जब एक होटल की सफाई कर्मचारी महिला ने अरबपति शेख मेहमान से अरबी में बात की, तो देखिए उसने क्या किया।

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कहानी: हिना की मेहनत और सपनों की उड़ान

मुंबई के समुद्र किनारे स्थित रॉयल ओएसिस होटल शहर की सबसे ऊंची इमारतों में से एक था। यह एक चमकता हुआ सितारा था, जिसकी संगमरमर की लॉबी, झिलमिलाते झूमर और सोने की परत चढ़ी सजावट हर आने वाले को उसकी भव्यता का एहसास कराती थी। यहां दुनिया के सबसे अमीर और प्रभावशाली लोग ठहरते थे, जिनके लिए पैसा सिर्फ एक संख्या थी और विलासिता जीवन का एक सामान्य हिस्सा। इस चमकदमक के बीच होटल के कर्मचारी एक अदृश्य सेना की तरह काम करते थे, जो इस भव्यता को बनाए रखने के लिए दिन-रात पसीना बहाते थे।

उन्हीं में से एक थी हिना, जो पिछले 5 सालों से इस होटल में सफाई कर्मी का काम कर रही थी। हिना की उम्र 28 साल थी और उसके चेहरे पर थकान के बावजूद एक अजीब सी शांति और दृढ़ता झलकती थी। उसके हाथ, जो दिनभर झाड़ू-पोछा करते थे, खुरदुरे हो चुके थे। पर उसकी आंखों में एक सपना था। एक ऐसी चमक जो उसकी रोजमर्रा की जिंदगी की धूल को भी फीका कर देती थी।

हिना एक छोटे से गांव से आई थी, जहां गरीबी और अभाव उसके बचपन के साथी थे। उसके पिता, जो कभी एक छोटे किसान थे, एक बीमारी के कारण चल बसे थे और परिवार की सारी जिम्मेदारी हिना के कंधों पर आ गई थी। उसकी बूढ़ी मां, दो छोटे भाई-बहन और एक छोटी सी बेटी, इन सबकी उम्मीदें हिना से जुड़ी थीं।

हिना का दिन सुबह 4:00 बजे शुरू हो जाता था। वह उठकर घर का काम निपटाती, अपनी बेटी को तैयार करती और फिर भागकर बस पकड़ती ताकि सुबह 6:00 बजे तक होटल पहुंच सके। होटल में उसका काम सुबह से शाम तक चलता था। वह कमरों की सफाई करती, लॉबी को चमकाती और बाथरूम को बेदाग रखती। यह एक थका देने वाला काम था, जहां अक्सर उसे मेहमानों की उपेक्षा और सहकर्मियों की ईर्ष्या का सामना करना पड़ता था। पर हिना ने कभी शिकायत नहीं की। उसे पता था कि यह नौकरी ही उसके परिवार का एकमात्र सहारा है।

हिना को भाषाओं से बहुत प्यार था। बचपन से ही उसे अलग-अलग भाषाएं सीखने का शौक था। उसके पिता, जो कभी खाड़ी देशों में काम करने गए थे, उन्हें थोड़ी बहुत अरबी आती थी। उन्होंने हिना को कुछ अरबी शब्द और वाक्य सिखाए थे। हिना ने उन शब्दों को अपने दिल में सजो लिया था। वह रात में जब सब सो जाते थे, तो एक पुरानी अरबी किताब लेकर बैठ जाती और धीरे-धीरे उसके अक्षरों को समझने की कोशिश करती। उसने अरबी को सिर्फ एक भाषा के रूप में नहीं सीखा था, बल्कि उसे एक रहस्यमय दुनिया का द्वार मानती थी, जहां उसे अपने पिता की यादें और अपने सपनों की उड़ान दिखती थी।

वह अरबी में कविताएं पढ़ती, कहानियां सुनती और कभी-कभी खुद से अरबी में बातें भी करती थी। यह उसका निजी संसार था, जहां वह अपनी सारी परेशानियों को भूल जाती थी। हिना की सहकर्मी रीता और सुनीता अक्सर उसका मजाक उड़ाती थीं। “हिना, तुम क्यों इतनी मेहनत करती हो? यह सब सिर्फ एक नौकरी है,” रीता कहती थी। “और यह अरबी वर्दी सीखकर क्या मिलेगा? तुम्हें कौन सा रब जाना है?” सुनीता हंसती थी। हिना बस मुस्कुरा देती और अपने काम में लगी रहती। उसे पता था कि उसके सपने उनकी समझ से परे थे।

हिना का सपना था कि एक दिन वह अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा दे सके, अपनी मां का इलाज करवा सके और अपने भाई-बहनों को एक बेहतर जिंदगी दे सके। और उसे लगता था कि अरबी भाषा शायद उसके लिए एक नया रास्ता खोल सकती है।

इस बार होटल द रॉयल ओसिस में एक बहुत ही खास मेहमान आने वाले थे। वे थे सऊदी अरब के सबसे अमीर और प्रभावशाली शख्सियतों में से एक, शेख राशिद अल अराबी अल मकतूम। उनकी दौलत का अंदाजा लगाना मुश्किल था और उनका रुतबा ऐसा था कि उनके आने की खबर से ही पूरा होटल प्रशासन अलर्ट पर आ गया था। शेख राशिद अल अराबी अपने व्यापारिक सौदों के लिए और अपनी दानशीलता के लिए जाने जाते थे। पर वह बहुत ही आरक्षित स्वभाव के व्यक्ति थे।

वह भारत एक बड़े व्यापारिक समझौते पर हस्ताक्षर करने आए थे, जो भारत और सऊदी अरब के आर्थिक संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाला था। शेख राशिद अल अराबी के लिए होटल का सबसे आलीशान सूट बुक किया गया था, जिसमें सात कमरे, एक निजी स्विमिंग पूल और 24 घंटे सेवा उपलब्ध थी। उनकी सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे और उनके हर आराम का ध्यान रखा जा रहा था।

हिना को भी शेख के सूट की सफाई के लिए चुना गया था, क्योंकि वह अपने काम में सबसे मेहनती और विश्वसनीय थी। उसे इस बात की खुशी थी कि उसे इतने महत्वपूर्ण मेहमान की सेवा करने का मौका मिल रहा है। पर साथ ही थोड़ी घबराहट भी थी।

शेख राशिद अल अराबी के आने का दिन आ गया। होटल में चहल-पहल बढ़ गई। काले सूट में बॉडीगार्ड, महंगे इत्र की खुशबू और हर तरफ एक अजीब सा तनाव। शेख राशिद अल अराबी एक लंबी काली लिमोजीन में होटल पहुंचे। उनके साथ उनका निजी स्टाफ और कुछ व्यापारिक सहयोगी भी थे। वह एक शांत और गंभीर व्यक्ति थे, जिनकी आंखों में एक अजीब सी गहराई थी। वह किसी से ज्यादा बात नहीं करते थे और उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान भी मुश्किल से आती थी।

होटल के जनरल मैनेजर मिस्टर कपूर खुद उन्हें रिसीव करने आए थे और हर स्टाफ मेंबर उनके सामने अदब से खड़ा था। हिना ने दूर से शेख राशिद अल अराबी को देखा। उनके शाही लिबास और उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व ने उसे प्रभावित किया। उसे लगा कि वह किसी राजा को देख रही है। वह अपने काम में लगी रही, पर उसके मन में एक अजीब सी जिज्ञासा थी।

उसे शेख के स्वीट की सफाई करनी थी। पर उसे सख्त हिदायत दी गई थी कि वह शेख के कमरे में तब तक ना जाए जब तक वह बाहर न हो। अगले कुछ दिन शेख राशिद अल अराबी अपने व्यापारिक सौदों में व्यस्त रहे। वह सुबह जल्दी उठते, नाश्ता करते और फिर अपनी मीटिंग्स के लिए निकल जाते। हिना हर सुबह उनके स्वीट की सफाई करती थी। वह उनके कमरे में रखी महंगी चीजों को देखती, उनकी किताबों को छूती और उनके इत्र की खुशबू महसूस करती। उसे लगता था जैसे वह किसी और दुनिया में आ गई है।

वह हर चीज को बहुत सावधानी से साफ करती थी ताकि कोई भी चीज अपनी जगह से न हिले। एक दिन हिना सुबह शेख के स्वीट की सफाई कर रही थी। शेख अपनी मीटिंग के लिए निकल चुके थे और कमरा खाली था। हिना ने बाथरूम साफ किया, बेडरूम को चमकाया और फिर लिविंग रूम में आई। लिविंग रूम में एक बड़ी सी मेज पर कुछ कागज और एक छोटा सा लकड़ी का बक्सा रखा था।

हिना ने बक्से को देखा। वह बहुत सुंदर था और उस पर अरबी में कुछ लिखा हुआ था। हिना की जिज्ञासा बढ़ गई। उसने धीरे से बक्से को उठाया। वह बहुत हल्का था और उसमें कुछ भी नहीं था। पर उस पर लिखी अरबी उसे आकर्षित कर रही थी। हिना ने धीरे-धीरे उन शब्दों को पढ़ा। वे एक पुरानी अरबी कविता की पंक्तियां थीं, जो प्यार और बिछड़ने के बारे में थीं। हिना को वह कविता बहुत पसंद आई। उसने उसे अपने मन में दोहराया और फिर बक्से को वापस उसकी जगह पर रख दिया।

उसी पल दरवाजे पर दस्तक हुई। हिना घबरा गई। उसने सोचा कि शायद शेख वापस आ गए हैं। पर जब दरवाजा खुला तो सामने मिस्टर कपूर खड़े थे। उनके चेहरे पर गुस्सा था। “हिना, तुम यहां क्या कर रही हो? तुम्हें पता है कि शेख के कमरे में किसी को हाथ लगाने की इजाजत नहीं है?” मिस्टर कपूर ने गुस्से से कहा।

हिना ने डरते हुए कहा, “सर, मैं तो बस सफाई कर रही थी।” मिस्टर कपूर ने गुस्से से कहा, “तुम्हारी सफाई की जरूरत नहीं है। तुम यहां से जाओ,” और “अगर तुमने किसी को इस बारे में बताया तो तुम्हारी नौकरी चली जाएगी।” हिना डर गई। उसने बिना कुछ कहे वहां से चली गई।

हिना को लगा कि उसकी नौकरी चली जाएगी। वह बहुत परेशान थी। उसने अपनी मां और बेटी के बारे में सोचा। उसे लगा कि उसने एक बहुत बड़ी गलती कर दी है। वह पूरे दिन परेशान रही, पर उसने किसी को कुछ नहीं बताया।

शाम को जब वह घर लौटी तो उसकी मां ने उसे देखा और पूछा, “क्या हुआ बेटी? तुम इतनी उदास क्यों हो?” हिना ने अपनी मां को सब कुछ बताया। उसकी मां ने उसे गले लगा लिया और कहा, “चिंता मत करो बेटी, ऊपर वाला सब ठीक कर देगा।”

अगले दिन हिना होटल गई, पर उसे डर था कि उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा। पर जब वह होटल पहुंची तो उसे कोई कुछ नहीं बोला। उसने राहत की सांस ली। वह अपने काम में लग गई। पर उसके मन में अभी भी डर था।

दो दिन बाद एक अजीब घटना हुई। हिना सुबह शेख के स्वीट की सफाई कर रही थी। शेख अपनी मीटिंग के लिए निकल चुके थे, पर उनका निजी सहायक कमरे में मौजूद था। हिना लिविंग रूम साफ कर रही थी। तभी उसने देखा कि शेख का निजी सहायक फोन पर किसी से अरबी में बात कर रहा है। उसकी आवाज में परेशानी थी। वह बार-बार एक ही शब्द दोहरा रहा था, “मुश्किल, मुश्किल।”

हिना ने ध्यान से सुना। उसे समझ आ रहा था कि वह किसी व्यापारिक सौदे के बारे में बात कर रहा है और वह सौदा किसी परेशानी में है। हिना ने सोचा कि शायद वह मदद कर सकती है। उसने हिम्मत की और धीरे से निजी सहायक के पास गई। “सर, क्या सब ठीक है?” उसने धीमी आवाज में पूछा।

निजी सहायक ने उसे देखा और गुस्से से कहा, “तुम यहां क्या कर रही हो? तुम्हें पता है कि शेख के कमरे में किसी को डिस्टर्ब करने की इजाजत नहीं है।” हिना ने डरते हुए कहा, “सर, मैंने सुना है कि आप किसी परेशानी में हैं, शायद मैं मदद कर सकूं?”

निजी सहायक ने उसका मजाक उड़ाया। “तुम एक सफाई कर्मी, तुम क्या मदद करोगी?” हिना ने हिम्मत की और अरबी में कहा, “सर, मैंने सुना है कि आप किसी व्यापारिक सौदे के बारे में बात कर रहे हैं और वह सौदा किसी मुश्किल में है। शायद मैं कुछ समझ सकूं।”

हिना की अरबी सुनकर निजी सहायक चौक गया। उसकी आंखें फैल गईं। “तुम अरबी जानती हो?” उसने हैरानी से पूछा। हिना ने सिर हिलाया, “हां सर, थोड़ी बहुत।” निजी सहायक ने उसे देखा और उसके चेहरे पर एक अजीब सी भावना थी। उसने सोचा कि शायद यह लड़की कुछ काम की हो सकती है।

निजी सहायक ने हिना को बताया कि शेख एक बड़े व्यापारिक सौदे पर हस्ताक्षर करने आए हैं। पर कुछ कानूनी पेचीदगियों के कारण वह सौदा अटक गया है। उन्हें ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो अरबी और हिंदी दोनों भाषाओं में माहिर हो और जो कानूनी दस्तावेजों को समझ सके। हिना ने ध्यान से सुना और फिर उसने कहा, “सर, मैं कोशिश कर सकती हूं।”

निजी सहायक को यकीन नहीं हुआ। “तुम कानूनी दस्तावेज समझ सकती हो?” हिना ने कहा, “सर, मैंने कॉलेज में थोड़ी बहुत कानून की पढ़ाई की है और मुझे अरबी आती है।”

निजी सहायक ने सोचा कि उनके पास और कोई विकल्प नहीं था। शेख बहुत परेशान थे और उन्हें इस सौदे को जल्द से जल्द पूरा करना था। उसने हिना से कहा, “ठीक है, तुम कोशिश कर सकती हो, पर अगर तुमने कोई गलती की तो तुम्हारी नौकरी चली जाएगी।”

हिना ने हिम्मत की और कहा, “सर, मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगी।” निजी सहायक ने हिना को शेख के सामने पेश किया।

शेख राशिद अल अराबी अपने कमरे में बैठे थे। उनके चेहरे पर चिंता थी। उन्होंने हिना को देखा और उनके चेहरे पर हैरानी थी। “यह कौन है?” उन्होंने निजी सहायक से अरबी में पूछा।

निजी सहायक ने बताया, “सर, यह होटल की सफाई कर्मी है। यह अरबी जानती है और इसने कहा है कि यह आपकी मदद कर सकती है।”

शेख राशिद अल अराबी को यकीन नहीं हुआ। उन्होंने हिना को देखा और उनके चेहरे पर एक अजीब सी भावना थी। उन्होंने सोचा कि शायद यह लड़की कुछ नाम की हो सकती है। शेख राशिद अल अराबी ने हिना से अरबी में बात की। उन्होंने उससे पूछा कि वह अरबी कैसे जानती है।

हिना ने अपनी कहानी सुनाई। कैसे उसके पिता ने उसे थोड़ी बहुत अरबी सिखाई थी और कैसे उसने खुद से अरबी सीखी थी। उसने बताया कि उसे भाषाओं से प्यार है और वह हमेशा से अरबी सीखना चाहती थी।

शेख राशिद अल अराबी ने ध्यान से सुना और उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आई। उन्होंने हिना को कानूनी दस्तावेज दिए और उससे कहा कि वह उन्हें अरबी और हिंदी में समझाए।

हिना ने दस्तावेजों को पढ़ा और फिर उसने उन्हें बहुत ही स्पष्ट और सटीक तरीके से समझाया। उसने कानूनी पेचीदगियों को भी समझाया और कुछ ऐसे सुझाव दिए जो शेख के लिए बहुत फायदेमंद थे।

शेख राशिद अल अराबी और उनके निजी सहायक हिना की समझदारी और उसकी भाषाई दक्षता से हैरान रह गए। उन्हें यकीन नहीं हुआ कि एक सफाई कर्मी इतने काबिल हो सकती है।

शेख राशिद अल अराबी ने हिना से पूछा, “तुमने यह सब कैसे सीखा?” हिना ने कहा, “सर, मैंने बहुत मेहनत की है। मुझे पता था कि एक दिन मेरी मेहनत रंग लाएगी।”

शेख राशिद अल अराबी ने हिना की तारीफ की और उन्होंने उसे धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि उसकी मदद से उनका सौदा सफल हो गया है। उन्होंने हिना को कुछ पैसे देने की कोशिश की, पर हिना ने मना कर दिया। “सर, मैंने तो बस अपना फर्ज निभाया।”

शेख राशिद अल अराबी हिना की ईमानदारी और उसकी विनम्रता से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने देखा कि यह लड़की सिर्फ काबिल नहीं है, बल्कि नेक दिल भी है। उन्होंने सोचा कि यह लड़की किसी और काम के लिए बनी है।

अगले दिन शेख राशिद अल अराबी ने मिस्टर कपूर को बुलाया। उन्होंने मिस्टर कपूर से कहा, “मुझे हिना से बात करनी है।” मिस्टर कपूर घबरा गए। उन्हें लगा कि शेख हिना की शिकायत कर रहे हैं। उन्होंने हिना को बुलाया और उसे शेख के सामने पेश किया।

शेख राशिद अल अराबी ने हिना से कहा, “हिना, मैं तुम्हारी काबिलियत से बहुत प्रभावित हूं। मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ काम करो।”

हिना चौंक गई। उसे यकीन नहीं हुआ कि शेख उससे यह कह रहे हैं। “सर, मैं तो बस एक सफाई कर्मी हूं,” हिना ने कहा।

शेख राशिद अल अराबी ने मुस्कुरा कर कहा, “नहीं, तुम एक काबिल इंसान हो। मैं चाहता हूं कि तुम मेरी कंपनी में दुभाषिया के रूप में काम करो। तुम्हें मेरी हर मीटिंग में मेरे साथ रहना होगा और मेरे व्यापारिक सौदों में मेरी मदद करनी होगी।”

हिना की आंखें भर आईं। उसे यकीन नहीं हुआ कि उसकी किस्मत इतनी जल्दी बदल जाएगी। उसने शेख को धन्यवाद दिया और उसने कहा कि वह अपनी पूरी कोशिश करेगी।

मिस्टर कपूर और होटल के बाकी कर्मचारी यह सब देखकर हैरान रह गए। उन्हें यकीन नहीं हुआ कि एक सफाई कर्मी को इतनी बड़ी नौकरी मिल सकती है। रीता और सुनीता, जो हिना का मजाक उड़ाती थीं, वे भी हैरान थीं। उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने हिना को गलत समझा था।

हिना ने अपनी नई नौकरी शुरू की। वह शेख राशिद अल अराबी की हर मीटिंग में उनके साथ रहती थी। वह उनके व्यापारिक सौदों में उनकी मदद करती थी। उसने अपनी मेहनत और लगन से सबको प्रभावित किया।

शेख राशिद अल अराबी हिना की काबिलियत से बहुत खुश थे। उन्होंने हिना को बहुत कुछ सिखाया। उन्होंने उसे व्यापार के गुण सिखाए और उसे दुनिया की समझ दी। हिना की जिंदगी पूरी तरह से बदल चुकी थी। अब वह एक आलीशान अपार्टमेंट में रहती थी और उसकी बेटी एक अच्छे स्कूल में पढ़ रही थी। उसकी मां का इलाज हो रहा था और उसके भाई-बहन भी अच्छे कॉलेज में पढ़ रहे थे।

हिना ने कभी अपनी पुरानी जिंदगी को नहीं भूला। उसने विश्वास फाउंडेशन को भी दान देना शुरू किया और उसने गरीब बच्चों की मदद करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए।

शेख राशिद अल अराबी और हिना की जोड़ी पूरे व्यापारिक जगत में मशहूर हो गई। लोग उन्हें एक मिसाल के रूप में देखते थे। शेख राशिद अल अराबी ने हिना को अपनी बेटी की तरह माना और हिना ने उन्हें अपने पिता की तरह माना।

एक दिन शेख राशिद अल अराबी ने हिना से कहा, “हिना, तुमने मुझे सिर्फ मेरे व्यापारिक सौदों में मदद नहीं की। तुमने मुझे जिंदगी का एक नया मकसद दिया है। तुमने मुझे सिखाया कि असली दौलत पैसा नहीं, बल्कि इंसानियत है।”

हिना ने मुस्कुरा कर कहा, “सर, आपने मुझे सिखाया कि सपने सच होते हैं।”

यह कहानी हमें सिखाती है कि इंसानियत की कोई सीमा नहीं होती। एक सफाई कर्मी की ईमानदारी और उसकी भाषाई दक्षता ने उसे एक अरबपति शेख के सामने एक नया रास्ता दिखाया और उसने अपनी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि काबिलियत और नेक दिली किसी भी सामाजिक बाधा को पार कर सकती है और एक छोटा सा काम भी एक बड़ा इतिहास रच सकता है।