ग़रीब समझकर पत्नी ने शो रूम से भगाया तलाक़शुदा पति ने अगले ही दिन खरीद लिया
शाम के करीब 6:00 बजे थे। शहर की सबसे व्यस्त सड़क पर रिवरा मोटर्स नाम का नया कार शोरूम खुला था। चमचमाती लाइट्स, एयर कंडीशनिंग की ठंडक और अंदर खड़ी लग्जरी कारें हर गाड़ी पर एक सपना लिखा था। पर उसी सपनों के बीच आज एक ऐसा इंसान दाखिल हुआ था, जिसे किसी ने सपनों के लायक नहीं समझा था। वो था राहुल मेहता, लगभग 35 साल का। साधारण सी शर्ट, पैट में जूते, धूल भरे, बाल थोड़े बिखरे हुए। लेकिन आंखों में वह ठहराव था जो एक लंबी जिंदगी का अनुभव बता रहा था।
शोरूम के अंदर लोग आते-जाते रहे। सेल्स एग्जीक्यूटिव मुस्कुराते ग्राहकों को नमस्ते करते। लेकिन राहुल के दाखिल होते ही माहौल थोड़ा बदल गया। रिसेप्शनिस्ट ने सिर से पैर तक देखा। फिर नकली मुस्कान के साथ पूछा, “जी सर, कुछ पूछना था?” राहुल ने कहा, “मुझे एक कार देखनी थी। एसयूवी मॉडल।” लड़की ने हल्का सा हंसते हुए कहा, “सर, एसयूवी की रेंज 25 लाख से शुरू होती है। शायद आप स्मॉल कार सेक्शन में देख लें।”
राहुल ने शांत स्वर में कहा, “नहीं, मुझे वही मॉडल देखना है जो सामने शीशे के पीछे खड़ी है।” रिसेप्शनिस्ट ने आंखों से इशारा किया। एक सेल्समैन आगे बढ़ा। चमकदार सूट में नाम था विक्रम। वो राहुल के पास आया। “जी सर, इस मॉडल में इंटरेस्ट है लेकिन यह काफी प्रीमियम रेंज की कार है। ईएमआई प्लान चाहिए क्या?” राहुल ने हल्की मुस्कान दी। “नकद पेमेंट करूंगा।”
विक्रम के चेहरे पर अजीब सा भाव आया जैसे किसी मजाक पर यकीन ना कर पा रहा हो। उसने आधे मन से कहा, “जी, देख लेते हैं।” और फिर वह कार की तरफ बढ़ गया। कार के पास खड़ी एक महिला ग्राहक ने ध्यान से राहुल को देखा। फिर धीरे से विक्रम से बोली, “यह आदमी थोड़ा जाना पहचाना नहीं लग रहा।” विक्रम बोला, “नहीं मैडम, शायद कोई आम आदमी है बस देखने आया है।” महिला मुस्कुराई। “सही कहा, यह तो हमारे मोहल्ले में काम करता था शायद।”
राहुल ने उनकी बात सुनी पर कुछ नहीं कहा। बस कार के बोनट पर उंगलियां फेरते हुए बोला, “मॉडल अच्छा है। क्या टेस्ट ड्राइव मिल सकती है?” विक्रम ने झिझकते हुए कहा, “अभी नहीं सर, मैनेजर से पूछना पड़ेगा।” राहुल को पता नहीं था कि शोरूम के अंदर कुछ कदम दूर उसकी एक्स वाइफ साक्षी अपने नए पति के साथ उसी मॉडल की कार देखने आई हुई थी।
साक्षी अब एक कॉर्पोरेट फाइनेंस कंपनी में थी। कपड़ों से लेकर आत्मविश्वास तक सब महंगा था। जैसे ही उसने मुड़कर देखा, उसकी नजर राहुल पर पड़ी, वो ठिठक गई। उसने धीरे से अपने पति से कहा, “वो, वो मेरा एक्स हस्बैंड है।” पति ने हंसते हुए कहा, “यह जो उस पुरानी बाइक पर आता था?” साक्षी ने सिर झुका लिया। “हां, लेकिन शायद अब भी वही हालत है।” दोनों कार के करीब गए। विक्रम वहीं खड़ा था।
साक्षी ने ठंडे स्वर में कहा, “एक्सक्यूज मी। इस आदमी को यहां से हटा दीजिए। कस्टमर्स को परेशान कर रहा है।” पूरा स्टाफ रुक गया। विक्रम हिचकिचाया। “मैडम, यह बस कार देख रहे थे।” साक्षी ने कहा, “इनके पास एक कार खरीदने के पैसे नहीं हैं। इनकी आदत है सपनों में जीने की।” राहुल ने पहली बार उसकी ओर देखा। कोई गुस्सा नहीं, कोई तंज नहीं। बस एक नजरिया जो सब कुछ कह गया।
वो बोला, “तुम सही कहती हो, मेरे पास तब सपने ही थे, पर फर्क यह है अब मैं उन्हें सच करने आया हूं।” साक्षी ने हंसते हुए कहा, “रियलिटी देखो राहुल, शोरूम में सपने पूरे नहीं होते।” राहुल ने शांत स्वर में कहा, “कल इसी वक्त इसी कार को खरीद कर जाऊंगा।” साक्षी ठहाका मारकर हंसी। “तुम इस कार को खरीदोगे?” “हां,” राहुल ने कहा, “क्योंकि कभी तुमने कहा था मैं कुछ नहीं कर सकता। अब वो कुछ नहीं मेरी सबसे बड़ी ताकत है।”
साक्षी ने मुड़कर कहा, “मुझे दया आती है तुम पर।” राहुल बस मुस्कुराया। “दया रखो, याद मत रखना क्योंकि कल जब मैं आऊंगा तो तुम पहचानना चाहोगी। पर देर हो चुकी होगी।” राहुल शोरूम से बाहर निकला। पर इस बार उसके कदम धीमे नहीं थे। ठहराव में ताकत थी। उसके चेहरे पर शांति थी लेकिन भीतर ज्वालामुखी फूट चुका था।
ठंडी हवा चल रही थी। राहुल ने अपने पुराने मोबाइल से एक नंबर डायल किया। फोन उठते ही दूसरी तरफ से आवाज आई, “सर गुड इवनिंग। क्लाइंट मीटिंग के पेपर्स तैयार हैं। क्या फाइनल कर दें?” राहुल ने कहा, “हां, सब फाइनल करो। डील आज रात साइन करनी है।” वो सीधा अपने ऑफिस की ओर बढ़ गया। एक साधारण सी बिल्डिंग के तीसरे माले पर लगी थी नेमप्लेट। “मेहता ऑटोमेशन प्राइवेट लिमिटेड।”
लॉयड कभी उसी शहर में जब साक्षी ने उसे छोड़ा था तो उसके पास सिर्फ एक पुरानी बाइक, एक लैपटॉप और अधूरी इंजीनियरिंग की डिग्री थी। लोगों ने कहा था, “तू बिजनेस करेगा? तेरा चेहरा देखा है?” लेकिन राहुल ने उसी ताने को अपना ईंधन बना लिया। 3 साल में उसने अपने छोटे से वर्कशॉप को एक टेक्नोलॉजी कंपनी में बदल दिया था जो कार कंपनियों को ऑटोपार्ट सॉफ्टवेयर सप्लाई करती थी। क्लाइंट्स में अब विदेशी नाम शामिल थे। और आज रात उसी कंपनी की एक विदेशी फर्म के साथ उसकी 20 करोड़ की डील साइन होनी थी।
ऑफिस में पहुंचते ही स्टाफ खड़ा हो गया। “सर डील डॉक्यूमेंट्स रेडी हैं,” असिस्टेंट ने कहा। राहुल ने मुस्कुरा कर कहा, “आज का दिन बहुत बड़ा है। साइन के बाद एक सरप्राइज अनाउंसमेंट भी करूंगा।” रात के 10:00 बजे डील साइन हुई। फोटो क्लिक हुए। प्रेस रिलीज तैयार हुई। एक जर्मन क्लाइंट ने हाथ मिलाते हुए कहा, “मिस्टर मेहता, आप एक जीनियस हैं। यू टर्न्ड योर स्टोरी इन अ सक्सेस।” राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा, “सक्सेस तब असली होती है जब वो अपमान से पैदा हो।”

उसी रात उसने अपने अकाउंटेंट को बुलाया। “कल सुबह रिवरा मोटर्स की सबसे महंगी एसयूवी खरीदनी है। पूरा पेमेंट कैश ट्रांसफर से करना। किसी को पता ना चले।” अकाउंटेंट ने हैरानी से पूछा, “सर, वो कार इतनी महंगी अचानक क्यों?” राहुल ने जवाब दिया, “कभी-कभी खरीदारी नहीं, जवाब देना जरूरी होता है।”
सुबह 9:00 बजे शोरूम खुलने ही वाला था। सेल्समैन विक्रम अपने सूट की टाइट ठीक कर रहा था और साक्षी अंदर आई अपने पति के साथ। “कल वाला ड्रामा आज फिर ना हो,” उसने कहा। विक्रम बोला, “मैडम, अब तो वैसे भी वह आदमी नहीं आएगा।” उसी वक्त गेट के बाहर एक ब्लैक Mercedes S क्लास आकर रुकी। गाड़ी का दरवाजा खुला और बाहर उतरा राहुल। सूट, शेड्स और आत्मविश्वास में लिपटा हुआ आदमी जिसे देखकर सबकी आंखें फैल गईं।
विक्रम को यकीन नहीं हुआ कि यह वही आदमी है जिसे उसने कल हल्के में लिया था। साक्षी का चेहरा जैसे सुन्न पड़ गया। राहुल सीधा अंदर गया और बोला, “विक्रम, वो एसयूवी दिखाओ।” “कल वाली?” विक्रम हकलाने लगा। “जी सर, वही मॉडल।” “हां,” राहुल ने कहा, “और पेमेंट आज ही करूंगा पूरा।” रिसेप्शनिस्ट भागी-भागी आई। “सर, क्या बुकिंग डिटेल्स भरेंगे?” राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं, मेरे अकाउंटेंट ने पहले ही पूरा ट्रांसफर कर दिया है।”
यह रसीद कागज पर नजर पड़ते ही सबकी आंखें चौंधिया गईं। ₹72 लाख ₹45,000 फुल पेमेंट। “मेहता ऑटोमेशंस प्राइवेट लिमिटेड,” पूरा स्टाफ स्तब्ध था। साक्षी अब पास आई, कांपती आवाज में बोली, “राहुल, यह सब तुम?” राहुल ने सीधा जवाब दिया, “हां, वही कुछ नहीं वाला आदमी।” उसने कागज साक्षी की ओर बढ़ाया। “यह कार तुम्हारे नाम पर नहीं, पर तुम्हारे सबक पर ली है। तुमने सिखाया कि इंसान कीमत कपड़ों से नहीं, इरादों से होती है।”
साक्षी की आंखों में शर्म और पछतावा था। उसने कहा, “मुझे माफ कर दो, मैं तुम्हें समझ नहीं पाई।” राहुल ने सिर हिलाया। “माफी नहीं चाहिए, बस यह याद रखना कि जिसे तुम गरीब समझती थी, वो आज अपनी मेहनत से अमीर नहीं, आत्मसम्मान से बड़ा बन गया है।” शोरूम में अब सन्नाटा था। हर नजर राहुल पर थी, उस आदमी पर जिसे कल तक सबने नजरअंदाज किया था और आज वही सबकी नजरों का केंद्र बन चुका था।
सेल्समैन विक्रम जो कल उसकी बातों पर मुस्कुरा रहा था, अब सामने खड़ा था। सिर झुका कर बोला, “सर, हमें माफ कर दीजिए। हमने आपको पहचानने में गलती की।” राहुल ने शांत स्वर में कहा, “गलती इंसान से नहीं, नियत से होती है। तुमने मुझे गरीब नहीं समझा, अपने काम को छोटा समझ लिया।” विक्रम की आंखें झुक गईं।
साक्षी अब भी वहां खड़ी थी। उसके चेहरे पर पछतावे की लकीरें गहराती जा रही थीं। उसने धीरे से कहा, “राहुल, तुम अब भी वैसे ही बोलते हो।” “बस पहले दर्द था, अब ठहराव है।” राहुल ने हल्की मुस्कान दी क्योंकि अब शब्द नहीं, अनुभव बोलते हैं।
शोरूम के अंदर डिलीवरी एरिया में भीड़ जमा हो गई थी। राहुल ने सेल्स मैनेजर से कहा, “इस कार की डिलीवरी आज ही होगी।” “सर, बिल्कुल,” मैनेजर ने कहा, “आप चाहे तो रिबन कटिंग के लिए प्रेस बुला सकते हैं।” राहुल ने कहा, “हां, बुलाइए। लेकिन इस बार कार मैं नहीं चलाऊंगा।” सब चौंक गए। साक्षी ने पूछा, “मत?” राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा, “इस कार को मैं किसी ऐसे को दूंगा जिसे सड़क पर चलने के लिए जूते भी नसीब नहीं। पर इरादे मुझसे बड़े हैं।”
थोड़ी देर में मीडिया और प्रेस के लोग आ गए। कैमरे, माइक और चमकती लाइटें। पर राहुल अब भी उसी सादगी में खड़ा था। वह बोला, “कल मुझे इसी जगह से यह कहकर भगाया गया था कि मैं गरीब दिखता हूं। पर आज मैं साबित करना चाहता हूं कि असली अमीरी पैसों से नहीं, सोच से होती है। इस कार को मैं दान कर रहा हूं दिव्यांजन ड्राइव फाउंडेशन को जो विकलांग युवाओं को फ्री ड्राइविंग ट्रेनिंग देता है क्योंकि मैंने देखा है लोगों के पैर नहीं चलते, फिर भी उनका हौसला दौड़ता है।”
पूरा शोरूम तालियों से गूंज उठा। रिपोर्टर्स ने पूछा, “सर, आप अपनी एक्स वाइफ को कुछ कहना चाहेंगे?” राहुल ने कहा, “वो मेरे अतीत का हिस्सा हैं और मैं उनका शुक्रगुजार हूं। अगर उन्होंने मुझे तोड़ा ना होता तो मैं खुद को जोड़ना नहीं सीख पाता।”
साक्षी की आंखों में आंसू थे। वह धीरे से पास आई। बोली, “राहुल, तुमने बदला नहीं लिया। तुमने मुझे बदल दिया।” राहुल ने कहा, “मैंने बदला नहीं लिया। बस अपनी कीमत याद दिलाई है।”
थोड़ी देर में कार बाहर निकाली गई। लाल रिबन से सजी हुई एसयूवी जो कल उसके सपनों का प्रतीक थी, आज उसके सम्मान की पहचान बन चुकी थी। राहुल ने फाउंडेशन के एक युवा ड्राइवर को चाबी सौंपी। वह लड़का व्हीलचेयर पर था। उसकी मुस्कान देख सबकी आंखें नम हो गईं। राहुल ने कहा, “कल इस कार के शीशे में मैंने खुद को कमजोर देखा था। आज उसी शीशे में मुझे अपनी ताकत दिख रही है। जिंदगी में जब कोई तुम्हें नीचा दिखाए तो चुप रहो। क्योंकि जवाब शब्दों से नहीं, कर्मों से देना चाहिए।”
शोरूम के बाहर प्रेस ने भीड़ से सवाल पूछा। “सर, अब आगे क्या?” राहुल ने कहा, “अब आगे वही जो हर सफल इंसान को करना चाहिए। किसी को छोटा ना समझना क्योंकि इंसान की औकात उसकी जेब से नहीं, उसकी नियत से मापी जाती है।”
साक्षी चुपचाप उसे जाते हुए देखती रही। वो चाहता तो उस पल में उसे अपमानित कर सकता था। पर उसने वही किया जो बड़े लोग करते हैं। माफी नहीं, सबक दिया। जब राहुल अपनी गाड़ी में बैठा, एक रिपोर्टर ने आखिरी सवाल किया। “सर, उस थप्पड़ का क्या जवाब मिला जो जिंदगी ने आपको कभी मारा था?” राहुल ने मुस्कुराकर कहा, “अब उस थप्पड़ की गूंज मेरी सफलता में बदल गई है।”
गाड़ी धीरे-धीरे शोरूम से बाहर निकली। भीड़ के बीच खड़ी साक्षी के पास सिर्फ एक आंसू था और उस आंसू में उसकी सबसे बड़ी सीख छिपी थी। जिसे तुमने कभी नहीं समझा, वही आज तुम्हारी पहचान बन गया है।
इस घटना ने राहुल को एक नई पहचान दी। उसने साबित कर दिया कि असली ताकत अपने आत्मविश्वास में होती है और कभी भी किसी को उसके बाहरी रूप से नहीं आंकना चाहिए। साक्षी ने देखा कि वह आदमी जिसे उसने कभी कमजोर समझा था, आज अपनी मेहनत और आत्मसम्मान से एक मिसाल बन गया है।
राहुल ने अपनी कहानी से यह सिखाया कि असली सफलता केवल पैसे में नहीं, बल्कि अपने इरादों और मेहनत में होती है। उसने अपने पुराने सपनों को साकार किया और यह दिखाया कि अगर इंसान ठान ले, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।
इस तरह, राहुल ने न केवल अपनी पहचान बनाई, बल्कि उन सभी लोगों को भी प्रेरित किया जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उसकी कहानी एक प्रेरणा बन गई और उसने साबित कर दिया कि असली अमीरी सोच में होती है, न कि पैसों में।
राहुल की सफलता की कहानी ने न केवल उसे बल्कि उसके आस-पास के लोगों को भी बदल दिया। उसने यह दिखाया कि हर इंसान में एक ताकत होती है, बस उसे पहचानने की जरूरत होती है। और यही ताकत उसे उसके सपनों की ओर ले जाती है।
आज राहुल ने अपने सपनों को साकार किया है और वह अपने नए सफर की शुरुआत कर चुका है। उसकी कहानी हर किसी के लिए एक सबक है कि मेहनत और आत्मविश्वास से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
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