“तलाक के 4 साल बाद जब पति ने अपनी बीवी को सड़क पर चाय बेचते देखा…
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दोस्तों, यह कहानी एक ऐसे प्रेम की है जो समय की कठिनाइयों और व्यक्तिगत संघर्षों के बीच खड़ी है। यह एक ऐसी दास्तान है जिसमें प्यार, विश्वास, धोखा, और अंत में आत्म-खोज का सफर शामिल है। यह कहानी रिया और आरव की है, जो एक-दूसरे के लिए बने थे, लेकिन जीवन की परिस्थितियों ने उन्हें अलग कर दिया। आइए, इस दिल को छू लेने वाली कहानी की शुरुआत करते हैं।
एक नई शुरुआत
वह शाम कुछ अलग थी। आसमान पर बादल छाए थे और हवा में एक अजीब सी बेचैनी थी। घर के कोने में रखे हुए कपड़े अब भी आधे सूखे थे और रसोई में चूल्हा ठंडा पड़ा था। कमरे में एक खामोशी थी जो शब्दों से ज्यादा तेज चुभ रही थी। सामने सोफे पर बैठा आरव चुपचाप मोबाइल में कुछ देख रहा था और रिया बार-बार रसोई के पास जाकर फिर लौट आती थी। जैसे कुछ कहना चाहती हो पर कह नहीं पा रही थी। दोनों के बीच वह दूरी थी जो कई दिनों से बढ़ती जा रही थी। कभी दोनों की हंसी से गूंजता घर अब एक बोझिल सन्नाटे में डूब चुका था।
रिया ने धीमे स्वर में कहा, “आज फिर तुमने खाना बाहर खा लिया ना। मैंने सुबह से इंतजार किया था कि हम साथ में खाएंगे लेकिन तुम तो अब शायद मेरे साथ बैठना भी पसंद नहीं करते।”
आरव ने बिना उसकी ओर देखे बस इतना कहा, “रिया, तुम्हें हर बात में शिकायत करनी है ना। बस यही काम रह गया है तुम्हारा।” वह शब्द बहुत सामान्य थे, पर उनके पीछे जो ठंडापन था, उसने रिया को अंदर तक हिला दिया। कभी यही आरव हर शाम उसके लिए गुलाब लेकर आता था और कहता था कि तुम्हारे बिना यह घर अधूरा है और आज वही आदमी उसकी तरफ देखना भी नहीं चाहता था।
रिया के गले में कुछ अटक गया। उसकी आंखों में आंसू आ गए। पर उसने खुद को संभालते हुए कहा, “आरव, तुमसे बात करना भी अब मुश्किल हो गया है। मैं हर दिन कोशिश करती हूं कि सब ठीक हो जाए, लेकिन शायद अब तुम्हारे दिल में मेरे लिए कुछ बचा ही नहीं।”
आरव ने फोन टेबल पर पटकते हुए कहा, “रिया, प्लीज, अब यह ड्रामा मत करो। मुझे हर दिन यही सुनना पड़ता है। मैं थक गया हूं तुम्हारी बातों से। मैं अपनी जिंदगी जीना चाहता हूं अपने तरीके से।”
टूटते रिश्ते की कहानी
रिया ने कहा, “और मैं क्या कर रही हूं? मैं तुम्हारी जिंदगी में रुकावट बन गई हूं क्या? मैं तो बस वही करने की कोशिश कर रही हूं जो हम दोनों ने साथ में तय किया था। जब शादी हुई थी तब तुमने कहा था कि हम हमेशा साथ रहेंगे हर सुख-दुख में। अब वह वादा कहां गया?”
आरव ने गुस्से में कहा, “वादे हालात के हिसाब से बदलते हैं। रिया, अब वह दिन नहीं रहे जब सब कुछ फिल्मी लगता था। अब जिंदगी असली हो गई है और इसमें मैं थक गया हूं तुम्हारे सवालों से, तुम्हारे रोने से, तुम्हारी हर छोटी बात से।”
रिया का चेहरा एक पल को सफेद पड़ गया। उसके होंठ कांपे पर उसने कुछ नहीं कहा। वह बस धीरे से कमरे से निकल गई और अपने कमरे में जाकर खिड़की के पास खड़ी हो गई। बाहर बारिश की हल्की बूंदें गिर रही थीं जैसे आसमान भी उसके दर्द में शामिल हो गया हो। उसने खिड़की से बाहर देखा। सामने वाली सड़क पर बच्चे पानी में खेल रहे थे और उसे लगा कि जिंदगी कितनी आसान होती है जब दिल में कोई बोझ नहीं होता।
उसने अपने माथे से आंसू पोछे और मन ही मन कहा, “शायद अब वक्त आ गया है कि मैं भी तुम्हें आजाद कर दूं, आरव।” उसी रात दोनों के बीच वह झगड़ा हुआ जो शायद उनकी शादी का आखिरी झगड़ा साबित हुआ। आरव देर रात घर लौटा था और उसके कपड़ों से शराब की हल्की गंध आ रही थी। रिया ने दरवाजा खोला और कहा, “तुम्हें पता भी है मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूं? फोन उठाना भी जरूरी नहीं समझा।”
आरव ने कहा, “हां, नहीं समझा क्योंकि मुझे किसी को जवाब देना अच्छा नहीं लगता।”
रिया का दिल भर आया। उसने कहा, “आरव, मैं अब भी तुमसे प्यार करती हूं। मैं बस चाहती हूं कि तुम मुझे वैसे ही समझो जैसे पहले समझते थे, लेकिन अब तो तुम मुझसे दूर भागते हो।”
आरव ने हंसते हुए कहा, “प्यार यार? हां, वो तो अब बस कहानियों में रह गया है, रिया। अब मैं खुद को तुम्हारे साथ घुटता हुआ महसूस करता हूं और सच कहूं तो शायद अब मैं यह रिश्ता नहीं निभा सकता।”
रिया की आंखों से आंसू बहने लगे। उसने कहा, “तुम क्या कहना चाहते हो, आरव?”
“तलाक,” आरव ने कहा, “हां, शायद यही ठीक रहेगा। तुम अपनी दुनिया में रहो। मैं अपनी जिंदगी में।”
वो शब्द सुनकर जैसे सब कुछ थम गया। रिया का शरीर सुन्न हो गया। उसने बस इतना कहा, “आरव, क्या सच में तुम्हें हमारी शादी का कोई मतलब नहीं रहा?” उसने कुछ नहीं कहा। बस दरवाजे की तरफ बढ़ गया। रिया दरवाजे के पास खड़ी उसे जाते हुए देखती रही। उसकी आंखों में वह सभी पल घूमने लगे। जब उन्होंने पहली बारिश में भीग कर चाय पी थी। जब पहली तनख्वाह से उसने रिया के लिए एक लाल साड़ी खरीदी थी। जब उसने कहा था कि चाहे कुछ भी हो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा। लेकिन अब वही आदमी उसकी जिंदगी से जा रहा था बिना पीछे देखे बिना कुछ कहे।
अकेली रातें और बिखरता सपना
उस रात रिया बहुत रोई। उसके दिल में सैकड़ों सवाल थे लेकिन जवाब कोई नहीं था। सुबह जब सूरज निकला तो घर में सिर्फ सन्नाटा था। टेबल पर आरव की छोड़ी हुई घड़ी थी और पास में एक फाइल जिसमें तलाक के कागज रखे थे। रिया ने वह फाइल खोली और उसकी उंगलियां कांपने लगी। उसने सोचा कि शायद यह सब एक बुरा सपना है, लेकिन नहीं, यह हकीकत थी। दिन बीतते गए। आरव ने अपना सामान ले लिया और घर छोड़ दिया। उसने जाते-जाते बस इतना कहा, “रिया, मैं तुम्हें दोष नहीं दे रहा। बस यह रिश्ता अब मुझे भारी लगता है।”
रिया ने कुछ नहीं कहा। उसने बस सिर झुका लिया और कहा, “ठीक है। अगर तुम्हें यही चाहिए तो मैं तुम्हें रोकूंगी नहीं।” आरव ने एक पल को उसकी आंखों में देखा और चला गया। दरवाजा बंद हुआ तो घर के अंदर जैसे सब कुछ खत्म हो गया। रिया ने देखा वह दीवारें जिन पर उनकी तस्वीरें लगी थी अब सुनी लगने लगी थी। उसने वह तस्वीरें उतारी और उन्हें अलमारी में रख दिया। उसने खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश की लेकिन अंदर से वह बिखर चुकी थी।
आत्म-खोज का सफर
दिन हफ्तों में और हफ्ते महीनों में बदल गए। रिया ने अपने अंदर एक सन्नाटा पाल लिया था। वह अब किसी से बात नहीं करती थी। बस चुपचाप मंदिर जाती और भगवान से पूछती कि आखिर कहां गलती हुई। उसे लगता था कि शायद अगर उसने उस दिन थोड़ा और सब्र किया होता तो आरव नहीं जाता। दूसरी ओर आरव की जिंदगी भी बहुत अलग हो गई थी। वो विदेश चला गया था। नई नौकरी, नए लोग, नई जिंदगी, लेकिन अंदर से वह खाली था। हर सुबह जब वह अपने दफ्तर की बड़ी खिड़की से बाहर देखता तो उसे वही बारिश याद आ जाती जिसमें उसने रिया के साथ भीग कर हंसी थी। वो मुस्कुराने की कोशिश करता पर दिल में एक टीस उठती।
रिया ने खुद को संभालने के लिए काम करना शुरू किया। पहले सिलाई फिर छोटे बच्चों को ट्यूशन देने लगी। लेकिन उसके अंदर का दर्द कम नहीं हुआ। हर रात वह वही पुराना तकिया पकड़ कर सोती जिस पर आरव का सिर रखा करता था। कई बार वह तकिए से बात करती जैसे आरव अब भी वहीं है। वह सोचती थी कि शायद एक दिन वह लौट आएगा। शायद उसे एहसास होगा कि उसने क्या खोया है। लेकिन साल गुजरते गए और कोई खबर नहीं आई। रिश्तेदारों ने भी कहना शुरू कर दिया कि अब उसे आगे बढ़ जाना चाहिए। लेकिन रिया के लिए वह मुमकिन नहीं था। क्योंकि उसका दिल अब भी उसी घर में अटका था जहां उसने सपने बुने थे।
चाय का ठेला
वक्त का पहिया चलता रहा लेकिन रिया की घड़ी वहीं रुक गई थी जिस दिन आरव ने दरवाजा बंद किया था। उसके अंदर अब कोई उम्मीद नहीं बची थी। सिर्फ एक आदत थी जीने की। वह अब बस सुबह उठती थी। मंदिर जाती और फिर अपने छोटे से कमरे में बैठकर भगवान से बात करती। उसका मन अक्सर कहता था कि किसी दिन शायद आरव लौट आएगा। शायद उसे एहसास होगा कि उसने क्या खोया है। पर फिर वह खुद को समझा लेती कि अब यह सोचना बेकार है। वह अब सिर्फ खुद के लिए जीना चाहती थी, लेकिन हर चीज में उसे उसकी याद आती थी।
उसने एक दिन सोचा कि उसे कुछ करना चाहिए। उसने अपने छोटे से कमरे के बाहर एक पुराना स्टोव लगाया और वहां चाय बनाना शुरू किया। वह सोचती थी कि जब तक कोई काम अपने दम पर किया जाए तब तक किसी का साथ जरूरी नहीं होता। लेकिन उस वक्त उसे क्या पता था कि यही चाय का ठेला एक दिन उसकी किस्मत का दरवाजा बनेगा। यही ठेला वह जगह बनेगी जहां 4 साल बाद उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ आने वाला है। जहां वही आरव फिर से उसकी जिंदगी में कदम रखेगा। लेकिन इस बार हालात कुछ और होंगे।
आरव की नई शुरुआत
आरव की जिंदगी में भी एक नया मोड़ आया। वह विदेश में नई नौकरी कर रहा था, लेकिन उसके मन में अब भी रिया की यादें ताजा थीं। एक दिन उसकी दोस्त ने कहा, “आरव, तुम इतने चुपचाप क्यों रहते हो? तुम्हारे पास सब कुछ है, लेकिन तुम खुश क्यों नहीं हो?” आरव ने बस मुस्कुरा कर कहा, “कुछ चीजें जिंदगी में ऐसी होती हैं जिन्हें खो देने के बाद समझ आता है कि वह सबसे बड़ी पूंजी थी और अब चाहे कितना भी कमा लो, वह कमी पूरी नहीं होती।”
चार साल यूं ही गुजर गए। आरव ने कई बार कोशिश की कि किसी और रिश्ते में खुद को बांध ले। पर जब भी किसी लड़की से बात होती, उसे रिया की मुस्कान याद आ जाती। उसका सलीका, उसका अपनापन और उसकी आंखों की गहराई। वह किसी और में नहीं देख पाता था। वह समझ गया था कि शायद वह किसी और के लिए बना ही नहीं था।
रिया की मेहनत
वहीं रिया अब अपने चाय के ठेले की पहचान बन चुकी थी। लोग दूर-दूर से उसकी चाय पीने आते थे। कोई कहता, “दीदी, आपकी चाय में जादू है।” तो कोई कहता, “जब तक आपकी मुस्कान ना दिखे, दिन पूरा नहीं लगता।” वह सबके साथ हंसती थी। पर जब ठेला बंद करती और रात में अकेली कमरे में लौटती तो उसकी मुस्कान गायब हो जाती। वो तकिए से लगकर रो लेती पर किसी को दिखाती नहीं क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि लोग उसे टूटी औरत समझें।
आरव का लौटना
एक दिन जब बारिश हो रही थी, रिया ने स्टोव के ऊपर एक पन्नी डाल रखी थी ताकि पानी अंदर ना जाए। लेकिन हवा तेज थी और उसने पन्नी उड़ा दी। रिया भीग गई। बालों से पानी टपक रहा था। पर उसने परवाह नहीं की। वह मुस्कुराती रही और बोली, “जब अंदर तूफान हो तो बाहर की बारिश से क्या डरना।” धीरे-धीरे उसका ठेला उस इलाके का जाना पहचाना ठेला बन गया।
एक दिन आरव अपने देश लौटने का फैसला करता है। वह सोचता है कि उसे रिया से मिलना चाहिए। वह अपनी छुट्टी लेता है और भारत के लिए उड़ान भरता है।
पुनर्मिलन
जब आरव उस चाय के ठेले के पास पहुंचा, तो उसने देखा कि रिया चाय बना रही थी। उसकी मुस्कान पहले जैसी थी, लेकिन उसकी आंखों में गहराई थी। आरव ने चाय की खुशबू महसूस की और उसकी ओर बढ़ा। रिया ने उसे नहीं पहचाना। आरव ने चाय का गिलास लिया और उसे पीते हुए कहा, “आपकी चाय बहुत अच्छी है।”
रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “धन्यवाद साहब, रोज बनाते-बनाते स्वाद अपने आप आ जाता है।” आरव ने उसकी मुस्कान में छिपे दर्द को महसूस किया।
आरव का फैसला
आरव ने तय किया कि वह अब रिया की जिंदगी में दखल नहीं देगा। वह बस उसके लिए कुछ करना चाहता था। उसने ठेले के पास खड़े होकर एक लिफाफा रखा और बिना कुछ कहे वहां से चला गया।
जब रिया ने लिफाफा खोला, तो उसमें एक चिट्ठी थी जिसमें आरव ने लिखा था कि उसने अपनी गलतियों का एहसास किया है और वह अब भी उसे चाहता है। रिया ने उस चिट्ठी को पढ़ते हुए आंसू बहाए। उसने महसूस किया कि आरव ने उसे माफ करने की कोशिश की है।
नए सिरे से शुरुआत
रिया ने अपने ठेले को और खूबसूरत बनाने का निर्णय लिया। उसने अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए नई योजनाएं बनाई। आरव ने रिया की मदद करने का फैसला किया, लेकिन बिना उसे बताए।
धीरे-धीरे रिया की चाय की दुकान और भी प्रसिद्ध हो गई। लोग उसे सम्मान से देखने लगे। आरव ने भी अपनी जिंदगी में बदलाव लाने का प्रयास किया।
अंत की ओर
इस तरह, रिया और आरव ने अपने-अपने रास्ते पर चलना शुरू किया। प्यार में कभी-कभी दूरी भी जरूरी होती है। रिया ने खुद को पहचान लिया और आरव ने अपनी गलतियों का एहसास किया।
दोनों की कहानी एक नई दिशा में बढ़ी। प्यार का असली मतलब समझ में आया और अंत में, दोनों ने अपने-अपने रास्ते पर चलकर अपने जीवन को आगे बढ़ाया।
दोस्तों, यह कहानी हमें यह सिखाती है कि प्यार सिर्फ साथ रहने का नाम नहीं है, बल्कि कभी-कभी किसी को उनकी खुशी के लिए छोड़ देना भी सच्चा प्यार होता है। यह कहानी हमें प्रेरित करती है कि हमें अपने सपनों के लिए लड़ना चाहिए, चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों।
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