जिस गरीब आदमी से छोटी बहन की शादी हो रही थी, वह करोड़पति निकला।
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सृष्टि का प्यार: सच्ची पहचान
उत्तर प्रदेश के लखनऊ के एक छोटे से गाँव में प्रधान साहब का परिवार बहुत इज्जतदार माना जाता था। प्रधान साहब की तीन बेटियाँ थीं—दोनों बड़ी बेटियाँ शादीशुदा थीं और अपने-अपने घरों में खुश थीं। सबसे छोटी बेटी, सृष्टि, पूरे परिवार की लाड़ली थी। पिता ने तीनों बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाई थी और हमेशा यही कहा करते थे कि बेटियाँ किसी भी बेटे से कम नहीं होतीं।
सृष्टि लखनऊ के एक नामी कॉलेज में पढ़ती थी। वह होशियार, समझदार और स्वभाव से बेहद सरल थी। उसकी बड़ी बहनें जब भी मायके आतीं, अपने-अपने पतियों की बढ़ाई करतीं। कभी कहतीं, “मेरे पति तो हर महीने लाखों कमाते हैं,” तो कभी, “हमारे घर में तो गाड़ी, बंगला सब है।” वे अक्सर सृष्टि को ताना मारतीं, “देख, तू भी किसी अच्छे घर में शादी कर, वरना तेरा पति तुझे दो वक्त की रोटी भी न दे सकेगा।”
सृष्टि बस मुस्कुरा देती थी, क्योंकि उसके दिल में प्यार की परिभाषा कुछ और थी।
एक दिन सृष्टि अपनी सहेलियों के साथ मार्केट गई। वहीं उसकी पहली मुलाकात आदित्य नाम के एक लड़के से हुई। आदित्य साइकिल पर था, साधारण कपड़ों में, लेकिन चेहरे पर एक अलग ही मासूमियत और आत्मविश्वास था। दोनों की नजरें मिलीं, और एक पल को जैसे समय थम गया। सृष्टि की सहेलियों ने उसे छेड़ा, “क्या हुआ, आगे बढ़! यहाँ खड़ी-खड़ी क्या शाम करेगी?” सृष्टि मुस्कुराई, लेकिन मन ही मन आदित्य की छवि उसके दिल में बस गई।
अगले दिन कॉलेज में भी सृष्टि बार-बार उसी अनजाने लड़के के बारे में सोचती रही। छुट्टी के बाद वह फिर से उसी मार्केट चली गई, उम्मीद थी कि शायद वह लड़का फिर मिल जाए। और सचमुच, आदित्य भी उसी जगह, उसी समय आ गया था। दोनों की फिर से नजरें मिलीं, दोनों मुस्कुराए, और इस बार उनकी मुस्कान में अनकही बातें थीं।
धीरे-धीरे दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगीं। दोनों एक-दूसरे को जानने लगे। आदित्य ने बताया कि वह मुंबई का रहने वाला है, यहाँ अपने दोस्त के साथ रह रहा है। सृष्टि ने भी अपने बारे में सब कुछ बताया। दस दिनों में दोनों के बीच गहरी दोस्ती और फिर प्यार हो गया। बीस दिन तक दोनों रोज़ मिलते, बातें करते, सपने बुनते।
एक दिन आदित्य बहुत परेशान था। उसके मन में एक राज़ था, जो वह सृष्टि को बताना चाहता था। वह डरता था कि कहीं सृष्टि सच जानकर नाराज़ न हो जाए। लेकिन फिर उसने तय किया कि सच्चे प्यार में झूठ की कोई जगह नहीं।
आदित्य ने सृष्टि को मिलने बुलाया और कहा, “मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है।” दोनों बस में बैठकर एक शांत जगह की ओर निकल पड़े। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। रास्ते में उनकी बस का भीषण एक्सीडेंट हो गया। सृष्टि को हल्की चोटें आईं, लेकिन आदित्य गंभीर रूप से घायल हो गया और कोमा में चला गया।
सृष्टि का दिल टूट गया। उसने अपने पिता को सब कुछ बताया और इलाज के लिए पैसे मांगे। पिता ने कुछ पैसे दिए, लेकिन साथ ही समझाया, “बेटी, डॉक्टर कह रहे हैं कि पता नहीं कब तक कोमा में रहेगा। उसके माता-पिता को बुला लो, तुम कब तक देखभाल करोगी?”
सृष्टि ने मना कर दिया। वह आदित्य को छोड़ना नहीं चाहती थी। जब पैसे खत्म हो गए, तो उसने अपनी बहनों से मदद मांगी। बहनों ने ताने दिए, “कौन है ये लड़का? कहाँ से आया है? उसके पास कुछ भी नहीं, तुझे धोखा देगा।”
सृष्टि ने जवाब दिया, “अगर पैसे देने हैं तो दे दो, नहीं तो मैं खुद कमाऊंगी। लेकिन मैं इसका इलाज जरूर करवाऊंगी।”
सृष्टि ने पढ़ाई छोड़ दी और नौकरी करने लगी। कई जगह काम किया, कई बार लोगों ने उसका फायदा उठाने की कोशिश की, लेकिन उसने हार नहीं मानी। छह महीने तक उसने दिन-रात मेहनत की, पैसे जोड़े और आदित्य का इलाज करवाया। रोज़ अस्पताल जाती, उसके पास बैठती, उससे बातें करती, अपने सपने, दुख, परिवार की बातें बताती, उम्मीद करती कि शायद उसे सुनाई दे रहा हो।
छह महीने बाद एक दिन अस्पताल से फोन आया—”आदित्य को होश आ गया है।”
सृष्टि दौड़ती हुई अस्पताल पहुँची। आदित्य ने धीरे-धीरे आंखें खोलीं, सिर हिलाया, और कुछ दिनों में ठीक हो गया। पहली बार दोनों ने खुलकर बातें कीं। सृष्टि की आंखों में आंसू थे, उसने आदित्य को गले लगा लिया।
आदित्य ने कहा, “सृष्टि, मुझे सब सुनाई देता था, लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकता था।”
सृष्टि ने मुस्कुराते हुए कहा, “अब जब तुम ठीक हो गए हो, तो अपना सच भी बता दो।”
आदित्य ने बताया, “मैं मुंबई के एक करोड़पति परिवार से हूं। मेरे बड़े भाई की शादी एक अमीर घर में हुई, लेकिन भाभी के व्यवहार और पैसे के घमंड ने मुझे बहुत दुखी किया। पापा भी चाहते थे कि मैं किसी बड़े घर में शादी करूं, लेकिन मैं प्यार में पैसे नहीं, इंसानियत देखता हूं। इसलिए मैं बिना बताए लखनऊ आ गया।”\
सृष्टि को यकीन नहीं हुआ। जिसे वह गरीब समझती थी, वह असल में करोड़पति निकला!
आदित्य ने कहा, “मैं तुम्हारे जैसी सच्ची, ईमानदार लड़की से ही शादी करना चाहता था। क्या तुम मुझसे शादी करोगी?”
सृष्टि ने हां में सिर हिलाया। दोनों ने अपने-अपने परिवारों को सब कुछ बताया।
आदित्य के पिता पहले राजी नहीं हुए, लेकिन जब उन्होंने सृष्टि के त्याग और प्यार की कहानी सुनी, तो वे भी मान गए।
शादी के दिन सृष्टि के घर पर आदित्य अपने माता-पिता के साथ बहुत बड़ी गाड़ी में आया, जिसे देखकर सृष्टि की बहनें और उनके पति हैरान रह गए। वही बहनें, जो सृष्टि को ताने देती थीं, अब चुप थीं।
सृष्टि मुस्कुराई और बोली, “बहनों, मेरा पति गरीब नहीं, बल्कि करोड़पति है। लेकिन मैंने उसे उसके पैसे नहीं, उसके दिल के लिए चुना है।”
शादी धूमधाम से हुई। सृष्टि अपने ससुराल आई, जहाँ का वैभव देखकर वह दंग रह गई। आदित्य के पिता ने उसे अपनी कंपनी में जॉब का ऑफर दिया और लखनऊ में एक शानदार घर भी खरीद दिया, ताकि जब भी वह मायके आए, अपने पति के साथ वहां रह सके।
सृष्टि ने अपने प्यार, त्याग और मेहनत से न सिर्फ आदित्य का जीवन बदला, बल्कि अपनी बहनों और समाज को भी यह सिखा दिया कि असली अमीरी दिल में होती है, पैसों में नहीं।
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