशा अपना माना था। यह कहानी सिर्फ एक अंतिम संस्कार की नहीं थी, यह एक अधूरी प्रेम कहानी का आखिरी अध्याय था।

बॉलीवुड को मिला सबक

इस घटना ने बॉलीवुड को एक बड़ा सबक दिया—स्टारडम का क्या फायदा, जब अंत में परिवार ही टूट जाए, रिश्ते ही दूर हो जाएं, और जब जिंदगी का सबसे बड़ा सफर खत्म हो, तब आपके पास खड़े लोग भी दो टुकड़ों में बंटे नजर आएं। धर्मेंद्र ने जिंदगी भर रिश्ते बनाए, पर कई रिश्तों को सुलझा नहीं पाए। उनकी अंतिम यात्रा में भीड़ तो बहुत थी, पर एक परिवार की जो तस्वीर होनी चाहिए थी, वह पूरी नहीं थी।

काश…

काश उस दिन कोई दीवारें ना होती। काश दोनों परिवार एक हो जाते। काश सनी और ईशा गले मिलते। काश प्रकाश और हेमा एक दूसरे का हाथ पकड़ लेतीं और अपने पति को इकट्ठे विदा करतीं। पर जिंदगी फिल्मों की तरह नहीं होती। उस दिन की यह कहानी एक बार फिर साबित कर गई कि जितना बड़ा स्टार होता है, उतने ही बड़े उसके भीतर के घाव और उतने ही उलझे हुए उसके रिश्ते होते हैं।

निष्कर्ष

धर्मेंद्र के जाने से सिर्फ एक अभिनेता नहीं गया। वह एक ऐसा इंसान गया, जिसकी जिंदगी प्रेम, त्याग और खामोशी की लंबी जद्दोजहद थी, जिसका क्लाइमेक्स अधूरा सा था। दर्द भरा सा था और सवालों से भरा था। पर फिर भी वह हमेशा ‘ही-मैन’ रहेंगे—अपने चाहने वालों के लिए, अपने परिवार के लिए, और उन रिश्तों के लिए जिनमें बहुत कुछ अधूरा रह गया।