एक लड़का जब अपने पिता का मौत का बदला लेने गया | उसके बाद जो हुआ लड़का अफसोस करने लगा

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प्रिया ने पूछा, “आपको क्या हुआ है? अस्पताल चलना चाहिए।” आर्यन ने हाथ के इशारे से बताया कि वह बोल नहीं सकता। प्रिया समझ गई कि वह गूंगा है। उसने कहा, “कोई बात नहीं, मैं आपकी मदद करूंगी।” प्रिया का दिल भर आया। आर्यन ने इशारों से बताया कि उसका एक्सीडेंट हुआ है और उसके पास रहने की जगह नहीं है। प्रिया की आंखों में आंसू आ गए। उसने कहा, “आप चिंता मत करिए, मैं आपको अपने घर ले चलूंगी। पापा बहुत अच्छे हैं, वे आपकी मदद जरूर करेंगे।”

आर्यन के दिल में थोड़ी सी ग्लानी हुई। यह लड़की कितनी भोली और दयालु थी। लेकिन फिर उसे अपने पिता की मौत याद आई और उसका दिल फिर से कठोर हो गया। रास्ते भर प्रिया उससे बातें करती रही, भले ही वह जवाब नहीं दे सकता था। वह बताती रही कि उसके पापा कितने अच्छे हैं, कैसे वे हमेशा जरूरतमंदों की मदद करते हैं। “आप देखिएगा, पापा आपसे कितना प्यार करेंगे। हां, छोटी मां थोड़ी सख्त हैं, लेकिन दिल की बहुत अच्छी है।” प्रिया हंसते हुए बोली। आर्यन सोच रहा था, काश तुम जान पाती कि तुम्हारे प्यारे पापा ने मेरे पिता के साथ क्या किया था।

घर पहुंचने पर प्रिया ने आर्यन को अंदर ले जाने से पहले कहा, “आप चिंता मत करिए, हमारा घर छोटा नहीं है, और पापा का दिल तो बहुत बड़ा है।” जैसे ही वे घर के अंदर गए, सुधा की आवाज आई, “अरे अरे अरे, रुको! कहां अंदर घुसे चले आ रहे हो? जहर दे दो कोई मुझे! वैसे इस घर में कम दीवाला निकला है जो राह चलते हर भिखारी को घर में ले आओगी।” छोटी मां, इनका एक्सीडेंट हुआ है, इनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है। प्रिया ने विनम्रता से कहा, “बड़ा अच्छा किया बेटा। तेरे बाप के पास तो पैसों की नदियां बह रही हैं ना। हम ऐसे भिखारियों को अपने घर में ही रखेंगे।” सुधा ने ताना मारा। प्रिया का चेहरा उदास हो गया, लेकिन वह बोली, “ऐसे कम हुए तो क्या हुआ? मेरे पापा के पास दुनिया का सबसे बड़ा दिल है। बदतमीज, अब गूंगी होकर भी जबान लड़ाएगी तू मुझसे।” सुधा गुस्से से बोली।

आर्यन को अजीब लगा कि यह औरत प्रिया से इतनी बुरी तरह क्यों बात कर रही थी। तभी विकास शर्मा का आना हुआ। आर्यन का दिल तेजी से धड़कने लगा। यही वह आदमी था जिसने उसके पिता को बर्बाद किया था। “कौशल्या, यह क्या कर रही हो? तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया?” सुधा ने शिकायत की, “लगी तो नहीं है बेटा तुम्हें? कौन है यह?” विकास ने पूछा। “हां, पूछिए अपनी लाडली बेटी से, कौन है यह? किसे अपने घर में उठा ले आई है? खाने के लिए इस घर में इसका गूंगा मुंह कम था जो एक और उठा ले आई है,” सुधा ने कहा। विकास ने आर्यन की तरफ देखा, “कौन हो तुम बेटा?” आर्यन ने कागज पर लिखा, “मेरा नाम आर्यन है। मेरे साथ एक हादसा हो गया जिसकी वजह से मैं गूंगा हो गया। प्रिया जी ने मेरी मदद की और मुझे यहां लेकर आई हैं। मैं यहां पर आप लोगों के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं। कुछ भी काम, जो भी आप कहेंगे। लेकिन अगर आपको कोई तकलीफ है तो फिर मैं यहां से चला जाऊंगा।”

विकास का दिल पिघल गया। “देखो, तुम्हें यहां से जाने की जरूरत नहीं है। मेरा घर इतना भी छोटा नहीं कि बेसहारा को सहारा ना दे सकूं। लेकिन हां, उससे पहले मैं तुम्हारा यह हुलिया भी ठीक करवाऊंगा। पता है क्यों? यह एक अच्छा एरिया है। अगर तुम इस हालत में रहोगे ना तो फिर मेरे कस्टमर्स भाग जाएंगे।” आर्यन के मन में मिश्रित भावनाएं थीं। एक तरफ वह जानता था कि यह आदमी कितना क्रूर था, लेकिन दूसरी तरफ उसका व्यवहार बहुत अच्छा था।

सुधा ने कहा, “जहर ही दे दो कोई मुझे। कौशल्या जी, बस चलो आओ।” “हां हां, मेरी बात कोई क्यों सुनेगा? दुश्मन हूं ना। मैं तो सबकी दान पुण्य में कोई कमी रह जाए तो बाप बेटी मिलकर बेच आना मुझे,” सुधा अपने कमरे में चली गई। उस रात आर्यन को एक छोटा सा कमरा दिया गया। अकेले में वह सोचने लगा कि क्या वह सही कर रहा था। प्रिया कितनी भली लड़की थी और विकास भी उतना बुरा नहीं लग रहा था जितना वह सोचता था। लेकिन फिर उसे अपने पिता की आखिरी सांसे याद आईं, जब वे अस्पताल में कह रहे थे, “बेटा, विकास ने मुझे धोखा दिया। हमारी सारी मेहनत बर्बाद हो गई।” नहीं, वह अपना इरादा नहीं बदलेगा। उसे अपना बदला पूरा करना था।

अगली सुबह आर्यन की नींद प्रिया की आवाज से खुली। “आर्यन भैया उठिए, नाश्ता तैयार है।” आर्यन उठा तो देखा कि प्रिया ने उसके लिए नए कपड़े और तौलिया रखा था। उसके दिल में एक अजीब सी गर्माहट फैली। नहाने के बाद जब वह नीचे आया तो प्रिया ने कहा, “वाह, आप तो बिल्कुल अलग लग रहे हैं। कितने हैंडसम लग रहे हैं।” आर्यन मुस्कुराया। “आइए, खाना खाइए। मैंने आपके लिए विशेष नाश्ता बनाया है,” प्रिया ने प्रेम से कहा।

खाना खाते समय विकास ने पूछा, “आर्यन बेटा, तुम्हारा परिवार कहां है?” आर्यन ने लिखा, “अंकल जी, मेरे माता-पिता की मौत एक एक्सीडेंट में हो गई थी। मैं अकेला हूं।” विकास ने स्नेह से कहा, “बहुत दुख की बात है बेटा, लेकिन अब तुम अकेले नहीं हो। हम सब तुम्हारा परिवार हैं।” आर्यन के गले में गांठ सी बन गई। काश वह सच कह पाता कि उसके पिता की मौत किसकी वजह से हुई थी।

तभी सुधा आई, “वो तो ठीक है, लेकिन यह यहां मुफ्त की रोटी तो नहीं तोड़ेगा ना?” प्रिया ने कहा, “आर्यन भैया कोई काम करना चाहते हैं।” विकास ने कहा, “हां, बिल्कुल सही कह रही है प्रिया। आर्यन तुम मेरे साथ दुकान पर आ सकते हो। वहां छोटा-मोटा काम कर सकते हो।” आर्यन ने तुरंत हामी भरी। यह तो उसके लिए सोने पर सुहागा था। अब वह विकास के बिजनेस के बारे में जान सकेगा।

दुकान पहुंचकर आर्यन को पता चला कि विकास का एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक्स का शोरूम था। यह देखकर वह हैरान रह गया। वह सोच रहा था कि अग्रवाल इंडस्ट्रीज जैसी बड़ी कंपनी का मालिक होने के बाद भी विकास यह छोटा सा काम क्यों कर रहा था। विकास ने कहा, “आर्यन, तुम यहां सामान की सफाई और ग्राहकों को पानी देने का काम संभाल सकते हो।” दिन भर आर्यन ने विकास को गौर से देखा। वह ग्राहकों से बहुत अच्छा व्यवहार करता था, किसी को धोखा नहीं देता था। यह सब देखकर आर्यन के मन में संशय पैदा होने लगा।

शाम को घर वापस आते समय विकास ने कहा, “आर्यन, तुम बहुत अच्छा काम करते हो। मुझे खुशी है कि प्रिया तुम्हें घर लाई।” घर पहुंचकर प्रिया दौड़कर आई, “कैसा रहा पहला दिन?” आर्यन ने लिखा, “बहुत अच्छा, अंकल जी बहुत अच्छे हैं। मैं कह रही थी ना, पापा दुनिया के सबसे अच्छे इंसान हैं।” रात के खाने के समय सुधा ने व्यंग किया, “वाह, मुफ्तखोर को काम मिल गया। अब कम से कम खाने की कीमत तो निकालेगा।” प्रिया ने दुख से कहा, “छोटी मां, आर्यन भैया तो हमारे परिवार का हिस्सा है।” सुधा ने कहा, “परिवार? अरे यह तो अभी कल का मेहमान है। परिवार कैसे हो गया?” विकास ने हस्तक्षेप किया, “सुधा, जो भी इंसान हमारे घर में रहता है, वह हमारे परिवार का हिस्सा ही होता है।” आर्यन ने देखा कि सुधा को विकास की यह बात अच्छी नहीं लगी। वह समझ गया कि इस घर में कुछ तनाव था।

रात को अपने कमरे में आर्यन सोच रहा था कि कहीं वह गलत तो नहीं सोच रहा था। विकास तो बहुत अच्छा लग रहा था, लेकिन फिर उसे एक पुरानी डायरी मिली जो उसके पिता की थी। डायरी के पन्ने पलटते हुए उसे वह पेज मिला जिस पर लिखा था कि विकास शर्मा ने मुझसे वादा किया था कि हम 50-50 के पार्टनर रहेंगे, लेकिन आज उसने कहा कि सारा बिजनेस सिर्फ उसके नाम पर होगा। मैं क्या करूं? यह पढ़कर आर्यन का दिल फिर से कठोर हो गया। नहीं, वह अपने मिशन से नहीं भटकेगा।

अगले कुछ दिन बीतते गए। आर्यन दुकान पर काम करता और शाम को घर आकर प्रिया के साथ समय बिताता। धीरे-धीरे उसका प्रिया के साथ लगाव बढ़ता जा रहा था। प्रिया भी आर्यन से काफी खुश थी। वह कहती, “आर्यन भैया, आप आने के बाद घर में कितनी खुशी आ गई है? पापा भी खुश रहते हैं।” एक दिन प्रिया ने पूछा, “आर्यन भैया, आप बोल क्यों नहीं सकते? कभी डॉक्टर से दिखाया है?” आर्यन ने लिखा, “डॉक्टर कहते हैं कि शौक की वजह से हुआ है, शायद ठीक हो जाए। मैं रोज भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आपकी आवाज वापस आ जाए।” प्रिया ने मासूमियत से कहा।

यह सुनकर आर्यन के दिल में एक तीर सा लगा। यह लड़की कितनी सच्चाई से उसके लिए प्रार्थना कर रही थी। एक शाम विकास ने आर्यन को अपने कमरे में बुलाया। “आर्यन, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं।” आर्यन घबरा गया कि कहीं विकास को उसकी असलियत का पता तो नहीं चल गया। विकास ने कहा, “बेटा, तुम बहुत अच्छे हो। प्रिया भी तुमसे बहुत खुश है। मैं चाहता हूं कि तुम हमेशा हमारे साथ रहो।” विकास ने स्नेह से कहा, “लेकिन एक बात कहूं, सुधा थोड़ी सी सख्त है। उसकी बातों का बुरा मत मानना। दरअसल हमारी आर्थिक स्थिति कुछ अच्छी नहीं है। अग्रवाल इंडस्ट्रीज में मेरे 42% शेयर्स थे, लेकिन एक धोखाधड़ी के कारण वे चले गए।” यह सुनकर आर्यन हैरान रह गया।

विकास ने बताया कि उनका एक पार्टनर था रमेश कुमार, जो आर्यन का पिता था। उन्होंने मिलकर अग्रवाल इंडस्ट्रीज शुरू की थी, लेकिन रमेश के बेटे ने कंपनी में हस्तक्षेप किया और सारे शेयर्स अपने नाम ट्रांसफर कर लिए। विकास और रमेश सड़क पर आ गए। बाद में रमेश का बेटा एक्सीडेंट में मर गया और रमेश को शौक लग गया। विकास की बातों में दर्द था, लेकिन आर्यन के मन में तूफान चल रहा था। वह सच्चाई जानना चाहता था।

अगली सुबह उसने विकास से पूछा, “अंकल जी, वह धोखाधड़ी क्या थी जिसमें आपके शेयर्स चले गए?” विकास ने गहरी सांस ली और बताया। आर्यन ने अपने पिता की डायरी फिर से पढ़ी। इसमें उसने पाया कि उसके पिता ने भी गलतियां की थीं। कॉलेज के दिनों में वह गुस्सैल था और गलत सलाह देता था। उसने विकास के साइन की नकल करके शेयर्स अपने नाम ट्रांसफर कर लिए थे। आर्यन को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने माफी मांगी।

प्रिया को यह सब पढ़कर बहुत गुस्सा आया। उसने कहा, “आपने हमारे साथ झूठ बोला। हमारे प्रेम का फायदा उठाया।” आर्यन ने माफी मांगी, लेकिन प्रिया नाराज रही। आर्यन ने विकास के सामने भी अपनी सच्चाई रख दी। विकास ने माफ कर दिया, लेकिन प्रिया अभी भी उससे बात नहीं कर रही थी।

आर्यन ने विकास से कहा कि वह नुकसान की भरपाई करना चाहता है। उसने बताया कि उसके पास अभी भी कुछ शेयर्स थे जो वह वापस करना चाहता था। विकास ने कहा, “नहीं बेटा, अब उन शेयर्स की जरूरत नहीं।” लेकिन आर्यन ने कहा, “नहीं अंकल जी, यह शेयर्स आपके हक के हैं। मैं इन्हें वापस करके ही चैन से जी पाऊंगा।” आखिरकार विकास मान गए, लेकिन शर्त रखी कि वह उनके साथ कंपनी चलाएगा।

आर्यन की आंखों में आंसू आ गए। वह सोच रहा था कि कैसे उसने इतनी गलतियां कीं, लेकिन अब सब ठीक हो जाएगा। धीरे-धीरे प्रिया का गुस्सा भी कम हुआ। उसने आर्यन को माफ कर दिया और दोनों ने साथ मिलकर जीवन बिताने का फैसला किया। शादी के बाद आर्यन और विकास ने मिलकर अग्रवाल इंडस्ट्रीज को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

एक दिन आर्यन ने प्रिया से कहा, “अगर तुमने उस दिन सड़क पर मेरी मदद नहीं की होती तो शायद मैं कभी अपनी गलती नहीं समझ पाता, और अगर तुमने अपनी गलती नहीं मानी होती तो शायद हमारा प्रेम भी नहीं हो पाता।” प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “सच कह रही हो, कभी-कभी जिंदगी हमें बहुत अजीब रास्तों से सिखाती है।” आर्यन ने कहा, “और सबसे अच्छी बात यह है कि अब हम एक खुश परिवार हैं।” प्रिया ने कहा, “हाँ,” और आर्यन ने उसे गले लगाया।

इस तरह एक गलतफहमी और बदले की भावना से शुरू हुई कहानी प्रेम और माफी में बदल गई। आर्यन ने अपनी गलती सुधारी, विकास ने अपना बड़ा दिल दिखाया, और प्रिया ने सबको एक साथ रखा। जीवन की सच्चाई यही थी कि प्यार, माफी और समझदारी से हर रिश्ता मजबूत बनता है।