जब इंस्पेक्टर ने ‘IPS मैडम’ को आम लड़की समझकर उसके साथ छेड़छाड़ की फिर IPS मैडम ने जो किया..

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सुबह के करीब 11 बजे का समय था। जिले की आईपीएस अधिकारी कोमल नेगी एक ऑटो में बैठी हुई थीं। वह नीली साड़ी पहने, बिल्कुल एक आम महिला की तरह दिख रही थीं। कोमल नेगी अपने भाई की शादी में शामिल होने के लिए छुट्टी लेकर घर जा रही थीं। ऑटो ड्राइवर मोहन को यह पता नहीं था कि जो महिला उसकी गाड़ी में बैठी है, वह जिले की आईपीएस अधिकारी हैं। वह बस अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में व्यस्त एक आम इंसान की तरह दिख रही थीं।

ऑटो चलाते हुए मोहन ने कहा, “मैडम, आपकी वजह से मैं इस रास्ते से जा रहा हूं। वरना मैं इस रास्ते से बहुत कम जाता हूं।” कोमल नेगी ने पूछा, “ऐसा क्यों भैया? इस रास्ते में क्या प्रॉब्लम है?” मोहन ने जवाब दिया, “मैडम, इस रास्ते पर कुछ पुलिस वाले खड़े रहते हैं। हमारे इलाके के इंस्पेक्टर हाथीराम बिना वजह ऑटो चालकों का चालान काटते हैं और उनसे पैसे वसूलते हैं। जो उनकी बात नहीं मानते, उनके साथ मारपीट भी करते हैं। आज मेरी किस्मत खराब है, काश इस वक्त वह इंस्पेक्टर रास्ते में न मिले।”

कोमल नेगी मन ही मन सोच रही थीं कि क्या सच में ऐसा होता होगा। क्या वाकई इंस्पेक्टर हाथीराम इतना गलत काम करता है? थोड़ी ही दूरी पर उन्होंने देखा कि सड़क किनारे इंस्पेक्टर हाथीराम अपने साथियों के साथ खड़ा था और वाहनों की चेकिंग कर रहा था। जैसे ही ऑटो उनके पास पहुंचा, उन्होंने लाठी से इशारा किया और ऑटो को रोका। हाथीराम ने गुस्से में कहा, “अरे ओ पायलट नीचे उतर। तेरे बाप की सड़क है क्या? इतनी तेज स्पीड में ऑटो चला रहा है। कानून का कोई डर नहीं है क्या? जल्दी से 5000 का चालान भर।”

ड्राइवर मोहन डरते हुए बोला, “साहब, मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा। कृपया ऐसा मत कीजिए। मेरी कोई गलती नहीं है और अभी मेरे पास इतने पैसे भी नहीं हैं। मैं आपको 5000 कहां से दूं?” हाथीराम और भड़क गया। उसने ऊंची आवाज में कहा, “ज्यादा जुबान मत चला मेरे सामने। पैसे नहीं है तो ऑटो क्या फ्री में चलाता है? जल्दी से ऑटो के कागज निकाल। कहीं यह ऑटो चोरी का तो नहीं है?”

ड्राइवर ने कागज निकालकर दिखाए, सब ठीक थे। लेकिन हाथीराम ने फिर भी कहा, “कागज तो सही है, लेकिन चालान तो भरना ही पड़ेगा। अब 5000 नहीं तो 3000 दे दे, वरना तेरी ऑटो सीज कर दूंगा।” कोमल नेगी यह सब ध्यान से देख रही थीं। वह देख रही थीं कि कैसे इंस्पेक्टर हाथीराम एक गरीब ऑटो चालक को बिना वजह परेशान कर रहा था, उससे पैसे वसूलने की कोशिश कर रहा था। उनके मन में गुस्सा तो था, लेकिन उन्होंने खुद को शांत रखा ताकि पूरी सच्चाई समझ सकें और सही समय पर कार्रवाई कर सकें।

ड्राइवर ने हाथीराम से कहा, “साहब, इतने पैसे मैं कहां से लाऊं? अभी तक तो सिर्फ 300 की कमाई हुई है। कृपया छोड़ दीजिए। मेरे छोटे बच्चे हैं। मैं गरीब आदमी हूं, दिन-रात मेहनत करता हूं। मुझ पर रहम कीजिए।” लेकिन हाथीराम को दया नहीं आई। वह गुस्से में आया, ड्राइवर का गला पकड़कर मारने लगा और चिल्लाया, “जब पैसे नहीं है तो ऑटो क्यों चलाता है? तेरे बाप की सड़क है क्या? ऊपर से मुझसे जुबान लड़ाता है। चल, थाने का मजा चखाता हूं।”

इतना सुनते ही कोमल नेगी खुद को रोक नहीं पाईं। वह आगे बढ़ीं और हाथीराम के सामने खड़ी होकर बोलीं, “इंस्पेक्टर, आप गलत कर रहे हैं। जब ड्राइवर ने कोई गलती नहीं की, तो आप उसका चालान क्यों काट रहे हैं? ऊपर से मारपीट कर रहे हैं। यह कानून का उल्लंघन है। आपको गरीबों पर अत्याचार करने का कोई हक नहीं। इसे जाने दीजिए।”

हाथीराम पहले से गुस्से में था, कोमल की बात सुनकर और भड़क गया। उसने कहा, “अच्छा, अब तू मुझे सिखाएगी कि कानून क्या होता है? ज्यादा जुबान मत चला। लगता है तुझे भी जेल की हवा खिलानी पड़ेगी। चल, दोनों को जेल में रखवा देता हूं।” कोमल का चेहरा लाल हो गया, लेकिन उन्होंने खुद पर काबू रखा। वह देखना चाहती थीं कि यह इंस्पेक्टर कितना गिर सकता है।

हाथीराम ने अपने साथियों को आदेश दिया, “चलो दोनों को थाने ले चलो।” दो पुरुष और दो महिला कांस्टेबल ने कोमल और मोहन को पकड़ लिया। थाने पहुंचकर हाथीराम ने कहा, “इन्हें यहीं बैठा दो, इनकी औकात दिखानी पड़ेगी।” वे दोनों एक बेंच पर बैठा दिए गए। तभी हाथीराम के मोबाइल पर कॉल आई। उसने कहा, “हां, आपका काम हो जाएगा। नाम नहीं आएगा। बस पैसे तैयार रखना। टेंशन मत लो।”

कोमल और मोहन यह सब सुन रहे थे। कोमल सोच रही थीं कि यह इंस्पेक्टर न केवल सड़क पर लोगों को परेशान करता है, बल्कि थाने में भी रिश्वत लेकर काम निपटाता है। वह गरीबों का हक मारता है। कोमल ने गुस्से को दबा रखा था, वह जानती थीं कि गुस्से में कुछ करना ठीक नहीं। असली मुकाबला सबूतों से होगा ताकि पूरा प्रशासन देख सके।

मोहन परेशान था, घर और बच्चों की चिंता थी। कोमल ने उसे भरोसा दिया, “आप घबराइए मत। यह इंस्पेक्टर आपका कुछ नहीं कर पाएगा। मैं आपके साथ हूं। मैंने सब देखा है और इसे बेनकाब करूंगी। आप निश्चिंत रहें।”

मोहन ने पूछा, “क्या आप सच में आईपीएस हैं? जब मेरे साथ यह सब हो रहा था तो आपने कुछ क्यों नहीं कहा? आप कहीं झूठ तो नहीं बोल रही?” कोमल ने शांति से कहा, “नहीं, मैं झूठ नहीं बोलती। मैं इस इंस्पेक्टर को बेनकाब करने के लिए चुप बैठी हूं। मैं देख रही हूं कि वह और क्या गलत करता है। थोड़ी देर इंतजार करो, फिर देखो क्या हाल करती हूं।”

कुछ देर बाद हाथीराम अपने कैबिन में गया और एक हवलदार को बुलाकर कहा, “उस ऑटो ड्राइवर को बुलाकर लाओ।” हवलदार बाहर गया और मोहन को अंदर बुलाया। मोहन डर गया, लेकिन कोमल ने उसे हिम्मत दी। मोहन हाथीराम के पास गया। हाथीराम ने कहा, “अगर तुझे अपनी ऑटो बचानी है तो 5000 देने होंगे, वरना सीज कर दूंगा। मैं पूरे इलाके का राजा हूं।”

मोहन ने रोते हुए कहा, “सर, मेरे पास इतने पैसे नहीं। मुझे छोड़ दीजिए। मेरे बच्चे हैं।” हाथीराम ने कहा, “मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगा। पैसे दे वरना बर्बाद हो जाएगा।” डर के मारे मोहन ने 2000 रुपये निकालकर दे दिए। हाथीराम ने कहा, “ठीक है, बाहर जाकर बैठ जा। और उस औरत को बुला जो तेरे साथ आई थी।”

मोहन बाहर आया और कोमल को बुलाया। कोमल बिना झिझक अंदर गईं। हाथीराम ने पूछा, “नाम क्या है?” कोमल ने कहा, “नाम से क्या मतलब? आप अपनी बताइए, किसलिए बुलाया है?” हाथीराम हैरान था कि एक आम महिला इतनी हिम्मत से बात कर रही है। उसने कहा, “अकड़ मत दिखाओ। हमारे पास हर अकड़ की दवा है। दो डंडे पड़ेंगे तो अकड़ निकल जाएगी। घर जाना है तो 2000 निकालो, वरना जेल की हवा खानी पड़ेगी।”

कोमल ने बेखौफ कहा, “मैं आपको एक रुपया भी नहीं दूंगी। मैंने कोई गलती नहीं की। आप पैसे क्यों मांग रहे हैं? आपने जो वर्दी पहनी है, उसका मतलब क्या? गरीबों को डराना और उनसे पैसे लेना क्या आपकी ड्यूटी है?” हाथीराम भड़क गया और हवलदार को आदेश दिया, “इसे जेल में बंद करो।” हवलदार ने कोमल को लॉकअप में डाल दिया।

कोमल बिना बोले शांत खड़ी थीं। उनकी आंखों में गुस्सा नहीं, दृढ़ निश्चय था। थोड़ी देर बाद थाने के बाहर पुलिस की गाड़ी आई। इंस्पेक्टर विपनेश कुमार उतरे। वे गुस्से में सीधे थाने गए और पूछा, “सुना है किसी औरत को लॉकअप में बंद किया है?” हवलदार ने कहा, “हां सर।”

हाथीराम बाहर आया और बोला, “कौन है? क्या बात है?” विपनेश ने कहा, “सुना है तुमने किसी औरत को लॉकअप में डाला है? मुझे देखनी है।” हाथीराम बोला, “हां, चलिए दिखाता हूं।” वे लॉकअप के पास गए। विपनेश ने कोमल को देखा और चिल्लाए, “तुमने क्या किया? यह हमारी आईपीएस मैडम हैं। तुमने इन्हें क्यों लॉकअप में डाला?”

हाथीराम डर गया। उसने कहा, “मुझे पता नहीं था।” विपनेश ने हवलदार को लॉकअप खोला। कोमल बाहर आईं और शांत आवाज में सारी बात बताई। विपनेश ने मामले को गंभीर समझा और तुरंत अधिकारियों को सूचना दी। एएसपी और डीएम को मामले की जानकारी दी गई। डीएम ने थाने का दौरा किया और हाथीराम को कड़ी फटकार लगाई।

डीएम ने कहा, “तुमने किस अधिकार से किसी महिला को बिना वजह थाने में रखा और लॉकअप में डाला? यह कानून का उल्लंघन है। गरीबों से रिश्वत मांगना और मारपीट करना आपराधिक कृत्य है।” उन्होंने तुरंत जांच का आदेश दिया और कहा कि आरोपी के खिलाफ कार्रवाई हो।

कोमल ने कहा कि वह गवाही देंगी और ऑटो ड्राइवर भी गवाही देगा। डीएम ने कहा कि जांच और कार्रवाई तुरंत शुरू होगी ताकि कोई ऐसा फिर न कर सके। विजिलेंस टीम ने थाने के रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज जांची। पाया कि हाथीराम कई बार ऑटो चालकों और गरीबों को डराकर पैसे वसूलता रहा है। उसे निलंबित कर हिरासत में रखा गया।

कुछ दिनों बाद जांच रिपोर्ट आई जिसमें बताया गया कि हाथीराम ने कई नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन किया है। डीएम ने आदेश दिया कि हाथीराम को निलंबित किया जाए और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए। प्रभावित नागरिकों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए गए।

कोमल ने मीडिया से कहा, “यह फैसला सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि उन सभी गरीब और मेहनतकश लोगों के लिए है जो वर्दी के नाम पर अन्याय झेलते हैं। कानून सबके लिए समान होना चाहिए। कोई भी अधिकारी कानून तोड़ने का हक नहीं रखता। सत्य के साथ खड़ा होना हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य है।”

अदालत में कोमल और मोहन ने अपने बयान दिए। सभी सबूतों और गवाहों की बात सुनी गई। अदालत ने आदेश दिया कि हाथीराम को निलंबित किया जाए और उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो। अदालत ने कहा कि जो अधिकारी जनता को डराते और लूटते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

कोर्ट से बाहर आते हुए कोमल ने कहा, “यह फैसला उन सभी के लिए है जो वर्दी के नाम पर अन्याय झेलते हैं। कानून का सही इस्तेमाल ही समाज को सुरक्षित बनाता है। न्याय मिलने से जनता का भरोसा बढ़ता है।”

यह खबर पूरे जिले में फैल गई। भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनता ने राहत की सांस ली। कोमल नेगी ने साबित किया कि वर्दी का मतलब सेवा और सुरक्षा है, डर और लूट नहीं। उनकी हिम्मत और ईमानदारी ने जिले में नया संदेश दिया कि अन्याय के खिलाफ खड़ा होना सबसे बड़ा धर्म है।