घर के नौकर ने कर दिया कारनामा/पुलिस भी हैरान और दंग रह गई/अंजाम ठीक नहीं हुआ/

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“सच की सजा”

भूमिका

राजस्थान के एक छोटे से गाँव, पाली में सुबह का समय था। गाँव के लोग अपने-अपने काम में व्यस्त थे। इसी गाँव में रहता था रामलाल, जो कि एक ईमानदार और मेहनती व्यक्ति था। रामलाल की चाय की छोटी सी दुकान थी, जिससे उसका परिवार चलता था। उसकी पत्नी का कई साल पहले निधन हो गया था और उसके पास एक बेटा था—अजय।

अजय का स्वभाव अपने पिता से बिल्कुल अलग था। वह आलसी, कामचोर और आवारा था। रामलाल हमेशा उसे समझाता, “बेटा, मेहनत और ईमानदारी ही इंसान की असली पूंजी है।” लेकिन अजय पर इन बातों का कोई असर नहीं होता।

घर के नौकर ने कर दिया कारनामा/पुलिस भी हैरान और दंग रह गई/अंजाम ठीक नहीं हुआ/

घटना की शुरुआत

एक दिन रामलाल ने अजय को राशन लाने के लिए पैसे दिए और खुद दुकान पर चला गया। अजय राशन लेने गाँव की किराने की दुकान पर गया, जहाँ शालिनी नाम की महिला बैठी थी। शालिनी सुंदर और आत्मनिर्भर थी। दुकान में कोई ग्राहक नहीं था। अजय ने शालिनी को गलत नजरों से देखा और उसका हाथ पकड़ लिया। उसने शालिनी से अश्लील प्रस्ताव रखा, जिससे शालिनी को बेहद गुस्सा आया। उसने अजय को थप्पड़ मारा और शोर मचाया। पड़ोसी इकट्ठा हुए, अजय की पिटाई हुई और उसे गाँव छोड़ने की धमकी दी गई।

नया शहर, नई चाल

रात को अजय ने घर से पैसे चुराए और गाँव छोड़कर पास के शहर चला गया। वहाँ उसने पुलिस स्टेशन के सामने चाय की दुकान खोल ली। दुकान अच्छी चलने लगी। पुलिसकर्मी और कॉलेज के छात्र उसकी दुकान पर आते थे। एक दिन पुलिस स्टेशन में नई महिला दरोगा, डिंपल, आई। डिंपल सुंदर और ईमानदार थी। अजय उसकी तरफ आकर्षित हो गया और उसे हासिल करने का सपना देखने लगा।

नौकरी का मौका

एक दिन डिंपल चाय पीने आई। बातचीत के दौरान उसने बताया कि उसका नौकर छोड़कर चला गया है, और अगर अजय चाहे तो उसके घर काम कर सकता है। अजय ने तुरंत हाँ कर दी। डिंपल ने उसे घर बुलाया, एक कमरा दिया और काम के बदले 12,000 रुपये देने का वादा किया। अजय ने मेहनत से काम करना शुरू किया और डिंपल का भरोसा जीत लिया।

अजय की साजिश

कुछ दिनों बाद अजय ने डिंपल को हासिल करने की योजना बनाई। उसने मेडिकल स्टोर से नींद की दवा खरीदी और एक रात खाने में मिला दी। डिंपल ने खाना खाया, गहरी नींद में चली गई। अजय ने उसके कमरे में घुसकर उसके साथ गलत काम किया। सुबह डिंपल को अपने कपड़े अस्त-व्यस्त मिले, लेकिन वह कुछ समझ नहीं पाई और अजय पर भरोसा करती रही।

नई परेशानी

कुछ दिन बाद डिंपल की छोटी बहन सुनंदा भी उसके पास रहने आ गई। सुनंदा कॉलेज में पढ़ती थी। अजय अब सुनंदा की सुंदरता पर भी फिदा हो गया और उसके साथ भी गलत इरादे रखने लगा। एक रात उसने दोनों बहनों के खाने में दवा मिला दी। दोनों गहरी नींद में चली गईं। अजय ने दोनों के साथ गलत काम किया। सुबह दोनों बहनों को अपने कपड़ों की हालत देखकर शक हुआ, लेकिन डिंपल ने अजय पर भरोसा किया।

सच का खुलासा

कुछ हफ्तों बाद डिंपल को उल्टियां होने लगीं। सुनंदा उसे अस्पताल ले गई, जहाँ डॉक्टर ने बताया कि डिंपल गर्भवती है। सुनंदा का भी टेस्ट हुआ और वह भी गर्भवती निकली। दोनों बहनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। अब उन्हें समझ आ गया कि उनके साथ लगातार गलत काम हुआ है।

अंतिम फैसला

दोनों बहनों ने घर आकर अजय को पकड़ने की योजना बनाई। एक रात जब अजय उनके कमरे में आया, तो दोनों बहनें जाग रही थीं। उन्होंने अजय को पकड़ लिया, उसके हाथ-पैर बांध दिए। गुस्से में दोनों ने अजय पर चाकू से वार किए और उसकी हत्या कर दी। इसके बाद दोनों बहनें पुलिस स्टेशन जाकर आत्मसमर्पण कर लिया।

पुलिस और समाज का सवाल

पुलिस ने जब पूरी घटना सुनी, तो हैरान रह गई। दोनों बहनों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज हुआ, लेकिन गाँव और समाज में बहस छिड़ गई—क्या बहनों का फैसला सही था? क्या कानून अपने हाथ में लेना ठीक था? क्या समाज ऐसे अपराधियों को सजा देने में सक्षम है?

कहानी का संदेश

यह कहानी सिर्फ अपराध और सजा की नहीं, बल्कि समाज की सोच, महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की कमजोरियों की भी है। हमें सोचने की जरूरत है कि अगर समाज में न्याय नहीं मिलता, तो लोग कानून अपने हाथ में लेने को मजबूर हो जाते हैं। असली बदलाव तभी आएगा, जब हर व्यक्ति अपने भीतर ईमानदारी, संवेदनशीलता और न्याय की भावना रखेगा।

निष्कर्ष:
कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सही है और क्या गलत। क्या सजा का तरीका कानून के अनुसार होना चाहिए या भावनाओं के अनुसार? समाज को सतर्क, जागरूक और न्यायप्रिय बनना होगा, तभी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रुकेगी।