जब “SDM मैडम” को साधारण लड़की समझ कर “इंस्पेक्टर” ने छेड़छाड़ की, फिर SDM ने पूरा थाना हिला दिया..

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जब "SDM मैडम" को साधारण लड़की समझ कर "इंस्पेक्टर" ने छेड़छाड़ की, फिर SDM  ने पूरा थाना हिला दिया.. - YouTube

“संजना चौधरी: ईमानदारी की मिसाल”

संजना चौधरी अपने ऑफिस में बैठी थीं। फाइलों के ढेर के बीच उनकी नजरें गंभीर थीं, लेकिन मन कहीं और था। अचानक उनका फोन बजा। स्क्रीन पर मिताली का नाम चमक रहा था, उनकी कॉलेज की पुरानी दोस्त। मिताली ने बड़ी खुशी के साथ अपनी शादी में आने का निमंत्रण दिया। संजना ने मुस्कुराते हुए हामी भर दी। चार दिन बाद मिताली की शादी थी, और संजना ने तय किया कि इस बार वह कुछ अलग करेंगी। रोज़ाना गाड़ी और सुरक्षा के घेरे में रहने वाली संजना आज साधारण लड़की की तरह बाइक पर बैठकर अपनी दोस्त के घर जाएंगी।

शादी के दिन संजना ने अपनी गाड़ी और सुरक्षा छोड़ दी। वह अपने भाई की बुलेट पर सवार होकर निकल पड़ीं। हवा में बचपन की यादें तैर रही थीं। लेकिन जैसे ही वे हाईवे पर पहुँचीं, पुलिस की बैरिकेडिंग दिखाई दी। दरोगा बच्चन राणा, जो अपनी भ्रष्ट छवि के लिए कुख्यात था, वहां तैनात था। उसकी वर्दी में अकड़ थी, और उसकी निगाहें संजना पर टिक गईं।

“रुक जाओ,” उसने आदेश दिया। संजना ने बाइक साइड में लगाई। बच्चन राणा ने सख्ती से पूछा, “कहां जा रही हो?”

“दोस्त की शादी में,” संजना ने शांत स्वर में जवाब दिया।

दरोगा ने तंज कसते हुए कहा, “हेलमेट कहां है? तेरे पिताजी पहनाएंगे? इतनी तेज बाइक चला रही थी। चालान कटेगा।”

संजना ने बिना झिझक के कहा, “मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा।”

बच्चन राणा का गुस्सा भड़क उठा। उसने अचानक थप्पड़ मार दिया। संजना का सिर झटका खा गया, लेकिन वह डटी रही। उसकी आंखों में अब आग जल रही थी। दरोगा ने अपने साथियों को आदेश दिया, “इसे थाने ले चलो, इसकी अकड़ तोड़नी पड़ेगी।”

सिपाही जबरदस्ती संजना के बाल पकड़कर घसीटने लगे। बाइक को लात मारी गई। संजना ने यह सब सहा, लेकिन उसने अपनी असली पहचान छुपा रखी थी। वह देखना चाहती थी कि भ्रष्ट प्रशासन कितनी गहराई तक गिर चुका है।

थाने पहुंचते ही बच्चन राणा ने जोर से चिल्लाया, “चाय-पानी और समोसे लाओ, आज स्पेशल केस है।”

संजना चुप रही, सब कुछ सह रही थी। दरोगा ने जूनियर को फर्जी केस बनाने का आदेश दिया। चोरी, लूट, डकैती का कोई भी मामला बना दो। संजना ने यह सब सुना, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वह सही समय का इंतजार कर रही थी।

दरोगा ने जबरन संजना को लॉकअप में डाल दिया। वहां एक और महिला बैठी थी, जिसे फर्जी केस में फंसाया गया था। संजना ने उससे बातचीत की और जाना कि यह सिस्टम कितना भ्रष्ट है।

तभी पुलिस अफसर सोहन कुमार थाने में आए। उन्होंने स्थिति देखी और बच्चन राणा से पूछा, “यह महिला किस जुर्म में है?”

बच्चन राणा ने झूठ बोला, “चेकिंग के दौरान बदतमीजी की।”

सोहन ने संजना को देखा और कहा, “नाम बताओ।”

संजना चुप रही। बच्चन राणा गुस्से में चिल्लाया, लेकिन सोहन ने उसे निलंबित कर दिया। संजना को दूसरे लॉकअप में रखा गया, जहां हालात और भी बदतर थे।

इसी बीच डीएम हरीश माथुर थाने पहुंचे। उन्होंने संजना की फाइल पढ़ी और समझ गए कि मामला गंभीर है। उन्होंने बच्चन राणा को सस्पेंड कर दिया और पूरे थाने की जांच का आदेश दिया। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को बुलाया गया।

जांच के दौरान कई पुलिसकर्मी घबराए। कुछ ने माफी मांगी, तो कुछ ने बड़े अधिकारियों के नाम लिए। मामला एसएसपी तक पहुंचा। डीएम ने एसएसपी को भी गिरफ्तार करने का आदेश दिया।

पूरा पुलिस महकमा हिल गया। मुख्यमंत्री ने भ्रष्ट अधिकारियों की पूरी सूची बनाकर कार्रवाई के निर्देश दिए। 40 से ज्यादा पुलिस अधिकारी, 20 आईएएस अफसर और कई राजनेता गिरफ्तार हुए।

संजना की ईमानदारी और साहस ने पूरे सिस्टम को झकझोर दिया। भ्रष्टाचार पर सख्त निगरानी शुरू हुई। संजना ने साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

सीख: इस कहानी से हमें यह समझना चाहिए कि ईमानदारी और हिम्मत से बड़ी कोई ताकत नहीं होती। चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, सत्य और न्याय की राह पर चलना चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने से ही समाज में बदलाव आता है।