गरीब समझकर किया अपमान ! अगले दिन खुला राज— वही निकला होटल का मालिक 😱 फिर जो हुआ…
.
.
रात की नरम ठंडी हवा सड़क किनारे लगे पेड़ों की शाखाओं को हिलाकर कौंध रही थी। चारों ओर गाडि़यों का शोर कम हो चुका था, पर मुख्य मार्ग से कुछ दूर हटकर, सुनसान गलियों में भी उम्मीदों की आवाज़ गूंजती रहती थी। उसी सुनसान रास्ते पर धीमे-धीमे एक सफ़ेद कपड़ा पहने बुजुर्ग चल रहे थे। उनके चेहरे पर शांति थी, पर चलने की चाल में एक दृढ़ता भी झलक रही थी। नाम था रामनारायण त्रिपाठी। उम्र के उन पचास पार के सालों में उन्होंने दुनिया की कई ठोकरें खाईं थीं, पर कभी उम्मीद नहीं छोड़ी थी। आज रात उनकी मंज़िल शहर के सबसे मशहूर और महंगे रेस्तरां “सूरज समृद्धि” का मुख्य दरवाज़ा था।
सूरज समृद्धि का महल जैसा लबी टेबल लैंपों की रोशनी में दमक रहा था। लाल कालीन पर कदम रखते ही रामनारायण की धड़कन तेज हुई, पर वह ज्यों के त्यों अपनी सहज मुस्कान के साथ आगे बढ़े। ग्रैंड लबी में घुसते ही दो सुरक्षाकर्मी ने उन्हें रोका। एक बोला, “माफ़ कीजिए, सर, क्या आपकी कोई रेजर्वेशन है?” उन्होंने सिर झुकाकर कहा, “हाँ बेटे, मेरा नाम रामनारायण त्रिपाठी है, आज दोबारा मेरा खास मेहमान बनने का वक़्त है।” सुरक्षाकर्मी ने दूसरे से टोकरी-सी नजरों से कहा, “शायद कोई शरारती आदमी अपनी किस्मत आज़मा रहा है।” इधर वहां मौजूद कुछ युवा ग्राहक उनकी ओर तंज-भरी दृष्टि से देखने लगे।
राजू नाम का वेटर पास से गुज़र रहा था। उसने बड़े उत्साह से कहा, “सर, अगर आपने बुकिंग करवाई है तो रेसेप्शनिस्ट से बात कर लीजिए।” रेसेप्शन काउंटर पर चौकस खड़ी थी प्रीति मालिक—पसंदीदा और तेज तर्रार। उसने आंखें आधी-चढ़ाकर रामनारायण को देखा और टोन में कहा, “साहब, यहाँ टेबल केवल एडवांस बुकिंग पर मिलता है। शायद आप गलत जगह आ गए हैं।” रामनारायण ने शांति से मुस्कुराकर कहा, “बेटी, एक बार चेक तो कर लो, हो सकता है मेरी टेबल यहाँ हो।” प्रीति ने आँख फेर ली, “ठीक है, लेकिन इसमें थोड़ा समय लगेगा। आप लाउंज में बैठिए।” लाउंज में बने काले चमड़े के सोफ़े पर रामनारायण को बैठते देख कुछ लोग खिसिया गए। उनमें एक बुजुर्ग महिला बगल से यह कह गई, “देखिए, अमीरों के महल में अमीर नहीं तो कम से कम ढंग का ग्राहक होना चाहिए।”
वह सब सुनकर भी रामनारायण ने अपनी दाढ़ी के नीचे मुस्कान छुपा ली। हाथ में पुराना हिसाब-किताब लिखने की पोथी लेकर वे प्रतीक्षा करने लगे। कुछ मिनटों में ही लाउंज में प्रतिक्रियाएँ तेज हो गईं—कई ग्राहक उनके कपड़ों, झोले, दाढ़ी पर तंज कसने लगे। किसी ने कहा, “ये सस्ता खाना तलाशने आया है।” कोई बोला, “ये बड़ी आसानी से मुफ्त का लंगर मांग लाएगा।” रामनारायण ने सबकी नोटिस की, पर मन में दृढ़ता बरकरार रखी। आज उन्होंने खाने के साथ साथ एक पुरानी उम्मीद भी ताज़ा करनी थी।

करीब पचास मिनट बाद प्रीति फिर आई। उसकी आवाज़ में ऊब झलक रही थी, “साहब, मैनेजर व्यस्त हैं। अगर आप अपना नाम बता दें तो चेक कर लेते हैं।” रामनारायण ने अपना दुपट्टा ठीक किया, पोथी में लिखे नाम—रामनारायण त्रिपाठी—पर इधर-उधर की नजर डाली। उनमें कुछ सहानुभूति दिखी, पर ज़्यादातर ग़ुंघट खींचकर उन्हें उपेक्षा ही दिखा रहे थे। उन्होंने मुस्कुरा कर कहा, “ठीक है बेटी, मैंने कब rush किया है? धैर्य रखना कला है।” प्रीति ने हाथ छुड़ाया और चली गई। होटल के कोने-कोने से घुट्टी की आवाज़ें और ताने उनकी पीठ पीछे गूँजते रहे।
एक घंटे बीत चुका था। रामनारायण अभी भी सोफ़े पर बैठे थे। हाथ में पोथी, आंखें किस्मत की ओर टिकी थीं। तभी लाउंज का एक छोटा कर्मचारी—नाम काफ़ी मासूम सुनने में आर्यन—उनके पास आया। उसकी आंखों में कोई गर्मजोशी थी। उसने धीरे से पूछा, “दादा, आप कब से इंतज़ार कर रहे हैं? कोई पूछ तो रहा है?” रामनारायण ने सिर हिलाया। आर्यन बोला, “मैं मैनेजर साहब को बता आता हूँ।” रामनारायण ने हाथ उठाकर उसका मनोबल बढ़ाया, “बेटा, तुम्हारा शुक्रिया।” आर्यन तेज कदमों से मैनेजर के केबिन की ओर गया, पर लौटते वक्त चेहरे पर निराशा थी। उसने कहा, “दादा, मैने कोशिश की, पर मैनेजर जी अभी मिलने को तैयार नहीं हैं।” रामनारायण ने मुस्कुरा कर कहा, “ठीक है बेटा, तुम ने कोशिश की, यही काफ़ी है।” आर्यन ने गहरी नज़र से उन्हें देखा और चला गया।
वह एक ओर बैठ गए, पर इस बार नीरसता घिर गई। सोचने लगे—क्या सचमुच सब सही हो रहा है? क्या उन्हें अमीरों के महल में इस तरह अपमानित होना चाहिए? शांति से बैठे रामनारायण के भीतर खामोशी का तूफ़ान उमड़ने लगा। उनकी पीढ़ी ने हमेशा धैर्य को शक्ति माना था, पर अब तय करना था कि कब सच्चाई बोली जाए। साहस का वक़्त आ गया था। उन्होंने धीरे से पोथी बंद की, झोले से एक पुराने लिफ़ाफ़े को बाहर निकाला, हाथ में थामते हुए लाउंज से निकल पड़े।
रेसेप्शन पर पहुंचकर प्रीति ने नज़र फेरते हुए कहा, “साहब, मैनेजर अभी…” रामनारायण ने आवाज़ में अब नरमी नहीं, पर दृढ़ता थी, “बेटी, मैंने बहुत इंतज़ार कर लिया। मैं मैनेजर से ख़ुद बात करूंगा।” लाउंज में बैठे लोग उन पर तंज कसा रहे थे, पर उनकी सदा-मुस्कान अडिग रही। वे सीधा मैनेजर के बे शीशे वाले कक्ष की ओर बढ़े। बाहर खड़ी चौकीदार ने बड़े अंदाज़ में पूछा, “क्या मामला है?” उन्होंने सिर झुकाते हुए कहा, “मैनेजर से मिलने का आदेश मिला है।” चौकीदार ने दरवाज़ा खुलवाया और रामनारायण अंदर गए।
केबिन के भीतर चमचमाती मेज़ और उसके पीछे बैठे प्रबुद्ध चेहरों वाले मैनेजर अमित वर्धन को देखकर रामनारायण ने नम्रता से नज़र डाली पर आवाज़ में कठोरता थी, “शुभ संध्या, अमित जी।” अमित ने गुस्से में कहा, “आप फिर से?” रामनारायण ने लिफ़ाफ़ा मेज़ पर रखा और कहा, “यह मेरे दस्तावेज़ हैं—इसी होटल में मेरी हिस्सेदारी की पूरी पर्ची।” अमित ने हँसते हुए कहा, “बाबा, आप मज़ाकिया हैं। किसके पास 65% शेयर होंगे? झूठी कुर्सी पर नाच-नाचकर बुकिंग मांग रहे हो।” उन्होंने लिफ़ाफ़ा उठाया, पर रुके बिना मेज़ पर पटक दिया। पर रामनारायण ने आँखें नहीं हटीं। धीमी आवाज़ में बोले, “जब तक आपने न देखा, तब तक आप न्याय कैसे कर सकते हो?”
अमित ने हाथ हिलाकर बाहर के ग्राहकों को इशारे दिए कि यह सिर्फ फालतू मनोरंजन है। वहीं आर्यन, जो वहाँ खड़ा था, अंदर खिसक गया। उसने बिना डरे अमित से कहा, “साहब, मैं कल रात रिपोर्ट देखने गया था। यह बाबा ही असली मालिक हैं। रिकॉर्ड क्लियर है।” अमित मज़ाक उड़ाने की मुद्रा में बोला, “तुम्हें कितनी बार कहा—I work by sight and skill, not by old papers.” आर्यन ने झट से ब्यूरो की ड्रॉयर खोली और पुरानी फ़ाइलों के वह पन्ने निकालकर मेज़ पर फैला दिए। फ़ाइलों में स्पष्ट लिखा था—रामनारायण त्रिपाठी, संस्थापक शेयरहोल्डर, कुल शेयरदारी 65%। अमित की आंखें पाशविक अहंकार से पहले तिरछी हुईं, फिर धीरे-धीरे चौड़ी हुईं। उसने पन्नों को हाथ में लिया, पर जैसे ही पढ़ना शुरू किया, उस पर विश्वास नहीं कर पाया। हर शब्द उसके अहंकार को चुभ रहा था।

बाहर लाउंज में खामोशी छा गई थी। हर कोई देख रहा था कि वह बूढ़ा चाचा आखिर कौन हैं? तभी अमित ने गहरी सांस ली और बोला, “रामनारायण जी… शायद हमसे बड़ी भूल हो गई।” सामने खड़ा रामनारायण निंदा-भरी नजरों के बजाय शांत मुस्कान लिए खड़ा था। उन्होंने कहा, “आपने अपनी आँखों से देखा, अब जितनी देर हो गई थी—इंसानियत की कसौटी पर खरे उतरते तो हम इतने दिन नहीं छपे रहेंगे।” अमित ने सिर झुकाया। लाउंज के दरवाजे खुलते ही हर तरफ़ चर्चा हो गई: “अरे, वही बुज़ुर्ग जबकि मालिक निकले,” “सचमुच इंसान का मुझसे मेरे कपड़ों से नहीं, मेरे जज़्बे से मिलाना चाहिए।”
अमित ने कमरे के चारों कोने में खड़े स्टाफ को बुलाया। चुपचाप, शर्मिंदगी से सिमटी आंखें। उन्होंने कांपते स्वर में कहा, “आज से रामनारायण जी हमारे मालिक हैं। मेरी जगह इस युवा आर्यन को मैनेजर नियुक्त किया जाता है।” आर्यन की आंखों में नम थे, पर आत्मविश्वास चमक रहा था। रामनारायण ने आश्वासन की मुस्कान दी और बोले, “याद रखना, यह होटल सिर्फ इमारत नहीं, यही हमारे जज़्बे का प्रयास है। इंसानियत का घर है। कोई भी अमीर-गरीब का फ़र्क़ नहीं, सम्मान के बराबर अधिकार हैं।” स्टाफ ने सिर झुकाया। लाउंज में मौजूद ग्राहकों ने तालियाँ बजाईं।
हर किसी की नजर वहीं थी—एक बूढ़े ने अपने वजूद की ताक़त से अहंकार को चुनौती दी थी। रात के सन्नाटे में जो सवाल उठ रहा था, उसका जवाब अब हवा में तैर रहा था: असली अमीरी पैसे में नहीं, सोच में होती है। रामनारायण ने ढीले होते कपड़े ठीक किए, झोला लटकाया और मुस्कुराए। आज उन्होंने सिर्फ अपना हक़ नहीं पाया था, बल्कि पूरे संस्थान को इंसानियत की ओर मोड़ दिया था। इस कहानी ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि जब धैर्य और शालीनता मिले, तो बड़ी से बड़ी दीवारें भी टूट सकती हैं। उस रात “सूरज समृद्धि” होटल में नया सूरज उगा—मानवता का, सम्मान का, और ईमानदारी का।
News
मासूम बच्चे ने सिर्फ खाना मांगा था, करोड़पति पति–पत्नी ने जो किया… पूरी इंसानियत रो पड़ी
मासूम बच्चे ने सिर्फ खाना मांगा था, करोड़पति पति–पत्नी ने जो किया… पूरी इंसानियत रो पड़ी . अगली सुबह जब…
पुनर्जन्म | 8 साल की लड़की ने बताई अपने पिछले जन्म की कहानी | 8 साल की लड़की निकली दो बच्चों की माँ
पुनर्जन्म | 8 साल की लड़की ने बताई अपने पिछले जन्म की कहानी | 8 साल की लड़की निकली दो…
जब पुलिसवालों ने डीएम की बूढ़ी मां को आम औरत समझकर बर्तनों के पैसे नहीं दिए तो क्या हुआ?
जब पुलिसवालों ने डीएम की बूढ़ी मां को आम औरत समझकर बर्तनों के पैसे नहीं दिए तो क्या हुआ? ….
अंधी बनकर थाने पहुँची IPS मैडम के साथ , दरोगा ने बदतमीजी की ; फिर मैडम ने जो किया …..
अंधी बनकर थाने पहुँची IPS मैडम के साथ , दरोगा ने बदतमीजी की ; फिर मैडम ने जो किया ……..
“IPS ने लाल जोड़ा पहनकर किया भ्रष्ट दरोगा का पर्दाफाश – आगे जो हुआ आपको हैरान कर देगा!”
“IPS ने लाल जोड़ा पहनकर किया भ्रष्ट दरोगा का पर्दाफाश – आगे जो हुआ आपको हैरान कर देगा!” . ….
“IPS मैडम ने थप्पड़ मारा तो मंत्री का बेटा बोला – जानती हो मेरा बाप कौन है”
“IPS मैडम ने थप्पड़ मारा तो मंत्री का बेटा बोला – जानती हो मेरा बाप कौन है” . . दोपहर…
End of content
No more pages to load

 
 
 
 
 
 




