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भाग 1: सुबह की ताज़गी

सुबह की ताज़ी हवा में एक अलग ही मिठास थी। सूरज की पहली किरणें आसमान में बिखर रही थीं, और एक नई उम्मीद के साथ दिन की शुरुआत हो रही थी। छोटे से गाँव की गलियों में चहल-पहल थी। हर कोई अपने-अपने काम में व्यस्त था। गाँव के एक कोने में, सुमिता देवी अपने छोटे से ठेले पर ताजे फल बेच रही थीं। उनका ठेला हमेशा से गाँव के लोगों का पसंदीदा रहा है। सुमिता देवी के चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान रहती थी, जो उनके फल बेचने के साथ-साथ गाँव के लोगों के दिलों में भी मिठास घोल देती थी।

सुमिता देवी का एक ही बेटा था, राघव, जिसे उन्होंने बड़े प्यार से पाला था। राघव पढ़ाई में बहुत अच्छा था और गाँव के स्कूल का सबसे होशियार छात्र माना जाता था। सुमिता देवी को अपने बेटे पर गर्व था। जब भी कोई उनसे पूछता, “आपका बेटा क्या करता है?” तो वो गर्व से कहतीं, “मेरा बेटा पढ़ाई कर रहा है और एक दिन बड़ा आदमी बनेगा।”

भाग 2: राघव का सपना

राघव का सपना था कि वह डॉक्टर बने। उसने अपनी माँ से वादा किया था कि वह गाँव के लोगों की सेवा करेगा। वह जानता था कि उसकी माँ ने उसे पढ़ाने के लिए कितनी मेहनत की है। इसलिए उसने ठान लिया था कि वह अपनी माँ का सपना पूरा करेगा। राघव स्कूल में बहुत मेहनत कर रहा था। वह हर दिन सुबह जल्दी उठता, पढ़ाई करता और फिर अपनी माँ के साथ फल बेचने में मदद करता।

एक दिन, स्कूल में एक प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। प्रतियोगिता में गाँव के सभी बच्चों को भाग लेना था। राघव ने भी प्रतियोगिता में भाग लिया। उसने अपनी मेहनत से सभी को प्रभावित किया और प्रतियोगिता जीत ली। उसकी माँ का चेहरा गर्व से चमक उठा। सुमिता देवी ने राघव को गले लगाते हुए कहा, “बेटा, तुमने मुझे गर्वित किया है। तुम सच में बड़े आदमी बनोगे।”

भाग 3: कठिनाइयाँ

लेकिन जीवन में हमेशा सुख नहीं होता। कुछ महीनों बाद, गाँव में एक बड़ी समस्या आ गई। गाँव के तालाब का पानी सूखने लगा। गाँव के लोग पानी के लिए परेशान होने लगे। सुमिता देवी ने अपने ठेले पर फल बेचने के लिए पानी लाने का फैसला किया। वह रोज़ तालाब से पानी लाकर अपने ठेले पर रखतीं, ताकि लोग आसानी से पानी ले सकें। लेकिन फिर भी, गाँव के लोगों को पानी की कमी से जूझना पड़ रहा था।

राघव ने देखा कि उसकी माँ कितनी मेहनत कर रही हैं। उसने सोचा कि अगर वह डॉक्टर बनेगा, तो वह गाँव के लोगों के लिए एक नया तालाब बनवाएगा। उसने अपनी माँ से कहा, “माँ, मैं बड़ा होकर गाँव के लिए तालाब बनाऊंगा।” सुमिता देवी ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। मैं जानती हूँ कि तुम एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनोगे।”

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भाग 4: संघर्ष का समय

समय बीतता गया, और राघव ने अपनी पढ़ाई में बहुत मेहनत की। लेकिन गाँव की स्थिति और भी बिगड़ने लगी। तालाब का पानी पूरी तरह से सूख गया, और गाँव के लोगों को पानी के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ रहा था। एक दिन, गाँव के मुखिया ने एक बैठक बुलाई। सभी गाँव वाले इकट्ठा हुए और समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की।

मुखिया ने कहा, “हमें एक नया तालाब बनवाना होगा। लेकिन इसके लिए पैसे की जरूरत पड़ेगी।” सभी लोग चिंतित हो गए। किसी के पास पैसे नहीं थे। तभी राघव ने खड़ा होकर कहा, “मैं अपनी पढ़ाई छोड़कर काम करूंगा। मैं पैसे इकट्ठा करूंगा और गाँव के लिए तालाब बनवाने में मदद करूंगा।” सभी ने उसकी बात को सराहा, लेकिन सुमिता देवी चिंतित हो गईं। उन्होंने कहा, “बेटा, तुम्हारी पढ़ाई बहुत महत्वपूर्ण है।”

भाग 5: नए रास्ते की तलाश

राघव ने अपनी माँ की बात सुनी, लेकिन उसने ठान लिया था कि वह गाँव के लिए कुछ करेगा। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने गाँव में एक चैरिटी कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया। कार्यक्रम में संगीत, नृत्य और खेल होंगे। सभी लोग इसमें भाग लेंगे और जो पैसे इकट्ठा होंगे, वह तालाब के लिए उपयोग किए जाएंगे।

कार्यक्रम की तैयारी शुरू हो गई। राघव और उसके दोस्त दिन-रात मेहनत करने लगे। उन्होंने गाँव के सभी लोगों से मदद मांगी। सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम का दिन आ गया। गाँव में उत्सव का माहौल था। सभी लोग खुश थे और तालाब के लिए पैसे इकट्ठा करने की उम्मीद कर रहे थे।

भाग 6: कार्यक्रम की सफलता

कार्यक्रम सफल रहा। गाँव के लोगों ने दिल खोलकर दान दिया। राघव ने देखा कि लोग एकजुट होकर काम कर रहे हैं। यह देखकर उसे बहुत खुशी हुई। अंत में, उन्होंने तालाब बनाने के लिए पर्याप्त पैसे इकट्ठा कर लिए। राघव ने मुखिया से कहा, “हम अब तालाब बनाएंगे।” मुखिया ने कहा, “बिल्कुल, यह सब तुम्हारी मेहनत का नतीजा है।”

कुछ ही महीनों में, गाँव में नया तालाब बनकर तैयार हो गया। गाँव के लोग बहुत खुश थे। उन्होंने राघव को सराहा और उसकी माँ ने गर्व से कहा, “बेटा, तुमने सच में बहुत बड़ा काम किया है।” राघव ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह सब हमारे गाँव के लिए है।”

भाग 7: नई चुनौतियाँ

लेकिन जीवन में चुनौतियाँ खत्म नहीं होतीं। गाँव के तालाब का पानी धीरे-धीरे बढ़ने लगा, लेकिन अब गाँव में एक नई समस्या आ गई। गाँव के बाहर कुछ लोग आए और तालाब का पानी बेचने की कोशिश करने लगे। गाँव के लोग चिंतित हो गए। राघव ने सोचा कि उसे इस समस्या का समाधान निकालना होगा।

राघव ने गाँव के लोगों के साथ मिलकर एक बैठक बुलाई। उन्होंने तय किया कि वे तालाब के पानी की रक्षा करेंगे और इसे किसी को नहीं बेचने देंगे। राघव ने कहा, “हम सब मिलकर इस तालाब की रक्षा करेंगे। यह हमारे गाँव का है, और हम इसे बचाएंगे।”

भाग 8: संघर्ष की शुरुआत

गाँव के लोग एकजुट होकर तालाब की रक्षा करने लगे। उन्होंने तालाब के चारों ओर एक दीवार बनाने का फैसला किया। राघव ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर काम शुरू किया। लेकिन गाँव के बाहर के लोग इस पर आपत्ति जताने लगे। उन्होंने कहा, “यह तालाब अब हमारी संपत्ति है।” राघव ने साहसिकता से जवाब दिया, “यह तालाब हमारे गाँव का है, और हम इसे नहीं बेचने देंगे।”

गाँव के बाहर के लोग गुस्से में आ गए। उन्होंने गाँव वालों को धमकी दी। लेकिन राघव ने हार नहीं मानी। उसने गाँव वालों को एकजुट किया और कहा, “हम डरने वाले नहीं हैं। हमें अपनी जमीन और पानी की रक्षा करनी है।”

भाग 9: निर्णायक लड़ाई

एक दिन, गाँव के बाहर के लोगों ने तालाब पर कब्जा करने की कोशिश की। राघव और गाँव के लोग तैयार थे। उन्होंने मिलकर एक योजना बनाई। राघव ने कहा, “हम शांतिपूर्ण तरीके से लड़ेंगे। हमें अपने अधिकार की रक्षा करनी है।”

जब गाँव के बाहर के लोग तालाब पर पहुंचे, तो राघव और गाँव के लोग उनके सामने खड़े हो गए। राघव ने कहा, “यह तालाब हमारे गाँव का है। तुम इसे नहीं ले जा सकते।” बाहर के लोग हंसते हुए बोले, “तुम लोग क्या कर लोगे?” राघव ने कहा, “हम लड़ेंगे। यह हमारा अधिकार है।”

भाग 10: जीत की खुशी

लड़ाई शुरू हुई। गाँव के लोग एकजुट होकर खड़े रहे। राघव ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर संघर्ष किया। अंत में, गाँव के लोग जीत गए। बाहर के लोग हार मानकर चले गए। राघव और गाँव वाले खुशी से झूम उठे। उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाया और कहा, “हमने अपनी जमीन और पानी की रक्षा की है।”

सुमिता देवी ने अपने बेटे को गले लगाते हुए कहा, “बेटा, तुमने साबित कर दिया कि तुम सच में बड़े आदमी हो।” राघव ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह सब हमारे गाँव के लिए है। हम सब मिलकर ही जीत सकते हैं।”

भाग 11: नए सपने

गाँव में सब कुछ ठीक हो गया। तालाब का पानी भर गया और गाँव के लोग खुश थे। राघव ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। उसने डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया और गाँव के लोगों की सेवा करने लगा। सुमिता देवी ने अपने बेटे पर गर्व किया। उसने अपने बेटे को हमेशा प्रेरित किया और कहा, “बेटा, तुमने जो किया है, वह सबके लिए एक मिसाल है।”

राघव ने गाँव के लोगों के लिए एक अस्पताल खोलने का फैसला किया। उसने अपनी माँ से कहा, “माँ, मैं गाँव के लोगों के लिए एक अस्पताल खोलूंगा। ताकि किसी को भी इलाज के लिए दूर न जाना पड़े।” सुमिता देवी ने कहा, “बेटा, यह बहुत अच्छा विचार है। तुम सच में बड़े आदमी बन गए हो।”

भाग 12: अस्पताल का उद्घाटन

कुछ सालों बाद, राघव ने गाँव में एक अस्पताल खोला। गाँव के लोग बहुत खुश थे। उन्होंने राघव को सराहा और कहा, “तुमने हमारे गाँव के लिए बहुत बड़ा काम किया है।” राघव ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह सब आपके लिए है। मैं हमेशा आपके साथ रहूँगा।”

अस्पताल का उद्घाटन धूमधाम से किया गया। गाँव के लोग इकट्ठा हुए और राघव को सराहा। सुमिता देवी ने कहा, “बेटा, तुमने मेरे सपने को पूरा किया है। मैं तुम पर गर्व करती हूँ।” राघव ने कहा, “माँ, यह सब आपके प्यार और समर्थन का नतीजा है।”

भाग 13: नए अध्याय की शुरुआत

गाँव में सब कुछ बदल गया। तालाब फिर से भर गया और गाँव के लोगों को पानी की कोई कमी नहीं रही। राघव ने गाँव के लोगों के लिए एक नई शुरुआत की। उसने गाँव के बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया।

गाँव के लोग अब खुशहाल जीवन जी रहे थे। राघव ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर गाँव में कई विकास कार्य किए। उन्होंने स्कूल, अस्पताल और तालाब के साथ-साथ गाँव के लोगों के लिए बेहतर सुविधाएँ प्रदान कीं। गाँव में अब खुशियों का माहौल था।

भाग 14: समापन

इस तरह, राघव ने अपने संघर्ष और मेहनत से गाँव के लोगों के जीवन को बदल दिया। उसने साबित कर दिया कि अगर मन में इच्छा हो, तो कुछ भी संभव है। सुमिता देवी ने अपने बेटे पर गर्व किया और कहा, “बेटा, तुमने जो किया है, वह सबके लिए एक प्रेरणा है।”

राघव ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह सब हमारे गाँव के लिए है। मैं हमेशा आपके साथ रहूँगा।” और इस तरह, गाँव में खुशियों की बहार छा गई। राघव ने अपने सपनों को पूरा किया और गाँव के लोगों के जीवन में एक नई रोशनी लाई।

गाँव के लोग आज भी राघव को याद करते हैं और उसकी कहानी सुनाते हैं। वह एक ऐसा नाम बन गया जो हमेशा के लिए गाँव के लोगों के दिलों में बसा रहेगा।