“जब वर्दी वालों ने SDM प्रिया वर्मा को ही सिखाने चले सबक | सच्ची घटना

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बारिश की बूंदें धीरे-धीरे धरती पर गिर रही थीं, जैसे कि आसमान भी धरती के साथ मिलकर एक नई कहानी बुन रहा हो। नटखटपुर शहर में इस समय एक हलचल थी, क्योंकि एसडीएम प्रिया शर्मा अपनी सादी सी साड़ी में इलेक्ट्रॉनिक स्कूटी पर सवार होकर अपनी कॉलेज की सहेली की शादी में जा रही थीं। एक आम लड़की की तरह, बिना किसी सरकारी गाड़ी या सिक्योरिटी के, वह अपने काम से निकल चुकी थीं।

जैसे ही प्रिया नटखटपुर शहर के करीब पहुंची, उन्होंने देखा कि पुलिस की चौकी नजर आई। वहां तीन-चार पुलिसकर्मी चौकी के बाहर सड़क पर खड़े थे और दरोगा विजय वर्मा वर्दी में खड़ा था। उसने सामने आते ही एसडीएम प्रिया शर्मा को हाथ में डंडे के इशारे से रुकने को कहा। प्रिया ने स्कूटी को रोड से नीचे उतार लिया और साइड में लगा दी।

दरोगा ने कड़क आवाज में पूछा, “कहां जा रही हो?” प्रिया ने कहा, “सहेली की शादी है, वहीं जा रही हूं।” उसने बड़े आहिस्ता से जवाब दिया। दरोगा विजय वर्मा ने ऊपर से नीचे तक नजर मारी। प्रिया शर्मा 27 साल की एक खूबसूरत महिला थी। फिर मुस्कुराते हुए बोला, “अच्छा जी, सहेली की शादी में दावत खाने जा रही हो, लेकिन हेलमेट तुम्हारी चाची पहनेंगी? क्यों नहीं पहना? और यह स्कूटी भी बहुत तेज चला रही थी। चलो, अब चालान भुगतना पड़ेगा।”

दरोगा विजय वर्मा ने चालान पैड निकालते हुए कहा। प्रिया को अंदाजा हो गया था कि उसकी नियत खराब हो गई है और यह एक बहाना है। वह बोली, “सर, मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा है।” “ओ मैडम जी, हमें कानून सिखाने की कोशिश ना करो।” उसने दूसरी तरफ खड़े एक सिपाही को देखा और फिर प्रिया की ओर देखते हुए फुसफुसाया, “बिना खुराक के नहीं मानेगी। इसको तरीका सिखाना ही पड़ेगा।” अचानक दरोगा ने जोरदार थप्पड़ प्रिया के गाल पर जड़ दिया। “बहुत सवाल जवाब कर रही है। जब पुलिस कुछ कहे तो चुपचाप मान लेना चाहिए।”

प्रिया का सिर एक पल के लिए चकरा गया लेकिन उसने खुद को संभाल लिया। उसकी आंखों में गुस्सा साफ झलक रहा था। चौकी इंचार्ज दरोगा ठहाका मारकर हंसा और अपने साथियों से बोला, “लगता है अभी भी अकड़ बाकी है। अरे, तेरे जैसी पता नहीं कितनी को सही कर चुका हूं। लगता है अच्छे से सिखाना पड़ेगा।”

एक सिपाही आगे बढ़ा और बोला, “सर, इसे थाने ले चलो। वहां आराम से इसकी सेवा पानी करेंगे।” दरोगा सिर हिलाकर बोला, “हां, इसे थाने ले चलते हैं। तब समझ में आएगा कि पुलिस से कैसे बात की जाती है।” एक सिपाही ने प्रिया को बाजू से पकड़ा और झटका देकर खींचा और कहा, “चल गाड़ी में बैठ।”

प्रिया ने झटक कर अपना हाथ छुड़ाया और गुस्से से बोली, “हाथ लगाने की कोशिश मत करना वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा।” दरोगा का पारा चढ़ गया। उसने अपने एक सिपाही से कहा, “इसका घमंड तो देखो।” एक सिपाही ने आगे बढ़कर प्रिया शर्मा के बाल खींचे और जबरदस्ती घसीटने की कोशिश की। प्रिया दर्द से कराह उठी। लेकिन अभी तक अपने बारे में कुछ नहीं बताया।

वह देखना चाहती थी कि यह लोग कितने और कहां तक गिर सकते हैं। तभी एक पुलिस वाले ने गुस्से में उसकी स्कूटी में डंडा मारा और बड़बड़ाया, “बड़ी शरीफ बनती है। अब तेरा खिलौना बनाकर खेलेंगे।” प्रिया शर्मा अच्छी तरह समझ चुकी थी कि अब उनके साथ क्या होने वाला है और यह लोग कितने नीचे गिर सकते हैं।

दरोगा की आंखों में गुस्सा था। उसने जोर से चिल्लाकर कहा, “बहुत देखी है तेरे जैसी अकड़ वाली। पुलिस से भिड़ेगी। आज मजा चखाता हूं। चलो, ले चलो इसे थाने में। वहीं समझाएंगे।” एसडीएम प्रिया शर्मा अब भी चुप ही थी। उन्होंने अपनी पहचान बताने का कोई इरादा नहीं किया। वह देखना चाहती थी कि यह लोग प्रशासन को कितना बदनाम कर सकते हैं।

कितनी हद तक यह लोग अत्याचार कर सकते हैं। दरोगा विजय वर्मा अब झुंझला चुका था। उसके सामने एक ऐसी महिला खड़ी थी जिसके नरम मुलायम खूबसूरत गाल पर तमाचे पड़े थे, जिसके बालों को खींचा गया था, जिसे जबरदस्ती बाजू से पकड़ कर सड़क पर घसीटा गया था। लेकिन वह अब भी किसी बुत की तरह बिल्कुल खामोश खड़ी थी। ना कोई चीख ना कोई आह।

एक सिपाही दरोगा विजय वर्मा की तरफ झुक कर फुसफुसाया, “क्या केस है साहब?” सिपाही ने पूछा तो दरोगा विजय वर्मा ने हंसते हुए कहा, “अरे कुछ नहीं रे। कोई चोरी या कोई जेब कटी जो मन करे लगा देना। बस अंदर डालकर इसका गुरूर तोड़ना है और ज्यादा सवाल नहीं पूछने।” प्रिया शर्मा तो सब कुछ सुन रही थी। लेकिन उसकी आंखें अब भी कुछ कहने से बच रही थीं।

जैसे वह चाह रही हो कि पुलिस वालों की गिरावट की यह कहानी खुद उनके मुंह से बाहर निकले। तभी दरोगा कुर्सी पर बैठ गया। हाथ में कलम लिया और टेबल पर उसे घुमाने लगा। फिर आंखें प्रिया पर गड़ा कर बोला, “नाम बता अपना, कहां रहती है? किसके घर की है?” प्रिया चुप रही। दरोगा ने फिर सवाल दोहराया। “सुना नहीं, नाम क्या है तेरा?” लेकिन प्रिया की खामोशी अब भी वैसी ही थी जैसे कोई पत्थर की दीवार हो।

तभी दरोगा ने टेबल पर इतनी जोर से हाथ पटका कि आवाज पूरे थाने में गूंज गई और गुस्से से चिल्लाया, “सुनाई नहीं देता तुझे? नाम बता जल्दी।” प्रिया ने बिना चेहरा बदले जवाब दिया, “जी रिया कपूर।” दरोगा ने उसके चेहरे को घूरा और हंसकर बोला, “ओ बड़ी समझदार निकली तू। झूठ बोलने में भी तजुर्बा है। लेकिन याद रखो, ज्यादा चालाकी की तो बहुत भारी पड़ेगी।”

प्रिया शर्मा को जबरदस्ती उस सड़े हुए लॉकअप में धकेल दिया गया जहां पहले से दो कैदी बैठे हुए थे। उनमें से एक ने प्रिया की तरफ देखा और बोला, “बहन, तूने क्या कांड कर दिया?” प्रिया ने हल्की सी मुस्कान दी और कुछ नहीं कहा। अब वह बस देख रही थी कि यह पूरा तंत्र कितना सड़ चुका है। अगर एक एसडीएम को ऐसे बिना वजह अंदर ठूस सकते हैं तो फिर आम लोगों की हालत का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं।

प्रिया अब उस कोठरी के कोने में बैठी थी। सब देख रही थी, सुन रही थी और हर हरकत को समझ रही थी। दरोगा विजय वर्मा ने एक झूठी रिपोर्ट बनवाई और बोला, “इस चोरी और ब्लैकमेलिंग का केस ठोक दो।” फाइल मेज पर मारी और कहा, “चलो जल्दी।” एक सिपाही ने पूछा, “पर सर, बिना सबूत के…” दरोगा हंस पड़ा। बोला, “इस थाने में सबूत मंगाए नहीं, सबूत बनाए जाते हैं।”

कुछ देर बाद एक सिपाही आया और प्रिया के कंधे पर जोर से हाथ मारा। लेकिन उसके चेहरे पर डर का नामोनिशान नहीं था। दरोगा ने हाथ उठाया ही था कि तभी दरवाजे पर एक सख्त आवाज आई। “रुक जाओ।” सब ने मुड़कर देखा तो दरवाजे पर आनंद कुमार खड़ा था। जिसकी छवि बाकी से थोड़ी अलग मानी जाती थी। उसने अंदर नजर डाली। महिला की हालत देख उसके माथे पर लकीरें खींच गईं।

पूछा, “यह सब क्या हो रहा है?” विजय कुमार मुस्कुराया। “कुछ नहीं सर। एक सड़क छाप महिला हद से ज्यादा दिमाग दिखा रही थी। सबक सिखा रहे हैं।” आनंद ने प्रिया को गौर से देखा। उसके हावभाव किसी आम महिला जैसे नहीं लग रहे थे। पूछा, “इसका जुर्म क्या है?” विजय घबरा गया। बोला, “सर, चेकिंग में बदतमीजी की थी।”

आनंद को कुछ गड़बड़ लगी। उसने प्रिया से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” प्रिया चुप रही। विजय हंसकर बोला, “सर, यह तो अपना नाम भी नहीं बता रही।” आनंद अब पूरी तरह से चौकन्ना हो गया था। उसने सिपाही को हुक्म दिया। “इसे अकेली कोठरी में डालो।” विजय हैरान रह गया। “लेकिन सर…” आनंद ने सख्ती से कहा, “मैं खुद रहूंगा इसके पास।”

उसके आदेश पर प्रिया को एक दूसरी कोठरी में बंद किया गया जो पहले से भी ज्यादा बदबूदार और अंधेरी थी। प्रिया ने चारों तरफ नजर दौड़ाई। एक कोने में टूटा हुआ टेबल पड़ा था और पास में एक जंग लगा लोहे का रोड पड़ा था। अब वह इस गंदे सिस्टम का असली चेहरा और करीब से देख रही थी। हर पल उसकी आंखें यह समझ रही थीं कि कानून बस फाइलों तक सीमित रह गया है।

तभी एक सिपाही दौड़ता हुआ आया और बोला, “सर, बाहर एक बड़ी गाड़ी खड़ी है।” विजय कुमार डर कर चौंक गया। पूछा, “गाड़ी कौन सी है?” सिपाही घबराते हुए बोला, “सर, गाड़ी सरकारी है।” वो जल्दी-जल्दी बाहर गया और जैसे ही गाड़ी के अंदर झांका, उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। वो हड़बड़ा कर वापस आया और धीमे लहजे में बोला, “सर, डीसी साहब आए हैं।”

विजय कुमार के तो हाथ पैर कांपने लगे। बाकी सारे सिपाही चौंक कर खड़े हो गए। विजय के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। वह अफसर जिसे वह ठग समझ रहा था, वही अफसर निकली जो पूरे जिले का कानून चला रही थी। असल में वह कोई मामूली महिला नहीं थी बल्कि वही महिला खुद एसडीएम प्रिया शर्मा निकली जिनको सड़क पर घसीटा गया, बाल पकड़ कर खींचा गया, थप्पड़ मारे गए।

जैसे ही यह बात सबके सामने आई, पूरे थाने में खलबली मच गई। सब सिपाही तो सन्न रह गए। डीसी साहब ने अपनी तीखी नजर दरोगा विजय कुमार पर डाली और गुस्से में बोले, “तेरी इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि तू एक सीनियर अफसर पर झूठा इल्जाम थोपने लगा?” विजय कुछ बोलने की कोशिश कर ही रहा था कि वहीं खड़े एसओ आनंद कुमार जोर से बोले, “सर, मैंने तो पहले ही कहा था कुछ गड़बड़ है।”

अब तो विजय बिल्कुल अकेला पड़ गया था। तभी प्रिया शर्मा ने अपनी शांत लेकिन सख्त आवाज में पहली बार सीधा फैसला सुना दिया और बोली, “विजय कुमार, तू अब नौकरी से गया। तेरी सस्पेंशन पक्की है और तेरे खिलाफ अब मुकदमा भी चलेगा।” यह सुनते ही विजय की तो जैसे सांसे अटक गईं। बाकी पुलिस वालों ने उससे मुंह फेर लिया। आनंद कुमार ने उसी वक्त आवाज लगाई। “हवलदार साहब, इसको पकड़ो और लॉकअप में डाल दो।”

लेकिन तभी विजय कुमार ने जेब से एक मुड़ा हुआ कागज निकाला और हंसते हुए बोला, “रुको मैडम, मैं अकेला नहीं हूं। क्या आपको लगता है कि पूरी गलती मेरी ही है?” फिर उसने थाने के और पुलिस वालों की तरफ इशारा करके कहा, “यह सब मेरे साथ हैं। ऊपर तक सारे जुड़े हुए हैं।” कुछ पुलिस वालों के चेहरे का रंग उड़ गया। एसओ आनंद कुमार ने माहौल भांपते ही एक-एक को घूरना शुरू कर दिया।

प्रिया शर्मा ने डीसी की तरफ देखा और बोली, “अब यह पूरा थाना ही साफ करना पड़ेगा। कोई बचा नहीं रहेगा।” डीसी ने भी कहा, “जो हुकुम मैम, अब एक-एक का हिसाब लिया जाएगा।” और जैसे ही जुबान से यह बात निकली, थाने में जैसे बिजली गिर गई हो। थाने के बाहर कुछ पत्रकार चुपचाप थाने के बाहर खड़े थे जिनको पहले से शक था कि थाने में कोई बड़ी खिचड़ी पक रही है।

जैसे ही उन्हें यह खबर लगी कि पूरा थाना लाइन हाजिर कर दिया गया है, वैसे ही उन्होंने अपने मोबाइल से खबरें इधर-उधर पहुंचानी शुरू कर दी। अब यह मामला दबने वाला नहीं था। तभी एक लंबी काली शीशों वाली चमचमाती गाड़ी थाने के सामने आकर रुकी। दरवाजा खुला और खुद एसएसपी साहब बाहर निकले। चारों तरफ देखा तो सबका चेहरा उतरा हुआ।

थाने के सारे अफसर एक तरफ दुबके खड़े थे और एसएसपी साहब बोले, “यह कब से तमाशा चल रहा है यहां?” लेकिन डीसी और थाना इंचार्ज साहब बिल्कुल शांत खड़े थे। एसडीएम प्रिया शर्मा ने सीधा एसएसपी की आंखों में आंखें डालकर कहा, “आपको क्या लगता है? आप बच जाएंगे।” आनंद कुमार ने झट से फाइल निकाली और प्रिया शर्मा को पकड़ाई जो फाइल सीधे एसएसपी साहब के सारे काले धंधों की पोल खोल रही थी।

प्रिया शर्मा ने वह फाइल एसएसपी साहब की तरफ बढ़ाई और बोली, “लो, देखो इसमें तुम्हारे सारे करतूत भरे पड़े हैं।” एसएसपी साहब के माथे से पसीना टपकने लगा। डीसी ने बिना देर किए ऊंची आवाज में हुक्म दिया, “पकड़ो इसे और अभी के अभी गिरफ्तार करो।” पूरा थाना हैरान रह गया। इतने बड़े अफसर को किसी ने पहली बार यूं खुलेआम ललकारा था।

जैसे ही एसएसपी की गिरफ्तारी हुई, पूरे जिले में तूफान सा मच गया। मामला अब ऊपर राजधानी तक पहुंच गया था। मुख्यमंत्री तक बात पहुंची और वहीं से सीधा हुकुम आया। जिले में जितने भी अफसरों ने मिलकर गड़बड़ी की है, उन सबको पकड़ कर अंदर डालो। अगले ही दो दिन में पूरे जिले से 40 से ज्यादा पुलिस अफसर, 10 से ऊपर बड़े अफसर और गिनती भर के नेता गिरफ्तार कर लिए गए।

पूरे नटखटपुर जिले की हवा बदल गई। अब चारों तरफ बस एक ही चर्चा थी। एसडीएम प्रिया शर्मा की ईमानदारी और हिम्मत जिसने पूरा सड़ा गला सिस्टम हिला कर रख दिया। अब प्रशासन में एक नई रफ्तार थी। एक नई सोच थी और सबसे बढ़कर एक डर था कि अब कोई भी बच नहीं पाएगा। प्रिया शर्मा का काम अब पूरा हो चुका था।

उन्होंने दिखा दिया कि अगर अंदर से इरादा साफ हो तो सारा का सारा मुल्क भी सुधर सकता है। इस घटना ने नटखटपुर में एक नई शुरुआत की, जहां लोग अब पुलिस को सम्मान की नजर से देखने लगे। प्रिया शर्मा ने साबित कर दिया कि एक व्यक्ति की हिम्मत और ईमानदारी से सिस्टम को बदलना संभव है।

उनकी कहानी ने न केवल प्रशासनिक अधिकारियों को बल्कि आम जनता को भी प्रेरित किया। लोग अब अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गए थे और उन्होंने यह समझ लिया कि अगर वे एकजुट हो जाएं तो किसी भी अन्याय का सामना कर सकते हैं। प्रिया शर्मा ने अपनी मेहनत और संकल्प से यह दिखा दिया कि सच्चाई और न्याय के लिए लड़ाई कभी खत्म नहीं होती।

इस घटना ने नटखटपुर को एक नई दिशा दी, जहां लोग अब अपनी आवाज उठाने से नहीं डरते थे। प्रिया शर्मा की कहानी ने यह साबित कर दिया कि अगर किसी में हिम्मत हो तो वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है और समाज में बदलाव ला सकता है।

इस तरह, प्रिया शर्मा की कहानी सिर्फ एक व्यक्तिगत संघर्ष नहीं थी, बल्कि यह एक प्रेरणा बन गई, जिसने समाज में एक नई रोशनी लाई। अब लोग अपने हक के लिए खड़े होते थे और किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते थे। प्रिया शर्मा ने यह दिखा दिया कि सच्चाई और ईमानदारी की ताकत कितनी बड़ी होती है और समाज में बदलाव लाने के लिए किसी भी कीमत पर लड़ना चाहिए।

इस घटना ने न केवल नटखटपुर बल्कि पूरे देश में एक नई लहर पैदा की। लोग अब अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गए थे और यह समझ गए थे कि अगर वे एकजुट हो जाएं तो किसी भी अन्याय का सामना कर सकते हैं। प्रिया शर्मा की कहानी ने यह साबित कर दिया कि अगर किसी में हिम्मत हो तो वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है और समाज में बदलाव ला सकता है।

इस तरह, प्रिया शर्मा की कहानी सिर्फ एक व्यक्तिगत संघर्ष नहीं थी, बल्कि यह एक प्रेरणा बन गई, जिसने समाज में एक नई रोशनी लाई। अब लोग अपने हक के लिए खड़े होते थे और किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते थे। प्रिया शर्मा ने यह दिखा दिया कि सच्चाई और ईमानदारी की ताकत कितनी बड़ी होती है और समाज में बदलाव लाने के लिए किसी भी कीमत पर लड़ना चाहिए।

इस घटना ने न केवल नटखटपुर बल्कि पूरे देश में एक नई लहर पैदा की। लोग अब अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गए थे और यह समझ गए थे कि अगर वे एकजुट हो जाएं तो किसी भी अन्याय का सामना कर सकते हैं। प्रिया शर्मा की कहानी ने यह साबित कर दिया कि अगर किसी में हिम्मत हो तो वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है और समाज में बदलाव ला सकता है।

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इस तरह, प्रिया शर्मा की कहानी सिर्फ एक व्यक्तिगत संघर्ष नहीं थी, बल्कि यह एक प्रेरणा बन गई, जिसने समाज में एक नई रोशनी लाई। अब लोग अपने हक के लिए खड़े होते थे और किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते थे। प्रिया शर्मा ने यह दिखा दिया कि सच्चाई और ईमानदारी की ताकत कितनी बड़ी होती है और समाज में बदलाव लाने के लिए किसी भी कीमत पर लड़ना चाहिए।

इस घटना ने न केवल नटखटपुर बल्कि पूरे देश में एक नई लहर पैदा की। लोग अब अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गए थे और यह समझ गए थे कि अगर वे एकजुट हो जाएं तो किसी भी अन्याय का सामना कर सकते हैं। प्रिया शर्मा की कहानी ने यह साबित कर दिया कि अगर किसी में हिम्मत हो तो वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है और समाज में बदलाव ला सकता है।

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