तलाकशुदा पत्नी चार साल बाद पति को देखती है पागलपन हालत में कचरे का खाना खा रहा था गले लिपट रोने लगी
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वापसी – एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्तान
1. सड़क किनारे एक मुलाकात
बिहार के बनारस रेलवे स्टेशन के पास, भीड़-भाड़ में एक महिला अपनी मां के साथ टैक्सी का इंतजार कर रही थी। अचानक उसकी नजर सड़क किनारे भिखारियों की लाइन में बैठे एक आदमी पर पड़ी। वह आदमी, बिखरे बाल, बढ़ी दाढ़ी, मैले कपड़े और थकी आंखों के साथ, किसी राहगीर के फेंके हुए खाने को उठाकर खा रहा था।
महिला ठिठक गई। दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। वह उस चेहरे को पहचानती थी—वह उसके पूर्व पति, राजीव था। चार साल पहले दोनों का तलाक हो चुका था। आज वह इस हाल में देखकर स्तब्ध रह गई।
2. अतीत की परतें
राजीव और राधिका की कहानी बिहार के एक छोटे शहर से शुरू हुई थी। दोनों ने इंटरमीडिएट तक साथ पढ़ाई की थी। दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। राधिका मिडिल क्लास परिवार से थी, राजीव लोअर क्लास से। मगर राजीव इतना गरीब नहीं था कि शादी न कर सके। दोनों का प्यार सच्चा था।
राधिका ने शादी की बात घर पर की, तो परिवार ने साफ इंकार कर दिया। “हमारी बेटी की शादी अच्छे घर में ही होगी,” मां ने कहा।
राधिका दुखी हो गई। एक रात उसने राजीव के साथ भागकर कोर्ट मैरिज कर ली। लड़की के घरवालों ने राजीव पर केस कर दिया। मगर गवाही में राधिका ने कहा, “मैं अपनी मर्जी से आई हूं।” मामला खत्म हुआ, लेकिन राजीव के परिवार को तीन लाख का नुकसान हो गया।
3. ससुराल में नई जिंदगी
राधिका राजीव के घर आ गई। ससुराल वालों ने उसे खूब प्यार दिया, मान-सम्मान दिया। उसे कभी यह अहसास नहीं होने दिया कि वह अपने मां-बाप को छोड़कर आई है। मगर यह ज्यादा प्यार राधिका को उलझन में डालने लगा। वह सोचने लगी, “इतना सम्मान क्यों? क्या ये लोग मुझसे डरते हैं?”
मां से फोन पर बात हुई। मां ने चिढ़ाते हुए कहा, “अरे, तुम्हें इतना मानते हैं क्योंकि हमने उन पर केस किया था। डर के मारे तुम्हें कुछ नहीं कहते।”
राधिका के मन में शक बैठ गया। अब वह घर के कामों से कतराने लगी। छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाती। राजीव मजदूरी करता था। एक दिन राधिका बोली, “यहां गांव में नहीं रहना। बाहर चलो।”
राजीव बोला, “ठीक है, लेकिन मैं मां-बाप से बात कर लूं।”
राधिका नाराज हो गई, “किसी से बात नहीं करनी। जब मैंने घर छोड़ा था, तो किसी से बात की थी क्या?”
राजीव समझाने की कोशिश करता, मगर राधिका हर बात मां को बता देती। मां आग में घी डालती रहती, “अगर परेशानी है तो वापस आ जाओ।”
4. रिश्तों में दरार
अब रोज झगड़े होने लगे। राधिका सोचने लगी कि ये लोग उससे डरकर ही अच्छा व्यवहार करते हैं। राजीव ने समझाया, “तुम्हारी मां तुम्हारे दिमाग में जहर भर रही है।”
राधिका बोली, “अगर मेरी मां कीड़ा है, तो तुम्हारी मां भी कीड़ा है?”
झगड़े बढ़ने लगे। राधिका की मां कहती, “मैंने पहले ही मना किया था, ये लोग तुम्हारे काबिल नहीं हैं।”
राधिका को लगने लगा, “शायद मैंने गलत फैसला लिया।”
अब वह राजीव से कहने लगी, “या तो मुझे तलाक दे दो, या मैं जान दे दूंगी।”
राजीव मजबूर हो गया। तलाक की प्रक्रिया शुरू हो गई। कोर्ट ने केस लंबा किया, शायद सुलह हो जाए। मगर राधिका मायके में ही रही। अंततः तलाक हो गया।
5. अकेलापन और पछतावा
राजीव टूट गया। गांव में ताने मिलते, “लव मैरिज की यही सजा है।”
राजीव ने सोचा, “यहां रहना ठीक नहीं।” एक दिन पटना स्टेशन से ट्रेन पकड़कर बनारस चला गया। वहां मजदूरी करने लगा। मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी। कोई काम ठीक से नहीं कर पाता। धीरे-धीरे सड़क किनारे रहने लगा। खाना, कपड़ा—सब दान पर निर्भर। कभी दिमाग सही होता, कभी स्ट्रोक आ जाता।
उधर, राधिका को भी पछतावा होने लगा। मां-बाप दूसरी शादी के लिए दबाव डालते। मगर राधिका ने मना कर दिया, “मैं दूसरी शादी नहीं करूंगी।” मां-बाप ने खर्चा देना बंद कर दिया। घर में तिरस्कार मिला। राधिका ने राजीव की जानकारी निकालने की कोशिश की। पता चला, वह दो साल से घर छोड़कर कहीं चला गया है। किसी को कोई खबर नहीं।
राधिका सोचती, “शायद उसने दूसरी शादी कर ली होगी।” मगर दिल में उदासी थी।
6. काशी विश्वनाथ मंदिर की यात्रा
एक दिन परिवार ने तय किया कि राधिका की शादी से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन कराएंगे। राधिका अपनी मां के साथ बनारस आई। स्टेशन पर टैक्सी का इंतजार कर रही थी। तभी उसकी नजर भिखारियों की लाइन में लगे राजीव पर पड़ी।
पहले तो वह पहचान नहीं पाई। पास जाकर देखा, तो रोने लगी। राजीव वही था—मैला कुचैला, बिखरे बाल, बढ़ी दाढ़ी। वह खाना छुपाने लगा, जैसे कोई छीन लेगा।
राधिका ने थैली दूर फेंक दी, उसे गले लगा लिया। “राजीव!” वह फूट-फूटकर रोने लगी।
राजीव चुपचाप बैठा रहा। मां समेत लोग देख रहे थे।
राधिका ने उसे होटल में ले जाकर नहलाया, शेव करवाया, नए कपड़े पहनाए। राजीव पहचान रहा था, मगर पूरी तरह ठीक नहीं था। राधिका उसे दर्शन कराने मंदिर ले गई। भगवान से प्रार्थना की, “मेरी गलती की सजा ये क्यों भुगत रहे हैं? इन्हें ठीक कर दीजिए।”
7. घर वापसी – समाज की प्रतिक्रिया
दर्शन के बाद राधिका राजीव को लेकर उसके घर पहुंची। सास-ससुर ने देखा, बेटा तो है, मगर मानसिक रूप से बीमार। राधिका उनकी चरणों में गिर गई, “मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई। मेरी गलतियों की सजा इन्हें भुगतनी पड़ी।”
घरवाले बोले, “अब तुम इसकी पत्नी नहीं हो। तलाक हो चुका है। अपने घर लौट जाओ।”
राधिका बोली, “यहां कागज के पन्नों पर दस्तखत कर देने से पतिपत्नी का रिश्ता खत्म नहीं हो जाता। अगर प्यार नहीं होता, तो मैं इन्हें ऐसी हालत में देखकर रोती नहीं और वापस लेकर नहीं आती।”
घरवालों की आंखों में भी आंसू आ गए। राजीव को अस्पताल ले जाया गया। राधिका उसकी सेवा में लग गई—खाना, दवा, देखभाल। चार महीने में राजीव की मानसिक हालत सुधरने लगी। राधिका को देखकर वह जल्दी ठीक होने लगा।
8. सच्चे प्यार की जीत
राजीव धीरे-धीरे ठीक हो गया। राधिका ने उसकी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी। एक दिन राजीव बोला, “तुमने मुझे फिर से जीना सिखाया।”
राधिका ने कहा, “गलती मेरी थी। मैं तुम्हें छोड़कर गई, मां-बाप की बातों में आ गई। मगर मेरे दिल में हमेशा तुम्हारे लिए प्यार था।”
राजीव बोला, “तुम्हारे बिना मेरा जीवन अधूरा था।”
राधिका ने हाथ पकड़ लिया, “अब मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगी।”
घरवालों ने देखा, दोनों फिर से एक-दूसरे के लिए जी रहे हैं। समाज में बातें हुईं, मगर राधिका ने परवाह नहीं की। उसने साबित कर दिया कि सच्चा प्यार हालातों से नहीं हारता।
9. कहानी की सीख
यह कहानी हमें सिखाती है:
रिश्तों में विश्वास सबसे जरूरी है।
सामाजिक दबाव और बाहरी बातें रिश्ते तोड़ सकती हैं, मगर सच्चा प्यार उन्हें जोड़ सकता है।
माफ करना और पछतावे का एहसास ही इंसानियत है।
कागज के तलाक से दिल का रिश्ता नहीं टूटता।
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