गांव में पत्नी, शहर में 4 प्रेमिकाएं! अय्याश “IAS Officer” की काली करतूत | Fake IAS Gorakhpur
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गांव में पत्नी, शहर में 4 प्रेमिकाएं! अय्याश “IAS Officer” की काली करतूत
13 दिसंबर 2025 की वह तारीख थी जिसने भारत की सबसे प्रतिष्ठित नौकरी यानी IAS की साख पर एक ऐसा दाग लगा दिया जिसे मिटाना आसान नहीं होगा। सोचिए सड़क के बीचोंबीच एक सफेद इनोवा गाड़ी खड़ी है। उस पर लाल और नीली बत्ती चमक रही है। चारों तरफ हथियारबंद कमांडो तैनात हैं और उस गाड़ी से उतरा एक नौजवान सामने खड़े एक असली मजिस्ट्रेट यानी SDM पर सरेआम हाथ उठा देता है। जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना। एक असली अधिकारी का सरेआम इतना बड़ा अपमान और किसी की हिम्मत नहीं हुई कि उस नौजवान का हाथ पकड़ सके। उस वक्त वहां मौजूद हर शख्स की रूह कांप गई थी उस साहब का रब देखकर।
लेकिन दोस्तों जब इस घटना की परतें खुली तो जो सच सामने आया उसने पुलिस, प्रशासन और सरकार सबकी नींद उड़ा कर रख दी। जिसे दुनिया एक सख्त IAS ऑफिसर मानकर सलाम ठोक रही थी, वो असल में क्या था यह जानकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।

गौरव कुमार सिंह का छलावा
यह कहानी है बिहार के सीतामढ़ी जिले के एक छोटे से गांव महसूल की और वहां के रहने वाले गौरव कुमार सिंह की। गौरव एक ऐसा नाम जो अब अपराध की दुनिया में नटवरलाल से भी बड़ा बन चुका है। एक साधारण पेंट-पॉलिश करने वाले पिता का बेटा जिसका सपना था कलेक्टर बनना। उसने मेहनत की, पढ़ाई की लेकिन जब UPSC की परीक्षा में वह बार-बार फेल हुआ तो उसने एक ऐसा रास्ता चुना जो उसे सीधे तबाही की ओर ले गया।
गौरव ने सोचा कि अगर वह मेहनत करके असली IAS नहीं बन सकता तो क्या हुआ? वह एक ऐसा फैंटम यानी छलावा बन सकता है जिसे देखकर असली कलेक्टर भी धोखा खा जाए और यहीं से जन्म हुआ IAS ललित किशोर का। एक ऐसा फर्जी नाम, एक ऐसी फर्जी पहचान जिसने अगले 3 सालों तक बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक अपनी दहशत फैला दी।
फर्जी IAS की दुनिया
गौरव ने लोगों के दिमाग से खेलना शुरू किया। उसे पता था कि हमारे देश में वर्दी, लाल बत्ती और बंदूक का खौफ कितना ज्यादा है। उसने अपनी इस फर्जी दुनिया को सच दिखाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया। वो हमेशा एक सफेद इनोवा क्रिस्ता में चलता था जिस पर भारत सरकार का बड़ा सा बोर्ड लगा होता था। उसके आगे पीछे Scorpio गाड़ियों का काफिला होता था और उसके चारों तरफ 10 से ज्यादा प्राइवेट गनर अपनी राइफलें ताने खड़े रहते थे। इतना ही नहीं उसने अपने साथ एक पर्सनल असिस्टेंट यानी PA भी रखा था जो हमेशा फाइलों का बोझ लेकर उसके पीछे दौड़ता था।
यह सब देखकर किसी आम इंसान तो क्या पुलिस वालों की भी हिम्मत नहीं होती थी कि उससे उसका आईडी कार्ड मांग ले। वो जहां भी जाता लोग झुककर सलाम करते और वो इसी हेलो इफेक्ट का फायदा उठाकर अपने शिकार ढूंढता था। लेकिन गौरव का पागलपन सिर्फ दिखावे तक सीमित नहीं था। उसका अहंकार सातवें आसमान पर पहुंच चुका था।
भागलपुर की घटना
भागलपुर की वह घटना आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। गौरव अपने पूरे लश्कर के साथ एक साइट पर इंस्पेक्शन करने पहुंचा। वहां के कर्मचारी थरथर कांप रहे थे। तभी वहां इलाके के असली SDM साहब आ गए। असली अधिकारी को प्रोटोकॉल पता होता है। उन्हें शक हुआ कि बिना सूचना के यह कौन सा सीनियर ऑफिसर आ गया। जैसे ही SDM ने गौरव से उसका बैच नंबर पूछा, गौरव को लगा कि उसका खेल खत्म हो सकता है। पकड़े जाने के डर और अपनी झूठी शान को बचाने के लिए उसने वह किया जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
उसने आ देखा न ताव और गुस्से में अपनी हदें पार करते हुए SDM पर वार कर दिया। वह चिल्लाया कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई सीनियर से सवाल करने की? SDM साहब सन्न रह गए। शर्मिंदगी के मारे उन्होंने पुलिस में शिकायत तक नहीं की और गौरव वहां से अपनी गाड़ी में बैठकर शान से निकल गया।
इस घटना के बाद गौरव का हौसला और बढ़ गया। अब उसने बड़े शिकार फंसाने शुरू किए।
मोकामा के व्यापारी का शिकार
उसका सबसे बड़ा शिकार बना पटना के पास मोकामा का रहने वाला एक व्यापारी मुकुंद माधव। गौरव ने मुकुंद को अपने जाल में फंसाने के लिए टेक्नोलॉजी का जबरदस्त इस्तेमाल किया। उसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की मदद से हूबहू सरकारी टेंडर के दस्तावेज बनाए। उसने मुकुंद को भरोसा दिलाया कि वह उसे ₹200 करोड़ का कॉपी किताब सप्लाई करने का सरकारी ठेका दिला देगा।
मुकुंद उस लाल बत्ती और गनर्स की चकाचौंध में ऐसा अंधा हुआ कि उसने धीरे-धीरे करके गौरव को ₹1 करोड़ 70 लाख नकद दे दिए। इतना ही नहीं, साहब की डिमांड पर उसने एक नई Fortuner और एक इनोवा गाड़ी भी गिफ्ट कर दी। गौरव ने उसे पूरी तरह निचोड़ लिया था।
स्कूलों में वसूली का खेल
दूसरी तरफ गौरव ने स्कूलों को अपना निशाना बनाया। वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और बिहार के कई जिलों में प्राइवेट स्कूलों में घुस जाता। वहां जाकर वह प्रिंसिपल को धमकाता कि तुम्हारे स्कूल की बिल्डिंग अवैध है। फायर सेफ्टी नहीं है। मैं अभी सील कर दूंगा। स्कूल वाले डर के मारे उसे लाखों रुपए नकद दे देते। वो एक चलता फिरता वसूली गैंग बन चुका था।
कानून के शिकंजे में
लेकिन कहते हैं ना कि अपराधी चाहे कितना भी शातिर क्यों ना हो एक ना एक दिन कानून के हाथ उसकी गर्दन तक पहुंच ही जाते हैं। गौरव के पाप का घड़ा भी भरने वाला था और इसकी शुरुआत हुई 7 नवंबर 2025 की एक सुबह गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर।
उस दिन सुबह के 7 बज रहे थे। जीआरपी के थानेदार अनुज कुमार सिंह स्टेशन पर रूटीन चेकिंग कर रहे थे। तभी उनकी नजर एक शख्स पर पड़ी जो पुलिस को देखकर घबरा गया और अपना भारी बैग छिपाने लगा। वो शख्स कोई और नहीं मुकुंद माधव था। जब पुलिस ने उसके बैग की तलाशी ली तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गई। बैग के अंदर से पूरे ₹99,900 नकद बरामद हुए। पुलिस को लगा कि यह कोई हवाला का पैसा है या किसी बड़े अपराध से जुड़ा है।
जब कढ़ाई से पूछताछ हुई तो मुकुंद टूट गया। उसने रोते हुए बताया कि यह पैसा उसे IAS ललित किशोर ने वापस किया है क्योंकि वह वादा किया हुआ टेंडर नहीं दिला पाया था। जैसे ही पुलिस ने IAS का नाम सुना मामला हाई प्रोफाइल हो गया। गोरखपुर पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की। जब पुलिस ने DOPT और गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड खंगाले तो पता चला कि 2022 बैच में या किसी भी बैच में ललित किशोर नाम का कोई IAS अधिकारी है ही नहीं। पुलिस समझ गई कि यह एक बहुत बड़ा बहरूपिया है।
गिरफ्तारी और असली सच
SP सिटी अभिनव त्यागी की देखरेख में एक स्पेशल टीम बनाई गई। सर्िलांस और मुखबिरों का जाल बिछाया गया। 1 महीने तक चूहे-बिल्ली का खेल चलता रहा। गौरव अपनी लोकेशन बदलता रहा। कभी लखनऊ, कभी दिल्ली। लेकिन उसे नहीं पता था कि अब उसका अंत करीब है।
11 दिसंबर 2025 को पुलिस को पक्की खबर मिली कि यह फर्जी अफसर गोरखपुर के पास अपने एक ठिकाने पर आया हुआ है। पुलिस ने बिना देर किए वहां छापा मारा। वहां का नजारा देखकर पुलिस भी हैरान थी। वही सफेद इनोवा, वही बत्ती, वही वर्दीधारी गार्ड्स। लेकिन इस बार पुलिस पूरी तैयारी के साथ गई थी। उन्होंने चारों तरफ से घेराबंदी कर ली। जब गौरव ने पुलिस को देखा तो उसने फिर से वही रब झाड़ने की कोशिश की। लेकिन असली पुलिस के सामने नकली IAS की एक नहीं चली। उसे और उसके साले अभिषेक को मौके पर ही दबोच लिया गया।
जब उसकी गाड़ी और लैपटॉप की तलाशी ली गई तो उसमें से ऐसे-से फर्जी दस्तावेज और सरकारी मोहरे मिली कि देखने वाले दंग रह गए। उसने मंत्रियों के साथ अपनी फोटोशॉप की हुई तस्वीरें रखी थी ताकि लोगों को अपनी पहुंच दिखा सके।
चार प्रेमिकाओं का सच
लेकिन दोस्तों कहानी का सबसे घिनौना सच तो गिरफ्तारी के बाद सामने आया। गौरव सिर्फ पैसों का ही भूखा नहीं था। वो एक चरित्रहीन इंसान भी था। जांच में पता चला कि उसने अपनी असली पत्नी और दो बच्चों को गांव में छोड़ रखा था और शहर में कुंवारा IAS बनकर उसने मैट्रिमोनियल साइट्स के जरिए चार-चार लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसा रखा था। पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक गिरफ्तारी के वक्त उन लड़कियों के साथ उसका रिश्ता उस नाजुक मोड़ पर था जहां से लौटने का उनके लिए कोई रास्ता नहीं बचा था।
उन मासूम लड़कियों को पता भी नहीं था कि जिस इंसान को वो अपना मसीहा और भविष्य का पति मान रही थी वो असल में एक शातिर अपराधी है जिसने उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी। गौरव कुमार सिंह आज सलाखों के पीछे है। उसकी बत्ती गुल हो चुकी है। उसके गनर गायब हैं और उसका वो फर्जी रब अब जेल की चार दीवारी में कैद है।
समाज को सीख
लेकिन यह घटना हमारे सिस्टम और समाज के मुंह पर एक करारा तमाचा है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हम क्यों सिर्फ बाहरी दिखावे गाड़ी और कपड़ों को देखकर किसी पर आंख मूंदकर भरोसा कर लेते हैं। क्यों हम सवाल पूछने से डरते हैं। अगर उस दिन किसी ने उससे आईडी कार्ड मांग लिया होता या उस SDM साहब ने शर्मिंदगी छोड़कर उसी वक्त FIR कर दी होती तो शायद इतने लोगों की जिंदगी बर्बाद होने से बच जाती।
दोस्तों इस कहानी को सुनाने का मेरा मकसद सिर्फ आपको एक रोमांचक किस्सा सुनाना नहीं था बल्कि आपको जगाना था। याद रखिए हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती और हर नीली बत्ती वाली गाड़ी में बैठा इंसान देवता नहीं होता। अपने हक के लिए सवाल पूछना सीखिए। डरना नहीं।
अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो जरूर शेयर करें ताकि लोग ऐसे जालसाजों से बच सकें।
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