झाड़ू वाले बुजुर्ग व्यक्ति को मैनेजर ने थप्पड़ मारा जब सच्चाई सामने आई तो पुरा ऑफिस हिल गया…

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नारायण देव और इंसानियत की जीत

वीकेएम ग्लोबल कंपनी के लॉबी में एक नया पोस्टर लगा था। उस पोस्टर में एक बुजुर्ग आदमी की तस्वीर थी, हाथ में झाड़ू लिए, आंखों में गरिमा और नीचे लिखा था — “जो जमीन साफ करता है, वही नीव मजबूत करता है।” यह तस्वीर और संदेश कंपनी के हर कर्मचारी के दिल को छू रहा था। यह वही नारायण देव थे, जिन्हें कुछ दिन पहले कंपनी के एक सीनियर अधिकारी रघु मेहता ने सबके सामने थप्पड़ मारकर अपमानित किया था।

नारायण देव, जो कंपनी के सफाई कर्मचारी थे, सिर्फ झाड़ू लगाने वाले नहीं थे, बल्कि अब वे कंपनी की इंसानियत और नेतृत्व का प्रतीक बन चुके थे। इस घटना ने पूरे ऑफिस का माहौल बदल दिया था। पहले जहां कर्मचारी केवल केपीआई, टारगेट और मुनाफे की बातें करते थे, अब वे सम्मान, संवेदना और आभार जैसे मानवीय मूल्यों पर चर्चा करने लगे थे।

कहानी कुछ दिन पहले की है, जब वीकेएम ग्लोबल कंपनी के मालिक नारायण देव को उनके काम के दौरान गलती मानकर निलंबित करने की धमकी दे रहे थे। उस दिन ऑफिस के एक कॉन्फ्रेंस रूम में नारायण देव ने अपने वरिष्ठ अधिकारी रघु मेहता से बहस की, जो उनकी असलियत उजागर कर रहा था। रघु मेहता, जो खुद कंपनी में उच्च पद पर था, ने नारायण देव को अपमानित करते हुए थप्पड़ मार दिया। यह घटना ऑफिस में चौंकाने वाली थी, और कर्मचारियों के दिलों में गहरी छाप छोड़ गई।

लेकिन नारायण देव ने इस अपमान को सहन किया। उन्होंने कहा, “मुझे यह सब पता था कि मुझे अपमान सहना पड़ेगा, लेकिन मैं चुप रहूंगा ताकि उनकी असलियत सबके सामने आ सके।” उन्होंने बताया कि जब उन्होंने यह कंपनी शुरू की थी, तो उनके पास सिर्फ एक पुरानी साइकिल और एक सपना था। वह सपना था कि एक ऐसी जगह बनाएं जहां लोग सिर्फ प्रोफेशनल नहीं बल्कि इंसान भी बनें।

उनका मानना था कि इंसान तब बदलता है जब उसे आईना दिखाया जाता है, न कि जब उसे डांटा जाता है। इसलिए उन्होंने खुद झाड़ू उठाई और ऑफिस में सफाई करने लगे, ताकि कर्मचारियों को यह समझ आ सके कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता।

कंपनी के कर्मचारियों की आंखों में शर्म और जागरण की चमक थी। कुछ ने नारायण देव के साहस की तारीफ की, तो कुछ ने अपने व्यवहार पर शर्मिंदा होकर खुद को सुधारने की ठानी। एक युवा महिला कर्मचारी ने कहा, “शायद हमें सिर्फ ऑफिस की सफाई नहीं, बल्कि अपने मन की भी सफाई करनी होगी।” इस पर नारायण देव ने मुस्कुराते हुए कहा, “सच्ची सफाई वहीं से शुरू होती है।”

अगले दिन कंपनी के लॉबी में वही पोस्टर लगा, जो अब सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका था। एचआर विभाग ने एक नई ट्रेनिंग शुरू की – “संवेदना से नेतृत्व तक”। इस ट्रेनिंग का उद्देश्य था कर्मचारियों में सहानुभूति, सम्मान और नेतृत्व की भावना विकसित करना।

पहले दिन नारायण देव खुद ट्रेनिंग में आए। इस बार वह सूट-पैंट में नहीं, बल्कि अपनी सादगी में थे, और झाड़ू उनके पास रखी थी, जो अब उनके संघर्ष और नेतृत्व का प्रतीक बन चुकी थी।

ट्रेनिंग के दौरान एक युवा कर्मचारी अर्जुन ने पूछा, “सर, क्या आपको लगा था कि आप इतना अपमान सहेंगे?” नारायण देव ने जवाब दिया, “हां, मुझे पता था कि मुझे सहना पड़ेगा। लेकिन मैं जानता था कि अगर मैं चुप रहूंगा तो उनकी असलियत सामने आ जाएगी।”

उन्होंने बताया कि जब उन्होंने कंपनी शुरू की थी, तो उनके पास बहुत कम था, लेकिन उनका सपना बड़ा था। उनका सपना था कि लोग प्रोफेशनल के साथ-साथ इंसान भी बनें। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ चेहरे अच्छे कपड़ों के नीचे घमंड से भरे होते हैं, लेकिन असली लीडर वही होता है जो जमीन से जुड़ा हो।

मीडिया में यह कहानी तेजी से फैल गई। अखबारों और टीवी चैनलों ने इस घटना को बड़े पैमाने पर कवर किया। सोशल मीडिया पर भी नारायण देव की बहादुरी की चर्चा हुई। एक वायरल पोस्ट में लिखा गया, “डोंट जज्ड मैन विद ब्रूम,” यानी झाड़ू लेकर चलने वाले इंसान को कभी छोटा मत समझो। हो सकता है वह पूरे सिस्टम को साफ करने आया हो।

कंपनी ने नारायण देव को निलंबित करने के साथ-साथ उनके खिलाफ दुर्व्यवहार और वरिष्ठ अपमान का केस भी दर्ज किया। लेकिन इस घटना ने कंपनी के अंदर एक नई सोच को जन्म दिया।

रघु मेहता, जिसने नारायण देव को थप्पड़ मारा था, बाद में मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैंने सोचा वह छोटा है, पर वह मेरे विचारों से बहुत बड़ा निकला।”

अब कंपनी में हर सुबह सफाई स्टाफ के साथ एक सीनियर कर्मचारी भी काम करता था। यह सिर्फ जमीन साफ करने के लिए नहीं, बल्कि नजरें झुकाने की आदत डालने के लिए था। नारायण देव के शब्दों को कंपनी की दीवारों पर लिखा गया — “जो नीचे से शुरू करता है, वही ऊपर तक पहुंचता है। और जो नीचे वालों को छोटा समझता है, वह कभी बड़ा नहीं बनता।”

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि पद बड़ा होने से कोई इंसान बड़ा नहीं होता। सोच बड़ी हो तो कंपनी भी इंसानियत से चलती है। झाड़ू उठाने वाले को कभी छोटा मत समझो, क्योंकि वह हो सकता है जो पूरे सिस्टम को साफ करने आया हो।