आज की रात मेरे साथ जो मरज़ी करलो | कल मेरी ला*श को मेरे मायके पहुँचा देना

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सीमा की जिंदगी

सीमा सिंह उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक गांव की रहने वाली थी। वह अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। सीमा के पिता, राम सिंह, गांव के जाने-माने ठेकेदार थे। वह अपनी बेटी को बड़े लाड़-प्यार से पालते थे। सीमा पढ़ाई में होशियार थी और उसने बीएससी फाइनल ईयर में दाखिला लिया था।

सीमा का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक था। वह न केवल पढ़ाई में अच्छी थी, बल्कि उसकी सुंदरता भी पूरे गांव में चर्चा का विषय थी। हर कोई उसकी तारीफ करता था। लेकिन सीमा की जिंदगी में एक खालीपन था। उसे हमेशा ऐसा लगता था कि वह किसी खास चीज की तलाश कर रही है, जो उसकी जिंदगी को पूरा कर सके।

सोनू की जिंदगी

सोनू निषाद एक साधारण मल्लाह परिवार से ताल्लुक रखता था। उसका परिवार मछली पकड़ने का काम करता था। सोनू पढ़ाई में भी अच्छा था और उसने डी.फार्मा (डिप्लोमा इन फार्मेसी) में दाखिला लिया था। वह लखनऊ में पढ़ाई कर रहा था, लेकिन छुट्टियों में अपने गांव आकर अपने पिता के काम में हाथ बंटाता था।

सोनू का व्यक्तित्व सरल और ईमानदार था। वह मेहनती और अपने परिवार के प्रति जिम्मेदार था। हालांकि, वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट था, लेकिन उसे भी यह एहसास था कि उसके जीवन में कुछ कमी है।

पहली मुलाकात

सीमा और सोनू की पहली मुलाकात गांव के पास बने एक पुल पर हुई। इस पुल के नीचे क्वानो नदी बहती थी, जहां सोनू अक्सर मछली पकड़ने के लिए जाता था। सीमा और उसकी तीन सहेलियां रोजाना स्कूटी से बस्ती शहर पढ़ने जाती थीं। पढ़ाई के बाद लौटते समय वे अक्सर इस पुल पर रुकती थीं, जहां से नदी का नजारा बहुत सुंदर दिखाई देता था।

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एक दिन सीमा ने देखा कि सोनू नदी में मछली पकड़ रहा था। उसे यह देखकर बहुत दिलचस्पी हुई और उसने सोनू से कहा, “क्या मैं भी मछली पकड़ सकती हूं?”
सोनू ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह काम आपके लिए नहीं है। यह गंदा काम है।”
सीमा ने तपाक से जवाब दिया, “गंदा क्या है? मैं मछली खाती हूं, तो पकड़ भी सकती हूं।”

सोनू ने हंसते हुए कहा, “ठीक है, कोशिश कर लो।”
उसने सीमा को मछली पकड़ने की डोरी पकड़ाई। कुछ ही देर में एक बड़ी मछली फंस गई। सीमा ने उसे निकालने की कोशिश की, लेकिन मछली भारी थी। सोनू ने उसकी मदद की। दोनों ने मिलकर मछली को बाहर निकाला। इस दौरान, उनके हाथ एक-दूसरे से छू गए। सोनू के दिल में कुछ हलचल हुई, लेकिन उसने इसे नजरअंदाज कर दिया।

प्यार की शुरुआत

उस दिन के बाद, सीमा और सोनू के बीच एक अनकहा रिश्ता बन गया। सीमा जब भी पुल पर आती, तो सोनू वहां मौजूद रहता। वह सीमा के लिए मछली पकड़ता और कभी-कभी उसे भूनकर खिलाता। सीमा भी सोनू के लिए कुछ न कुछ लेकर आती।

धीरे-धीरे, दोनों के बीच बातचीत बढ़ने लगी। सोनू ने सीमा को बताया कि वह पढ़ाई कर रहा है और उसका सपना एक मेडिकल स्टोर खोलने का है। सीमा ने उसकी मेहनत और ईमानदारी की तारीफ की।

एक दिन, सीमा ने सोनू से कहा, “तुम्हारे साथ समय बिताकर मुझे बहुत अच्छा लगता है।”
सोनू ने झिझकते हुए कहा, “मुझे भी।”
इस तरह दोनों के बीच प्यार की शुरुआत हुई।

समाज की बंदिशें

सीमा और सोनू का प्यार छुप नहीं सका। गांव में उनकी मुलाकातों की चर्चा होने लगी। एक दिन, सीमा के पिता राम सिंह को इसके बारे में पता चला। वह बहुत गुस्सा हुए। उन्होंने सीमा को समझाने की कोशिश की, “सोनू हमारे बराबर का नहीं है। वह एक मछुआरा है। तुम उससे शादी कैसे कर सकती हो?”

लेकिन सीमा ने साफ कह दिया, “पापा, मैं सोनू से प्यार करती हूं। मैं उसी से शादी करूंगी।”
राम सिंह ने गुस्से में आकर सोनू को धमकी दी और उसे गांव छोड़ने को कहा। सोनू ने सीमा से कहा, “तुम्हारे परिवार की खुशी के लिए मैं दूर चला जाऊंगा।”

सोनू लखनऊ वापस चला गया। लेकिन सीमा और सोनू के बीच फोन पर बातचीत जारी रही।

शादी और धोखा

सीमा के घरवालों ने उसकी शादी जबरदस्ती एक लड़के पंकज से तय कर दी। पंकज एक अच्छे परिवार से था और सरकारी नौकरी करता था। सीमा ने अपने घरवालों से कहा कि वह यह शादी नहीं करेगी, लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी।

सीमा ने सोनू को शादी के कार्ड के साथ एक चिट्ठी भेजी, जिसमें लिखा था:
“सोनू, मेरी शादी हो रही है। लेकिन मैं तुम्हें वादा करती हूं कि शादी के अगले दिन मेरी लाश तुम्हारे पास होगी। मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकती।”

सोनू यह चिट्ठी पढ़कर टूट गया। उसने सीमा को रोकने की कोशिश की, लेकिन वह कुछ नहीं कर सका।

शादी की रात

सीमा की शादी पंकज से हो गई। शादी की पहली रात, जब पंकज ने सीमा से बात की, तो उसने देखा कि सीमा उदास है। पंकज ने उससे पूछा, “क्या हुआ?”
सीमा ने रोते हुए कहा, “मैं किसी और से प्यार करती हूं। मैंने यह शादी जबरदस्ती की है।”

पंकज ने यह सुनकर गहरी सांस ली और कहा, “अगर तुम उससे इतना प्यार करती हो, तो मैं तुम्हें आजाद कर दूंगा।”

पुनर्मिलन

पंकज ने सोनू को बुलाया। जब सोनू सीमा के सामने आया, तो सीमा ने उसे देखकर खुशी से रोते हुए कहा, “सोनू, तुम आ गए।”
सोनू ने उसे गले लगा लिया।

पंकज ने कहा, “तुम दोनों का प्यार सच्चा है। मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं।”

सीमा और सोनू ने फिर से शादी की। इस बार, सीमा के परिवार ने भी उन्हें स्वीकार कर लिया।

नई जिंदगी

सीमा और सोनू ने लखनऊ में एक मेडिकल स्टोर खोला। दोनों ने मिलकर मेहनत की और अपना सपना पूरा किया। कुछ सालों बाद, सीमा ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया।

आज, सीमा और सोनू अपनी जिंदगी में खुश हैं। उनकी कहानी यह सिखाती है कि सच्चा प्यार कभी हार नहीं मानता।

संदेश:
यह कहानी हमें सिखाती है कि प्यार में जाति, समाज और आर्थिक स्थिति जैसी चीजें मायने नहीं रखतीं। अगर प्यार सच्चा हो, तो वह हर मुश्किल को पार कर सकता है।