जब इंस्पेक्टर ने आईपीएस मैडम को आम लड़की समझ कर थप्पड़ मार दिया, फिर इंस्पेक्टर के साथ…

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आईपीएस दीपिका शर्मा: न्याय की लौ

शहर की हलचल से दूर, एक छोटी सी गली में दीपिका शर्मा अपनी मां ललिता देवी के साथ बैठी थी। उनकी मां कई बार कह चुकी थीं, “बेटा, मुझे कभी एक बड़े रेस्टोरेंट में खाना खाना है।” दीपिका ने आज अपनी मां का यह सपना पूरा करने का निश्चय किया था। वह उन्हें शहर के एक बड़े और भव्य रेस्टोरेंट लेकर जा रही थी। उनके साथ ही सब इंस्पेक्टर आदित्य सिंह भी था।

जब वे ऑटो से कुछ दूरी तय कर रहे थे, तो अचानक आदित्य सिंह ने ऑटो रोका और उतरने लगे। तभी ऑटो चालक ने कहा, “सर, पहले किराया दीजिए। आप बिना किराया दिए चले जा रहे हैं।” यह सुनते ही आदित्य सिंह का गुस्सा भड़क उठा। उन्होंने चालक को एक जोरदार थप्पड़ मार दिया। यह देखकर दीपिका शर्मा चौंक गईं। उन्होंने तुरंत बीच में आकर कहा, “सर, आप चाहे पुलिस वाले हो, लेकिन यह भाई रोज मेहनत करके अपने घर का पेट पालता है। इसका काम ही यही है और इसी कमाई से इसके घर में चूल्हा जलता है। अगर आप किराया नहीं देंगे तो यह अपने बच्चों को क्या खिलाएगा? इसने आपसे बस अपना हक मांगा है और आपको इसका किराया देना ही होगा।”

दीपिका की बात सुनकर आदित्य सिंह और भड़क गया। उसने तीखे स्वर में कहा, “तू मुझे सिखाएगी कि मुझे क्या करना चाहिए? तुझे बीच में बोलने किसने कहा? ज्यादा बकवास मत कर वरना तुझे भी रिपोट पड़ जाएंगे। मैं पुलिस हूं। अभी चाहूं तो तुझे गिरफ्तार कर लूं। ज्यादा होशियारी मत दिखा। समझी?” आदित्य सिंह को यह अंदाजा नहीं था कि जिसे वह इस लहजे में बात कर रहा है, वह दरअसल एक आईपीएस अधिकारी है।

दीपिका ने शांत रहते हुए कहा, “सर, आप पुलिस वाले हैं, तो क्या गरीबों को लूटेंगे? उनके हक का पैसा दबाएंगे? यह जो आप कर रहे हैं, यह ना सिर्फ गलत है बल्कि कानून के भी खिलाफ है।” दीपिका की यह बात सुनकर आदित्य सिंह आपा खो बैठा और उसने गुस्से में दीपिका को थप्पड़ मार दिया। “तू मुझे कानून सिखाएगी? तुझे लगता है तुझे मुझसे ज्यादा कानून आता है? ज्यादा गुस्सा मत दिला वरना तुझे और तेरी मां दोनों को जेल में डाल दूंगा।”

Jab Inspector Ne IPS madam ko Aam ladki Samajh Kar thappad maar Diya Fir  Inspector ke sath...

ऑटो चालक यह सब देखकर डर के मारे चुप था। वहीं दीपिका ने अपने गुस्से को काबू में रखा। वह जानबूझकर अपनी पहचान उजागर नहीं कर रही थी क्योंकि वह देखना चाहती थी कि सब इंस्पेक्टर आदित्य सिंह कितनी हद तक गिर सकता है। कुछ देर बाद ऑटो ने उन्हें रेस्टोरेंट पहुंचा दिया। दीपिका ने अपनी मां ललिता देवी को अंदर ले जाकर खाना खिलाया। बाहर से भले ही वह शांत दिख रही थी, लेकिन मन ही मन उन्होंने ठान लिया था कि इस सब इंस्पेक्टर आदित्य सिंह को सबक सिखाना ही होगा। कानून का मजाक उड़ाने वाले ऐसे अफसर थाने में रहने के लायक नहीं हैं।

रेस्टोरेंट से लौटने के बाद आईपीएस दीपिका शर्मा ने सोचा कि क्यों न थाने जाकर यह पता लगाया जाए कि वहां का माहौल कैसा है। आखिरकार आदित्य सिंह जैसा सब इंस्पेक्टर वहीं काम तो नहीं करता है। अगर थाने की हालत ही गलत है तो पूरा सिस्टम प्रभावित होगा। अगले दिन वह अपनी असली पहचान छिपाते हुए एक आम लड़की की तरह लाल रंग का सलवार सूट पहनकर थाने पहुंच गई।

थाने में प्रवेश करते ही उन्होंने देखा कि इंस्पेक्टर रितेश वर्मा अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ था। दीपिका सीधा उसके पास गई और बोली, “सर, मुझे एक रिपोर्ट लिखवानी है।” दीपिका कुछ और कहती इससे पहले ही रितेश वर्मा ने बीच में टोक दिया, “किसकी रिपोर्ट लिखवानी है? तुझे पता नहीं यहां रिपोर्ट लिखवाने की फीस ₹2000 लगती है। पैसे लाई है क्या? अगर पैसे हैं तो बोल वरना दफा हो जा।”

यह सुनकर दीपिका की आंखें गुस्से से लाल हो गईं। वह हैरान थी कि इस थाने में यह सब चल रहा है और उन्हें जिले की आईपीएस ऑफिसर होने के बावजूद अब तक इसकी भनक तक नहीं थी। दीपिका ने सख्त स्वर में कहा, “सर, आप हमसे रिश्वत क्यों मांग रहे हैं? रिपोर्ट लिखवाने के लिए कोई शुल्क नहीं लगता। आप यह बिल्कुल गलत कर रहे हैं।”

यह सुनकर रितेश वर्मा भड़क उठा और बोला, “क्या कहा तूने? मैं गलत कर रहा हूं? तुझे मुझसे ज्यादा कानून आता है क्या? ज्यादा बकवास मत कर वरना अभी तुझे अंदर करवा दूंगा।” दीपिका समझ चुकी थी कि यह इंस्पेक्टर भी उसी रास्ते पर है जिस रास्ते पर आदित्य सिंह था। उन्होंने शांत रहते हुए पूछा, “आपके थाने का सब इंस्पेक्टर आदित्य सिंह कहां है?” रितेश वर्मा झल्लाकर बोला, “क्यों तुझे उससे क्या काम है? मुझसे सवाल मत कर, खुद जाकर बात कर ले।”

दीपिका ने फिर कहा, “सर, आप रिपोर्ट लिखिए। वरना मैं आपके खिलाफ एक्शन लूंगी। आप मुझे नहीं जानते कि मैं कौन हूं।” यह सुनकर रितेश जोर से हंसा और बोला, “तू मुझे धमका रही है? तुझे देखकर तो लगता है या तो तू भिखारी है या कूड़ा कचरा उठाने वाली या फिर किसी घर में झाड़ू पोछा करने वाली होगी। यहां रिपोर्ट नहीं लिखी जाएगी। अब निकल जा वरना धक्के मारकर बाहर फेंकवा दूंगा।”

दीपिका ने खुद को कंट्रोल किया। वह समझ गई थी कि बिना सबूत के कुछ नहीं होगा। उन्होंने मन ही मन ठान लिया कि इन्हें मजा चखाना ही पड़ेगा। लेकिन पहले मुझे इनकी पूरी करतूतों के सबूत चाहिए। थाने से बाहर निकलकर उन्होंने थोड़ी देर सोचा। फिर अपना मोबाइल निकाला और रिकॉर्डिंग चालू कर दी। उसके बाद दोबारा थाने में प्रवेश किया।

जैसे ही रितेश ने उसे देखा, वह गरजते हुए बोला, “यह लड़की फिर से आ गई? तुझे समझ में नहीं आता? चल, तुझे सबक सिखाता हूं। लगता है तुझे जेल में डालना ही पड़ेगा।” दीपिका ने धीरे लेकिन साफ आवाज में कहा, “सर, मुझे रिपोर्ट लिखवानी है। आप रिपोर्ट दर्ज कीजिए। अगर आप लोग ही जनता से ऐसा व्यवहार करेंगे, तो हम कहां न्याय की उम्मीद करेंगे?”

रितेश वर्मा ने फिर से वही बात दोहराई, “मैंने कहा ना रिपोर्ट लिखवानी है तो ₹2000 दो। बिना पैसे के यहां कुछ नहीं होगा। बार-बार परेशान मत कर वरना धक्के मारकर बाहर निकाल दूंगा।” दीपिका मन ही मन सोच रही थी, बस यही चाहिए था। अब मेरे पास गवाह भी होगा और सबूत भी। इस रिकॉर्डिंग से इन लोगों को मैं आसानी से सस्पेंड करवा सकती हूं।

वह मुस्कुरा कर बोली, “देखिए सर, आप रिश्वत क्यों मांग रहे हैं? कानून में कहीं नहीं लिखा कि रिपोर्ट दर्ज करने के लिए जनता से पैसे लिए जाएं। आप कानून तोड़ रहे हैं। अगर आपने मेरी रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो मैं आपके खिलाफ भी कड़ा एक्शन लूंगी। आप खुद को बड़ा अधिकारी समझते हैं। लेकिन आपको अंदाजा नहीं कि आपके साथ आगे क्या होने वाला है।”

यह सुनकर इंस्पेक्टर रितेश वर्मा ने गुस्से में दो सिपाहियों को आदेश दिया, “इस लड़की को बाहर निकालो। ठीक से सबक सिखाओ। यह ऐसे नहीं जाएगी।” दोनों सिपाही दीपिका की तरफ बढ़े और उसका हाथ पकड़ने ही वाले थे कि तभी दीपिका शर्मा ने जोर से कहा, “रुको।” इसके साथ ही उन्होंने झट से अपनी जेब से सरकारी आईडी कार्ड निकाला और रितेश वर्मा के हाथों में दे मारा।

आईडी देखते ही रितेश वर्मा के हाथ कांपने लगे। उसका चेहरा पीला पड़ गया। वह डरते-डरते बोला, “मैडम, मुझे माफ कर दीजिए। मैं तो आपसे मजाक कर रहा था। आप बताइए किसके खिलाफ रिपोर्ट लिखवानी है? मैं तुरंत दर्ज कराता हूं।” लेकिन दीपिका ने बीच में ही उसकी बात काट दी और सख्त आवाज में बोली, “देखो इंस्पेक्टर, मुझे रिपोर्ट लिखवानी थी लेकिन अब नहीं। अब मुझे सब समझ आ गया है। इस थाने की हालत बहुत खराब है। यहां के अधिकारी जनता को मदद देने के बजाय उन्हें लूटते हैं, डराते हैं और कानून का मजाक उड़ाते हैं। अब तुम्हारा बचना नामुमकिन है। तुम्हारे खिलाफ हमारे पास सबूत मौजूद हैं और मैं तुम्हें सस्पेंड करने जा रही हूं।”

थाने में मौजूद सारे सिपाही यह सुनकर सन्न रह गए। सब चुपचाप खड़े रहे। रितेश वर्मा कुर्सी से उठकर दीपिका को बैठने का आग्रह करने लगा। दीपिका ने कुर्सी पर बैठते ही सख्त स्वर में पूछा, “सब इंस्पेक्टर आदित्य सिंह कहां है?” रितेश वर्मा ने झिझकते हुए कहा, “वो आज छुट्टी पर है मैडम।”

दीपिका गुस्से से बोली, “सब इंस्पेक्टर आदित्य सिंह और तुम इंस्पेक्टर रितेश वर्मा दोनों के खिलाफ तुरंत कारवाई होगी। सस्पेंशन लेटर तैयार किए जाएं। मैं कुछ घंटों में एसपी ऑफिस पहुंच रही हूं। वहां सभी मौजूद रहेंगे।”

इसके बाद दीपिका थाने से बाहर निकली और सीधे उस ऑटो चालक के पास गई। उन्होंने कहा, “देखो भाई, तुम्हें सब इंस्पेक्टर आदित्य सिंह के खिलाफ गवाही देनी होगी। तभी इन्हें सस्पेंड किया जा सकेगा।” यह सुनकर ऑटो चालक घबरा कर बोला, “मैडम, यह नामुमकिन है। थाने में कोई हमारी नहीं सुनता। जो भी इनके खिलाफ बोलता है उस पर झूठा केस दर्ज कर देते हैं और जेल में डाल देते हैं। आप भी इनका कुछ नहीं कर पाएंगी। रहने दीजिए।”

दीपिका मुस्कुराई और बोली, “तुम्हें टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। मैं कोई आम लड़की नहीं हूं। मैं आईपीएस दीपिका शर्मा हूं और मैं वादा करती हूं इन लोगों को सस्पेंड करके रहूंगी।” यह सुनकर ऑटो चालक की आंखों में उम्मीद जग गई। उसने उत्साहित होकर कहा, “क्या आप सच में आईपीएस हैं मैडम? पहले क्यों नहीं बताया? अगर आप हमारे साथ हैं तो मैं गवाही देने के लिए तैयार हूं। बताइए मुझे कहां जाना है?”

दीपिका ने उसे अपने साथ लिया और दोनों एसपी ऑफिस पहुंचे। वहां पहले से सब इंस्पेक्टर आदित्य सिंह, इंस्पेक्टर रितेश वर्मा और डीएसपी मौजूद थे। दीपिका ने सस्पेंशन लेटर हाथ में लिया और सामने रखा। फिर उन्होंने ऑटो चालक से कहा, “अब सच? सबके सामने बताओ।” ऑटो चालक ने हिम्मत जुटाकर पूरी घटना सबके सामने बयान कर दी। कैसे आदित्य सिंह ने किराया ना देकर थप्पड़ मारा और जब दीपिका शर्मा ने बीच में बोला, तो उसे भी थप्पड़ मार दिया।

उसकी गवाही सुनकर डीएसपी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उन्होंने वहीं कड़े स्वर में कहा, “कानून को खिलौना समझने वालों की पुलिस विभाग में कोई जगह नहीं है।” दीपिका की आंखों में सख्ती थी मगर चेहरे पर संतोष। अब सिस्टम को साफ करने की शुरुआत हो चुकी थी।

एसपी ऑफिस का माहौल अचानक भारी और तनावपूर्ण हो गया। डीएसपी ने जैसे ही ऑटो चालक की गवाही सुनी, उनकी आंखों में गुस्सा साफ झलकने लगा। कमरे में मौजूद अफसरों और स्टाफ के बीच खामोशी छा गई थी। सबके चेहरे पर डर और सन्नाटा था।

दीपिका शर्मा जो अब तक सख्त लेकिन संयमित अंदाज में खड़ी थी, धीरे से कुर्सी पर बैठी और सीधे डीएसपी की ओर देखा। ऑटो चालक ने अपना बयान दोहराया, “मैडम, उस दिन इंस्पेक्टर रितेश वर्मा और सब इंस्पेक्टर आदित्य सिंह ने मुझसे जबरन पैसे मांगे। जब मैंने मना किया तो उन्होंने मुझे थाने में खींच कर ले जाकर झूठे आरोप लगाने की धमकी दी। अगर उस दिन मैडम दीपिका शर्मा समय पर ना आती तो शायद मैं आज जेल में होता।”

यह सुनकर वहां मौजूद सभी अफसर सक्ते में आ गए। डीएसपी ने गुस्से में कुर्सी से उठते हुए कहा, “यह घोर अपराध है। इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर को जनता के रक्षक होना चाहिए ना कि अत्याचारी। इस तरह की हरकतें पूरे पुलिस विभाग की छवि खराब करती हैं।”

इंस्पेक्टर रितेश वर्मा ने कांपते हुए कहा, “सर, यह सब झूठ है। यह लड़की और यह ऑटो चालक हमें फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं निर्दोष हूं।” तभी आदित्य सिंह भी बोला, “सर, मैं तो छुट्टी पर था। मेरा इस मामले से कोई लेना देना नहीं है। मुझे बेवजह फंसाया जा रहा है।”

दीपिका शर्मा ने दोनों को घूरते हुए कहा, “अगर तुम सच में निर्दोष होते तो जब मैंने आईडी दिखाई थी, तब तुम्हारे चेहरे का रंग क्यों उड़ गया था? और आदित्य सिंह छुट्टी पर होने के बावजूद तुम्हारा नाम कई शिकायतों में आया है। तुम्हारे खिलाफ पहले से विभागीय जांच लंबित है। अब गवाह भी सामने है। बचना नामुमकिन है।”

डीएसपी ने आदेश दिया, “तुरंत प्रभाव से दोनों अधिकारियों को लाइन हाजिर किया जाए और उनके हथियार व आधिकारिक दस्तावेज जमा कराए जाएं। विभागीय जांच टीम गठित की जाएगी।” स्टेनो ने तुरंत प्राथमिक निलंबन आदेश टाइप करना शुरू किया। आदेश में साफ लिखा गया कि इंस्पेक्टर रितेश वर्मा और सब इंस्पेक्टर आदित्य सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।

जैसे ही खबर मीडिया तक पहुंची, टीवी चैनलों पर सुर्खियां चलने लगीं। भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों पर गिरी गांज। आईपीएस दीपिका शर्मा की सख्ती। जनता की आवाज बनी आईपीएस, रिश्वतखोर पुलिस वाले निलंबित। रिपोर्टर एसपी ऑफिस के बाहर जमा हो गए।

दीपिका शर्मा ने मीडिया से कहा, “यह कार्यवाही जनता का विश्वास लौटाने के लिए है। पुलिस का कर्तव्य सुरक्षा है, शोषण नहीं। हम सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों को सख्त सजा मिले।”

ऑटो चालक ने डरते हुए कहा, “मैडम, अब मुझे डर है कि यह दोनों बदला लेंगे।” दीपिका शर्मा ने तुरंत आदेश दिया कि गवाह को पुलिस सुरक्षा दी जाए। दो सिपाहियों को उसकी सुरक्षा में लगाया गया। उन्होंने गवाह को भरोसा दिलाया, “अब तुम्हें कोई हाथ नहीं लगा पाएगा। जब तक मैं हूं तुम सुरक्षित हो।”

अगले कुछ हफ्तों में एक विशेष जांच समिति बैठी। दर्जनों गवाहों के बयान लिए गए। थाने के पुराने केस, रजिस्टर और फाइलें खंगाली गईं। कई नागरिकों ने आगे आकर शिकायत की कि उन्हें भी इन दोनों अधिकारियों ने प्रताड़ित किया था। जांच रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि दोनों अधिकारियों का आचरण न केवल असंवैधानिक है बल्कि पुलिस की गरिमा को भी धूमिल करता है। आरोप प्रमाणित हैं।

मामला जिला अदालत तक पहुंचा। कोर्ट में गवाह पेश हुए और मीडिया भी मौजूद थी। जज ने सख्त लहजे में कहा, “पुलिस जनता की रक्षा के लिए होती है ना कि उन्हें डराने के लिए। ऐसे अधिकारियों को सेवा में बने रहने का कोई अधिकार नहीं।” गवाह की गवाही और जांच रिपोर्ट देखकर अदालत ने आदेश दिया कि दोनों अधिकारियों का निलंबन बरकरार रखा जाए। उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी चलेगा और सेवा लाभ, सैलरी भत्ते तत्काल प्रभाव से रोक दिए जाएं।

आखिरकार दोनों अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू हुई। यह खबर पूरे राज्य में फैल गई। लोगों ने राहत की सांस ली। मीडिया ने दीपिका शर्मा को जनता की प्रहरी और लौह महिला कहना शुरू किया।

ऑटो चालक भावुक होकर बोला, “मैडम, अगर आप ना होतीं तो हम जैसे गरीब लोग कभी न्याय नहीं पा सकते। आपने हमें हिम्मत दी।” दीपिका शर्मा ने मुस्कुराते हुए कहा, “पुलिस की वर्दी जनता की सेवा और सुरक्षा के लिए है। और जब तक मैं इस वर्दी में हूं, न्याय हमेशा जनता के साथ खड़ा रहेगा।”

इस तरह कानूनी प्रक्रिया, गवाह की सुरक्षा, मीडिया की भूमिका और अदालत के फैसले के बाद इंस्पेक्टर रितेश वर्मा और सब इंस्पेक्टर आदित्य सिंह का करियर समाप्त हो गया। कहानी का अंत हुआ, लेकिन यह एक मिसाल बन गई कि कानून से ऊपर कोई नहीं, चाहे वह पुलिस अधिकारी ही क्यों ना हो।