जब लड़के ने सगाई तोड़ी, तो किसी ने उस लड़की से शादी नहीं की, उसे सज़ा दी गई, भले ही वह…
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शहर की चमक और गांव की मिट्टी: आकाश और राधा की कहानी
जब शहर की चकाचौंध, गांव की मिट्टी पर किए गए वादों से ज्यादा चमकदार लगने लगती है, तब क्या होता है? क्या होता है जब एक लड़का, जो बचपन से अपने प्यार से जुड़ा होता है, उसे एक झटके में ठुकरा देता है सिर्फ इसलिए कि उसे शहर की कोई मॉडर्न लड़की पसंद आ जाती है? और उस बेकसूर लड़की का क्या होता है, जिस पर समाज बिना उसकी गलती जाने बदचलन होने का ऐसा दाग लगा देता है जो उसकी पूरी जिंदगी को एक बेरंग कैनवस में बदल देता है?
यह कहानी है आकाश की। एक ऐसे लड़के की जिसने अपने सपनों की उड़ान में उस लड़की को पीछे छोड़ दिया जो उसकी जमीन थी। यह कहानी है राधा की। एक ऐसी लड़की की जिसने मंगनी टूटने का जहर तो पिया, पर अपनी आत्मा की पवित्रता पर कभी आंच नहीं आने दी। उसने समाज के ताने सहे, अकेलापन झेला, पर अपने उसूलों से कभी समझौता नहीं किया।
सूरजगढ़ का गांव
हरियाणा और राजस्थान की सीमा पर बसा सूरजगढ़ एक छोटा सा धूल भरा गांव था। यह गांव अपनी रूखी-सूखी जमीन, अपनी परंपराओं और सीधे-साधे पर उतने ही कठोर दिल वाले लोगों के लिए जाना जाता था। यहां की जिंदगी सूरज के उगने के साथ शुरू होती थी और सूरज के ढलने के साथ ही चौपाल पर बैठे बुजुर्गों के फैसलों पर खत्म हो जाती थी।
यहां की लड़कियों का ज्यादा पढ़ना या अपनी मर्जी से कुछ करना आज भी एक सपने जैसा था। मिट्टी की सौंधी महक के साथ-साथ यहां परंपराओं की एक ऐसी अदृश्य जकड़न थी, जिससे बाहर निकलना किसी के लिए भी आसान नहीं था।
दो परिवार, दो दुनिया
गांव में दो घर थे जो सिर्फ पड़ोसी नहीं बल्कि दोस्ती की मिसाल थे। एक घर था चौधरी धर्मपाल का, जो गांव के सरपंच थे और जिनके पास अच्छी खासी जमीन-जायदाद थी। उनकी मूंछें हमेशा ताव में रहती थीं और उनकी आवाज में एक कड़कपन था। दूसरा घर था मास्टर बलदेव का, जो गांव के सरकारी स्कूल में अध्यापक थे। उनकी कमाई कम थी, पर गांव में उनकी इज्जत बहुत थी। उनकी सफेद धोती-कुर्ते की तरह ही उनका चरित्र भी बेदाग था।
चौधरी धर्मपाल का एक बेटा था आकाश और मास्टर बलदेव की एक बेटी थी राधा। आकाश और राधा बचपन से ही एक-दूसरे के साथी थे। उनकी दोस्ती गांव के बाहर बहने वाली छोटी सी नदी की तरह निर्मल और गहरी थी। वे एक साथ खेलते, आम के पेड़ों पर चढ़ते और एक ही स्कूल में पढ़ते। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि पूरे गांव में बच्चे उनकी मिसाल देते थे।
बचपन का प्यार और मंगनी
आकाश पढ़ाई में तेज था, आंखों में बड़े-बड़े सपने लिए। वह गांव से निकलकर शहर में एक बड़ा अफसर बनना चाहता था। राधा एक शांत, सुशील और बेहद खूबसूरत लड़की थी, जिसकी दुनिया आकाश के इर्द-गिर्द घूमती थी। वह मन ही मन आकाश को अपना सब कुछ मान चुकी थी।
जब आकाश स्कूल में किसी सवाल में अटक जाता, तो राधा अपनी समझदारी से उसे सुलझा देती, और जब राधा को कोई परेशान करता, तो आकाश उसके लिए लड़ने को तैयार हो जाता। जैसे-जैसे वे बड़े हुए, दोनों परिवारों ने अपनी दोस्ती को रिश्ता बनाने का फैसला किया और पूरी धूमधाम से आकाश और राधा की मंगनी कर दी गई।
उस दिन राधा ने गुलाबी रंग का लहंगा पहना था, उसकी आंखों में हजारों सपने तैर रहे थे। आकाश ने उसके हाथ में शगुन का नारियल रखा और वह शर्म से लाल हो गई। तय हुआ कि जैसे ही आकाश अपनी पढ़ाई पूरी करेगा, दोनों की शादी कर दी जाएगी।
शहर की चमक ने बदला आकाश
आकाश ने 12वीं पास करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। गांव छोड़ते वक्त राधा ने उसे एक ऊनी स्वेटर बुना और सुबह जाते वक्त एक चांदी का छोटा लॉकेट दिया, जिस पर उसका नाम लिखा था। “यह हमेशा अपने पास रखना, यह तुम्हें मेरी याद दिलाएगा और शहर की बुरी नजर से बचाएगा।” आकाश ने वादा किया कि वह जल्द लौटेगा और शादी करेगा।
दिल्ली की चमक-दमक ने आकाश को अपनी ओर खींच लिया। उसने जींस-टीशर्ट पहनना, अंग्रेजी बोलना सीख लिया। वह अब गांव का सीधा-साधा लड़का नहीं रहा, बल्कि दिल्ली का एक नया इंसान बन गया था। पढ़ाई में अच्छा था और जल्दी ही कॉलेज का हीरो बन गया।
इसी बीच उसकी जिंदगी में आई सोनिया। सोनिया दिल्ली के एक बड़े बिजनेसमैन की बेटी थी, बेहद मॉडर्न, खूबसूरत और आत्मविश्वासी। वह बाइक चलाती, पार्टियां करती और उसकी बातों में बेबाकी थी, जो आकाश ने कभी नहीं देखी थी। आकाश सोनिया की ओर आकर्षित होने लगा। उसे राधा अब पिछड़ी और गवार लगने लगी।
टूटे हुए वादे और बिखरी जिंदगी
आकाश ने राधा के खतों को बोझ समझना शुरू कर दिया। उसने सोनिया से शादी कर ली और राधा से बात करने से भी इंकार कर दिया। गांव में यह खबर आग की तरह फैल गई। मास्टर बलदेव, जो अपनी बेटी की शादी की तैयारी में लगे थे, दिल का दौरा पड़ने से मर गए।
गांव वालों ने मास्टर जी की मौत का जिम्मेदार आकाश को नहीं, बल्कि राधा को ठहराया। उन्होंने उसे बदचलन कहा और गांव की औरतों ने ताने कसना शुरू कर दिए। जो लड़की कल तक गांव की बेटी मानी जाती थी, आज वही अछूत और बचलन लड़की बन गई। उसकी अपनी मां ने भी उससे मुंह मोड़ लिया।
राधा की दुनिया अंधेरे और अकेलेपन में डूब गई। उसे समाज ने सजा दी, जबकि वह निर्दोष थी। पिता की तेरहवीं के बाद घर में गरीबी और संघर्ष बढ़ गया। राधा ने हार नहीं मानी। उसने गांव की बच्चियों को मुफ्त पढ़ाना शुरू किया, लेकिन गांव वाले अपने बच्चों को भेजने से मना कर देते।
राधा ने खेतों में मजदूरी करनी शुरू की। जो लड़की कभी घर से बाहर नहीं निकली थी, अब तपती धूप में काम करती। लोग ताने कसते, पर वह चुपचाप अपना काम करती। कई रिश्ते आए, लेकिन जैसे ही पता चलता कि उसकी मंगनी टूटी है, लोग मुंह फेर जाते।
धीरे-धीरे राधा ने शादी का सपना छोड़ दिया। उसने अपनी जिंदगी, बीमार मां की सेवा और मेहनत में लगा दी। वह हर रोज मंदिर जाती और आकाश के लिए दुआ करती, जिसने उसकी जिंदगी नर्क बना दी थी। उसके पास वह चांदी का लॉकेट था, जिसे वह संभाल कर रखती थी।
दस साल बाद वापसी
दस साल बीत गए। आकाश दिल्ली में एक बड़ा आदमी बन चुका था। सोनिया के पिता ने उसे अपना बिजनेस सौंप दिया था। वह एक मल्टीनेशनल कंपनी का सीईओ था, आलीशान बंगले में रहता, महंगी गाड़ियों में घूमता। पर अंदर से वह खोखला था। सोनिया स्वार्थी और मतलबी थी, जिसे सिर्फ पार्टियां और शॉपिंग पसंद थीं।
आकाश को अक्सर राधा की याद आती। उसकी सादगी, निस्वार्थ प्रेम, भोली आंखें उसे अपनी गलती का एहसास करातीं। पर अब बहुत देर हो चुकी थी।
एक दिन कंपनी के कानूनी मामलों के लिए आकाश को गांव की पुरानी जमीन के कागज चाहिए थे। उसने फैसला किया कि वह दस साल बाद गांव सूरजगढ़ जाएगा।
माफी और प्रायश्चित
जब आकाश की मर्सिडीज गांव की कच्ची सड़कों पर उतरी, तो पूरा गांव उसे देखने उमड़ पड़ा। चौधरी धर्मपाल, अब बूढ़े और कमजोर, बेटे को देखकर रो पड़े। आकाश की नजरें भीड़ में राधा को ढूंढ रही थीं।
जब उसने राधा का नाम पूछा, तो चौधरी धर्मपाल ने बताया कि राधा की शादी नहीं हुई क्योंकि पूरा गांव उसे बदचलन मानता है। मास्टर बलदेव भी मर चुके हैं, और राधा अब अपनी बूढ़ी मां के साथ मजदूरी करती है।
यह सुनकर आकाश का दिल टूट गया। वह मास्टर बलदेव के पुराने घर की ओर भागा, जो अब खंडहर बन चुका था। राधा बाहर आई, बूढ़ी और थकी हुई। उसने आकाश को देखा, पर पहचान नहीं पाई।
आकाश ने माफी मांगी, कहा कि वह शहर की चमक में अंधा हो गया था और उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी। राधा ने चुपचाप उसे देखा, आंसू बहाए।
नया आरंभ
आकाश ने राधा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, लेकिन राधा ने मना कर दिया। उसने कहा कि वह अब शादी के योग्य नहीं रही। उसने आकाश को माफ कर दिया क्योंकि वह उससे नफरत नहीं कर सकती।
आकाश ने गांव में एक लड़कियों का कॉलेज खोला, राधा को उसका प्रिंसिपल बनाया। उसने अस्पताल, सड़कें बनवाई और गरीबों की मदद की। वह रोज राधा के घर जाता, उसकी बूढ़ी मां की सेवा करता।
राधा ने अपनी नई जिंदगी को अपनाया। वह गांव की सबसे सम्मानित मास्टर बनी और हजारों लड़कियों को पढ़ाया। उसने कभी शादी नहीं की, पर उसकी आंखों में अब अकेलापन नहीं बल्कि सुकून था।
सीख
यह कहानी सिखाती है कि एक टूटा हुआ वादा किसी की पूरी जिंदगी बर्बाद कर सकता है, और कुछ गलतियों का प्रायश्चित जिंदगी भर भी कम पड़ सकता है।
क्या आकाश को दूसरा मौका मिलना चाहिए था? क्या हम कभी अपने फैसलों में दूसरों के दर्द को समझ पाते हैं?
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